फ़िज़ूल के न कोई अब सवाल कीजिये
कीजिये तो आज कोई कमाल कीजिये
बह गया सड़क पे देखिये वो लाल-लाल
कुछ सफ़े अब खून से भी लाल कीजिये कीजिये तो आज कोई कमाल कीजिये
बह गया सड़क पे देखिये वो लाल-लाल
छुप गई उम्मीद क्यों, डरे हुए बदन
अब रूह चीखने लगी बवाल कीजिये
जग गई है हर गली जग गया वतन
तीसरी आँख खोलिए मशाल कीजिये
थामिए हाथ में अब बागडोर हुज़ूर
प्रान्तवाद को यहीं हलाल कीजिये
कोई 'राज' छू न पाए आस्तीन को
उसी की ज़मीन में भूचाल कीजिये
चुप न अब बैठिये अजी कह रही 'अदा'
लेखनी को आज ही कुदाल कीजिये
लेखनी को आज ही कुदाल कीजिये
ReplyDeleteलेखनी जब कुदाल हो जायेगी
या फिर जब कुदाल लेखनी बनेगी
तब नक्शा कायनात की बदल जायेगी
बहुत सुन्दर आह्वान और भाव
थाम लो हाथ में बागडोर हुज़ूर
ReplyDeleteप्रान्तवाद को यहीं हलाल कीजिये
बहुत ही उम्दा भाव.... आभार
चुप न अब बैठिये अजी कह रही 'अदा'
ReplyDeleteलेखनी को आज ही कुदाल कीजिये
-बहुत सही..बेहतरीन!
कोई 'राज' छू न पाए आस्तीन को
ReplyDeleteवो जहाँ खड़ा रहे भूचाल कीजिये
बढ़िया ग़ज़ल..अच्छी लगी..बधाई
hnm...
ReplyDeletesunder rachna...
आज सच में लेखनी को कुदाल करने की ज़रुरत है ।
ReplyDeleteआज के ही अख़बार में छपा है ऐसा ही दृश्य --एक रांची में दूसरा एथेंस में ।
रांची में पुलिस छात्रों पर और एथेंस में पब्लिक पुलिस पर लाठियां बरसा रही है ।
सब जगह यही हाल है ।
behtareen rachna........:)
ReplyDeletekabhi maine bhi koshish ki thi.....
खुशियों, उल्लासो को बेरहमी से
बदहवासी व शोक मैं बदला जा रहा है
फिर भी हम नहीं बदल पाए तो
बदलते वक्त को आशियाना क्या कहेगा.........
समय की तकदीर
सिर्फ कलम से लिखी जा नहीं सकती
साथियों! बदलते वक्त को
सँवारने का वक्त आ चूका है..........
सच कहा
ReplyDeleteअदा जी
andar tak hila diya aapke ye rachna ......bahut khoob
ReplyDeleteलेखनी को आज ही कुदाल कीजिये ........
ReplyDeleteबहुत खूब, बेहतरीन, एक अच्छी गज़ल के लिए बधाई हो अदा जी ।
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
http://vyangyalok.blogspot.com
har ek pankti jhakjhorene wali....
ReplyDeletekuchh na kuchh kamaal to karna hi padega...
kunwar ji,
जोश जगाती अच्छी रचना..
ReplyDeleteअशक्तों को सताना आसां है माना.
ReplyDeleteअपनी ताकत को, उनकी ढाल कीजिये ।
अजी हम तो इन कायरो के चित्र देख कर हेरान है?इंसनियत कहा गई?यह समझते है अपने आप को भगवान, जब कि इन की ऒकात किसी कुते से भी ज्यादा नही
ReplyDeleteवाकई लेखनी को कुदाल करने की जरुरत है अब ..बेहतरीन अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबढ़िया गजल है!
ReplyDelete--
कुदाल की धार को पैना भी तो होना ही पड़ेगा!
चुप न अब बैठिये अजी कह रही 'अदा'
ReplyDeleteलेखनी को आज ही कुदाल कीजिये
Utkrist aur sarthak lekhan.shubkamnayen.
ADA JEE AAP BEHTAREEN LIKHTI HAI.....
ReplyDeleteहम तो अदा की अदाओं के मुरीद हो गये. वास्तव में बहुत सुन्दर ब्लोग है। मेरे ब्लोग पर आने ओर टिप्प्णी के लिये बहुत धन्यवाद।
ReplyDelete-मीना