रात ११ बजे उसकी flight पहुंची..मैं एयर पोर्ट पर हाज़िर थी...international arrival पर नज़रें टिकाये हुए...दरवाज़ा जैसे ही खुलता मन में आस दौड़ जाती ये वही होगा....ख़ैर, आखिर वो आ ही गया....मेरा बेटा मृगांक, दुनिया में सबसे खूबसूरत, वो चलता हुआ आ रहा था लेकिन ये क्या...ये अजीब सा क्यूँ चल रहा है...लंगड़ाता हुआ, मेरा कलेजा मुँह को आगया, मैं हैरानी से उसे देखती रही और हाथ घूमा घूमा कर इशारे से पूछती रही ..क्या हुआ ...क्या हुआ ? लेकिन वो बस हँसता हुआ बिना कुछ बोले आया मेरे पास...मेरे पाँव छूवे और लिपट गया...I love you mom and I miss you so much...कानों में फुसफुसा गया...उसके बाद मैं भूल गई, क्या पूछ रही थी...
ख़ैर सामान के साथ एयर पोर्ट से बाहर आये हम माँ-बेटे , संतोष जी गाड़ी के पास ही थे काफी जोश से बाप-बेटे मिले और पिता ने भी पूछ ही लिया क्या हुआ है, लंगड़ा क्यूँ रहे हो..? वो कुछ नहीं जरा चोट लग गई थी...., कैसे ? बताता हूँ ..कहते कहते सारा सामान हमने लादा गाड़ी में और अन्दर बैठ गए....अब तक भी उसने बताया नहीं था, बैठने के बाद मैंने कहा अब बताओ क्या हुआ है ? कहने लगा मम्मी आपको तो पता ही होगा क्या हुआ है ? मैंने कहा नहीं बाबा हमको कहाँ मालूम है..? अरे ! कैसे नहीं ...? आपने उसी दिन मुझे फ़ोन किया था... आप बहुत घबराई हुई थीं फिर आपने पूछा था तुम ठीक तो हो न ? आप ने कहा था कि मेरा मन बहुत घबरा रहा है.....और मैं सिर्फ़, ओह माई गोड मम्मी..ओह माई गोड मम्मी कहता रह गया था.....हाँ हाँ मुझे याद है लेकिन तुमने कुछ बताया तो नहीं था मुझे उसे दिन न ....अरे ! मम्मी आप बेकार में परेशान होती इसलिए नहीं बताया....लेकिन हुआ क्या ये तो बताओ....तब जाकर उसने बताया...
मैं ३ अप्रैल के दिन, Sea Beach पर दोस्तों के साथ धामा चौकड़ी मचा रहा था..भाग दौड़ रहा था रेत पर, और एक फूटी हुई बियर की बोतल का काँच तलवे में अन्दर तक घुस गया....ज़ख्म बड़ा था, लेकिन इतना खून बह रहा था कि दिखाई ही नहीं दे रहा था और पता ही नहीं चल रहा था कितना बड़ा कट है, मेरे दोस्त बहुत परेशान हो गए...किसी ने अपनी शर्ट उतारी और बाँध दिया कस के ...लेकिन शर्ट खून से सराबोर हो गई...खून था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था...यह देख कर जल्दी से मुझे हॉस्पिटल जाना पड़ा.....५ टाँके लगे...टाँके लगवा कर मैं बैसाखी के सहारे अपने रूम में आया ही था कि आपका फ़ोन आ गया था ...और आप बहुत घबराई हुईं थीं..आपने कहा तुम ठीक तो हो , मैं हैरान हो गया था आपके सवाल से....मुझे मालूम था कि आपको किसी ने भी ख़बर नहीं की थी ....और तब मैं और ज्यादा हैरान हो गया जब आपने कहा कि आपने घर में मेरी आवाज़ सुनी थी कि मैं चिल्ला रहा था....वो तो बहुत स्केरी था मम्मी.... इसीलिए तो मैं कह रहा हूँ कि आपको तो पता ही होगा...
ये तो मृगांक के साथ हुआ था .....
अब सुनिए मेरे साथ क्या हुआ.....
उस दिन शनिवार था शायद ३ अप्रैल २०१० ....सब देर से उठे थे घर में और सबने देर से नाश्ता किया था...उस वक्त मैं किचन में थी..दोपहर को खाना बनाने से पहले मैं नाश्ते के बर्तन साफ़ कर रही थी...मेरी पीठ की तरफ laundary room का दरवाज़ा था...मैं sink में बर्तन धो रही थी , अचानक मुझे लगा जैसे मृगांक दरवाज़े से अन्दर आ रहा है और चिल्ला कर मम्मी मम्मी कह रहा है....हालाँकि पानी का नल चल रहा था और बर्तन की भी आवाज़ थी ...फिर भी मैंने मृगांक की आवाज़ बिल्कुल साफ़-साफ़ सुनी थी, मैंने जल्दी से पलट कर देखा तो वहाँ कोई नहीं था....अब मैं बहुत घबड़ा गयी...उतनी ही देर में मन में ना जाने कितनी अशुभ बातें आने लगीं....मैं इतनी घबराई कि मेरे हाथ साबुन से भरे थे उनको भी धोने में समय नहीं गंवाना चाहती थी , मैंने मयंक को जो कि घर में ही था आवाज़ देनी शुरू कर दी...मैं इतने जोर से चिल्लाई कि वो भागता हुआ नीचे आया ...मयंक को मैंने जल्दी से मृगांक को फ़ोन लगाने को कहा...क्या हुआ मम्मी आप इतना क्यूँ घबरा रही हैं...? मैंने कहा अभी अभी मैंने निकी (मृगांक) की आवाज़ सुनी है...ज़रूर कोई बात है ...बस तुम फ़ोन लगाओ, उसने फ़ोन लगा दिया....उधर से मृगांक ने फ़ोन उठाया ...और वो इसी फ़ोन की बात कर रहा था....मेरे बच्चे को कितनी तकलीफ हुई होगी सोच कर ही मन कैसा हो जाता है, वो अकेला था, ये अलग बात है कि उसके दोस्त उसके प्रोफ़ेसर सभी थे उसके साथ फिर भी उसने मुझे कितना याद किया होगा ....बहुत याद किया होगा ...तभी तो उसकी आवाज़ मुझ तक आ गई .....शायद किसी को यकीन न हो लेकिन ऐसा ही हुआ है..बस.....
कल रात से मैं इस घटना के बारे में सोच रही हूँ ...क्या सचमुच हम माएं अपने बच्चों की आवाज़ सुन लेती हैं चाहे वो कहीं भी हों....मैंने तो सुनी थी....लेकिन ये बच्चे हमारे भी बाप हैं ..हम परेशान न हों इसलिए बताया नहीं....अपने भाई मयंक को बता दिया और उसका भाई रोज उसकी खोज ख़बर लेता रहा लेकिन मुझे नहीं बताया....मुझे तब ही बताया जब वो मेरे सामने आया....अभी भी गुस्सा हूँ मैं उससे....सच्च में एक नंबर का गधा है मृगांक.....!!!!
अब उसे डांट क्यों रही हैं? इस घटना को कैसे एक्सप्लेन करेंगे - माँ की ममता का चमत्कार?
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Deleteअच्छा संस्मरण।
ReplyDeleteऐसा होता है। बच्चे भी तो कष्ट की वेला में सबसे पहले मां को ही पुकारते हैं।
और एक नंबर का बहादुर है आपका बेटा। हां नहीं तो।
माँ की ममता को आज तक कौन किसी परिभाषा में ढाल पाया है ? ये वो शक्ति है जिसके सामने दुनिया की सारी शक्तियां छोटी हैं !
ReplyDeleteमाँ और बच्चे के रिश्ते के आगे तो स्वयम ईश्वर भी नतमस्तक होता है ....
ReplyDeleteवैसे आजकल पिता भी बच्चों से स्नेह रखते हैं माँ की ही तरह ...घर में तो रोज देखती हूँ कि पिता पुत्रियों की गिटपिट ...अभी अभी किसी ब्लॉग पर भी पढ़ कर आ रही हूँ ...:):)
माँ की ममत तो ऐसी ही होती है...
ReplyDeleteदर्द इस पास उठता है..
आँख उस पार भरती है...
मां तो है मां, मां तो है मां,
ReplyDeleteमां जैसा दुनिया में और कोई कहां...
@वाणी जी, आपका कहना सच है, पिता का भी प्यार बच्चों के लिए कम नहीं होता, बस वो एक्सप्रेस नहीं कर सकता जैसा कि मां कर सकती है...फिल्म दर्द का रिश्ता का एक गाना इस पर बिल्कुल सटीक बैठता है...
बाप की जगह मां ले सकती है,
मां की जगह बाप ले नहीं सकता,
लोरी दे नहीं सकता...
जय हिंद...
आंखों में आंसू भरने वाला नेत्रस्पर्शी प्रसंग
ReplyDeleteपर एक सच और पता है कि
आपने गधों का नंबर देना
अभी से शुरू किया है
गधों का नंबर
या नंबरी गधे
पर सब हैं सधे
मनधन से बंधे
अच्छे सच्चे गधे
नेह गंध से पगे।
माँ और बच्चों का रिश्ता होता ही इतना अलौकिक और वर्णनातीत है ! चोट यहाँ लगती है आह वहाँ निकलती है ! बहुत मर्मस्पर्शी संस्मरण ! आशा है मृगांक की चोट अब बिल्कुल ठीक हो गयी होगी !
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक प्रसंग!
ReplyDeleteविज्ञान की भाषा में इसे क्या कहेंगे? क्या कोई इसे सिद्ध कर सकता है?
ReplyDeleteविज्ञान इसे केवल बकवास ही कहेगा।
लेकिन कुछ बातें होती ही ऐसी हैं कि ...
यही तो माँ का प्रेम है ......बच्चा कितना भी दूर हो उसे माँ को बच्चे की हर आहट सुनाई देती है . ........इसलिए माँ जैसा कोई नहीं इस दुनिया में .
ReplyDeleteपरामनोविज्ञान (Parapsychology) ऐसी समस्त घटनाओं को दूरानुभूति (telepathy) के रूप में मान्यता देता है।
ReplyDeleteबिलकुल सही कह रही है आप, यह मेरा भे तजुर्बा है कि होनी-अनहोनी का कुछ पूर्वाभास इंसान को हो जाता है !
ReplyDeleteParimal ji ne kaha :
ReplyDeletejab koi kisi se bahut jyada prem karta hai to aisa hota hai,aap Mrigank se bahut prem karti hain, wah aapka laadal beta hai to aisa ho sakta hai,
asha hai ab Mrigank theek hai.
ada ji,
ReplyDeleteaapko comment nahi kar paa raha hun,
ek email bhej diya hai ashaa hai mrigank theek hai, use pyar aur asheerwaad dijiyega mera.
मृगांक अब ठीक है कल उसके टाँके खुल गए हैं....
ReplyDeleteऔर अब वो बहुत बेहतर है..
आप सबका हृदय से धन्यवाद...
ये टेलीपेथी का सच्चा उदाहरण है. मां की ममता का चमत्कार तो किसी भी तर्क का मोहताज नहीं.
ReplyDeleteआपने अपनी अनुभूती हमारे साथ बांटी, हम अनुग्रहित हैं.
मार्मिक प्रसंग!
ReplyDelete"मैं रोया परदेश में.... भीगा माँ का प्यार ;
ReplyDeleteदिल ने दिल से बात की बिन चिट्ठी बिन तार !!"
मृगांक को शुभकामनाएं !
bachchon ki pukar maa sun leti hai....sach hai ye
ReplyDeletemrigank ko bahut pyaar...'gadha mrigank' mujhe yahan khinch laaya , mera beta bhi hai mrigank... lt mrigank
ReplyDeleteमा और बच्चे का सम्बन्ध ऐसा ही होता है---------और मेरी मा के साथ तो हमेशा ही ऐसा होता है कोई भी बेटी तकलीफ़ मे हो उन्हें घर बैठे ही पता चल जाता है अगर आपके साथ ऐसा हुआ है तो ये तो but natural hai.
ReplyDeleteपढ्कर तसल्ली हुयी कि अब बेटा ठीक है।
आपके बेटे के लिए शुभकामनाये.......जल्दी से ठीक हो जाएँ जिससे माँ के दिल को भी सुकून मिल सके। मेरे पास भी ऐसे ही दो गधे हैं......हैं तो उम्र में बहुत छोटे पर बातें बाप पर भी भारी । उनके बारे में विस्तार से कभी लिखूंगी।
ReplyDeleteइस पोस्ट को पढ़ बस एक शेर याद आ रहा है...
ReplyDelete"मैं रोया परदेस में ,भीगा माँ का प्यार
दिल ने दिल से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार "
प्रशांत(PD) ने भी अपनी माँ को याद कर एक पोस्ट लिखी थी,तब ये शेर याद आया था,पर वहाँ नहीं लिखा कि वो और उदास हो जायेगा. आज तुम माँ-बेटे दोनों साथ हो तो लिखने में कोई हर्ज़ नहीं. मृगांक को ढेर सारा स्नेह
प्रकृति ने माँ को ममता प्रदान की ,यही ममता हैं जो माँ को मीलो दूर बैठे बच्चे की तकलीफ का अहसास करा देती हैं
ReplyDeleteयह आश्चर्य अथवा चमत्कार नहीं हैं बल्कि ममता की ताकत हैं
YAH TELYPETHY HI HAI JO HAME APNO KEACHCHHE-BURE DONO KA DOOR BAITHHE BIN BATAYE HI AABHAS KARATI HAI ...HUM SAB KE SATHH KABHI NA KABHI IS PRAKAR KA GHATIT HOTA HAI ...BAHUT SHANDAR LIKHA HAI ..
ReplyDeleteमां के साथ हमेशा होता है,
ReplyDeleteसंतानें माता पिता के शरीर का अंग होती हैं। उन्हें कुछ भी हो पता लग ही जाता है।
ReplyDeleteमाँ बेटे का प्यार ऐसा ही होता है। आखिर आधी सेल को छोड़कर बाकी सारा माँ का ही अंश तो होता है बेटा ।
ReplyDeleteअदाजी, आँख भर आयी। माँ-बेटे का रिश्ता ही ऐसा है। अपने ही कलेजे से सींचा जो है। लेकिन ये नालायक बहुत सारी बाते छिपा देते हैं, बस जब ज्यादा दर्द होता है तब बोलते हैं कि मैं आपको मिस कर रहा था। अब कैसा है मृंगाक? खूब अच्छे से उसकी देखभाल करिए। मैं भी 3 मई को अमेरिका के लिए रवाना हो रही हूँ।
ReplyDeletemaa bete ke rishte ki ye intha hi to hai .aur yha hi to ishvar nivas krtte hai .sundar sasmarn joki ham sab mao ke anrman ki bat hai .
ReplyDeleteabhar aur bete ko khoob ashirwad aur pyar .
मैं रोया परदेश में , भीगा मां का प्यार ।
ReplyDeleteदिल ने दिल से बात की , बिन चिट्ठी बिन तार ।।
hnm...
ReplyDeletesach mein 1 no . kaa .....?
बच्चे के स्वास्थ्य सुधार के लिये मंगलकामनायें।
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteमाँ ऐसी ही होती हैं...
आप भी ना...एक नंबर की.......
..
..
माँ हैं......
हाँ नहीं तो.....
अरे माँ को ही नहीं इल्म होगा तो और किसे होगा अदा जी...?
Girijesh ji ne kaha :
ReplyDeleteमृगांक को शुभकामनाएँ और आशीर्वाद । केवल माता और संतान में ही नहीं, बस एक दूसरे को जानने वालों द्वारा भी ऐसी घटनाएँ बताई गई हैं । या तो ये आदिम मनुष्य और अन्य प्राणियों को प्रकृति प्रदत्त अतीन्द्रिय शक्ति की झलकियाँ हैं जिसे हम मनुष्य प्रगति की मार के आगे भोथरा कर चुके हैं या बस प्रायिकता के सिद्धांतों के उदाहरण। बाद की सम्भावना पर शायद अभिषेक ओझा जी अधिक प्रकाश डाल पाएँ।
माँ का हृदय ही सब देख सकता है । ममता की गति तीव्रतम है ।
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