उसका घर बदल गया है,
दीवार पर कैलेण्डर बदल गया है,
बिस्तर की चादर बदल गई है,
मंदिर में ठाकुर बदल गए हैं,
कमरे का कलर बदल गया है,
बदल गए हैं टूथ पेस्ट, साबुन, तेल, कमीज़;
तीन साल में कार बदली, पांच साल में बीवी,
सोच उसकी बदल गई, अब, सिर भी बदल गया हैजब से पैदा हुआ है;
हर दिन वो, थोड़ा सा बदल जाता है
पर इतनी बदलियों के बाद भी
बदला नज़र नहीं आता है...!!है न गज़ब की बात ...!!
हाँ है गज़ब की बात
ReplyDeletenice
ReplyDeletewakai gajab hai
ReplyDeleteऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.
ReplyDeleteVaah, kamaal ka observation hai!
ReplyDeleteVaah, kamaal ka observation hai!
ReplyDeleteबिल्कुल है गज़ब की बात .........लाजवाब रचना
ReplyDeleteबहुत ग़ज़ब की रचना!
ReplyDeleteचित्र भी शानदार है!
बधाई!
सच्ची बहुत गज़ब !
ReplyDeleteबढ़िया भाव...बदले हुए कभी नज़र नही आएँगे और जब भरोसा हो गया तब झटपट बदल जाएँगे यही तो है फ़ितरत...बढ़िया रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteपूरी कविता अछे लगी. मगर अंतिम दो लाइन से मामला बिगड़ गया है. कृपया दुबारा सोच कर देखें.
ReplyDeleteअपनी माटी
माणिकनामा
bahut khoob Ada ji....
ReplyDeleteबदलाव पर आपकी कविता बहुत अच्छी है ... बदलाव तो खैर दुनिया का नियम है ... हा ये ज़रूर है कि आजकल लोग कुछ ज्यादा ही तेज़ी से बदल रहे हैं ...
ReplyDeleteज़रूरत पढ़ने पर कोई अपनी जिंदगी, चाल-चलन के थोड़ी-बहुत बदलाव लाए तो कोई बात नहीं ... पर दुःख इसी बात का है कि आजकल बदलाव का कारण ज़रूरत नहीं बल्कि लालच, और ज्यादा पाने कि लालसा, धन और रुतबे कि प्रतियोगिता इत्यादि बन गए हैं ...
कहीं पर तो ये बदलाव दिख जाते हैं ... पर कहीं कहीं पर बदलाव दीखते नहीं है ...उसे अच्छी तरह से छुपा दिया जाता है ... आपकी यह कविता बहुत सुन्दर तरीके से इस यथार्थ को सामने लायी है ...
मेरी कविता "सीधी बात है कहने दो" को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए आपका आभारी हूँ ... मैं तो बस चर्चा मंच में आपकी चर्चा पढ़ने के लिए गया था पर वहां पर मेरी कविता को भी शामिल किया गया है ये देख कर एक सुखद अनुभूति हुई, जिसे अंग्रेजी में कहते हैं न "pleasant surprise" ... आपको फिर से बहुत बहुत शुक्रिया मेरी कविता को इस लायक समझने के लिए ...
आप साहित्य जगत में प्रतिष्ठित हैं .. आप जब इस तरह उत्साह देती हैं तो हार्दिक प्रसन्नता होती है !
गजब क्या जी...अजूबा ही कहिये. :)
ReplyDeleteवैसे ही जैसे मेरी माँ के लिए मैं कभी नहीं बदला उसके मरने तक!!
देखिये न, बदलने की आदत नहीं बदली ।
ReplyDeleteहर दिन वो, थोड़ा सा बदल जाता है
ReplyDeleteपर इतनी बदलियों के बाद भी
बदला नज़र नहीं आता है...!!
है न गज़ब की बात ...!!
बहुत ग़ज़ब !!
ग़ज़ब की तो बात है!पर ये ग़ज़ब तब और भी ज्यादा हो जाता है जब हम उसे देख कर भी कुछ नहीं सीखते!क्यों जी...?
ReplyDeleteकुंवर जी,
सबसे पहले आपके उस अच्छी सोच को धन्यवाद, जिससे इस देश और समाज में बदलाव लाया जा सकता है / मैं आपको ,आपके अपने ही क्षेत्र में हमारे सामाजिक आन्दोलन के नेतृत्व का निमंत्रण देता हूँ / अगर आपकी इक्षा हो तो हमें इ मेल से सूचित करें या http://hprdindia.org पे log in करें / अच्छी वैचारिक और इन्सान के कुछ अच्छा सोचने से उपजी इस बिचारोत्तेजक ,आज के वैचारिक खोखलापन पर प्रकाश डालती इस संदेशात्मक कविता के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद / अच्छा और ईमानदारी भरा सोच ही ,आज इस देश और मानवता को बचा सकता है /
ReplyDeleteजो अमूर्त है वह स्थायी है ..
ReplyDeleteजैसे क्रोध , क्या इन नंगी आँखों से दिखेगा ?
पर यह अमूर्त(यथा-क्रोध) भी चेहरा बदलता है , एक ही चेहरे में
कई बार आता है ..
यही बदलाव के सापेक्ष इसकी विद्यमानता है !
सुन्दर कविता ! आभार !
haan,agar roj badalne ke baawjud bhi..insaan me badlaaw najar n aaye..to ye ajib baat hi hui!
ReplyDeletebehatarin rachna!
haan,agar roj badalne ke baawjud bhi..insaan me badlaaw najar n aaye..to ye ajib baat hi hui!
ReplyDeletebehatarin rachna!
दुनिया चाहे बदल जाए लेकिन अपना मक्खन कभी नहीं बदलेगा...
ReplyDeleteइस फोटो में मुझे यही समझ आ रहा है कि मक्खन घर पर ही ट्रैफिक सिगनल्स की प्रैक्टिस कर रहा है...है कोई देश में इतना ज़िम्मेदार नागरिक...
जय हिंद...
बिल्कुल गजब की बात है.
ReplyDeleteरामराम.
बिल्कुल गजब की बात है.
ReplyDeleteरामराम.
पर इतनी बदलियों के बाद भी
ReplyDeleteबदला नज़र नहीं आता है...!!है न गज़ब की बात ...!!
wo badla nazar nahi aata matlab main badal gaya hu..mera nazaria badal gaya hai
-Shruti
है तो अजब पर है गज़ब!
ReplyDeleteपर इतनी बदलियों के बाद भी
ReplyDeleteबदला नज़र नहीं आता है...!!
है न गज़ब की बात ...!!
ओर वो हुं मै!!!
है न गजब की बात
बहुत कुछ कह दिया आप ने इस कविता मै.
धन्यवाद
bahut khoob
ReplyDeletebade badle se mere sarkar nazar aate hai.
Gazbki baat to aapka lekhan kaushaly hai!
ReplyDeleteवाकई गजब अजब बात ..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteरचना का उत्कर्ष अभिव्यञ्ञना का वैशिष्ट्य है ।
ReplyDeleteगज़ब है !
ReplyDeleteबिल्कुल है जी, अजब बदलाव की गज़ब बात।
ReplyDeleteबदला, पर नहीं बदला।
फ़ोटो भी एकदम टू मच है जी।
आभार इस पोस्ट के लिये भी और चर्चामंच पर हमारी पोस्ट को स्थान देने के लिये भी।
तीन साल में कार बदली, पांच साल में बीबी ...
ReplyDeleteकार तो समझ में आती है ...मगर बीबी भी ....वैरी बैड
इतनी बदलियों के बाद बदला नजर नहीं आता है ...
ऐसा कैसे ...
बात तो गज़ब कि है ...सच्ची ...:):)
bahut khub asliyat bayan kr diiiiiiiii
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