Saturday, April 24, 2010

एक चिट्ठी आपके नाम...


आदरणीय ब्लॉग जगत,
इधर लगातार कई दिनों से ब्लॉग जगत में सौहार्द बनाये रखने के प्रयास में हम सभी जुटे हुए हैं....ख़ुशी हुई कि कमोबेश हम में से अधिकांश एक जैसा ही सोचते हैं....ब्लॉग्गिंग हम सबका एक शौक़ है ...जो थोडा बहुत समय हमारे पास बचता है जीवन की भाग-दौड़ के बीच हम उसे सकारात्मक रूप से इस्तेमाल करना चाहते हैं...कुछ अपनी कहना चाहते हैं कुछ औरों की सुनना चाहते हैं....अफ़सोस तब होता है जब कुछ शरारती या उन्मादियों के कारण सभी को परेशानी होती है, न सिर्फ हमारा इतना कीमती समय बेकार की बातों में जाया होता है और बल्कि मानसिक तनाव भी हम मोल ले लेते हैं... आखिर क्यूँ ...??

जीवन में प्यार-मोहब्बत के लिए ही समय कम है तो फिर लड़ने के लिए वक्त कहाँ है...

ब्लॉग जगत में सौहार्द बनाये रखने के प्रयास हमेशा से होते रहे हैं और अभी भी बहुत से अच्छे और अनुभवी लोग जुटे हुए हैं...और यकीन कीजिये सुधार अभी ही हो सकता है बाद में नहीं...ब्लॉग जगत का एक-एक ब्लॉगर दिल से चाहता है, शांति और प्रेम से रहना

मैंने जो भी लिखा, सभी के लिए लिखा था, किसी एक धर्म विशेष के लिए ये सन्देश बिल्कुल नहीं था...लेकिन हो सकता है ये एकतरफा लगा होगा, क्यूंकि बात की शुरुआत व्यक्ति विशेष से हुई थी... 
मैंने जो भी लिखा एक विश्वास से लिखा है और उस पर कायम हूँ....सचमुच शांति बनाये रखने के लिए हर प्रयत्न करने की इच्छा भी है और कोशिश भी...

सभी इस बात से परिचित होंगे ही कि कोर्ट-कचहरी का मामला बहुत दुरूह होता है....हर हिसाब से...चाहे वो पैसा के मामले में हो या अमन-चैन की बात हो....इस पचड़े में पड़ना खुद के साथ-साथ अपनों को भी तकलीफ देने वाली बात होती है..इसलिए ऐसा कुछ भी न करें कि कल को पछताना पड़े...

पिछली पोस्ट्स में बहुत सारे कमेन्ट आये थे...ज्यादातर इस प्रयास के साथ हैं, कुछ confused और थोड़े बहुत नाखुश...सबको ख़ुश नहीं किया जा सकता है लेकिन जो सही है वो काम किया जा सकता है... 
आज कुछ कमेंट्स यहाँ डाल रही हूँ....

Mansoor Ali said...
क्यों?

ब्लॉगर भी ज़हर फैला रहा है!
जो बोया है वो काटा जा रहा है.

धरम-मज़हब का धारण नाम करके ,
भले लोगों को क्यों भरमा रहा है.

अदावत, दुश्मनी माज़ी की बाते,
इसे फिर आज क्यों दोहरा रहा है.

सहिष्णु बन भलाई है इसी में,
क्रोधी ख़ुद को ही झुलसा रहा है.

हिफाज़त कर वतन की ख़ैर इसमें,
तू बन के बम, क्यों फूटा जा रहा है.

न भगवा ही बुरा,न सब्ज़-ओ-अहमर*,
ये रंगों में क्यों बाँटा जा रहा है.

बड़ा अल्लाह , कहे भगवान्, कोई;
क्यूँ इक को दो बनाया जा रहा है.

मिले तो दिल, खिले तो फूल जैसे,
मैरा तो बस यही अरमाँ रहा है.

*अहमर=लाल
-मंसूर अली हाश्मी
http://aatm-manthan.com
April 21, 2010 8:12 पम

'अदा' said...आदरणीय मंसूर अली साहब,
आपके जैसे लोगों की बहुत कमी है...आपकी पंक्तियाँ बिल्कुल सही सन्देश दे रही हैं...आपका आशीर्वाद इस ब्लॉग जगत के लिए बहुत ज़रूरी है ...हम सभी हृदय से आपके आभारी हैं....

दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said... अदा जी,
आप की सभी बातों और बिन्दुओं से सहमत हूँ। हिन्दी ब्लागीरी को सामुहिक रूप से मेरी सेवाओं की आवश्यकता हो तो मैं सहर्ष उपलब्ध हूँ। 



'अदा' said... दिनेश जी,
आप नहीं जानते आपने मुझे कितनी बड़ी मुश्किल से निकाल दिया...मैं कल से आपसे बात करना चाहती थी लेकिन संकोचवश नहीं कर पायी...
अब कोई नहीं रोक सकता हमलोगों को...आप जब साथ हैं तो फिर क्या बात है...
आपका बहुत आभार..
हाँ नहीं तो...!!

Akhtar Khan Akela said... aadrniy blogvaani ki grimaa ke liyen chintaa chod den bs ab qaanoon ki baat kren kendr or raajy srkaaron pr apnaa shiknjaa ksen ke voh pulis kaa ek alg vibhaag is smbndh men bnaaye or khud dhund kr yaa shikaayt milne pr ese logon ko nyaayaalyon men chaalaan pesh kr dndit krvaae. akhtar khan akela kota rajasthan 

'अदा' said...अख्तर साहब, आप भी वकील हैं और आपने सहायता का हाथ बढ़ाया है...बहुत ख़ुशी हुई है...आपलोगों का साथ रहा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा ...आपको देख कर विशेष रूप से हौसला बढ़ा है...आपका आभार..

यह भी सूचित करना था कि कुछ और भी कानूनदां हमारा साथ देने ले लिए स्वेच्छा से तैयार हो गए हैं...

वैसे भी जब इन्टरनेट की बात आती है तो कानून का दायरा भी बढ़ जाता है...बात सिर्फ़ भारत की नहीं रह जाती है...भारत में शायद कुछ भी कह जाना या लिख जाना उतना मायने नहीं रखता लेकिन...विदेशों में ऐसा नहीं है....आप कुछ कह-लिख तो सकते हैं लेकिन अधिकारियों की नज़रों से बच नहीं सकते ...अगर आप USA या Canada में रहते हैं तो आपको बता दें की यहाँ इन देशों में  Anti-Terrorism Law नाम का नया कानून पास हो चुका है...जिसके अंतर्गत Racial Profiling आता है...इस कानून के अनुसार ज़रुरत पड़े तो Authorities बेधड़क आपके घर घुस जायेंगे और आपसे कुछ भी पूछ सकते हैं और आपको जवाब देने के लिए तैयार रहना  होगा....यहाँ तक कि यहाँ की पुलिस को स्पेशल पावर है बिना कोई कारण बताये वो आपको  शक़ के बिना पर गिरफ्तार कर सकती है...जेल में डाल सकती है और आपके घर वालों को पता भी नहीं चलेगा की आप कहाँ गए...और वो कारण आपका ब्लॉग भी हो सकता है..जहाँ आपने भड़काऊ बातें लिखी हैं...

यहाँ मैं एक धर्म विशेष का उदाहरण देना चाहूंगी....क्योंकि इस समय निशाने पर हर जगह वही है....
शाहरुख़ खान का प्रसंग एक अच्छा उदाहरण हो सकता है....अब आप समझ सकते हैं जब शाहरुख़ खान जैसी शख्शियत को नहीं बक्शा जाता है तो हम आप क्या चीज़ हैं....इसलिए सम्हल कर रहना ज़रूरी है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बेजा फायदा न उठाया जाय, नहीं तो ख्वामखाह विदेशी सिक्यूरिटी संस्थाएं  और अधिकारियों की नज़र में आ सकते हैं ...Racial Profiling के तहत वो आपका नाम, पता, तस्वीर कद-काठी कलमबंद कर सकते हैं, फिर अगर कभी आप या आपके बच्चे देश से बाहर आना चाहें तो ..और अगर आपका नाम यहाँ की लिस्ट में निकल आया तो आप या आपके सम्बन्धी बिना कसूर परेशानी में पड़ सकते हैं....इसलिए कृपा करके अपने को सुरक्षित रखिये...आपका सबसे पहला धर्म अपने और अपने परिवार के प्रति है..इसलिए मैं फिर कहती हूँ अपने लेखन के कारण किसी भी मुसीबत में न पड़े जिससे बाहर निकलना मुश्किल ही नहीं असंभव हो जाए....

मेरा काम है आगाह करना, मैं ऐसी ही सरकारी संस्था में काम करती हूँ, और बहुत अच्छी तरह जानती हूँ कि लोगों की व्यक्तिगत जानकारियाँ इन्टरनेट से ही उठाई जाती हैं ..अब ज़िन्दगी उतनी आसान नहीं है जितनी लगती है....ऐसे हादसे हमारे अपने लोगों के साथ भी हो चुके हैं....हमारे कितने सरदार दोस्तों को पगड़ी में समानता की वजह से पकड़ा गया...ये अलग बात है कि वो सभी रिहा हुए ...लेकिन परेशानी तो हुई है...

तो ये थे कुछ कमेंट्स ...और मेरी कुछ बातें...जिसे मैं आपलोगों के समक्ष लेकर आई...आशा ही नहीं विश्वास है ...आपलोग इन बातों को गंभीरता से लेंगे...और तदानुसार काम करेंगे...
ईश्वर की शांति आपके साथ हो...!!
धन्यवाद...
आभार...
'अदा'

33 comments:

  1. सद्प्रयास के सुफल मिलते ही हैं।
    सार सार सब गहि लहै.....

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  2. माहौल अच्छा बनाये रखने की जिम्मेदारी एक सामूहिक जिम्मेदारी है और हम सबको इसके लिये प्रयत्नशील रहना होगा। बहुत बार हम त्वरित जोश में या उद्वेग में कुछ कर जाते हैं जिसके समाज पर व खुद हम पर पड़ने वाले दूरगामी परिणाम के बारे में हम नहीं सोच पाते। कुछ गलत कर्के पछताने की बजा बेहतर है कि सोच समझकर कुछ करें। जो व्यव्हार हम औरों से अपेक्षा करते हैं, वही व्यव्हार हमारा भी औरों के प्रति होना चाहिये। हमारी दुआयें इस प्रयास में आपके साथ हैं।
    आभार।

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  3. अदा जी,
    अपशब्द और अपमान की महफिलों में गुंजाइश नहीं हुआ करती है। कोई अपनी पर आ भी जाता है तो उसे लोग बाहर कर दिया करते हैं।
    धर्म ऐसा विषय नहीं कि जिस पर बात नहीं की जा सके। भले ही वर्तमान में सभी धर्म अपने संपूर्ण रूप में अप्रासंगिक हो चुके हों लेकिन आज भी धार्मिक मान्यताओं और मूल्यों में बहुत कुछ ऐसा है जो मानवता के काम का है। कोई धार्मिक है तो उन पर बात क्यों नहीं करता। ऐसी ही बातें क्यों लाई जाती हैं जो किसी को अपमानित करती हों।
    मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि सड़क पर कूड़ा फैलाने वाले को पकड़ना भी पड़ेगा, और दंडित करना भी पड़ेगा वर्ना सड़क कूड़े से भरी पड़ी होगी।

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  4. आपने जो भी लिखा है एकदम सही है ... चलिए उम्मीद करते हैं कि ये बात कुछ लोगों की समझ में आये और वो धार्मिक उन्मादना फैलाना बंद करे ! वैसे मेरा तजुर्बा ये कहता है कि ये तब तक नहीं समझ पाते हैं, जब तक कि इनको सच में कोई तकलीफ न हो ...

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  5. अदा जी,
    माहौल को लाइट करना आज पहली ज़रूरत है...

    देख रहा हूं कि ब्लॉगवुड कुछ समय बाद राउंड 380डिग्री पर आ जाता है...

    मैंने और आपने करीब एक ही वक्त में ब्लॉगिंग शुरू की थी...उस वक्त भी ऐसे ही धार्मिक विद्वेष वाली पोस्ट का बोलबाला रहता था, बड़ी मुश्किल से ऐसे लोग हाशिए पर गए थे, लेकिन आज फिर वही स्थिति लौट आई है...

    बीच में नापसंद के चटके लगने बंद हो गए थे, फिर वही खेल शुरू हो गया है...

    आपने सही मुहिम शुरू की है, इस वक्त पूरे ब्लॉग जगत को आपके पीछे खड़े होने की आवश्यकता है...ऐसे लोगों को सबक सिखाना ज़रूरी है...अगर ब्लॉगवाणी या चिट्ठाजगत कुछ सख्त एक्शन ले तो भी इनके हौसले पस्त किए जा सकते हैं...लेकिन दिक्कत यही है कि एग्रीगेटर भी कहां तक नज़र रखें...ये लोग नाम बदल बदल कर आ जाते हैं...

    बेहतर यही है कि इन्हें बिल्कुल तूल न दिया जाए...इन्हें काउंटर करना भी इन्हें भाव देने के समान होता है...ये सब देखकर मन इतना खिन्न है कि हफ्ते में दो पोस्ट लिखना भी भारी लग रहा है...लेकिन फिर सोचता हूं कि अगर सब सही सोच वाले ऐसा ही करने लगे तो इनके लिए खुला मैदान हो जाएगा...शायद ये चाहते भी यही हैं...लेकिन जब तक आप जैसी योद्धा डटी हैं, ये अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकते...ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है...


    जय हिंद...

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  6. समय हमेशा एक जैसा नहीं होता, हिन्दी ब्लोगजगत में भी फिर से शान्ति और अमन चैन का समय जल्द ही आयेगा।

    हमारी तो यही कामना है कि सभी लोग एक दूसरे की भावनाओं और विचारों का सम्मान करते हुए रचनात्मक ब्लोगिंग करें।

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  7. अदाजी, ब्‍लागवाणी ने हमारी फोटों ही उड़ा दी है, अब हम क्‍या करें? यह भी बता दीजिए। हमने उनको मेल भी कर दिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस कारण हमारी तो पोस्‍ट ही पिट गयी है।

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  8. जीवन में प्यार-मोहब्बत के लिए ही समय कम है तो फिर लड़ने के लिए वक्त कहाँ है...
    ब्लॉग जगत में सौहार्द बनाये रखने के प्रयास हमेशा से होते रहे हैं और अभी भी बहुत से अच्छे और अनुभवी लोग जुटे हुए हैं...और यकीन कीजिये सुधार अभी ही हो सकता है बाद में नहीं...ब्लॉग जगत का एक-एक ब्लॉगर दिल से चाहता है, शांति और प्रेम से रहना ..
    .... Aisa hi kuch achhi soch sabki ban jaay to kitna achha hoga.......

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  9. अदा जी, ब्लॉग वो माध्यम है जहाँ हर वो व्यक्ति अपनी कला को सम्पूर्ण जगत से अवगत कराता है जो स्वयं अपनी पुस्तक नहीं छपवा सकता या अन्य माध्यमों तक नहीं पहुँच सकता ( इसके कई कारण हो सकते हैं ). कई बार ऐसा होना संभव है की कोई प्रतिभा इन्ही कारणों से सभी तक ना पहुँच सके और हम लोग उसे कभी पहचान ही ना पाए और उसकी रचनाओं / कलाओं से वंचित रह जाएँ. इसलिए ब्लॉग को इसी तरह का माध्यम हर कोई बनाए रखें .
    जहाँ तक धर्म का सवाल है तो मेरा यह माना है की कोई धर्म अपने आप में बुरा नहीं है; अच्छे बुरे तो उसे माननेवाले लोग होते हैं जो अपने क्रियाकलापों से उसे दुनिया के सामने अच्छा या बुरा बना देते हैं. मुठ्ठी भर बुरे लोगों के कारण कोई भी धर्म बुरा नहीं कहा जा सकता. आज आवश्यकता है प्रेम फ़ैलाने की / भाई चारा बढ़ने की / लोगों को एक दूसरे के करीब लाने की. नफरतें फैलें के लिए तो हमारे नेता और कई धर्म-गुरु बैठे ही हैं.हम सब इनसे दूर रहें / बचें और प्रेम तथा भाईचारे की एक नई दुनिया बनाएं. यही सच्चा मानवीय कर्त्तव्य है. मानवता सबसे बड़ा धर्म है . आइये हम सब इस धर्म को फैलाएं. हम सब साथ साथ हैं.

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  10. आपकी बातों से कोई भी असहमत नही हो सकता, क्योंकि ये तो बुनियादी बातें है.

    हम सभी कला और संस्कृति की सेवा करने के लिये ही यहां उपस्थित है. चूंकि हमारे फ़न की या अदबी हुनर की यहां अभिव्यक्ति होती है, हम सभी हर बार लौटते हैं इसकी तरफ़. साथ ही हम जैसे हमखयाल ब्लोग्गर्स का एक परिवार भी बनता जाता है.

    मगर कुछ लोग यहां अपने निजी पूर्वाग्रहों और कुत्सित मानसिकता वाली कुंठाओं को निकालने के लिये आते हैं. ऐसे मानसिक रोगीयों के लिये आप काहे अपने अंदर के कलाकार के संवेदनशील मन को कष्ट दे रहीं है.

    कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना. आप तो काव्य सॄजन और संगीत रंजन किजिये.
    हम सभी आप के साथ है.

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  11. बहुत ही सार्थक बात कही गई है. ये कोई ऐसा विषय नही है कि जिसको एक क्लिक में खत्म किया जा सके. हर फ़ील्ड मे ये सबसे ज्यादा पसंदीदा सब्जेक्ट है. बस चेहरे बदल जाते हैं. फ़िर भी कोशीशें बंद तो नही की जानी चाहिये. पूरे घटना क्रम में आपका प्रयत्न बहुत ही सराहनीय है. हम आशावान रहें और प्रयत्न करते रहें भले हमे मालूम है कि यह अस्थाई ही होता है. फ़िर भी कर्म तो करते ही रहना होगा.

    शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  12. हम दूसरों के साथ वह व्यवहार न करें जो हमें अपने लिए पसंद नहीं हो।

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  13. हम दूसरों के साथ वह व्यवहार न करें जो हमें अपने लिए पसंद नहीं हो।

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  14. अदा जी
    बुराई और अच्छाई साथ साथ चलती हैं और हमें हमेशा दोनों का सामना करना ही पडता है…………………बेहतर है जो लोग धार्मिक उन्माद फ़ैलाना चाह्ते हों उन्हे या उनकी बातों को हम तवज्जो न दें और सिर्फ़ अपने काम पर ही ध्यान दें तब ऐसे लोग कुछ समय बाद अपने आप चुप हो जाते हैं ………………अब मेरे ब्लोग पर भी किसी बेनामी ने कमेंट किया है बहुत ही गलत ढंग से तो उसका सीधा सा रास्ता मै तो यही समझती हूँ कि उसे हटा दिया जाये ताकि बेवजह एक स्वस्थ माहोल खराब ना हो।

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  15. This comment has been removed by the author.

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  16. मैंने भी पहले आगाह किया था, हाल के घटनाओं पर भी लोगों को सतर्क कर रहा हूँ.
    आपकी इस पोस्ट से साकारात्मक माहौल बनाने की दिशा में है. शुक्रिया!

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  17. आपके प्रयास बहुत ही सराहनीय हैं जी
    आशा है आपके सन्देश का जल्द असर होगा
    वन्दना जी की बात से पूर्णत: सहमत

    प्रणाम स्वीकार करें

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  18. Di, Shree Mansoor saab ki ye beahatreen gazal tab bhi gaur ki thi aur ab bhi padhi hai.. fir likh raha hoon ki aaj ke daur me unke jaise khyalaton ki sakht jaroorat hai.

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  19. हम दूसरों के साथ वह व्यवहार न करें जो हमें अपने लिए पसंद नहीं हो
    साभार मनोज कुमार जी. इसे ही मेरा भी मत माना जाये.

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  20. Ada ji gazal se bahut achchi seekh mili....

    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/2010/04/blog-post_1139.html

    aapse nivedan hai ki ye rachna zarur padhe...ummeed hai aapko pasand aaye....

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  21. अच्चा है.. चिटी-पत्री लिखते रहो। भगवाण को आपका भला करणा ही पड़ेगा।

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  22. जिन्दगी लुटा दी उन्होने झगड़कर,
    मोहल्लों बनाये हैं शहर तोडकर ।
    सब मरे और जब पहुँचे जहन्नुम,
    सुकून में हैं अब, रहते हैं मिलकर ।

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  23. उत्तेजना में अक्सर आदमी बहुत कुछ सोच जाता है , मैं भी सोच गया और कर भी गया । अब शांति से दोबारा उन बातों पर सोचता हूं ,। कुछ दिनों तक सिर्फ़ पढा ही जाए तो बढिया रहेगा , ऐसा सोच रहा हूं

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  24. मैं तो यही सोच रहा हूं कि इस पोस्ट में ऐसा क्या है जो ४ नापसन्दगी मिली हैं ?
    अब आप स्टार हो गई हैं। बधाई हो।

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  25. Adaji, aapke saath hun..aur kya kahun?

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  26. एक अच्छी और विचारणीय पोस्ट लिखी है।यथा संभव सभी अपनी तरफ से पूरा प्रयास करेगें कि शांती बनी रहे...

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  27. bilkul sahi likha hai aapne...vichaar yogya hai.

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  28. बहुत जरुरी और सार्थक पोस्ट. हम सब अपना अपना हिस्सा प्रयास जारी रखें.

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  29. ye sab kyaa haio adaa ji....?

    pahle firdaus khaan waali baat...

    fir blog waani...

    aur ab ye court case.....???



    hamein waqt nahin mil paataa aajkal blogs khangaalne kaa....




    krapayaa...bataaiye..kyaa huaa hai...kisne kyaa kahaa hai...





    aapkaa lekh theek se samjhaa nahin hai...

    par aapke saath hain ham....

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  30. समय हमेशा एक जैसा नहीं होता

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  31. बहुत ही सार्थक बात कही गई है

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