ए रश्मि थैंक्स :) |
मेजबाँ हूँ मैं कभी, और कभी मेहमाँ हूँ
क़ैद हूँ इस जिस्म में, मगर तेरी जाँ हूँ
वफायें मेरी उम्र भर, न छोड़ेंगी पीछा तेरा
ज़ुबाँगर हूँ मैं कभी, और कभी बे-ज़ुबाँ हूँ
ख़बर तुझे नहीं मेरी, हस्ती की कोई
आग सी तपिश लिए, तेरे लिए धुवाँ हूँ
ढूँढते हो बस मुझे, तुम दिल के आस-पास
तुम्हें अभी खबर कहाँ, मैं कहाँ-कहाँ हूँ
लिपट तेरे पहलू से, अब सोना चाहती हूँ
तुझे लापता करे जो, मैं ही वो तूफाँ हूँ
तेरी-मेरी ज़िन्दगी, हो गई अब मुकम्मल
तेरे लिए रिदा हूँ मैं, और तेरी ही 'अदा' हूँ
फारसी में :
रिदा= खुशी
(ये कविता मेरे 'उनके' लिए है। दूर बैठे-बैठे बहुते सठियाने लगे हैं, ऊ पढेंगे तो दिमाग ठिकाने पर रहेगा ...हाँ नहीं तो ! :))
ढूँढते हो बस मुझे, तुम दिल के आस-पास
ReplyDeleteतुम्हें अभी खबर कहाँ, मैं कहाँ-कहाँ हूँ
वाह... लाजवाब...आभार
संध्या जी,
Deleteशुक्रिया, करम, मेहेरबानी :)
लाजवाब अदा
ReplyDeleteसुनती हूँ सदा
हो गई फिदा
जो देखी रिदा
सादर
तू सुनती है सदा
Deleteमैं भी हुई फ़िदा
मिली आज रिदा
लाज़वाब हुई 'अदा'
:)
बोले तो ..थैंक्यू है जी थैंक्यू !
ReplyDelete:)
सुन्दर प्रेमाभिव्यक्ति
ReplyDeleteअब का कहें दी, कभी-कभी ये काम भी करना ही पड़ता है :)
Delete
ReplyDeleteरचना में जीवन कीं सुंदर सार्थक अनुभूति प्रस्तुति की है---अद्भुत
बहुत बहुत बधाई
बहुत बहुत धन्यवाद !
Deleteआये-हाय मजा आ गया ... बहुत लाजवाब
ReplyDeleteआज का ब्लॉग पढ़ना सार्थक हो गया
वाह !
Deleteये तो बड़ी अच्छी बात है !
bahut khoob
ReplyDeleteThanks !
Delete:)
क़ैद हूँ इस जिस्म में, मगर तेरी जाँ हूँ...लाज़वाब गजल
ReplyDeleteआपको पसंद आया , शुक्रिया !
Deleteढूंड रही हो तिस्नगी, आवारा अब्रो-आब में..,
ReplyDeleteतुम मेरी मंजिल नहीं हो मैं एक गर्दे-कारवां हूँ.....
गर्द=भटकता हुवा
वाह !
Deleteक्या बात है ..माशाल्लाह !
सुन्दर गजल।
ReplyDeleteधन्यवाद !
Deleteओहो !! इतनी सुन्दर सी ग़ज़ल पढने में इतनी देर कर दी...:(
ReplyDeleteबिलकुल दिल के ज़ज्बात ने होठों पर आ कर ग़ज़ल की शक्ल अख्तियार कर ली है....सुभानल्लाह !!!
हाँ हाँ काहे नहीं, चढ़ा लो हमको धनिया के पेड़ पर ..:):)
Deleteहाँ नहीं तो !
बस एक रिंद की कमी रह गयी वह मैं पूरी किये देता हूँ :-)
ReplyDeleteबेहतरीन!
:)
Deleteधन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
रिदा नाम सुना था, आज आपकी रचना से अर्थ जाना।
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत ग़ज़ल
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