Tuesday, June 29, 2010

तुम्हारा नाम लिखूँ...!


कभी सोचा !
तुम्हारा नाम लिखूँ
नहीं भेजा कभी जिसको  
वो पैगाम लिखूँ  !
क्यूँ यादें आकर के 
इन्हें रुला जाती हैं 
कहो तो इन आँखों को
छलकता जाम लिखूँ  !
लिए फिरते हैं हाथों में
हम कोरा सा इक ख़त
अगर लिखूँ तो क्या लिखूँ 
और किसके नाम लिखूँ.....!!