तुम कितनी
खूबसूरत हो
ये कोई उनके
दिल से पूछे
सबके दिलों में
बसने वाली
सबकी धडकनों
में रहने वाली
हर दिल में
तुम्हारी ही चाहत
करवटें ले
रही है
सभी दीवाने हुए
जाते हैं
सभी दीवाने हुए
जाते हैं
सबके दिल
हर पल तुम्हारा
ही नाम ले रहे हैं
आज कोई पूछ ही
ले उनकी
धड़कनों से
हर कोई क्यूँ है
उसका
दीवाना !!!
.
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न कोई करार
मांगता है
न बहार
मांगता है
जिसे देखो
ज़िन्दगी के बदले
बस उसका
प्यार मांगता है
.
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.
लेकिन
एक हादसे में
वो जब चली गई,
दीवाने
कितने दीवाने
हो गए
उसे पाने के लिए
होश तक
गवाँ बैठे
लेकिन
जो चला जाता
वो क्या
कभी लौट कर
आया है ???
वो चली तो
गई
गई
लेकिन
उसके दीवानों
की हालत मुझसे
देखी नहीं गई
दिल पर पत्थर
रख कर
मैं
ये मंजर लाई हूँ
या ख़ुदा मुझे
माफ़ कर
मेरे गुनाह
साफ़ कर
आइये
बताएं आपको
उसके आशिक
कितने परेशान
हैं !!
उनका दिल इस खूबसूरत
नाजनीन की
याद में कितना
ज़ार-ज़ार
रो रहा है ...
आपसे
दरख्वास्त है
बस दो
मिनट के
मौन का
आमीन...!!!
.
.
.
ज़रा नीचे जाइए
इस खूबसूरत
बाला (बला)
के दर्शन
बाला (बला)
के दर्शन
कर आइये
अल्लाह इस
नामुराद को
नामुराद को
जन्नत बक्शे.....
:):)
:):)
हा-हा-हा,, यह (नामुराद अप्रैल फूल ) भी खूब रही, अदा जी !
ReplyDeleteउठा कर फेंक दो बाहर गली में
ReplyDeleteनई तहज़ीब के अण्डे हैं गंदे
बढ़िया रही........."
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत अप्रैल फूल ..मज़ा आ गया
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ...
ReplyDeleteहा हा हा ....पढ़ कर मजा आगया
ReplyDeleteबहुत अच्छे टिप्पणी के दीवानों के लिये :)
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ...
ReplyDeletewahhhhh
ReplyDeletesach me maja aa gayaaaa
nice
ReplyDeleteगोया,
ReplyDeleteटिप्पणी नहीं टीपू सुल्तान हो गई हूं,
गुल से गुलिस्तान हो गई हूं,
ओ मिठ्ठू मियां,
आज मैं कुरबान हो गई हूं...
जय हिंद...
वाणी जी,
ReplyDeleteआज बहुत ही अच्छा लगा आपको देख कर..
अच्छा किया आज के दिन आपने अपनी तस्वीर लगा दी....
आपके दर्शन के व्याकुल नैयनों को बहुत चैन मिला है..
बस तस्वीर थोड़ी पुरानी लग रही है...
हाल-फिलहाल की कोई नहीं है आपके पास ..?
:):)
आपका आभार ....
टिप्पणीयां ही क्या, सब कुछ अपनी रिस्क पर ही चलता हैिप्पणी भी हम अपनी रिस्क पर ही कर रहें हैं.:)
ReplyDeleteरामराम.
:) :)
ReplyDeleteवाह , क्या सबके दिल कि कसक लिख दी है....
बहुत खूब
सुना है इस नामुराद का यहाँ
ReplyDeleteपुनर्जन्म हुआ है :-)
बस दो
ReplyDeleteमिनट के
मौन का
आमीन...!!!
टिप्पणी अब टिप्पणी ना रहा
आमीन
इतना सस्पेंस बना कर रख दिया था आपने कि हमने तो आधी पोस्ट पढ़कर ही मरहूम के लिये फ़ूल भी आर्डर कर दिये थे, अंत में पता चला कि हम ही फ़ूल बन गये। हम भी फ़ूल हो गए।
ReplyDeleteमजेदार पोस्ट।
पुरानी फोटो अच्छी लगी।
ReplyDelete.. हाँ नहीं तो भी ।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteदीवानगी दुतरफा हो ।
ReplyDeleteआपके दर्शन के व्याकुल नैयनों को बहुत चैन मिला है..
ReplyDeleteबस तस्वीर थोड़ी पुरानी लग रही है...
फूल (अप्रैल) के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteहा हा!! क्या कहे बस कि इतना....
ReplyDeleteआज मूर्ख दिवस मनाने में इतना व्यस्त रहा कि कहीं किसी ब्लॉग पर जाना हुआ नहीं यद्यपि दिवस विशेष का ख्याल रख यहाँ चला आया हूँ और आकर अच्छा लगा. धन्यवाद दिवस विशेष पर की गई अपेक्षाओं पर आप खरे उतरे!!
यही प्यास लिखने का हौसला देती है। टिप्पणी मिटाए प्यास, बाकी सब बकवास।
ReplyDeleteआपसे
ReplyDeleteदरख्वास्त है
बस दो
मिनट के
मौन का
आमीन...!!
एक अप्रैल बीत चुकी है!
टिप्पणी करना शुरू कर चुका हूँ!
आँख बन्द करके मौन भी धारण कर लिया है!
इस गहन भाव लिए रचना के लिए!
आपका शुक्रिया!
हा हा हा हा....
ReplyDeleteअरे ये तो टिपण्णी निकली....
...
और टिपण्णी की भला क्या औकात.....??
वाकई कमाल का लिखा है
ReplyDeleteमेरे एक परिचित ने फोन पर बताया -'इंदु!अदाजी ने आप पर एक कविता लिखी है,हुबहू जैसे तुम्हारा ही ज़िक्र था हर कहीं.'मैंने कहा -'नही, ऐसा मुझ में कुछ नही कोई मुझ पर कोई कविता या गीत लिखे.'
ReplyDeleteजब पढा तों लगा हाँ ,हर कहीं मैं ही मैं हूँ.
ओह !वो एक टिप्पणी के लिए था सब कुछ.तभी उसकी मौत की घोषणा कर दी गई.
मैं तों जिन्दा हूँ और इतनी जल्दी जाने वाली भी नही .
और अच्छे इंसानों के दिल और दिमाग मे रहती हूँ गीत गज़ल की तरह.
बुरे के दिल और दिमाग में एक खौफ की तरह.
हा हा हा
एक खूबसूरत कविता को 'टिप्पणी' के लिए?????
कितना खूबसूरत लिखती हैं आप, पर शायद 'मार्केट' की यही डिमांड है.