बस !!
आज का ही दिन है
प्यार का वो एक दिन
कल की क्या ख़बर,
क्या जाने क्या बात हो
कुछ आसान हो ये सफ़र
न रास्ते में रात हो
हो ख़त्म नफ़रत का ज़हर
न धोखा न घात हो
न असलों से भरा हो घर
बचपन न बर्बाद हो
करो उजागर,
कम इल्मी और जहालत
आओ मिलकर करें फ़िक्र
एक नई शुरुआत हो......
चित्र गूगल के सौजन्य से...
fikra ek nayi fikra ki.. :)
ReplyDeleteएक नई शुरुआत हो......
ReplyDeleteयकीनन एक नई शुरूआत होनी चाहिये.
अभिनव सन्देश देती हुई रचना!
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई!
आओ मिलकर करें फ़िक्र
ReplyDeleteएक नई शुरुआत हो.....
jaroori ho gaya hai.........
...सुन्दर ...अतिसुन्दर ... संदेश पूर्ण रचना!!!!
ReplyDeleteहर दिन लाये जीवन-अंकुर, मैं नित प्रभात अनुरागी हूँ ।
ReplyDeleteमैं उत्कट आशावादी हूँ ।
bahut prabhavi rachana.
ReplyDeleteramram.
is nayi shruaat me aapki lekhni ke sath hun....
ReplyDeleteसंदेश देती हुई..एक बढ़िया रचना..धन्यवाद अदा जी
ReplyDeleteसार्थकता से भरी विवेचना युक्त विचारोत्तेजक कविता के लिए धन्यवाद / ऐसे ही प्रस्तुती और सोच से ब्लॉग की सार्थकता बढ़ेगी / आशा है आप भविष्य में भी ब्लॉग की सार्थकता को बढाकर,उसे एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित करने में,अपना बहुमूल्य व सक्रिय योगदान देते रहेंगे / आप देश हित में हमारे ब्लॉग के इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर पधारकर १०० शब्दों में अपना बहुमूल्य विचार भी जरूर व्यक्त करें / विचार और टिप्पणियां ही ब्लॉग की ताकत है / हमने उम्दा विचारों को सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / इस हफ्ते उम्दा विचार के लिए अजित गुप्ता जी सम्मानित की गयी हैं /
ReplyDeleteZaroor hoga aisa! Ameen!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना है...
ReplyDeleteआओ मिलकर करें फ़िक्र
ReplyDeleteएक नई शुरुआत हो......
सुन्दर आशावादी रचना!
एक नई शुरुआत हो...... आमीन !
ReplyDeletedhoka aur ghaat....khub kaha
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर आशावादी रचना है ... मन में उमंग भर देती है ... आज ज़रूरत है ऐसी मानसिकता की जिससे समाज में एक बदलाव आ सके ...
ReplyDeletesundar rachna ke saath,sundar sandesh...
ReplyDeleteShuruwaat beshak ho mohtarma!
ReplyDeleteLekin fiqr kisliye.....
Dhuen mein udaate chaliye!!!
आपके आशावाद को हमारी भी शुभकामनायें।
ReplyDeleteवो सुबह कभी तो आनी ही थी.
ReplyDeleteप्रभावी है
ReplyDeleteनवनिर्माण होगा ज़रूर । होगी एक नई शुरुआत । विश्वास है । सुन्दर विचार ।
ReplyDeleteआ चल के तुझे, मैं ले के चलूं,
ReplyDeleteइक ऐसे गगन के तले,
जहां गम भी न हो, आंसू भी न हो
बस प्यार ही प्यार पले,
इक ऐसे गगन के तले...
जय हिंद...
बहुत बढ़िया शुरूआत है!
ReplyDelete--
मेरा मन मुस्काया -
झिलमिल करते सजे सितारे!
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संपादक : सरस पायस
रचना पर सभी से सहमत हैं...
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