मन मयूर मुदित हुआ ... निर्निमेष उर अंकुर ... क्या बात है ...तबियत तो ठीक है ... बौराए हैं हम तो हिंदी के ऐसे क्लिष्ट शब्द पढ़ कर ...बढ़िया है जी ... सुन्दर गीत ...सुन्दर शब्द ...अति सुन्दर ..!!
nmste bhn ji aek aap hi hen jinki bdolt shbdon ki ghraayi or mdhurtaa chintn mnthn ke baare men sikhne ko mil rhaa he bdhaai ho. akhtar khan akela kota rajsthan
बेहतरीन रचना। और मयंक का चित्र भी लाजवाब लगा, ऐसा लगा तपस्वी राम आवेश में हैं - भय बिन होय न प्रीत वाले प्रसंग के राम दिखते हैं। डांट लगाती रहिये ऐसे ही मयंक को बीच बीच में और हमारा आभार मयंक तक पहुंचा दीजियेगा।
रचना अपने स्तर के अनुकूल है, आपकी लेखनी की मैं कई बार तारीफ कर चुका हूँ और ऐसे ही करते रहना चाहता हूँ. मयंक के चित्र में मुझे भगीरथ दिखाई दिये. बढ़िया चित्र ! बधाई.
भावपूर्ण और आत्मिक काव्य ... सुंदर...अति सुंदर
ReplyDeleteमयंक की चित्रकारी इस रचना के लिए फिट है ।
मन मयूर मुदित हुआ ...
ReplyDeleteनिर्निमेष
उर अंकुर ...
क्या बात है ...तबियत तो ठीक है ...
बौराए हैं हम तो हिंदी के ऐसे क्लिष्ट शब्द पढ़ कर ...बढ़िया है जी ...
सुन्दर गीत ...सुन्दर शब्द ...अति सुन्दर ..!!
nmste bhn ji aek aap hi hen jinki bdolt shbdon ki ghraayi or mdhurtaa chintn mnthn ke baare men sikhne ko mil rhaa he bdhaai ho. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeletebehtreen rachna ......mayank ki chitrakari .....to laajwaab.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना।
ReplyDeleteऔर मयंक का चित्र भी लाजवाब लगा, ऐसा लगा तपस्वी राम आवेश में हैं - भय बिन होय न प्रीत वाले प्रसंग के राम दिखते हैं।
डांट लगाती रहिये ऐसे ही मयंक को बीच बीच में और हमारा आभार मयंक तक पहुंचा दीजियेगा।
सादर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर | सीखने की दृष्टी से भी उत्तम |
रत्नेश
ऊबरा मन मंदिर तम से
ReplyDeleteदेह प्रकाशित पुर हुआ
सुन्दर भावों से सजी सुन्दर रचना
bahut hi prabhawshali
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteकविता और चित्र, दोनों ही सुन्दर ।
ReplyDeleteसंजय जी...
ReplyDeleteआपने सही पहचाना ये तपस्वी राम ही हैं ..आवेश में..
क्षमा चाहती हूँ ...चित्र का नाम भूल गई लगाना...
डाटने से कला-कृतियाँ सामने आती हों तो डाटना
ReplyDeleteजारी रखिये ! सुन्दर चित्रकारी !
रचना अपने स्तर के अनुकूल है, आपकी लेखनी की मैं कई बार तारीफ कर चुका हूँ और ऐसे ही करते रहना चाहता हूँ. मयंक के चित्र में मुझे भगीरथ दिखाई दिये. बढ़िया चित्र ! बधाई.
ReplyDeleteएक बात बोलें...?
ReplyDeleteलोगों के कहने पर यूं जबरदस्ती बच्चे से कोई तस्वीर बनवानी गलत है...
बेशक....आप हमारा कमेन्ट छापें..ना छापें....
पर हमारी बात पर ध्यान देना...
Chitra ek shabd dono hi anupan...
ReplyDeletehindi ka sundar prayog.
ऊबरा मन मंदिर तम से
देह प्रकाशित पुर हुआ
khaskar ye to bahut pasand aayin
Mayank ko chitra ke liye bahut badhai
The entire family has talent in blood :)
ReplyDeleteMayank - It is really brilliant piece of art! And Ada ji aapki tareef kya karu :)
Bahut hi badiya!
Regards,
Dimple
wow ...very nice art work from Mayank ...and u r always greaaaaat
ReplyDeleteरचना माधुर्य और सौंदर्य की क्या कहूँ...उफ़ !!! मन विभोर हो गया...अद्वितीय...अतिसुन्दर...
ReplyDeleteचित्र भी अद्वितीय है....
वाह वाह वाह वाह वाह ......
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