जब तक तुम मिलो हमसे, न उम्र की शाम हो जाए
ज़िक्र तेरा करूँ ख़ुद से, और चर्चा आम हो जाए
तुझे मिलने की ख्वाहिश और तमन्ना दिल पे तारी है
ख़्वाबों और हक़ीकत में, न क़त्ले आम हो जाए
दहाने ज़ख्म के दिल के, ज़िन्दगी सोग करती है
हुनर ये ज़िन्दगी का है, पर दिल गुलफाम हो जाए
वो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है
मेरे कमरे में भी बरसे तो मेरा काम हो जाए
करिश्मा ग़र कोई ऐसा, मेरा क़ातिल ही कर जाए
मेरे ख़ूने जिगर से ही, सही इक जाम हो जाए
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteऐसा न हो तुम मिलो हमसे, उम्र की शाम हो जाए
ReplyDeleteज़िक्र तेरा करूँ ख़ुद से, और चर्चा आम हो जाए
-पूरा है अपने आप में. बहुत खूब!! बेहतरीन गज़ल!
वो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है
ReplyDeleteमेरे कमरे में भी बरसे तो मेरा काम हो जाए
कमरा क्या यह तो
एहसास को भी भिगो देगी
बस्स्स
थोड़ी नमी तो बढ जाये
वो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है
ReplyDeleteमेरे कमरे में भी बरसे तो मेरा काम हो जाए ।
बहुत खूब । पूरी की पूरी गज़ल ही बेहद खूबसूरत है बिल्कुल आपके तस्वीरे जाम की तरह ।
वो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है मेरे कमरे में भी बरसे तो मेरा काम हो जाए ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल है ... हर शेर अच्छा लगा ...
आस्मां में जो बादल हैं उनसे ये कह दो जाकर
आकर इस दिल में बसे, यही पर मुकाम हो जाये
वाह
ReplyDeleteग़र खून-ए-ज़िगर का जाम मिल जाए तो बेहतर है
तेरी यादों का हमको ईनाम मिल जाए तो बेहतर है
राह तेरी तकी दिन भर कभी पीछे कभी आगे
तेरे आने का हवाओं से पैग़ाम मिल तो बेहतर है
अदा जी आज तो बहुत ही नायाब गजल लगाई है!
ReplyDeleteबधाई अच्छे लेखन के लिए!
waah bahut khub!
ReplyDeleteacchi lagi rachna!
waah bahut khub!
ReplyDeleteacchi lagi rachna!
बहुत ही सुन्दरता से पिरोयी रचना । पढ़कर वाह निकल गया मुख से ।
ReplyDeleteबहुत ही नायाब गजल, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत खुब,सुंदर गजल
ReplyDeleteआभार
Ada ji dil chhoo liya aapki gazal ne...
ReplyDeleteउड़ी बाबा,
ReplyDeleteये तो बड़ा ख़ून-खराबे वाला इश्क है...
जय हिंद...
Hello Adaa ji,
ReplyDeleteकरिश्मा ग़र कोई ऐसा मेरा, क़ातिल ही कर जाए
मेरे ख़ूने जिगर से ही, सही इक जाम हो जाए
Waah.. bahut hi badiya!!
Regards,
Dimple
बहुत खूब, बहुत खूब।
ReplyDeleteजवाब नहीं इस रचना का ........लाजवाब प्रस्तुती
ReplyDeleteमेरे ख़ूने जिगर से ही, सही इक जाम हो जाए
ReplyDeletebahut khoob
-Shruti
बेहतरीन प्रस्तुती,,,हर बार की तरह एक और अतुलनीय रचना ...
ReplyDeleteविकास पाण्डेय
www.vicharokadarpan.blogspot.com
Aapki srujan sheelta dang kar deti hai!
ReplyDeleteसच में आपकी रचना लाजवाब है!कुछ बहुत अच्छा पढ़ कुछ भी अपने-आप ही लिखा जाता है!
ReplyDeleteयहाँ भी मै खुद को रोक ना सका!
जो तुने चाहा वो तो कब का कर चुका हूँ,
अब क्या मारते हो मै तो कब का मर चुका हूँ!
कोई यद् रखे ना ना रखे,ये वक़्त ना भूल पायेगा,
उसकी छाती पे ये दो-चार बोल जो धर चुका हूँ!
कुंवर जी,
क्या खूब लिखा है। हमारे कमरे में पानी क्या छत पर भी नहीं है। एकदम सूखा है।
ReplyDeleteबेहतरीन गज़ल!बधाई!
ReplyDeleteवो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है
ReplyDeleteमेरे कमरे में बरसे तो मेरा भी काम हो जाए
विचारों की गति ही सौन्दर्य है। सौंदर्य से भरी ग़ज़ल।
जब तक तुम मिलो हमसे, न उम्र की शाम हो जाए
ReplyDeleteज़िक्र तेरा करूँ ख़ुद से, और चर्चा आम हो जाए
waah apki msst jaam k liye sukriya
अदा जी,
ReplyDeleteबेहद की हद तोड़ दी है इस पोस्ट में आपने।
कैसा तो वो कातिल होगा और कैसा ये मकतूल है कि अपने खूने जिगर से जाम की पेशकश कर दी?
लाजवाब, बेजोड़, नायाब।
आभारी हमेशा से।
nice.. nice.. veri nice.. :)
ReplyDeleteमेरे ख़ूने जिगर से ही, सही इक जाम हो जाए
ReplyDeleteबड़ी भयानक ख्वाहिश है भई.....
मेरे खूने जिगर का एक जाम हो जाए ...
ReplyDeleteकोई भूत पलित लग गया है क्या पीछे ...??
वो बारिश जो खुली छत पर बरसती है ...मेरे कमरे में भी बरसे ...
ये ख्वाहिश जोरदार मजेदार लज्जतदार है ....
मजाक को छोड़ दू तो ...
ग़ज़ल सचमुच बहुत अच्छी लगी ....
बेहतरीन ...बढ़िया ....!!
Parimal ji ne kaha :
ReplyDeletebahut khoobsurat ghazal.
ghazal laajwaab hai !
ReplyDeleteबहुत खूब, लाजबाब !
ReplyDeleteकरिश्मा ग़र कोई ऐसा, मेरा क़ातिल ही कर जाए
ReplyDeleteमेरे ख़ूने जिगर से ही, सही इक जाम हो जाए
........वल्लाह।
वो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है
ReplyDeleteमेरे कमरे में भी बरसे तो मेरा काम हो जाए
sabse acchha sher ye laga...ek dam naya sa. bahut sunder gazel.badhayi.
वाह ! क्या बात है, बेहतरीन !
ReplyDeleteबेहतरीन गज़ल है...एक एक शेर बब्बर शेर है...
ReplyDeleteजब तक ना मिलो हमसे तो उम्र वहीँ रुक जाए
चर्चा हो ना हो पर हर बात में तेरा ज़िक्र ज़रूर आये ...
खूने जिगर से जाम वाली बात तो कमाल ही कही है....
बहुत खूब
कुछ खटके लिए हुए,,,
ReplyDeleteबहुत ..बहुत,,बहुत प्यारी ग़ज़ल....
कसम से..बहुत प्यारी...
तुझे मिलने की ख्वाहिश और तमन्ना दिल पे तारी है
ख़्वाबों और हक़ीकत में, न क़त्ले आम हो जाए
:)
बहुत प्यारी..
कुछ खटके लिए हुए,,,
ReplyDeleteबहुत ..बहुत,,बहुत प्यारी ग़ज़ल....
कसम से..बहुत प्यारी...
तुझे मिलने की ख्वाहिश और तमन्ना दिल पे तारी है
ख़्वाबों और हक़ीकत में, न क़त्ले आम हो जाए
:)
बहुत प्यारी..