तुम्हारा नाम लिखूँ...!
कभी सोचा !
तुम्हारा नाम लिखूँ
नहीं भेजा कभी जिसको
वो पैगाम लिखूँ !
क्यूँ यादें आकर के
इन्हें रुला जाती हैं
कहो तो इन आँखों को
छलकता जाम लिखूँ !
लिए फिरते हैं हाथों में
हम कोरा सा इक ख़त
अगर लिखूँ तो क्या लिखूँ
और किसके नाम लिखूँ.....!!