Friday, April 9, 2010

क्षणिकाएं...


एक्सपोर्ट ..
उसके खेतों में उपजे
चावल
अमेरिका एक्सपोर्ट हो गए
और उसके बच्चे आज
बिन खाए ही सो गए


रोटी...
मालकिन ने उसे आज
रोटी नहीं दी थी 
क्योंकि उसने 
कुत्ते की प्लेट में पड़ा
बिस्कुट उठा लिया था


चश्मा ...
वो खुश था
उसकी बनाई साड़ी
दो लाख में बिक गयी
पर दो सौ की ऐनक
वो खरीद नहीं पाया



आज काफी दिनों बाद मयंक की चित्रकारी डाल रही हूँ....
आपको ज़रूर पसंद आएगी...

















38 comments:

  1. Mayank ki kalakari nirantar paripakv ho rahi hai.. :)
    lekin aap bhaav paksha par dhyan de rahi hain achchha hai di, lekin kala paksha....................??

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  2. अरे भाई कोई हमको बतावेगा कि ये मेरी टिप्पणियाँ कौन चोरी कर रहा है...
    बहुत सारी टिप्पणी मेरी गायब हो गयीं हैं....कुछ देर के लिए मेरा ब्लॉग ही गायब होगया और सारी टिप्पणी गायब हो गयीं थी....
    अब ब्लॉग तो प्रकट हुआ है लेकिन ७ टिप्पणी गायब हैं.....
    क्या यह समस्या सिर्फ मेरी है या औरों की भी है....??

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  3. क्षणिकाए, ................चित्रकारी दोबो बहुत खूब एक सेर तो दूसरा सवा सेर..............( टिप्प्णियों की समस्या चल रही है )

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  4. क्षणिकायें तीनों एक से बढ़्कर एक रहीं, गागर में सागर।
    मयंक के अलग ब्लाग के बारे में मैने कभी लिखा था, लेकिन कुछ गैप के बाद मयंक की कलाकृतियां देखने के बाद अपनी पुरानी डिमांड हम पेंडिंग रखी जाना ही ज्यादा पसंद करेंगे। बहुत अच्छी बनाता है मयंक।
    बधाई।

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।

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  6. ye to 'Welldone abba' ki bawadee kee taraf gayab ho rahi hain.. maine bhi Veenus kesari ki post par jo comment likha tha wo ud gaya tha.

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  7. आज के यथार्थ की निर्मम सच्चाईयां बयान करतीं प्रभावशाली क्षणिकाएं एवं बहुत ख़ूबसूरत चित्रकारी ! बधाई और धन्यवाद !

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  8. भावपूर्ण झकझोरती क्षणिकायें और उम्दा चित्रकारी.

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  9. मुकेश अंबानी दुनिया के चौथे नंबर के अमीर हो गए...

    लेकिन देश के गरीब और गरीब हो गए...

    जय हिंद...

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  10. मयंक की चित्रकारी का कोई जवाब नहीं है ...!!

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  11. क्षणिकाएं हाल ही में घटी घटनाओं के कारणों पर प्रकाश डालती प्रतीत हो रही है ...
    दमन और हिंसा से ना कोई समस्या सुलझी है... ना सुलझेगी ....
    हाथ बायाँ कटे या दायाँ ..दर्द बराबर ही है ...!!

    कमेन्ट मेरे भी गायब हुए थे मगर कुछ देर बाद वापस लौट आये ....:):)

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  12. बहुत बेहतरीन क्षणिकाएं. चित्रकारी को क्या कहूं? ये तो भविष्य ही बतायेगा कि ये कितनी जबरदस्त ऊंचाईयां छूयेंगे. जबरदस्त चित्र...

    टिप्पणीयां हमारी भी दो दिन पहले गायब हुई थी. दो तीन घंटे बाद अपने आप "लौट के बुद्धू घर को आये" की तर्ज पर वापस आगई.

    मुझे लगता है कि ये ब्लागर का कोई बग है जो आजकल सभी के मजे ले रहा है.:)

    रामराम.

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  13. आपकी ये क्षणिकाएं बहुत ही मार्मिक हैं ! दिल को छुं गयी ! हमारे देश की गरीब और लाचार लोगों की मर्मस्पर्शी गाथा है ये !
    और चित्र भी सुन्दर हैं !
    मैंने आपके कहे अनुसार मेरी रचना "ये खबर गर्म है" आपके मेल पर भेज दिया है ! पर आपको मिली या नहीं पता नहीं ! कृपया अपने मेल देखकर मुझे बताएं की वह आपको मिल गयी है !

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  14. ब्लागर के संबध मे पाबला जी की राय का इंतजार रहेगा.

    रामराम

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  15. बहुत बढ़िया रचनाएं
    हालात की गंभीरता को प्रकट करती हुई

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  16. उसके खेतों में उपजे
    चावल
    अमेरिका एक्सपोर्ट हो गए
    और उसके बच्चे आज
    बिन खाए ही सो गए


    Bahut sundar !

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  17. मयंक की चित्रकारी के साथ आपकी तीन क्षणिकाएं....पूरा पॅकेज सा मिल गया.......! शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार

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  18. बहुत खूब बहुत पसंद आई यह शुक्रिया

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  19. गरीब के दर्द को बयां करती तीनो क्षणिकाएं बहुत मार्मिक बन पड़ी हैं....और चित्रकारी लाजवाब है ...बधाई

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  20. यही तो विडंबना है,किसान समर्थन मूल्य को ले कर परेशान हैं,भौतिकता सिर चढ़ के बोल रही है...
    सेवक से ज्यादा महत्वपूर्ण पालतू कुत्ता है
    रही बात बुनकर की उसे तो मजदूरी क्या लागत ही मिल जाय , यही बहुत है..बेचारा ऎनक क्या खरीदेगा..।
    हां ! एक बात और
    मयंक निखर रहे हैं..
    बधाई हो..!
    आभार..!

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  21. सुन्दर क्षणिकायें । एनिमेटेड चित्र का तो जवाब नहीं । मंयक को शुभकामनायें ।

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  22. सुन्दर क्षणिकायें…………चित्रकारी भी सुन्दर्।

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  23. त्रासद, कटु यथार्थ को बहुत ही सुन्दर ढंग से आपने इन क्षणिकाओं में समेटा है....
    बहुत ही सार्थक और लाजवाब क्षणिकाएं...

    चित्र बड़े ही चित्ताकर्षक हैं...

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  24. पसंद आयी ।
    प्रोफाईल दृशयों पर हमरा ज्ञान बढ़ाने के लिए धन्यावाद।
    आपको पत तो नहीं चल गया कि हम कितने बुद्धु हैं।

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  25. @ HINDU TIGERS JI,
    पसंद आयी ।
    प्रोफाईल दृशयों पर हमरा ज्ञान बढ़ाने के लिए धन्यावाद।
    आपको पत तो नहीं चल गया कि हम कितने बुद्धु हैं।



    Mujhe aapki tippani samajh mein hi nahi aayi, isliye pooch rahi hun..profile drishy se aapka tatpary ... एक्सपोर्ट, रोटी, aur चश्मा to nahi, aur buddhu ka jahan tak prashn hai hain log buddhu lekin aap to hargij bhi nahi hain..
    agar khulaasa kar denge to kripa hogi..
    aabhaar...

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  26. सभी बेहतरीन,एक से बढ़ कर एक.

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  27. बहुत बढिया क्षणिकाएं हैं। बधाई।

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  28. बस कुच नहीं ऐसे ही ..

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  29. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 10.04.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
    http://chitthacharcha.blogspot.com/

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  30. कमाल कि क्षणिकाएँ है!

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  31. एक्सपोर्ट, रोटी चश्मा और मयंक की चित्रकारी बहुत ही बढ़िया

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  32. .























































































































































    .
    यह क्या अमर जी, मैं समझी नहीं !
    approved by the blog author.

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  33. लाजवाब चित्रकारी ........बेहतरीन रचना

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  34. क्षणिकायें बहुत ही सटीक हैं ।

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  35. वाह, ये विधा हमारी फ़ेव है..

    मेरी पसन्द -

    रोटी...
    मालकिन ने उसे
    आज रोटी नहीं दी थी
    क्योंकि उसने कुत्ते की प्लेट
    में पड़ा बिस्कुट उठा लिया था

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