एक कहावत पढ़ी थी...
'नीम हक़ीम ख़तरा-ए-जान' बचपन से इसका मतलब यही जाना कि जिसे आधा ज्ञान हो उससे खतरा होता है, अंतरजाल खंगाल डाला तो कहीं मिला:
नीम हक़ीम ख़तरा जान (A little knowledge is a dangerous thing.)
कहीं मिला :
Neem Hakeem = Means = A physician lacking in full knowledge of his profession OR A half baked physician . Khatra - e - Jaan = Means = Danger ...
लेकिन हर बार मुझे लगा कहीं कुछ ठीक नहीं है, कहीं हम उस बेचारे हक़ीम के साथ तो ज्यादती नहीं कर रहे, काफी जद्दो-ज़हद के बाद मुझे इसका असली मतलब समझ में आया है,
खैर, तो मैंने जो 'नीम हक़ीम ख़तरा-ऐ-जान' का सही अर्थ समझा है, सोचा आपलोगों को भी बता ही दूँ, क्योंकि आइन्दा आप भी तो यही इस्तेमाल करेंगे....और मेरे हिसाब से यही इसका असली अर्थ भी है,
वो है:
वो हक़ीम जो नीम के पेड़ के नीचे सो रहा है, उसकी जान को ख़तरा है.......
अब आप सब बताइए यही सही अर्थ है या नहीं ??????
मयंक की चित्रकारी :
और अब एक गीत...'अदा' की आवाज़ में..
गला थोड़ा खराब है...बुरा न मानियेगा...
मैं तो समझता था कि इस मुहावरे का यह अर्थ होगा कि नीम के पेड़ को सचेत किया जा रहा है कि हे नीम, हकीम आ रहा है, इसलिए तुझे ख़तरा है ! ( पत्ते-टःनिया तोड़ कर ले जाएगा क्या पता पेड़ ही काट ले जाए ) :)
ReplyDeleteइस ज्ञान वर्धन के लिए शुक्रिया अदा जी !
bahut sahi :)
ReplyDeleteMayank babu ko dher sari shubhkaamnaae unki kala nae aayam ghade....gana bahut pasand aaya di mujhe bahut pasand hai yah gana !
बिल्कुल बराबर है जी। वैसे एक संभावना और भी है, कथन पुराना है तो पुराने समय में हकीमों के कहां पांच सितारा दवाखाना होते थे? वे अपनी अपनी दवा वाली पेटी लेकर अलग अलग ठियों पर बैठते होंगे और ठिये से ही उनकी पहचान होती होगी। इस कथन का ये भी मतलब हो सकता है कि नीम वाले हकीम से इलाज करवाने पर जान का खतरा है, रैप्यूटेशन बड़ी चीज है जी।
ReplyDeleteमयंक के बारे में कोई कमेंट नहीं। उसे अपने साये से बाहर निकालकर अपना खुद का नया ब्लाग बनाने के लिये कहिये, हां नही तो(अभी पेटेंट तो नहीं करवाया न आपने ये hnt)...
इस ज्ञान वर्धन के लिए शुक्रिया अदा जी !
ReplyDeletenice...............
ReplyDelete:)
bahut acche se samja aur samjha bhi diya........aur gayan ke bare mei kya kahen.....masallah....subhanallah.......
ReplyDeleteमयंक JI की चित्रकारी BAHUT HI SUNDER HAI
ReplyDeleteअब नीम को खतरा है या हकीम को ये हम नहीं जानते। हमें तो बस इतना पता है अधकचरी जानकारी वाला इंसान खतरनाक होता है। अच्छा पोस्ट है पढ़कर मजा आया।
ReplyDeleteनीम उर्दू शब्द है जिसका अर्थ होता है आधा। अर्धविक्षिप्त को उर्दू में "नीम पागल" कहा जाता है। इसी प्रकार से हकीमी अर्थात् चिकित्सा के आधे ज्ञान वाले व्यक्ति को "नीम हकीम" कहा जाता है। "नीम हकीम खतरा-ए-जान" का अर्थ होता है अधूरे ज्ञान रखने वाले हकीम से इलाज करवाने में जान का खतरा होता है।
ReplyDeleteमेरे हिसाब से तो...... ( नीम ,हकीम , खतरा और जान )......को यानी सभी चारों को ऐसे लोगों से ज्यादा खतरा होता है, जो फालतू बकबास करते हैं.....यानि खतरे को भी खतरा..?..
ReplyDeleteनीम हकीम में नीम शब्द अपूर्णता की स्थिति के लिए प्रयुक्त हुआ है जैसे - नीम उजाला में ।
ReplyDeleteवैसे 'हर्रे बहर्रे औंरा के बीया' की तर्ज पर इसे यूँ भी माना जा सकता है कि ऐसा हकीम जो हर मर्ज का एक ही इलाज नीम बताता हो उससे जान को खतरा होता है।
शेफाली जी मास्टरनी हैं लेकिन हिन्दी की नहीं। इसलिए आप अपनी 'स्वयं प्रश्न स्वयं उत्तर पुस्तिका' की जाँच किसी हिन्दी वाले जैसे हिमांशु जी या आचार्य जी से करवाइए।
ऐसा गूढ़ और अति रहस्यपूर्ण विमर्श आप ही कर सकती हैं। ऐसी नवीन उद्भावनाओं से हिन्दी समृद्ध होती है। आप की लगन और निष्ठा अतुलनीय है।
इस परम गोपनीय देव दुर्लभ ज्ञान को साझा करने के लिए धन्यवाद और आभार।
अर्जुन भी कृष्ण से ज्ञान प्राप्त कर उतना उपकृत नहीं हुआ होगा जितना मैं महसूस कर रहा हूँ।
पुन: आभार।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ......मयंक की कलाकारी तो लाजवाब ....और गीत भी बहुत अच्छा
ReplyDeleteNeem ,hakeem ka hamen nahi pata..hame to bas aapka geet sunna hai.or mayank ki chitrkari badhiya hamesha ki tarah.
ReplyDeleteगीत सुंदर-मयंक की कलाकृति सुंदर, लेकिन नीम हकीम वाली परिभाषा.....? लगता है यह नया ज्ञान मिला,धन्यवाद.
ReplyDeleteवो हक़ीम जो नीम के पेड़ के नीचे सो रहा है, उसकी जान को ख़तरा है.......
ReplyDeleteबिलकुल सही बात जी।
क्योंकि यदि हकीम साहब रात में नीम के नीचे सोये तो कार्बनडाईओक्साइड उनको मार डालेगी। :)
चलिये पता लग गया कि नीम के पेड के निचे हकीम साहब सो रहे हैं. तो हम नीम के पेड के पास ही नही जायेंगे.:)
ReplyDeleteसुंदर चित्रकारी और मधुर गीत. रामनवमी की घणी रामराम.
रामराम.
ओह ! ऐसा क्या !
ReplyDeleteमैं तो आज तक यही सोचता रहा कि नीम के पेड़ के नीचे अगर ऐसा हक़ीम सो भी जाए, तो भी पेड़ की जान को ख़तरा पैदा हो जाता है...ख़ैर मैंने अब सही मतलब नोट कर लिया है :)
चित्रकारी की तो बात ही निराली है.
हकीम चंद जॊ नीम के नीचे सो रहा है, उसे खतरा है, क्योकि बिजली चमक रही है, ओर नीम का पेड पुरी तरह से भीग चुका है यानि अगर बिजली उस नीम के पेड पर गिरी तो उस हकीम चंद को कोन बचायेगा जो शारब पी कर बेसूद पडा है....आप के अर्थ मै दम है जी, लेकिन पहले हकीम चंद को बचाओ
ReplyDeleteबढ़िया है
ReplyDeleteलेकिन पता नहीं पी.सी.गोदियाल साहब सही हैं या आप ?
बहरहाल
परसों मैंने भी एक श्लोक का अर्थ एक विद्वान से जाना था
"तमसो मा ज्योतिर्गमय"
अर्थ : तुम सो जाओ मां मै ज्योति के साथ जा रहा हूँ
bas muskura bhar deta hoon aur Mayank ke liye khush ho leta hoon.. geet sun khilkhila leta hoon.. :) :D
ReplyDeleteकमाल का अर्थ निकाला है आपने तो!! मज़ा आ गया.....मैं तो " नीम" यानि "आधा" (उर्दू में) जानती थी!!! अब पूरा अर्थ जान गई. हाहाहा..
ReplyDeleteरामनवमी की शुभकामनायें!
ReplyDeletenavraatri ke samaapan ki bhi.
Ha,ha..
ReplyDeleteAdaji aapko Ramnavmiki anek shubhkamnayen!
वादियां मेरा दामन मेरा पसंदीदा गीत है, और आपने इसे बडी नज़ाकत और सुगढ़ता से गाया है. आपके बहु आयामी व्यक्तित्व में ये भी एक Feather in cap है. आपके सेंस ओफ़ ह्युमर का जवाब नहीं, बस देखना हैं किसे समझ में आता है.
ReplyDeleteनहीं आये किसी को तो नीम हकीम के साथ पेड के नीचे दस उठ्ठक बैठक लगा कर नीम के दातून कर गारगल करने से आजायेगा. नहीं यकीन तो वो खुदै कर के देख लें, काहे दुबला होवे है.
नीम हकीम...यानी
ReplyDeleteआधा अधूरा ज्ञान रखने वाले से..जान को ख़तरा हो सकता है...
जैसे ...ग़ज़ल के बारे में...
जाने दीजिये..
है एक दो..जो बुरा मान जायेंगे
और हां, ये गाना ठीक से स्ट्रीम नहीं हो रहा है, इसलिये पूरा नहीं सुन पाया दो घंटे से.(८०%)
ReplyDeleteराम नवमी पर
ReplyDeleteहम देश की खुशहाली के लिए दुआ करते हैं
और ये आपकी मीठी, मधुर आवाज़ में गाया गीत वाह आनंद आ गया अदा जी
स्नेह,
- लावण्या
अब आप कह रही है तो यही ठीक होगा. लफड़ा करने का कौनो फायदा नहीं है..आप ही सही.
ReplyDeleteआजतक भी काम चल ही जा रहा था.
चित्रकारी पुनः अच्छी लगी.
गाना अभी सुना नहीं. :)
मेरे खयाल से नीम पढ़ाई से हकीम बने हुए का ज्ञान आपकी जान के लिए खतरा बन सकता है ....कर रहे हैं आपको सावधान ...हमसे बच कर रहना ...:)):
ReplyDeleteनीम बेहोशी , नीम मदहोशी , नीम ख़ामोशी , नम दूरियां , नम तन्हाई ...
ये गीत कई बार सुन चुकी हूँ ...कभी कभी इसको गुनगना पाती हूँ ....मतलब गाती तो बहुत सारे हूँ ... मगर सुर बस इसपर ही साथ देता है...:):)
अवधिया जी ने नीम का सही मतलब समझाया, वरना मैं भी इस मुहावरे में नीम को नीम का पेड़ ही समझता था...
ReplyDeleteडॉ दराल ने भी सही बताया कि रात को पे़ड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए...पेड़ दिन में कार्बन डाई आक्साइड का इस्तेमाल फोटोसिंथेसिस के ज़रिए अपना खाना बनाने में करता है, इसके लिए उसे प्रकाश की आवश्यकता होती है..रात को प्रकाश न होने की वजह से पेड़ खाना नहीं बना पाता और सारी की सारी कार्बन डाई आक्साईड बाहर निकालता रहता है जो कि हमारे लिए खतरनाक होती है...
अदा जी, बरसो पहले पढी बॉटनी याद दिलाने के लिए शुक्रिया..
जय हिंद...
एक आदमी ने नीम के बारे में जाना कि यह बड़ी काम की चीज है और नीम को लेकर दवाई करने लगा बस वो नीम-हकीम बन गया। इसलिए कहते हैं कि ऐसा हकीम जान को खतरा है जो केवल एक पक्ष ही जानता हो। मयंक की चित्रकारी तो आज कह रही है कि या तो रूपयों का बण्डल ले लो या फिर नही मानोंगे तो जूते दूंगा। हा हा हा हा।
ReplyDeleteawadhiya sahab ka kathan shi laagu hota hai...
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ReplyDeleteमैंनें पोस्ट पढ़ी तो नहीं,
अवश्य कुछ अच्छा ही लिखा होगा ।
टिप्पणी केवल सतत लेखन का प्रोत्साहन प्रतीक मात्र है, सो..
" वाह, क्या बात है ? / अदा जी, आपका ज़वाब नहीं !" में से कोई एक चुन लें ।
चाहें तो दोनों ही टिप्पणियाँ ही मॉडरे्शन की भेंट चढ़ा दें, इनको रख भी लें तो कोई बात नहीं,
यह कम से कम परस्पर सँबन्धों को प्रगाढ़ करने के उपयोग में तो लायी ही जा सकती हैं :)
वैसे अर्थ का भी बुरा नहीं, सोने वाले के पास मरीज जाएगा तो मर ही जाएगा। और दूसरा डॉ.श्रीमति अजीत गुप्ता जी भी सही कह रही है।
ReplyDeleteहा हा हा हा !!! आपका जवाब नहीं. अच्छा हुआ आपने हमारी आँखें खोल दीं और सही अर्थ बता दिया. नहीं तो हम अज्ञान के अँधेरे में डूबे रहते.
ReplyDeleteगाना बहुत अच्छा लगा और मयंक की चित्रकारी भी.
अप कह रही हैं तो ठीक ही होगा, वैसे कुछ कुछ तो हमे गौदियाल जी का कथन भी सही लग रहा है :-)
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