मेरी ये मेरी कविता मेरी आवाज़ में नोश फ़रमायें :)
मैं ठोकर खाके गिर जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
गिर कर उठ नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
तुम हँसते हो परे होकर, किनारे पर खड़े होकर
मैं रोकर हँस नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
अभी जीना हुआ मुश्किल, घायल है बड़ा ये दिल
मैं टूटूँ और बिखर जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
खिंजां का ये मंज़र है, कभी बादल घना-घन है
मैं छीटों में ही घुल जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
कश्ती की बात रहने दे , समन्दर भी डुबो दे तू
किनारे तैर न पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
गिरी है गाज हमपर अब, कभी बिजली डराती है
मैं साए से लिपट जाऊँ , ऐसा हो नहीं सकता
सभी सपने कुम्हलाये, तमन्ना रूठे बैठी है
मैं घुटनों पर ही आ जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
तू मेरा हैं मैं जानू, ये क़ायनात तेरी है
मैं तेरा हो नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
हो नहीं सकता, हो नहीं सकता। किसी के इश्क के में खुद को..........शानदार।
ReplyDeleteसही कहा ...तभी तो चचा जान फरमा गए हैं :
Deleteइश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया, वर्ना आदमी हम भी काम के थे :)
कुछ लोग हरफनमौला होते ही हैं।बहुत अच्छे शब्द और बहुत मधुर आवाज ।
ReplyDeleteहरफनमौला कि हरफनमौली ? :)
Deleteगिरी है गाज हमपर अब, कभी बिजली डराती है
ReplyDeleteमैं साए से लिपट जाऊँ , ऐसा हो नहीं सकता
बेहतरीन ग़ज़ल
लिंक ले जा रही हूँ
शनिवारीय अंक के लिये
सादर
लै जा लै जा , सोणिये लै जा लै जा :)
Deleteबहुत सुन्दर और विश्वास जगाती कविता
ReplyDeleteबड़ा सिम्पल सा फार्मूला है अपना प्रवीण साहेब। ज़नाब ज़िगर मुरादाबादी का यह क़लाम हम काम में लाते हैं, और हर हाल में बहुत ख़ुश रहते हैं :
Deleteहमको मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हमसे ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
थान्कू ! :)
ReplyDeleteसुन्दर काव्य रचना !!
ReplyDeleteनव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !!
आपको भी नव वर्ष की शुभकामना !
Deleteबाबा रे इत्ता संजीदा चेहरा.....
ReplyDeleteमेल ही नहीं खा रहा मीठी आवाज़ और सौंधे लफ़्ज़ों से.....
मुस्कुराने के पैसे लेती हैं क्या???
:-)
मैं घुटनों पर ही आ जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता....बस इस लाइन को गाते समय के expression से शिकायत नहीं.
अनु
अरे हम तो ऐसे expression दे सकते हैं, कि expression को भी expression देने के लिए expression ढूंढना पड़ेगा :)
Deleteबात करती है !
ई तो ज़रा तबियत ख़राब थी हमरी इसलिए, नहीं तो my expression can leave you expression behind :)
मिलती हूँ किसी दिन, पैसे निकाल के रखना :)
हा हा हा ...
आपको भी नव वर्ष की शुभकामना !
ReplyDeleteशास्त्री जी,
ReplyDeleteधन्यवाद है आपका !
आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...!
ऐसी ही हैसला बुलंद रहें- अद्भुत भाव शिल्प की कविता
ReplyDeleteजी हाँ डाक्टर साहेब, यही कोशिश रही है और रहेगी ..
Deleteधन्यवाद !
सुनकर अनसुना कर दूँ ऐसा हो नहीं सकता ,
ReplyDeleteतुम छू लो और पिघल न जाऊं ऐसा हो नहीं सकता ,
पढ़ जाऊं और टिप्पणी न कर जाऊं ऐसा हो नहीं सकता ।
शब्दों को शहद में डुबोकर गाती हैं आप ......बहुत मीठी आवाज़ ।
मेरी कविता की आंच ऐसी तो न थी कि मोम की तरह पिघल जाओ
Deleteइसमें जीवन के थपेड़ों की वो सच्चाई है कि चट्टान की तरह नज़र आओ
आपका धन्यवाद !
बहुत डूबकर कविता पढ़ी है...जैसे पढ़ते हुए खो सी गयी हो.
ReplyDeleteकविता है भी ऐसी..बहुत ही ओज भरी
मेरी यह कविता, मैंने उस वक्त लिखी थी, जब मैं अपने जीवन के बहुत ही कठिन समय से गुज़र रही थी ...इसलिए इसमें मेरा डूब जाना लाज़मी है ! तुझे पसंद आई, मेरे लिए ये बहुत मायने रखता है मैडम जी :)
Deleteबहुत उम्दा ....
ReplyDeleteमोनिका जी,
Deleteआपका तहे दिल से धन्यवाद !
आपकी लिखी मेरी पसंदीदा ग़ज़ल या कविता ...
ReplyDeleteक्या संयोग है कल ही कही शेयर किया ई इसे ! बिना आपकी इज़ाज़त के :)
आपका शुक्रिया, आपने इस रचना को इस योग्य समझा।
Deleteसंयोग हो ही जाते हैं कई बार, यह भी एक सुखद संयोग कहा जाएगा :)
इजाज़त तो है ही :)
तू मेरा हैं मैं जानू, ये क़ायनात तेरी है
ReplyDeleteमैं तेरा हो नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
सुप्रभात सहित प्रणाम स्वीकारें ....आप खुशनसीब हैं माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे नवसंवत्सर की शुभकामना
कुमार विश्वास नाम का एक कवि ऐसी ही कविता को बड़े विश्वास के साथ पुरे छत्तीसगढ़ में इसी लय सुर ताल में गाकर भारी वाहवाही लुट रहा है कुछ आप कहना चाहेंगी इस कविता के लेखन की दिन तिथि के बारे में ......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....बेहतरीन रचना
ReplyDeleteपधारें "आँसुओं के मोती"