वो दीया....
स्याह रात में
स्याह रात में
हर ज़र्रे की
स्याह कहानी है
उम्मीद का इक
दीया तो जलाओ
रंग उभर आएगा
और ये अँधेरा
छंट जायेगा...!!
ख्वाब...
ख्वाब...
हर दिन एक ख़्वाब
मेरी आँखों में
उठ खड़ा होता है
जिसे मैं बड़ी बेरहमी से
हकीक़त की दीवार में
चुन देती हूँ !
बेशक जंजीरों से जकड़े ख्वाबों को दीवार में चुनवा दिया, एक दिन जब इन्हें रूह सा विस्तार मिलेगी तो सारी दीवारें टूट जायेंगी.
ReplyDeleteउम्मीद का इक
ReplyDeleteदीया तो जलाओ
रंग उभर आएगा
और ये अँधेरा
छंट जायेगा...!!
-वाह!! बहुत गहरे भाव!
सुंदर!
ReplyDelete@दीया- अंधेरा जितना स्याह होगा, दीये का औचित्य उतना ही ज्यादा होगा। दीया जलता रहना चाहिये।
ReplyDelete@ख्वाब- जिस दिन ख्वाब दिखने बंद हो जायें, सांस चलनी भी बंद हो जायेगी। ख्वाब भविष्य का नैनो रूप हैं, फ़लीभूत भी होते हैं।
दो दिन के बाद आपके ब्लॉग पर कोई मैटीरियल आया है। गागर में सागर इसी को कहते हैं?
सुंदर भाव ... विशिष्ट आशावाद और हकीकत में स्वाह होते ख्वाबों की सुंदर बानगी प्रस्तुत की है ।
ReplyDeleteसुंदर रचनाएं। ताउ के ब्लॉग पर भी आपकी कविता पढ़ी। वह भी काफी अच्छी लगी।
ReplyDeleteपाहली रचना बहुत सुन्दर है..
ReplyDeleteतस्वीर के साथ मिलकर और भी निखार दे रही है...
ख्वाब ....की क्या कहें....
बस यह कह सकते हैं की ख्वाब देखना कोई बुरी बात नहीं है.....
...
.............
हाँ,
ख्वाब दिखाना बुरी बात है...
प्रेरणादायक रचना .......बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....बहुत बहुत आभार .
ReplyDeleteक्षणिका... माय फेवरेट..!
ReplyDeletenice
ReplyDeleteनिर्बल से लड़ाई बलवान की,
ReplyDeleteये कहानी है दिए और तूफ़ान (...ख्वाब) की...
जय हिंद...
इनको पलने का पलना दो,
ReplyDeleteदो चार कदम तो चलना हो,
हैं सपने वो उत्साह दिये,
तेरे आँगन कल जलना हो ?
Do Kavita...do bhaaw....ek ummeed ki baat karti hai to dusri haqiqat aur byatha ki....
ReplyDeletebahut sundar!
बहुत ही बेहतरीन रचानाएं. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
दिये का गुण तेल है राखै मोटी बात
ReplyDeleteदिया करता चाणना, दिया चालै साथ
आभार
WOW !!!!!!!!!!!
ReplyDeleteKYA SHABDO KO MILAYA HE AAP NE
SUNDAR
AAP KO BADHAI
SHKEHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
हर दिन एक ख़्वाब
ReplyDeleteमेरी आँखों में
उठ खड़ा होता है
जिसे मैं बड़ी बेरहमी से
हकीक़त की दीवार में
चुन देती हूँ !
badi gahri chot ki hai.........bahut hi sundar.
बहुत गहरे भाव!
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब का लिखा है
ReplyDeleteइतने बेरहम न हो जाइये ..?
ReplyDeleteशायद हर ख्वाब में
हकीकत का सामना करने की तमीज न हो..!
बहुत ही बेहतरीन ।
आभार..!
Hello :)
ReplyDeleteजिसे मैं बड़ी बेरहमी से
हकीक़त की दीवार में
चुन देती हूँ !
Main aapse bus ek sawaal poochna chahti hu..? Aap harr baar kahaan se itne thoughts lekar aate ho??? I mean how can you write so brilliantly everytime...??
I am really honoured that I am a follower of your blog!
All my love.
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogpsot.com
बहुत बढिया.
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteअदा जी , समीर लाल जी के घर पर आयोजित महफ़िल देखकर तो मज़ा आ गया ।
उम्मीद का इक
ReplyDeleteदीया तो जलाओ
रंग उभर आएगा
और ये अँधेरा
छंट जायेगा...!!
.........वाह....बहुत खूब......
@ उम्मीद के दिया मिटा देते हैं हर अँधियारा ..मगर कई बार दिए तले अँधेरा भी होता है घनघोर ...
ReplyDeleteदिखता है जो जहाँ बस वही नजर भी तो नहीं आता ....
@ हर दिन उठने वाले ख्वाब हकीकत की दीवारों में चुन जाते हैं ...आखिर है तो ख्वाब ही ....ख्वाबों से ऐसा क्या डरना कि दीवारे चुन दी जाये ...??
khwaabo ko hakikat ki dewar mein chun dena bahut badi saza hai par shayad zindagi ki yahi sachhayi hai
ReplyDelete-Shruti
जाहिराना तौर पर ख़्वाब को क्या चुनना किसी दीवार में ! ख़्वाब ही है जो हकीकत के बरक्स कुछ बेहतर सोचने-करने की लालसा देता है ! उस हक़ीक़त का क्या, जिससे चुन जाती हैं इच्छाएं, अभीप्साएं, आकांक्षाएं दीवार में !
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