आवाज़ 'अदा' की....
जो हमने दास्तां अपनी सुनाई, आप क्यों रोए
तबाही तो हमारे दिल पे आई, आप क्यों रोए
हमारा दर्द\-ए\-ग़म है ये, इसे क्यों आप सहते हैं
ये क्यों आँसू हमारे, आपकी आँखों से बहते हैं
ग़मों की आग हमने खुद लगाई, आप क्यों रोए
बहुत रोए मगर अब आपकी खातिर न रोएंगे
न अपना चैन खोकर आपका हम चैन खोएंगे
कयामत आपके अश्कों ने ढाई, आप क्यों रोए
न ये आँसू रुके तो देखिये, हम भी रो देंगे
हम अपने आँसुओं में चाँद तारों को डुबो देंगे
फ़ना हो जाएगी सारी खुदाई, आप क्यों रोए
सुबह-सुबह मूड ताज़ा हो गया यह पढकर/सुनकर।
ReplyDeletewah wah ... aapki aawaaj sunkar fresh ho gaye ...
ReplyDeleteफ़ना हो जाएगी सारी खुदाई, आप क्यों रोए
ReplyDeleteबहुत खूब, धन्यवाद!
न्यूज़ फ्रॉम निकट भविष्य का न्यूज़ पेपर ..........
ReplyDeleteभारत में पिछले कुछ दिनों में पुराने गानों की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है
इस उछाल से रोक - पोप म्यूजिक कम्पनियां परेशान है
(उन्हें पता हो न हो हमें तो कारण पता है )
aanandam
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर
ReplyDelete...बहुत मिठास है !!!
ReplyDeleteवाह .. बहुत बढिया जी !!
ReplyDeleteबहुत खूब ! लाजवाब !
ReplyDeleteएक अंधेरा, लाख सितारे,
ReplyDeleteएक निराशा, लाख सहारे,
सबसे बड़ी सौगात है जीवन,
नादां हैं जो जीवन से हारे.
एक अंधेरा, लाख सितारे,
बीते हुए कल की ख़ातिर
तू आने वाला कल मत खोना,
जाने कौन कहां से आकर
राहे तेरी फिर से संवारे,
एक अंधेरा, लाख सितारे...
जय हिंद...
...बहुत मिठास है @@@@@@@@@
ReplyDeleteआज पहली बार आप का गाना सुना सच मज़ा आ गया
ReplyDeleteबहुत सुंदर! वाह!
वाक़ई बहुत अच्छा गाती हैं आप
didi ji
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर
वाह बहुत सुन्दर
वाह बहुत सुन्दर
जितना अच्छा आपका गायन है उतना ही उम्दा लेखन भी.
ReplyDeleteअब तो लोग अपनी पंसद के गाने भी आपसे सुनते हैं।
यदि आप कभी फुरसत निकाल पाएं तो क्या करोके(ट्रेक) पर आओ तुम्हे चांद पर ले जाए... प्यार भरे सपने दिखाए..छोटा सा बंगला बनाए, गाने को गा सकती है।
फिल्म में आशा पारेख और सुनील दत्त हैं।
देखिएगा... यह मेरी प्रार्थना है। जरूरी नहीं है कि मेरी प्रार्थना पर विचार भी किया जाए। कई बार कुछ प्रार्थनाएं गैर जरूरी भी होती है।
सादर!
ReplyDeleteजी क्या कहें! नतमस्तक !
रत्नेश
tabaah hon aapke dushman
ReplyDeleteआनन्द आ गया गीत सुनकर.
ReplyDeletesach me aanand hi aa gaya ji....
ReplyDeletebahut khoobsoorat geet aur waisi hi aawaaj...
kunwar ji,
बहुत मधुर गीत है...पुराने दिन याद आ गए....शुक्रिया...
ReplyDeleteनीरज
एक तरफ तो कहती हो कि दासतां मेरी नहीं फिर दूसरे ही पल गाना गा देती हो कि जो हमने दास्तां अपनी सुनायी आप क्यों रोएं। अब तुम्हीं बताओ हम क्या करें? अरे बाबा मजाक कर रही हूं, अपनी किस्मत में ये सब कहां? दो बार सुन लिया है अभी दो बार सुनना शेष है।
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