Wednesday, June 30, 2010

लेखनी को आज ही कुदाल कीजिये....


फ़िज़ूल के न कोई अब सवाल कीजिये
कीजिये तो आज कोई कमाल कीजिये

बह गया सड़क पे देखिये वो लाल-लाल 
कुछ सफ़े अब खून से भी लाल कीजिये

छुप गई उम्मीद क्यों, डरे हुए बदन
अब रूह चीखने लगी बवाल कीजिये


जग गई है हर गली जग गया वतन
तीसरी आँख खोलिए मशाल कीजिये
 

थामिए हाथ में अब बागडोर हुज़ूर
प्रान्तवाद को यहीं  हलाल कीजिये 

कोई 'राज' छू न पाए आस्तीन को
उसी की ज़मीन में भूचाल कीजिये

चुप न अब बैठिये अजी कह रही 'अदा'
लेखनी को आज ही कुदाल कीजिये

19 comments:

  1. लेखनी को आज ही कुदाल कीजिये
    लेखनी जब कुदाल हो जायेगी
    या फिर जब कुदाल लेखनी बनेगी
    तब नक्शा कायनात की बदल जायेगी
    बहुत सुन्दर आह्वान और भाव

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  2. थाम लो हाथ में बागडोर हुज़ूर
    प्रान्तवाद को यहीं हलाल कीजिये

    बहुत ही उम्दा भाव.... आभार

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  3. चुप न अब बैठिये अजी कह रही 'अदा'
    लेखनी को आज ही कुदाल कीजिये

    -बहुत सही..बेहतरीन!

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  4. कोई 'राज' छू न पाए आस्तीन को
    वो जहाँ खड़ा रहे भूचाल कीजिये

    बढ़िया ग़ज़ल..अच्छी लगी..बधाई

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  5. आज सच में लेखनी को कुदाल करने की ज़रुरत है ।
    आज के ही अख़बार में छपा है ऐसा ही दृश्य --एक रांची में दूसरा एथेंस में ।
    रांची में पुलिस छात्रों पर और एथेंस में पब्लिक पुलिस पर लाठियां बरसा रही है ।
    सब जगह यही हाल है ।

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  6. behtareen rachna........:)

    kabhi maine bhi koshish ki thi.....

    खुशियों, उल्लासो को बेरहमी से
    बदहवासी व शोक मैं बदला जा रहा है
    फिर भी हम नहीं बदल पाए तो
    बदलते वक्त को आशियाना क्या कहेगा.........
    समय की तकदीर
    सिर्फ कलम से लिखी जा नहीं सकती
    साथियों! बदलते वक्त को
    सँवारने का वक्त आ चूका है..........

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  7. andar tak hila diya aapke ye rachna ......bahut khoob

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  8. लेखनी को आज ही कुदाल कीजिये ........
    बहुत खूब, बेहतरीन, एक अच्छी गज़ल के लिए बधाई हो अदा जी ।

    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल
    www.vyangya.blog.co.in
    http://vyangyalok.blogspot.com

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  9. har ek pankti jhakjhorene wali....

    kuchh na kuchh kamaal to karna hi padega...

    kunwar ji,

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  10. अशक्तों को सताना आसां है माना.
    अपनी ताकत को, उनकी ढाल कीजिये ।

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  11. अजी हम तो इन कायरो के चित्र देख कर हेरान है?इंसनियत कहा गई?यह समझते है अपने आप को भगवान, जब कि इन की ऒकात किसी कुते से भी ज्यादा नही

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  12. वाकई लेखनी को कुदाल करने की जरुरत है अब ..बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  13. बढ़िया गजल है!
    --
    कुदाल की धार को पैना भी तो होना ही पड़ेगा!

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  14. चुप न अब बैठिये अजी कह रही 'अदा'
    लेखनी को आज ही कुदाल कीजिये

    Utkrist aur sarthak lekhan.shubkamnayen.

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  15. ADA JEE AAP BEHTAREEN LIKHTI HAI.....

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  16. हम तो अदा की अदाओं के मुरीद हो गये. वास्तव में बहुत सुन्दर ब्लोग है। मेरे ब्लोग पर आने ओर टिप्प्णी के लिये बहुत धन्यवाद।
    -मीना

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