तेरी सूरत न दिखे
वो मेरा नज़ारा नहीं
काम के बिना यहाँ
कोई गुज़ारा नहीं
तू दूर खड़ा देखता
ये तो सहारा नहीं
हम तेरे हो गए हैं
क्यूँ तू हमारा नहीं
बात दिल की मान लें
इतने नाकारा नहीं
मौत से अब खौफ क्या
जब दूसरा चारा नहीं
काठ की हांडी कभी
चढ़ती दोबारा नहीं
फिरदौस ने कहा की उसकी फर्जी ID बनाई गयी है कमेन्ट किया गया है ....
उस ID को जब क्लिक किया जाता है तो फिरदौस का ब्लॉग खुलता है ...तो हम बता दें की ये कैसे बनता है...
बहुत आसन है....टिप्पणी वाले पेज में जाइए वहां देखिये
Name /URL
Name की जगह में उस इंसान का नाम डालिए जिसको आप बदनाम करना चाहते हैं और URL की जगह उसी इंसान के ब्लॉग का URL और फिर जो जी चाहे आप टिप्पणी ख़ुशी ख़ुशी कर दीजिये....हो गयी जी आपकी मनपसंद टिप्पणी उस इंसान के नाम की ....क्योंकि अब जब कोई भी उस नाम पर क्लिक करेगा प्रोफाइल उसी इंसान की खुलेगी जिसका आपने नाम डाला है...बस उसकी तस्वीर नहीं होगी....और लोग यही समझेंगे टिप्पणी उसी ने की...आप सफल हो गए अपने मंसूबे में...
और बाकी लोग कर लेवें जो करना चाहते हैं....आप तो जी आराम से तमाशा देखिये...और अपनी पीठ ठोकिये...क्योंकि ब्लोग्वाणी की भी औकात नहीं कि वो अब कुछ कर लेवे...
हाँ नहीं तो...!!
वाह!! काफी अच्छी कविता.........
ReplyDeleteसुप्रभात.....
मौत से अब खौफ क्या
ReplyDeleteजब दूसरा चारा नहीं
दर्द हद से बढ़ जाये तो खुद दावा हो जाता है ..यही ना ...मैंने भी कुछ ऐसा ही लिख दिया है आज की कविता में ...
काठ की हांडी कभी
चढ़ती दोबारा नहीं...
भारतीय लोकतंत्र में चढ़ती है....बार-बार ...हजार- बार ....
हम तेरे हो गए हैं
ReplyDeleteक्यूँ तू हमारा नहीं
हमारा हो न हो तू तो बस अपना हो जाये
पूरा अमन का तब यकीनन सपना हो जाये
बड़ा आसान तरीका बताया आपने तो किसी को बदनाम करने का
bahut galat baat hai, kaise log besharmee se aise apraadh karte hain aur doosree taraf updesh bhi dete hain?
ReplyDeleteये सुंदर रचना है .. फर्जी टिप्पणी वाली बात जानकर दुख हुआ .. पर फोटो वाली बात सं सब साफ हो गया .. असली नकली की पहचान हो सकती है !!
ReplyDeleteकविता तो अच्छी है ही. फ़र्जी नाम से टिप्पणी करने वाली जानकारी और भी अच्छी लगी। किसी सुविधा का उपयोग या दुरूपयोग अपनी नीयत पर निर्भर है। दूसरे के नाम से खुद टिप्पणी करने वालों की मानसिक ताकत कितनी है, कहने की जरूरत नहीं है।
ReplyDeleteशर्म इनको मगर नहीं आती।
प्रिय बहन, आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है...
ReplyDeleteइसके लिए हम आपके शुक्रगुज़ार हैं...
मौत से अब खौफ क्या
जब दूसरा चारा नहीं
बहुत गहरी बात कह दी आपने...
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
ReplyDeleteहर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteअच्छी कविता के सथ साथ आपकी तकनिकी जानकारी भी अच्छी है..बधाई. :)
ReplyDeleteकाठ की हांडी कभी
ReplyDeleteचढ़ती दोबारा नहीं
मोहब्बत के बिना
दुनिया में गुजारा नहीं
अदा जी...
ReplyDeleteकविता बड़े मजे में पढ़ी...नीचे उतरे तो फिरदौस जी के बारे में पढ़ कर होश उड़ गए....
हमें तो खैर उस कमेन्ट के बारे में कुछ मालूम नहीं..
पर...
.
आपका बहुत भला हो जो आपने पूरी टेक्निक सामने लाकर एक ब्लोगर कि मदद की....
और अब बात पिछली रचना के बारे में.....
आप असल में ग़ज़ल इतनी जल्दी जल्दी कहती हैं कि उसमें कई खटके होते हैं...जबकि पिछले वाली में मुश्किल से एकाध ही था...
सो मजाक में कमेन्ट किया था कि क्या आपने ही लिखी है...?
आप के लेखन पर भला कैसा शक...??
वो जुल्म चाहे जितने कर ले
ReplyDeleteपर उस सा कोई प्यारा नहीं |
हा नहीं तो !
रत्नेश त्रिपाठी
Bahut khoob Ada ji...aur jankari ke liye shukriya...aur sabhi se guzarish ahi ki sajag rahe...
ReplyDeletehttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
काठ की हांडी कभी
ReplyDeleteचढ़ती दोबारा नहीं
सुंदर अभिव्यक्ति
आभार
kavita bahut pasand aayi Adaa
ReplyDeleteant mein di gayi jaankaari satark rehne mein kafi kaam aayegi
-Shurti
सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteरामराम
वाह! खुबसूरत कलाम!
ReplyDeletekhubsurat bhav
ReplyDeleteहम तेरे हो गए हैं
क्यूँ तू हमारा नहीं
Namaste Adaa ji,
ReplyDeleteAap harr baar itna achha kaise likhte ho??
Harr line mujhe pasand aayi...
Best line ---
"हम तेरे हो गए हैं
क्यूँ तू हमारा नहीं"
Aap bahut sundar likhey... hamesha-2 :)
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
अरे सच मै, मैने अभी आजमा कर देखा, लेकिन फ़ोटू नही आ रहा, लेकिन फ़ोटू भी डाल सकते है, यह टेकनिक मेने अभी कुछ समय पहले देखी थी, लेकिन मुझे जरुरत ही नही पडती इस लिये ध्यान नही दिया....राम बचाये इन शेतानो से
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है, अदा जी कुछ सिरफिरों कि बातो को इतनी ज्यादा गंभीरता से ना ले, वो कहावत है ना कि हाथी जब चलता है तो कुत्ते भोकते रहते है ! ऐसे लोगों का तो सभी बहिस्कार कर ही रहे हैं!
ReplyDeleteअच्छी कविता हमेशा की तरह ।
ReplyDeleteइस सहयोग के लिए हम आपके आभारी हैं...
ReplyDeleteयह भारत की गौरवशाली परंपरा का ही हिस्सा है, जब किसी अल्पसंख्यक पर कोई मुसीबत आती है तो बहुसंख्यक वर्ग के लोग ही सबसे पहले मदद के लिए आते हैं...जबकि मज़हब का ढोल पीटने वाले आग लगाकर दूर से तमाशा देखते हैं...
एक लड़की (जिसे बहन कहते हैं) के ख़िलाफ़ इतनी घृणित साज़िश करके ये 'लोग' इस्लाम का सर ऊंचा कर रहे हैं या नीचा...???
हम तो पहले से ही तुम्हारे हो गए हैं। अब और किस को अपना बनाना है?
ReplyDeleteसुन्दर रचना । और ग़ज़ब की जानकारी ।
ReplyDeleteलेकिन ये तो दुधारी तलवार लगती है। खतरनाक भी।
हाँ, यह ठीक काम कर रहा है ।
ReplyDeleteवैसे लोहे के तसले में बालू भर कर चूल्हे पर चढ़ायें, काठ की हाँड़ी वर्षों बारँबार चढ़ती रहेगी, जी ।
टेस्टिंग की यह शरारत भली सुझाई, इसे और कौन आज़मा सकता है, सिवा मेरे ।
बेहतरीन कविता !
ReplyDeleteयह भी लिख दिया आपने -
"बात दिल की मान लें
इतने नाकारा नहीं"..
सुंदर रचना
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