तेरे फ़रेब मसलते हैं मुझे
मेरे ही ग़म की छाँव में,
हर साँस से उलझती है
हर लम्हा ज़िन्दगी की,
लिपटती जाती है देखो
उम्र की ज़ंजीर पाँव में,
ये पागलपन मेरा,
बरामद करवाएगा मुझे,
कब तक छुपूँगी कहो
सदियों की गुफाओं में,
आंधियाँ मुझसे अब भी
दुश्मनी निभातीं हैं,
फिर भी बनाऊँगी मैं
एक नशेमन हवाओं में...!
रक्स=नृत्य
नशेमन=घोंसला
शानदार अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति..आभार
ReplyDeleteमेरे भोले मासूम मन को इतनी गहरी बात समझ नहीं आ रही
ReplyDeleteरक्स और नशेमन क्या होता है ??
उर्दू के शब्दों का ज्ञान कम मात्रा में है
नशेमन आँधियों में भी आबाद रहे ...
ReplyDeleteहौसला कायम रहे ...!!
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteशब्दों का अर्थ बताने हेतु धन्यवाद
ReplyDeleteमैं भी यही कहूँगा....."हौसला कायम रहे"
कविता का अर्थ जान कर बहुत अच्छा महसूस हो रहा है
हवाओं में घोसला बनाने की बात तो वही करता है जो धारा के विपरीत बहने की कला जानता है। मुझे रचना की आखिरी लाइन बेहद अच्छी लगी क्योंकि यही लाइन शायद बहुत से लोगों का सच है... शायद मेरा भी।
ReplyDeleteगज़ब की दीवानगी है, गज़ब की आवारगी,
ReplyDeleteआपका ज़ज़्बा नहीं लगता, फ़कत एकबारगी ।
waah lajawaab...bahut khoob...
ReplyDeleteशानदार।
ReplyDeleteवाह वाह
ReplyDeleteप्रस्तुति...प्रस्तुतिकरण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
विशुद्ध रूप से प्रेरणादायक...
ReplyDeleteकुंवर जी,
बहुत खूबसूरत नज़्म....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत नज़्म....
ReplyDeleteआंधियाँ मुझसे अब भी
ReplyDeleteदुश्मनी निभातीं हैं,
फिर भी बनाऊँगी मैं
एक नशेमन हवाओं में...!
बहुत सुंदर !
आंधियाँ मुझसे अब भी
ReplyDeleteदुश्मनी निभातीं हैं,
फिर भी बनाऊँगी मैं
एक नशेमन हवाओं में...
बहुत खुद्दारी है इस रचना में जो बहुत अच्छी लगी .... इश्क़ जब जुनू बन जाता है तो सिर चड़ कर बोलता है ....
ek nasheman hawaon mein gungunata hua
ReplyDeleteफिर भी बनाऊँगी मैं
ReplyDeleteएक नशेमन हवाओं में...
Thats the spirit.बहुत बढ़िया.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDelete--------
ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?
वाह!क्या बात है?
ReplyDeleteज़ोरदार रचना ।
ReplyDeleteबहुत ही ओजपूर्ण रचना...
ReplyDeleteबेहद बढिया लगा !!
ReplyDeleteआप तो वो हैं जो आंधियों में भी नशेमन को सुरक्षित रखना जानती हैं और दुनिया को दिखाती हैं कि देखो मुझे देखो। बहुत अच्छी रचना।
ReplyDeletebadhiya abhivyaki.
ReplyDeleteaapki post kal 11/6/10 ki charcha munch ke liye chun li gayi he.
abhaar
A beautiful poem
ReplyDeleteAsha
sundar abhivyakti.......badhiyaa
ReplyDeletesundar abhivyakti.......badhiyaa
ReplyDeleteहर साँस से उलझती है
ReplyDeleteहर लम्हा ज़िन्दगी की,
लिपटती जाती है देखो
उम्र की ज़ंजीर पाँव में,
वाह अति उत्तम बधाई