Saturday, June 12, 2010

कर भी लो अब ज़रा मुझसे खुल कर बातें.....


यूँ हीं होतीं हैं
कभी बेहुनर बातें
दिल करता है
कभी नगमाग़र बातें
पलकें झुक जातीं है 
और बन जातीं है ज़बान
फिर कर ही जातीं हैं 
कभी अश्के-तर बातें
तेरी ख़ामोशी अब 
जानलेवा होती जाती है 
कुछ तो करो मुझसे भी 
हमसफ़र बातें
दिल की बात कहीं
दिल में न रह जाए
कर भी लो अब ज़रा
मुझसे खुल कर बातें.....


अश्के-तर=आँसूओं से तर 

24 comments:

  1. दिल की बात कहीं
    दिल में न रह जाए
    कर भी लो अब ज़रा
    मुझसे खुल कर बातें.....
    खुलकर जब बात की जायेगी तो एहसासों से मुलाकात हो जायेगी.

    बहुत सुन्दर

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  2. सुभान अल्लाह!

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  3. बेहुनर , नग्मागर , अश्कतर बातें ...
    वाह ...शब्दों का सुन्दर चयन ...
    अब तो होकर ही रहेंगी खुशनुमा बातें ...:):)
    बहुत प्यारी सी लगी कविता ...!!

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  4. बहुत जबरदस्त ...
    अश्कतर का मतलब क्या होता है अदा जी ?

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  5. बहुत बढ़िया रचना...आभार

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  6. त्यागी जी,
    अश्के-तर होना चाहिए था....टंकण में त्रुटि थी..
    अर्थ है आँसूओं से तर...
    आपका धन्यवाद...

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  7. बहुत बढ़िया रचना...

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  8. सरकार कहां से ले आते हैं ऐसे खूबसूरत अल्फ़ाज़?
    और ऐसे चित्र?
    अब हम तो क्या तारीफ़ करें, वड्डे शायर अनुराग शर्मा साहब जी ’चीता’ भी जब सुभान अल्लाह कह गये तो हमारी तो वाह वाह कहनी बनती ही है।
    बहुत खूबसूरत जज्बात पेश किये हैं आज आपने,
    बधाई।

    सदैव आभारी।

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  9. कर भी लो ज़रा मुझसे खुल कर बातें...

    सेरिडॉन आप ही प्रोवाइड कराएंगी या घर से लेकर आनी पड़ेगी...

    जय हिंद...

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  10. बातें खुलकर हों,
    शिकायतें मिलकर हों,
    मन के उन्माद उठे जब भी,
    वे बारिशें सम्हलकर हों
    यूँ ज़िन्दगी ठंडी न बीते कहीं,
    जलवे-जवानी जलकर हों

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  11. अपनी अनुभूतियों की आकर्षक अभिव्यक्ति...बधाई।

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  12. पलकें झुक जातीं है और बन जातीं है ज़बान....
    फिर कर ही जातीं हैं कभी अश्के-तर बातें......

    बहुत गहरे भाव में पहुंचा दिया आपने...और सच में इस वक्त अगर कोई सोचे तो करीब करीब वैसा ही चित्र ज़ेहन में बन जाता है जैसा आपने ऊपर प्रयोग किया है
    हाँ ज़ेहन वाले चित्र में आंसू भी होते है .. मैं तो यहीं ठहर गया था थोड़ी देर बाद फिर आगे पढ़ा

    यह बात तो माननी पड़ेगी रचना तो प्रभावी होती ही है आपकी .... साथ में जो चित्र लगाया जाता है वो भी पढने के पहले और बाद में देखा जाये तो अलग ही अदभुद सी अनुभूति दे जाता है

    इस रचना के लिए धन्यवाद

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  13. पलकें झुक जातीं है और बन जातीं है ज़बान....
    फिर कर ही जातीं हैं कभी अश्के-तर बातें......

    बहुत गहरे भाव में पहुंचा दिया आपने...और सच में इस वक्त अगर कोई सोचे तो करीब करीब वैसा ही चित्र ज़ेहन में बन जाता है जैसा आपने ऊपर प्रयोग किया है
    हाँ ज़ेहन वाले चित्र में आंसू भी होते है .. मैं तो यहीं ठहर गया था थोड़ी देर बाद फिर आगे पढ़ा

    यह बात तो माननी पड़ेगी रचना तो प्रभावी होती ही है आपकी .... साथ में जो चित्र लगाया जाता है वो भी पढने के पहले और बाद में देखा जाये तो अलग ही अदभुद सी अनुभूति दे जाता है

    इस रचना के लिए धन्यवाद

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  14. aao paas baithe
    bhul jayen zamane ke gam
    bas apni baat kahen
    khulker ehsaason ko jee len

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  15. अपकी रचना का शीर्षक बहुत ही अच्छा लगा एक दम लयात्मक सच कहूं तो ललचाने वाला :)

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  16. कोमल सुन्दर भाव की मनमोहक अभिव्यक्ति....

    सुन्दर रचना...सुखद लगा पढना...

    आभार..

    mumbai tiger

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  17. इन लफ्जों में कही बातें मन को छू गई

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  18. ghazab kee lekhani hai. awesome specially
    बच कर लौट आती हूँ, गज़ब सागर की लहरों से
    कल का क्या भरोसा है, वो तूफाँ नहीं मेरा

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