Friday, April 16, 2010

इक ज़रा सी मेरी भी नज़र भर जाए तो अच्छा है....


अब तू मेरी आँख से उतर जाए तो अच्छा है
मेरे दिल से तू अपने ही घर जाए तो अच्छा है

बड़ा नाज़ुक वो ख्वाब है जो मैंने बचा रखा है
ग़र छूटे ये हाथ से फिर बिखर जाए तो अच्छा है

ये माना ग़ज़लगोई पेचीदगियों का मसला है 
बस इक शेर हमसे भी सँवर जाए तो अच्छा है

बिठा दिए हैं कई दरबान दिल के दरो दाम पर
बस तू इनकी नज़र बचा गुज़र जाए तो अच्छा है

इफ़रात घटाएँ रेत की घिर आई हैं आज 'अदा'
इक ज़रा सी मेरी भी नज़र भर जाए तो अच्छा है


27 comments:

  1. मेरे दिल से तू अपने ही घर जाए तो अच्छा है

    आँख क्या यह गज़ल तो दिल में उतर गयी.
    बहुत नाजुक और भावयुक्त

    ReplyDelete
  2. मेरे दिल से तू उतर जाए तो अच्छा ...
    अपने घर चला जाए तो और अच्छा ...:):)

    कौन नहीं उतर पा रहा है आपके दिल से ...???...:):)
    यूँ ही दिल में बसने वाले आँखों और दिल से उतर जाएँ या उतारने हो ...तो पहले दिल में उतरने की जरुरत क्या है ...दिल के दरवाजे इतनी मजबूती से बंद रखिये ना कि कोई खटखटा ही नहीं सके ...जो उसे दिल से उतारने की जरुरत पड़े ...:)

    बिठा दिए हैं कई दरबान दिल के दरो दाम पर
    बस तू इनकी नज़र बचा गुज़र जाए तो अच्छा है...
    दिल से जाने को कह दिया और दरबान बिठा दिए ...जा कर दिखाए तो जाने ...हम्म्म्म....
    ये माना ग़ज़लगोई पेचीदगियों का मसला है
    बस इक शेर हमसे भी सँवर जाए तो अच्छा है
    वाह ...पूरी ग़ज़ल ही संवार दी है आपने तो ...
    गजलों का मौसम पूरे बाहर के साथ छाया है आपके वजूद पर ...
    खुदा खैर करे ...

    ReplyDelete
  3. ये माना ग़ज़लगोई पेचीदगियों का मसला है
    बस इक शेर हमसे भी सँवर जाए तो अच्छा है


    -अजी, सभी संवर गये...एक की क्या बात है. बेहतरीन!

    ReplyDelete
  4. इफ़रात घटाएँ रेत की घिर आई हैं आज 'अदा' इक ज़रा सी मेरी भी नज़र भर जाए तो अच्छा है

    अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं.... बहुत सुंदर कविता....

    ReplyDelete
  5. ये माना ग़ज़लगोई पेचीदगियों का मसला है
    बस इक शेर हमसे भी सँवर जाए तो अच्छा है

    वाह, :) यही हाल हमरा भी है :D
    आज तो आपने गज़बे ढा दिया है.. वाह वाह वाह!

    ReplyDelete
  6. Gazal to achchhi hai Di lekin is smriti ka kya karen..
    Mohammad Rafi ka gaya geet 'ye julf agar khul ke bikhar jaye to achchha hai..' ki yaad bhaari pad rahi hai.

    ReplyDelete
  7. बेहद खुबसूरत ग़ज़ल है ! सारे के सारे शेर बेहतरीन ! पर ये दो शेर मुझे कुछ भा गए ...

    ये माना ग़ज़लगोई पेचीदगियों का मसला है
    बस इक शेर हमसे भी सँवर जाए तो अच्छा है

    बिठा दिए हैं कई दरबान दिल के दरो दाम पर
    बस तू इनकी नज़र बचा गुज़र जाए तो अच्छा है

    ReplyDelete
  8. ग़ज़ल गोई बड़ा नाज़ुक सा मसला है, चलो माना
    अगर इक शे'र ही हमसे संवर जाए तो अच्छा है..

    अदा जी.....



    ग़ज़ल पर ज़रा सा हल्का पड़ते ही ब्लॉग के ब्लॉग डिलीट होते देखे हैं....आजकल दिमाग ठिकाने पर नहीं है अपना..

    ReplyDelete
  9. ये माना ग़ज़लगोई पेचीदगियों का मसला है बस इक शेर हमसे भी सँवर जाए तो अच्छा है ..................ऐसे ही जिंदगी संवर जाती हैं ...........

    ReplyDelete
  10. waah Ada ji kya khoob kaha...
    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

    ReplyDelete
  11. सुन्दर है! लेकिन अच्छा नहीं लग रहा इस तरह के घर भेजने वाले शेर बांचना। हां नहीं तो!

    ReplyDelete
  12. ये माना ग़ज़लगोई पेचीदगियों का मसला है
    बस इक शेर हमसे भी सँवर जाए तो अच्छा है
    ..वाह क्या बात है।

    ReplyDelete
  13. घर भेजने वाली बात अच्छी कही आपने. पर लोग जाने को तैयार ही नही होते.:)

    रामराम.

    ReplyDelete
  14. दुनिया की निगाहों में भला क्या है, बुरा क्या,
    ये बोझ अगर दिल से उतर जाए तो अच्छा,
    वैसे तो तुम्ही ने मुझे बर्बाद किया है,
    इ्ल्ज़ाम किसी ओर के सर जाए तो अच्छा,
    ये ज़ुल्फ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  15. ये माना ग़ज़लगोई पेचीदगियों का मसला है
    बस इक शेर हमसे भी सँवर जाए तो अच्छा है

    अदा जी!
    ये तो पूरी गजल ही सँवरी हुई है!
    बहुत-बहुत बधाई!

    ReplyDelete
  16. हर शेर अच्छा है,
    धमकी, चुनौती, कामना, यथार्थ, ख्वाब जैसी सभी भावनायें समेट दी हैं आपने।

    वैसे पहले शेर में आपके दिल से निकल कर अपने ही घर जाने की हिदायत काहे दी है जी, जाने दो जिसे जाना है दूसरे दरवज्जे पर। हा हा हा,

    मजाक अपनी जगह पर, लेकिन गज़ल बहुत सुंदर बनी है।
    आभार

    ReplyDelete
  17. ये माना ग़ज़लगोई पेचीदगियों का मसला है
    बस इक शेर हमसे भी सँवर जाए तो अच्छा है..
    ek kya, saare sanwar gaye di.. gajla diya aapne...

    ReplyDelete
  18. बिठा दिए हैं कई दरबान दिल के दरो दाम पर
    बस तू इनकी नज़र बचा गुज़र जाए तो अच्छा है

    सुंदर ग़ज़ल....बढ़िया लगी...बधाई

    ReplyDelete
  19. अब तू मेरी आँख से उतर जाए तो अच्छा है
    मेरे दिल से तू अपने ही घर जाए तो अच्छा है

    बड़ा नाज़ुक वो ख्वाब है जो मैंने बचा रखा है
    ग़र छूटे ये हाथ से फिर बिखर जाए तो अच्छा है

    बहुत ही सुन्दर गज़ल्……………।गहरे जज़्बात्।

    ReplyDelete
  20. अब तू मेरी आँख से उतर जाए तो अच्छा है
    मेरे दिल से तू अपने ही घर जाए तो अच्छा है

    itni b kya narazgi hai janaab..
    ghar ka raasta tere dil ki taraf hi aaye to kya kije????

    बड़ा नाज़ुक वो ख्वाब है जो मैंने बचा रखा है
    ग़र छूटे ये हाथ से फिर बिखर जाए तो अच्छा है

    2nd line u hoti to.....
    gar chhoot ke hath se bikhar jaye to acchha hai....
    tel...tel???

    ये माना ग़ज़लगोई पेचीदगियों का मसला है
    बस इक शेर हमसे भी सँवर जाए तो अच्छा है

    jab aapse sawar jaye to hame bhi sikha dena ji.

    बिठा दिए हैं कई दरबान दिल के दरो दाम पर
    बस तू इनकी नज़र बचा गुज़र जाए तो अच्छा है

    lol ji security guards to pahle hi bitha diya...ab mua koi kaha jaye?

    इफ़रात घटाएँ रेत की घिर आई हैं आज 'अदा'
    इक ज़रा सी मेरी भी नज़र भर जाए तो अच्छा है

    arey yaar rahne do...bekar me rumaal khareedne padenge..

    bahut acchhi gazal.

    ReplyDelete
  21. "बड़ा नाज़ुक वो ख्वाब है जो मैंने बचा रखा है
    ग़र छूटे ये हाथ से फिर बिखर जाए तो अच्छा है "

    बेहतरीन ! गज़ले ही चल रहीं है इस वक़्त ! आवाज़ कहाँ है आपकी ! हम उसी के प्यासे लोग हैं ! प्लेयर की खोज हमेशा करते हैं, कुछ पढ़ने को मिले न मिले !
    प्रविष्टि का आभार ।

    ReplyDelete
  22. कोमल भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
  23. @ "बड़ा नाज़ुक वो ख्वाब है जो मैंने बचा रखा है
    ग़र छूटे ये हाथ से फिर बिखर जाए तो अच्छा है "
    --------- ऐसा न कहिये .. हकीकत बड़ी कठोर होती है उसकी तुलना में नाजुक
    बहम ज्यादा सुकून दिए रहता है !
    पर हकीकत से मुंह चुराया तो नहीं जा सकता ! सही कहा आपने वो भी अच्छा , और
    यह भी अच्छा !

    ReplyDelete
  24. Hats off!

    बिठा दिए हैं कई दरबान दिल के दरो दाम पर
    बस तू इनकी नज़र बचा गुज़र जाए तो अच्छा है

    Aapki kalam kabhi na ruke...
    yahi sabse achha hai :)

    Regards,
    Dimple

    ReplyDelete