फिरदौस ने लिखा है..
ज़रूरी ऐलान
कई 'असामाजिक तत्व' हमारे नाम से अपने ही ब्लॉग में कमेन्ट लिख रहे हैं... और उस पर क्लिक करने पर हमारा ब्लॉग खुलता है...
हम इन 'असामाजिक तत्वों' के ब्लॉग का बहिष्कार कर चुके हैं...हम न तो उनके ब्लॉग पर कोई कमेन्ट लिखते हैं और न ही अपने ब्लॉग पर इन 'असामाजिक तत्वों' के कमेन्ट प्रकाशित करते हैं...ये लोग किस क़द्र नीचता पर उतर आए हैं... इस वक़्त अल्लाह और उसका रसूल भी इन्हें देखे तो उनकी आंखें भी शर्म से झुक जाएं...
अल्लाह के बंदे इस क़द्र नहीं गिर सकते...ये लोग जिसे बहन कहते हैं, उसके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं... तो ये दूसरे मजहबों की मां-बहनों के साथ क्या करेंगे... कहने की ज़रूरत नहीं...
हमने अपने ब्लॉग पर जो लिखा है, उस पर क़ायम हैं...
कई 'असामाजिक तत्व' हमारे नाम से अपने ही ब्लॉग में कमेन्ट लिख रहे हैं... और उस पर क्लिक करने पर हमारा ब्लॉग खुलता है...
हम इन 'असामाजिक तत्वों' के ब्लॉग का बहिष्कार कर चुके हैं...हम न तो उनके ब्लॉग पर कोई कमेन्ट लिखते हैं और न ही अपने ब्लॉग पर इन 'असामाजिक तत्वों' के कमेन्ट प्रकाशित करते हैं...ये लोग किस क़द्र नीचता पर उतर आए हैं... इस वक़्त अल्लाह और उसका रसूल भी इन्हें देखे तो उनकी आंखें भी शर्म से झुक जाएं...
अल्लाह के बंदे इस क़द्र नहीं गिर सकते...ये लोग जिसे बहन कहते हैं, उसके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं... तो ये दूसरे मजहबों की मां-बहनों के साथ क्या करेंगे... कहने की ज़रूरत नहीं...
हमने अपने ब्लॉग पर जो लिखा है, उस पर क़ायम हैं...
माफ़ी चाहती हूँ लिखना ही पड़ा...
अब झेल नहीं पा रही हूँ ये तमाशा...
कई दिनों से ये तमाशा देख रही हूँ...बदतमीज़ी की सारी हदें पार कर रहे हैं लोग ...
हमारी एक बहन ने अपनी बात अपनी डायरी में क्या कही और लोगो के पेट में मरोड़ होने लगा...
अब उसके नाम के पोस्ट लिख-लिख कर क्या साबित करना चाहते हैं...???
http://swachchhsandesh.blogspot.com/2010/04/blog-post_20.html
साहिर लुधियानवी का ये नगमा...कुछ (सभी नहीं ) घटिया दिमाग मर्दों की सारी कारस्तानियों का कच्चा चिटठा है ...वो उन मर्दों (सभी नहीं ) को उनकी असलियत बता रहे हैं और ये कह रहे हैं कि तुम सम्हल जाओ...शर्म करो और हो सके तो डूब मरो कहीं जाकर...जिस कोख से जन्म लेते हो उसी कोख को बदनाम करते हो...
हाथ कंगन को आरसी क्या....आप ही देखिये, बहन कहते हो और बहन को ही कदम-कदम पर बदनाम कर रहे हो....ऐसे भाई हैं तो फिर दुश्मनों की क्या ज़रुरत है....उसकी एक ज़रा सी बात बर्दाश्त नहीं हो रही आपलोगों से....जबकि अपने-अपने दिलों से पूछो क्या गलत कहा है उसने...एक-एक हर्फ़ सही है... उसकी बातों में....एक लड़की को बेईज्ज़त करने की हर कोशिश की जा रही है ....और सारा ब्लॉग जगत सिर्फ तमाशा देख रहा है....लानत है....!!!
फिरदौस आज के ज़माने कि एक समझदार, पढ़ी लिखी, बहुत नेक और उम्दा ख्यालों की लड़की है...उसने अपने ख्याल सबके सामने रखे हैं जो भी कहा है बिल्कुल ठीक कहा है....समय के साथ बदलाव ज़रूरी है...हम लोग पाषाण-युग के नियम यहाँ नहीं लगा सकते....एक लड़की या नारी होने से पहले हम इंसान हैं... कोई गाय बकरी नहीं कि खूंटे में बंधने चले आयेंगे....और अब ये तमाशा बंद किया जाए...
हाँ नहीं तो....!!
बसस्सस्सस्स
आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है. आशा है हमारे चर्चा स्तम्भ से आपका हौसला बढेगा.
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteयही तो त्रासदी है हमे तमाशे मे ही मज़ा जो आने लगता है
ReplyDeleteab kya karein koi admi nanga ghoome to kuch nahi par ek aurat ne parde se bahar kya jhaank liya...saanp lotne lage....waise maine kabhi is vishay me nahi padha kyunki kisi bhi dharm me parivartan ke liye uske anuyayion ko aage ana chahiye....ham kaun hote hain is vishay me bolne wale...
ReplyDeleteHamne hamesh Firdaush ji ka sath diya hai, kyonki wo sach likhati hain.
ReplyDeleteबहुत खूब, लाजबाब !
ReplyDeleteब्लोग पर जा आया.
ReplyDeleteलिखा क्या अया है, कहने के पीछे की मंशा क्या है, इसको तो ओल कर दिया, अपने अपने पूर्वाग्रह, और मानसिकता को उजाअर किये जा रहे है.
मैने भी अभी अभी इसी गज़ल पर अपने पिछली पोस्ट पर कुछ लिखा है, कि नारी की पीडा का इससे अच्छा चित्रण कहीं नही है.
देखना पड़ेगा क्या लिखा है । फिर आते हैं जी।
ReplyDeleteaapki charcha jayaz hai baat kya rahi iski khabar nahi magar kuchh had tak is charcha se andaja lagaya jaa sakta hai .
ReplyDeleteaap mujhe apna manti hai tabhi yaad nahi karti ,aur isliye vishesh avasar par main adhikaar ke saath apne haq mangne aa jaati hoon ,blog ke ek varsh hone par aapki badhai chahiye jo khas hai wo shamil ho yahi khwahish hai .
उन्हें तमाशा ही पसंद है। मेरा तो मंतव्य है कि ऐसे ब्लागों का बहिष्कार करना चाहिए। न उन्हें कोई खोले और न उन पर टिप्पणी करे और न ही उन पर अपने ब्लाग पर कुछ लिखे।
ReplyDeleteदिनेश जी,
ReplyDeleteमैं आपके बात का समर्थन करती , लेकिन ये होता नहीं दिख रहा है....
ब्लोग्वाणी को इसपर कुछ करना ही पड़ेगा...
अब पानी सिर के उपार जा रहा है...
धन्यवाद..
'अदा'
अरे छोडो इन लोगो को मै काफ़ी समय से इन के कांमेट अलग अलग पोस्टो पर पढता हुं एक दो बार इन के ब्लांग पर भी गया, आप माने या ना माने मुझे गुस्सा आने की जगह इन पर तरस आया..... इन्हे भगवान, खुदा या जिसे भी यह मानते है सद्द्बुद्धि दे.... ओर इन के बार बात करना भी मै अपनी बेइज्जती समझता हुं.
ReplyDeleteआप बताये अब हम सब मिल कर क्या करे?
बहन, हम आपके आभारी हैं...
ReplyDeleteकई 'असामाजिक तत्व' हमारे नाम से अपने ही ब्लॉग में कमेन्ट लिख रहे हैं... और उस पर क्लिक करने पर हमारा ब्लॉग खुलता है...
हम इन 'असामाजिक तत्वों' के ब्लॉग का बहिष्कार कर चुके हैं...
हम न तो उनके ब्लॉग पर कोई कमेन्ट लिखते हैं और न ही अपने ब्लॉग पर इन 'असामाजिक तत्वों' के कमेन्ट प्रकाशित करते हैं...
ये लोग किस क़द्र नीचता पर उतर आए हैं... आप जानती ही हैं...
इस वक़्त अल्लाह और उसका रसूल भी इन्हें देखे तो उनकी की आंखें भी शर्म से झुक जाएं...
अल्लाह के बंदे इस क़द्र नहीं गिर सकते...
ये लोग जिसे बहन कहते हैं, उसके साथ कैसा सलूक कर रहे हैं...???
तो ये दूसरे मजहबों की मां-बहनों के साथ क्या करेंगे... कहने की ज़रूरत नहीं...
फिरदौस की पोस्ट्स मैं भी पढ़ती रहती हूँ,नियमित रूप से...और उनकी निर्भीक विचारों की जितनी प्रशंसा की जाए कम हैं...मैंने तुम्हारे द्वारा दिए लिंक नहीं पढ़े...पर इन्हें अनदेखा करने के सिवा और क्या चारा है. जितने भी प्रबुद्ध और सुमति वाले लोग हैं ,फिरदौस के साथ हैं. जब बार बार ये बात उठ रही है कि साम्प्रदायिकता से प्रेरित पोस्ट्स को रोकने के लिए ब्लोग्वानी कुछ करे तो हम इंतज़ार के सिवा क्या कर सकते हैं ??
ReplyDeleteमैंने जब से ब्लॉगजगत ज्वाइन किया है. इस तरह की पोस्ट्स और लोगों की चुप्पी देखती आ रही हूँ. देखती आ रही हूँ. बस फिरदौस से इल्तिजा है, वे विचलित ना हों, मानसिक संयम बनाए रखें. हम सब उनके साथ हैं उन जैसी हिम्मत बहुत कम लोगों में होती है उसे वे खोने ना दें.
ज़रूरी ऐलान
ReplyDeleteकई 'असामाजिक तत्व' हमारे नाम से अपने ही ब्लॉग में कमेन्ट लिख रहे हैं... और उस पर क्लिक करने पर हमारा ब्लॉग खुलता है...
हम इन 'असामाजिक तत्वों' के ब्लॉग का बहिष्कार कर चुके हैं...हम न तो उनके ब्लॉग पर कोई कमेन्ट लिखते हैं और न ही अपने ब्लॉग पर इन 'असामाजिक तत्वों' के कमेन्ट प्रकाशित करते हैं...ये लोग किस क़द्र नीचता पर उतर आए हैं... इस वक़्त अल्लाह और उसका रसूल भी इन्हें देखे तो उनकी आंखें भी शर्म से झुक जाएं...
अल्लाह के बंदे इस क़द्र नहीं गिर सकते...ये लोग जिसे बहन कहते हैं, उसके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं... तो ये दूसरे मजहबों की मां-बहनों के साथ क्या करेंगे... कहने की ज़रूरत नहीं...
हमने अपने ब्लॉग पर जो लिखा है, उस पर क़ायम हैं...
इनका बहिष्कार ही जरूरी है।
ReplyDeleteफिरदौस (मेरी डायरी) जी जो एक ऐसी ब्लागर हैं कि उनकी हर पोस्ट तर्कसंगत और सत्यता पर आधारित होती है, उसका सामना करने कि बजाय कुछ खुदा किस्म (जो खुद को ही खुदा मन बैठे हैं) के लोग विना वजह परेशान कर रहे हैं. और बेनामी टिप्पणियों के माध्यम से धमकाने का भी प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं.
ReplyDeleteउनके लिए मै इतना अवश्य कहूँगा कि!
हल्का समझते हैं लोग मुझे शांत देखकर
शायद उन्हें अंदाजा नहीं है तूफान का !
इससे सम्बंधित मेरा पोस्ट देखें|
थू है उनपर !
www.aaryashri.blogspot.com
रत्नेश त्रिपाठी
१०% हाबी है ९०% पर.
ReplyDelete
ReplyDeleteचलिये आप भी क्या याद करेंगी..
मॉडरेशन लगा है, फिर भी यह कमेन्ट खींच ही लीजिये ।
( टिप्पणी आरँभ )
कृपया लानतें न भेजें, नामज़द को पकड़ लाइये सामने,
फिर देखियेगा मेरा चम्पारणिया चठ्ठा और मधुबनी मूक्का का कमाल ।
अपना कपार फोड़ने से अच्छा उसी का कपार फोड़ा जाय के नहिं ?
ईहाँ आप एक गँवार को सँस्कृत समझाने की अपील कर रही हैं ।
( टिप्पणी समाप्त )
वाकई चिंता का विषय है, सभी को मिलकर कुछ करना होगा, ब्लोग्वानी और चिठाजगत को भी इस पर ध्यान देना चाहिए, हम सब आपके और फिरदौस जी के साथ है, हम यहाँ ब्लॉगजगत में कुछ अच्छा पढने और लिखने के लिए आये हैं, फ़िज़ूल के लोगों में और उनकी बातों में समय बर्बाद करने नहीं
ReplyDeleteमान गया .. नीचता की हद है यह .. किस -किस तरह से ये नापाक ख्याल वाले
ReplyDeleteइस ब्लोगर के पीछे पड़े हैं .. ये चंद लोग हैं जो ब्लागिंग को घिनौने स्तर तक
पहुंचाने में कोई कोर - कसर नहीं बाकी लगाते .. यूँ तो मैं इन मजहबी पचड़ों में
पढ़ना ही उचित नहीं समझता और इन टुच्चों का ब्लॉग तो कतई नहीं पढता
जिनके लिए मजहब ही सही है वो भले ही पाषाण युग में पहुंचा दे , पर आपकी
इस पोस्ट द्वारा जितना समझ पा रहा हूँ उसके हिसाब से यही कहना चाहता हूँ कि
ये फिरदौस के बेबाकपन और तार्किकता से गहरे स्तर पर डरे हुए हैं .. और ये जो
भी कर/कह रहे हैं वह इनके डर की अनैतिक/अवैधानिक/बेहूदा/असभ्य और सच में
मनुष्य ( चाहें तो 'मर्द' भी कह लें ) को कलंकित करने वाली हरकतों के रूप में सामने
आ रहा है ..
बस जागरूकता बनी रहनी चाहिए और ऐसों को इनकी असलियत यूँ की दिखाते रहने
की जरूरत है ..
फिरदौस जी ऐसे ही डटी रहें अपने चुने हुए पथ पर , आत्म - विश्वास के साथ !
एक बात तो यह ब्लॉग जगत जान ही रहा होगा कि यहाँ स्त्रियों की एकता किसी
स्त्री के साथ अन्याय नहीं घटने देगी ..
अदा जी , आपको एक दायित्व-पूर्ण पोस्ट को प्रस्तुत करने के लिए , आभार !
firdaus ji haalanki ye bahut hi sharam ki baat hai lekin sachchai ko sab jaante hain jo aapse jailis feel karte hain unhi kaa ye kaam hai koi nahi tention not take
ReplyDeleteजिन्हें माफ़ी मांगनी चाहिये, वे तो ओछे कमेंट्स करते हैं और आप ने फ़िरदौस के दर्द को जैसे महसूस किया है, सराहनीय है।
ReplyDeleteये वही महाशय है जिनका कुछ दिन पहले हृदय परिवर्तन हुआ था और ब्लाग जगत के कई दिग्गज इस बात पर इतरा रहे थे कि कोई सम्मान देने से ये सुधरे रहेंगे।
इनकी हरकतों पर इनके रहनुमाओं को भी सोचना चाहिये।
असहमति होना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन शालीनता तो बरकरार रहनी ही चाहिये।
Wo post likhne ke tareeke se saaf pata chal raha hai ki kahna kya chahte hain.. dekhne wali baat ye hai ki isko lekar saaf bachne ke liye ye bhi kaha gaya hai ki 'dekhte hai kaun kis nazariye se dekhta hai?'.. ye to wahi baat hui ki chor adalat me kahe ki 'main to shree Krishn ki nakal kar raha tha.. aapka nazariya hi galat hai..'
ReplyDeleteअदा जी!
ReplyDeleteआपने बहुत ही बढ़िया मुद्दे पर अ
पने विचार व्यक्त किये हैं!
--
मेरे ब्लॉग शब्दो का दंगल पर भी
एक कमेंट इसी तरह का आया था!
हमारे मित्र रावेंद्रकुमार रवि के नाम से
किसी ने यह कमेंट किया था!
इनके नाम पर सरस पायस का
यूआरएल भर दिया था!
इसलिए नाम पर क्लिक करने से
सरस पायस ब्लॉग खुल जाता था!
कन्फर्म करने पर पता लगा कि
यह कमेंट तो रवि जी किया ही नही था!
अतः मैंने इसे तुरन्त हटा दिया!
आईपी खोजने पर पता लगा कि
यह कमेंट.....जगह से आया था!
इसका एक उपाय है कि टिप्पणी के लिए
गूगल के रजि0यूजर के ही विकल्प का
चयन किया जाये तो इस समस्या से
छुटकारा मिल सकता है!
--
बहिन फिरदौस खान की वेदना को
हम महसूस करते हैं!
--
अदा जी!
आप एक संवेदनशील ब्लॉगारा है!
इस पर प्रकाश डालने के लिए
आपका बहुत-बहुत आभार!
डॉ. अमर साहेब,
ReplyDeleteनमन आपको..माडरेशन के बावजूद आपने टिप्पणी की...
सच में बहुत अच्छा लगा...
आभार....
मोहतरमा फिरदौस खान जी जो लिखती हैं उसमे इंसानियत और सच्चाई झलकती है ! पर सच्चाई हर किसीको पसंद नहीं आती है ! खास कर ऐसे लोगों को जो खुदको किसी मज़हब के ठेकेदार समझते हैं और जिनमें इंसानियत बिलकुल नहीं है ! ऐसे लोगों से इंसानियत, शर्म, सुबुद्धि या किसी भी तरह की अच्छाई की उम्मीद भी करनी नहीं चाहिए ! ये तालिबान के ही वंशज हैं ! आपका लेख पढकर मैं इनके ब्लॉग पर भी गया था ... इनका लेख भी पढ़ा ... इससे एक बात समझ में आयी कि, ये लोग इंसान के रूप में जानवर हैं ! आपतो हमें ये बताएं कि ब्लॉग जगत में किसीको बहिष्कार करने के क्या क्या उपाय हैं ? ऐसा क्या किया जा सकता है कि इन्हें मुंह तोड़ जवाब मिले ? ये अकेला नहीं है, इनके साथी भी है जो इनको समर्थन करते हैं ! जार इनके लेख पर ए कमेंट्स भी पढ़िए ! ठीक है कमेंट्स तो झूठे डाले भी जा सकते हैं, पर एक बार इनकी follower list भी देखिये ! मुझे तो कई ऐसे लोग भी दिखे जो खुदको progressive भी कहते हैं, पर इनके follower भी हैं !
ReplyDeleteआपकी चिंता और चिंतन दोनों सही हैं. मगर हेरासमेंट और गुंडागर्दी का इलाज न तो ब्लोग्वानी से हटाना भर है और न ही ऐसे पाषाणयुगीन असामाजिक तत्व नज़रंदाज़ करने से सुधरेंगे. चौराहे पर खड़े होकर आने जाने वालों पर छींटाकशी करने वाले तभी रुकते हैं जब उन्हें अपने ऊपर ख़तरा नज़र आता है - चाहे वो पीटने का ख़तरा हो चाहे पुलिस के डंडे का - वही इलाज़ है इनका. भाग भी नहीं सकते नाम, पता, हरकतें, सबूत - सब तो है सामने.
ReplyDeleteलातों के भूत बातों से नहीं मानते...
अफ़सोस की बात है की हमारे ही बीच के कुछ लोग ऐसे तत्वों को सामूहिक ब्लोग्स पर भी शामिल कर रहे हैं और इनाम बांटकर महिमामंडित भी कर रहे हैं.
... और हाँ किसी दुसरे के नाम से फर्जी टिप्पणी लिखना भर ही अपने आप में एक अपराध है जिसके सबूत ये मिटा नहीं सकते टिप्पणी मिटाकर भी.
ReplyDeleteउन लोगों की मानसिक स्थिति विकृत हो चुकी है उन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला इसलिए उनका बहिष्कार ही सबसे उत्तम तरीका है |
ReplyDeleteada
ReplyDeletesome people think that they "rule the world " and when any woman writes against them they try to malign her by using her name .
It has happend with many before including me .
Good that you wrote I appreciate your concern
WE ALL STAND WITH FIRDAUS
aur rahee baat bahishkaar ki to wo kabhie nahin ho saktaa kyuki navodit blogger puruskaar paa chukae haen bahut sae aesae log !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteचंद दुष्टों ने समस्त भले ब्लोगरों को त्रस्त कर रखा है और विडम्बना यह है कि ये हमारे संकलकों के सहयोग से ही ऐसा करते हैं। संकलकों में जो पोस्ट हॉट होगी उस पर नजर जाना और उसे क्लिक करना स्वाभाविक है। ये अपने पोस्ट को हॉट बनाने के लिये अपनी ही पोस्टों में अनेक छद्म नामों से स्वयं टिप्पणी करते हैं, संकलको में स्वयं क्लिक कर कर के व्ह्यूज की संख्या बढ़ाते हैं। हम जैसे कम तकनीकी ज्ञान रखने वाले को तो यह समझ में आ जाता है किन्तु संकलक संचालन करने वालों को शायद यह दिखाई ही नहीं पड़ता। समझ में नहीं आता कि इतने सारे लोगों की भावनाओं को आहत होते देखने के बावजूद भी ये संकलक क्यों इनका सहयोग किये जा रहे हैं?
ReplyDeleteइन दुष्टों के लिये तुलसीदास जी ने सही लिखा हैः
बचन बज्र जेहि सदा पिआरा। सहस नयन पर दोष निहारा॥
मैं भी कुछ बातें समझाने का प्रयत्न कर रहा हूँ , कुछ लोग सब कुछ बिगाड़ने पर लगे हैं ! आपकी इस पोस्ट पे शीघ्र लिखूंगा ! शुभकामनायें आपको !
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
आदरणीय अदा जी,
आप आदरणीय फिरदौस के डिफेंस में आयी हैं परंतु आपका यह कहना कि...
"एक लड़की को बेईज्ज़त करने की हर कोशिश की जा रही है ....और सारा ब्लॉग जगत सिर्फ तमाशा देख रहा है....लानत है....!!!"
एकदम गलत है, फिरदौस जी को अपार समर्थन मिला है यह उनके ब्लॉग पर मिली टिप्पणियों से जाहिर है ।
आदरणीय फिरदौस जी का यह कहना कि...
"हम इन 'असामाजिक तत्वों' के ब्लॉग का बहिष्कार कर चुके हैं...हम न तो उनके ब्लॉग पर कोई कमेन्ट लिखते हैं और न ही अपने ब्लॉग पर इन 'असामाजिक तत्वों' के कमेन्ट प्रकाशित करते हैं..."
तथा
"कुछ असामाजिक तत्व, (इस्लाम के ठेकेदार ब्लोगर) जो ब्लॉगवाणी के सदस्य भी हैं... बेहद बेहूदा कमेन्ट कर रहे हैं...
ब्लॉगवाणी से हमारा अनुरोध है कि ऐसे तत्वों को बाहर का रास्ता दिखाए...
साथ ही अपने भाइयों और बहनों से अनुरोध है कि वो भी इन ग़द्दार और असभ्य लोगों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं..."
यह बात मैं केवल फिरदौस जी या आपके लिये नहीं हम सभी के लिये कह रहा हूँ कि मात्र आपसे भिन्न मत रखने के कारण कोई असामाजिक, गद्दार व असभ्य नहीं हो जाता... ब्लॉगिंग दुतरफा संवाद है... हर मसले के दो पहलू होते हैं... अगर आप एक पहलू दिखाते हो तो दूसरे को भी हक है दूसरा पहलू दिखाने का... संकलकों से कुछ खास ब्लॉगरों को बाहर करवाने का जो प्रयास किया जा रहा है... उस पर इतना ही कहूँगा कि जिस दिन भी कोई संकलक ऐसा करने का निर्णय ले... उसी दिन मेरा ब्लॉग भी बाहर कर दे... एक पक्षीय संकलकों का कोई भविष्य नहीं है नई दुनिया में...
अंत में डॉ० अमर कुमार जी की तरह ही मैं भी कहूँगा कि:-
'मॉडरेशन लगा है, फिर भी यह कमेन्ट खींच ही लीजिये ।'
आभार!
मिडिया क्रियेशन की यह तकनीक आप ने भी अपना ही ली
ReplyDeleteइन लोगों की नीचता बहुत दिनों से देख रही हूँ और फ़िरदौस के ब्लॉग पर लगातार टिप्पणी करके उनका उत्साहवर्धन भी कर रही हूँ. इन लोगों को एकाध बार पढ़ा फ़िरदौस के संदर्भ में ही तो मिचली सी आ गयी. मैं नहीं पचा पाती ऐसी बातों को और ये भी मानती हूँ कि इनको एवॉइड करना कोई हल नहीं है. पानी सिर के ऊपर चला गया है. इन लोगों का बहिष्कार होना चाहिये...इनके खिलाफ़ मुहिम चलनी चाहिये. पिछले कुछ महीनों से इन्होंने अच्छा-ख़ासा माहौल खराब कर रखा है.
ReplyDeleteफ़िरदौस के साथ तो सभी प्रगतिशील लोग और पूरा नारी समाज है ही, पर इन सांप्रदायिक लोगों के मामले में अधिकतर लोग तटस्थ हैं...हमें ये तटस्थता तोड़नी होगी और कुछ न कुछ करना होगा. क्या करें इस पर वरिष्ठ ब्लॉगर्स की मदद ली जा सकती है...
याद रखें...कुछ लोगों की सक्रियता हमेशा बहुसंख्यकों की चुप्पी और तटस्थता पर भारी पड़ी है...देश में होने वाले दंगे-फ़साद इसी कारण हुये हैं कि ज्यादातर लोग चुपचाप तमाशा देखते रहे हैं...अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ये ज़हर फैलाने की कोशिश बन्द होनी चाहिये.
अदा जी का शुक्रिया...कि उन्होंने इस मुद्दे को अपने ब्लॉग के माध्यम से उठाया.
फ़िरदौस जी, आप बेधड़क लिखती रहें… हम तो शुरु से आपके साथ रहे हैं… ये घटिया लोग आप पर हमला इसलिये कर रहे हैं क्योंकि आप महिला हैं। इससे पहले भी ये लोग एक अन्य महिला ब्लागर के साथ ऐसी हरकत कर चुके हैं और तब भी मुँह की खाई थी। यह हरकत महफ़ूज़ भाई के साथ नहीं होगी, क्योंकि उन लोगों को पता है कि फ़िर क्या होगा।
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आपका साथ देने वाले बहुतेरे लोग हैं, लेकिन यहाँ पर लोग धीरे-धीरे साथ आते हैं, शरमाते-सकुचाते-डरते, "लोग क्या कहेंगे", "मेरी छवि खराब न हो जाये" वाले अंदाज़ में… लेकिन अन्ततः साथ आ ही जाते हैं, क्योंकि "कीचड़" कोई भी पसन्द नहीं करता…। इसलिये आप जैसा लिख रही हैं वही तेवर बनाये रखें।
प्रवीण शाह जी की इस बात से सहमत हूं कि संकलक से इन्हें हटाना गलत है, लेकिन हाँ, "बहिष्कार" का रास्ता ठीक है।
abhi main maamlaa samajh nahin paayaa hoon
ReplyDeletepahle jaan loon toh kuchh kahoon..........
बहन जी हम सब आपके साथ हैं.....राजस्थानी मैं एक शब्द है ये नकटे (नक कटै) हैं.....ब्लोग वाणी मैं इन नकटों के लिए जगह होनी ही नही चाहिये.....ये लोग सीधी तार्किक भाषा समझते ही नहीं.....इनकी हरकतों से इस्लाम के प्रति कोई नफरत ही पाल सकता हैं......कम से कम अचछा तो नहीं सोचेगा.....
ReplyDeleteदिल आज बहुत दुखि है बहन क्य लिखूइन लोगो के खालि बहिस्कार से काम नही चल्ने वाल आज साइबर कानून वजूद मे इनही लोगोके लिये है
ReplyDeleteइस प्र गम्भीरता से सोच्न पदेगा
सच लिख्नने के लिये बहु सी मुश्किले आती है कुछ करना ही पदेगा
कुछ सोचते है
वेद व्यथित
किसी विचारक ने कहा है कि जब विरोधी अनाप-शनाप बोल कर आसमान सर पर उठा लें तो समझिए कि आप सफल हुई हैं....वास्तव में जिस गंगा-जमुनी संस्कृति की राजदूत बन कर उभरी हैं फिरदौस उसके जितनी तारीफ की जाय कम है...! चुकी लफंगों की प्रतिक्रया पोस्ट नहीं करती हैं ये सो पता नहीं है कि असामाजिक तत्त्व लिख क्या रहे हैं..लेकिन पता करने की ज़रूरत भी नहीं है...अगर ये पोस्ट पढ़ रहे हो वे अभागे तो उनको इतना ही कहना चाहूँगा कि ये भारत है इरान नहीं जो तुम्हारे फतवा से कोई डर जाएगा ना ही ये बांग्लादेश है जहां से किसी लेखिका को जान बचा कर भागना पडेगा...! यह भारत है और संविधान की मर्यादा में रहते हुए सबको अभिव्यक्ति की आजादी है...और फिरदौस भी इसी आजादी का उपयोग कर सर्व-पंथ समभाव का झंडा बुलंद कर रही है...समर्थन..पूरा समर्थन...सौ करोड भारतीयों के तरफ से समर्थन.
ReplyDeleteपंकज झा.
माफ़ कीजियेगा, मैंने दोनों तरफ के ब्लॉग पढ़े हैं और यह पाया है की दोनों ही ग्रुप एक दूसरे को नीचा दिखाने या चिढाने के लिए लिख रहे हैं. वरना इशू ऐसे नहीं थे जिनपर झगडा किया जाए. अभी भी किसी ब्लॉग पर ऐसा कुछ नहीं लिखा जा रहा है, जिस पर बवाल किया जाए. हाँ बहुत सी टिप्पड़ियां ज़रूर आपत्तिजनक होती हैं. जो की फर्जी नामों से होती हैं, ऐसे लोगों का क्या भरोसा. हो सकता है ये लोग दो भाइयों के बीच आग लगाकर तमाशा देखने वाले हों.
ReplyDeleteयही तो त्रासदी है
ReplyDeleteयह सही है ऐसे पोस्ट और कमेंट्स उकसाने और छेड़ने के लिए किए जा रहे हैं , फिरदौस का प्रतिक्रिया न करना समझदारी है और इसी वजह से कुछ लोग लाल-पीले हुए जा रहे हैं ! उन्हे होने दें जो वे होना चाहें। हम वह रहें जो हम हैं !
ReplyDeleteहम तो सही का समर्थन करते आये हैं और जहाँ कमी है वहां समझा भी रहे हैं.
ReplyDeleteआप जारी रहें, समझदार लोगों की संख्या ज्यादा है. असामाजिक तत्व कोई नहीं है (सिर्फ कुच्छेक अनामियों को छोड़कर) बाकी कुछ लोग दिग्भ्रमित हैं. उन्हें समझाना अपना फ़र्ज़ है. हाँ, अमर्यादित चीजों को लिखने छापने पढने से दूर रहा जाये...
'Adaa'ji,aapka gussa jaayaz hai.parde ke peechhe chhupkar harkat karke tamaasha dekhne wale ka pardafaash hona hi chahiye.
ReplyDeleteJi,jahaan tak Firdaus ke lekhon ko padha,to laga ki wah ek padhi-likhi aur suljhe vichaaron vaali mahila hain.
इस सहयोग के लिए हम आपके आभारी हैं...
ReplyDeleteयह भारत की गौरवशाली परंपरा का ही हिस्सा है, जब किसी अल्पसंख्यक पर कोई मुसीबत आती है तो बहुसंख्यक वर्ग के लोग ही सबसे पहले मदद के लिए आते हैं...जबकि मज़हब का ढोल पीटने वाले आग लगाकर दूर से तमाशा देखते हैं...
एक लड़की (जिसे बहन कहते हैं) के ख़िलाफ़ इतनी घृणित साज़िश करके ये 'लोग' इस्लाम का सर ऊंचा कर रहे हैं या नीचा...???
@प्रवीण शाह
ReplyDeleteकिसी बात पर मतभेद हो सकते हैं... लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं होना चाहिए कि 'लोग' नीचता पर ही उतर आएं...
बेहूदा कमेन्ट करें...
कमेन्ट प्रकाशित न करने पर असभ्य भाषा में लेख लिखें...भद्दे कमेंट्स करें... जिसे निशाना बना रहे हैं... उसी के नाम पर फ़र्ज़ी आईडी बनाकर अपने ही ब्लॉग पर उसके नाम से वाहियात कमेंट्स लिखें... यह तो बहुत ही 'नीचता' का काम है... ऐसे काम करने वालों और उनका समर्थन करने वालों का बहिष्कार किया जाना चाहिए...
लगता है आपने इन लोगों के ब्लॉग नहीं देखे...
आख़िर शालीनता और शिष्टाचार नाम की भी कोई चीज़ होती है...
ब्लाग पर जिस प्रकार का धार्मिक उत्पात मचाया जा रहा था, उसी से दुखी होकर ही मैंने पोस्ट लिखी थी कि अब क्या पढे? ब्लागवाणी की हॉट सूची में तो ऐसे ही पोस्ट आ रही हैं। मेरे खयाल से ब्लाग जगत धार्मिक उपदेशों के लिए नहीं है। आज ही एक पोस्ट पर टिप्पणी के रूप में गालियों की श्रंखला देखी। सभी के लिए अनुशासन आवश्यक है।
ReplyDeletebahut kuchh samjhaane wali post!agar dil or dimaag saath ho to....
ReplyDeletekunwar ji,
मांफी और आप - बात कुछ हजम नहीं हुई
ReplyDeleteदुखद है जो भी हो रहा है दिल बहुत दुखी है ..!
ReplyDeleteटुष्टों का अस्तित्व सदैव रहा है । पहचान लेना उनके विनाश का पहला कदम है ।
ReplyDeleteमजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
ReplyDeleteसबको सम्मति दे भगवान
आपकी बताई लिंक अब काम नहीं कर रही. शायद हटा दी गई है.
ReplyDeleteशेष जिसके जैसे संस्कार होंगे.....