धड़कन भी कुछ काबू में हो साँस भी अब ज़रा संभले
मेरी जाँ मेरी उम्र भी इस तूफाँ के मुक़ाबिल ठहरे
जिस दम देखा था उसने पहली बार नज़र भर के
वो लम्हा मेरी ज़ीस्त का इकलौता हासिल ठहरे
ज़ीस्त=जीवन
आवाज़ 'अदा' की.....
आप की नज़रों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे
दिल की ऐ धड़कन ठहर जा, मिल गई मंज़िल मुझे
आप की नज़रों ने समझा
जी हमें मंज़ूर है, आपका ये फ़ैसला \- २
कह रही है हर नज़र, बंदा\-परवर शुकरिया
हँसके अपनी ज़िंदगी में, कर लिया शामिल मुझे
आप की नज़रों ने समझा ...
पड़ गई दिल पर मेरी, आप की पर्छाइयाँ \- २
हर तरफ़ बजने लगीं सैकड़ों शहनाइयाँ
दो जहाँ की आज खुशियाँ हो गईं हासिल मुझे
आप की नज़रों ने समझा ...
आप की मंज़िल हूँ मैं मेरी मंज़िल आप हैं \- २
क्यूँ मैं तूफ़ान से डरूँ मेरे साहिल आप हैं
कोई तूफ़ानों से कह दे, मिल गया साहिल मुझे
आप की नज़रों ने समझा ...
जिस दम देखा था उसने पहली बार नज़र भर के
ReplyDeleteवो लम्हा मेरी ज़ीस्त का इकलौता हासिल ठहरे
-वाह! बहुत खूब!!
सुन्दर गीत!
सुन्दर गीत
ReplyDeleteवाह बहुत खूब.....
अदा जी बहुत खूब.
ReplyDeleteसादर!
ReplyDeleteवाह जी वाह...
यदि बुरा ना माने तो, एक गीत मेरे पसंद का भी गायें .
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ,
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए....
रत्नेश त्रिपाठी
-वाह! बहुत खूब!!
ReplyDeleteclose to heart
ReplyDeleteअच्छी लय में गाया आपने अदा जी !
ReplyDelete"जिस दम देखा था उसने पहली बार नज़र भर के वो लम्हा मेरी ज़ीस्त का इकलौता हासिल ठहरे"
ReplyDeleteकमाल की अदा ये भी...
कुंवर जी,
Ada ji ki adaygi bhi gazab ki hai...
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियों के साथ सुन्दर गीत...बढ़िया समायोजन
ReplyDeletekyaa kahun...??
ReplyDeletejaane chhpane ke layak kahaa bhi jayegaa yaa nahuin...!!!
अदा जी ,
ReplyDeleteहर बार की तरह बहुत बेहतर गाया है इस गीत को भी आपने
(तकनीकी खराबी की वजह से सुन नहीं पा रहा था इसलिए देरी से कमेन्ट कर रहा हूँ )
बेहतर, शानदार और जानदार।
ReplyDeleteआजकल मेरे फेवरेट गानों की झड़ी लगा दी है आपने...
ReplyDeleteआभार...
अजीब दास्तां है, कहां शुरू, कहां खत्म का नंबर कब आएगा...
जय हिंद
ooooooooffffffffffffff
ReplyDeletekyaa likh daalaa hai apne....!!!