कई दिन बाद वो घर आया है
पर चेहरे से लगता वो पराया है
दामन से उसके लिपटे, सो गए
आधी रात उसने जगाया है
यकीं नहीं उसे मेरी मोहब्बत का
सबने उसे बहुत सताया है
न चिनार के बुत
न शाम के साए
एक सहज सा रस्ता
न पिआउ न टेक
बस तन्हाई से लिपटे
मेरे कदम
चलते ही जाते हैं
मिले थे चंद निशाँ
कुछ क़दमों के
पहचान हुई थी
चल कर कुछ कदम
अपनी राह चले गए
फिर मैं और
तन्हाई से लिपटे मेरे कदम
चल रही हूँ न...
मैं...
अकेली.. !!
अब गीत ...ओ हंसिनी मेरी हंसिनी...
आवाज़ ..संतोष शैल
मयंक की चित्रकारी...
तस्वीर पर क्लिक करके बड़ा किया जा सकता है ....
मकाम ऐसे भी पेश आये मेरे क़दमों पर..
ReplyDeleteसफ़र तमाम हुआ राहते-मंजिल न मिली..
यकीन नहीं उसे मेरी मुहब्बत का
ReplyDeleteसबने उसे बहुत सताया है ...
इन पंक्तियों को बार बा पढने की इच्छा हो रही है ....!!
गीत तो आप अच्छे ही चुनती हैं ....
मयंक की कलाकारी के कहने ही क्या ....
मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
ReplyDeletetareef ke liye
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
ReplyDeletenice
ReplyDeleteअकेले अकेले कहां जा रहे हो,
ReplyDeleteहमें साथ ले लो, जहां जा रहे हो...
जवाब मिला... जहन्नुम में, चलना है क्या...
जय हिंद...
रचना बहुत अच्छी लगी दी....मयंक बाबू तो कमल करते ही है, लेकिन आज संतोष साहब के गीत ने गजब ढा दिया .....उन्हें बहुत ख़ास धन्यवाद मेरा !
ReplyDeleteयह गीत मुझे बहुत पसंद है और उन्होंने बहुत ही खूबसूरती से निभाया इसे !!
त्रिवेणी पसंद आई..याने आपकी रचना, संतोष जी का गीत और मयंक की चित्रकारी.
ReplyDelete"काजी जी दुबले क्यों, शहर के अंदेशे से", अरे भई, दुनिया जिसे सता रही है वो लड़ लेगा न दुनिया से अपने आप। खाल आपकी भी बहुत पतली है शायद। खाओ-पियो,मूवी शूवी देखो(कॉमेडी)|
ReplyDeleteआज की रैंकिंग में शैल जी सबसे ऊपर, मयंक उनके बाद और आप फ़र्स्ट(पीछे से)। मुबारक हो।
आपका ब्लॉग खोलते ही एक मुस्कान तैर गयी होंटों पर.. और आप जानती है क्यों.. :)
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा..
लिखावट में चिनार के बुत और तन्हाई से लिपटे कदम प्रभावित करते है.. हंसिनी मेरा फेवरेट गाना है. यदि संभव हो तो इसका कराओके मेल कर दीजिये..प्लीज
अकेली ... । कविता यहीं से शुरू होती है । मयंक के चित्रों के लिये अलग से ब्लॉग बनाइये ना ।
ReplyDeleteऔर हाँ नवरात्र के दूसरे दिन http://kavikokas.blogspot.com पर देखिये विस्वावा शिम्बोर्स्का की कविता
कुछ उलझी उलझी सी गज़ल कहने का प्रयास है...कविता अच्छी लगी...चलते जाना ही जिंदगी है...
ReplyDeleteचित्र और गीत सुन्दर हैं...
आज की पोस्ट तो सुन्दर पत्रिका हो गयी दीदी
ReplyDeleteचित्र, गीत और संगीत
बहुत सुन्दर !!!
गुलमोहर का फूल A
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteमयंक जी की चित्रकारीको तो जवाब नही!
तीनो प्रस्तुति बहुत बढ़िया
ReplyDeleteada ji,
ReplyDeletebahut dino baad aaj blog par aaya,
lekin aaj ki aapki kavita padh kar mazaa nahi aaya,
kahan hai aap ??
aap aisa nahi likhti hai,
zaroor koi baat hai!!
bas ek hi sher mujhe pasand aaya hai
यकीन नहीं उसे मेरी मुहब्बत का
सबने उसे बहुत सताया है
aur ye chinaar ke but waali kavita bhi bahut simple hai, aap se to kuch aur hi ummeed hoti hai,
aage intezaar hai ek acchi si kavita ka, niraash mat kijiyega,
santosh ji ne bahut accha gaya hai,
aur mayank ki to baat hi kya !!
ada ji,
ReplyDeletebahut dino baad aaj blog par aaya,
lekin aaj ki aapki kavita padh kar mazaa nahi aaya,
kahan hai aap ??
aap aisa nahi likhti hai,
zaroor koi baat hai!!
bas ek hi sher mujhe pasand aaya hai
यकीन नहीं उसे मेरी मुहब्बत का
सबने उसे बहुत सताया है
aur ye chinaar ke but waali kavita bhi bahut simple hai, aap se to kuch aur hi ummeed hoti hai,
aage intezaar hai ek acchi si kavita ka, niraash mat kijiyega,
santosh ji ne bahut accha gaya hai,
aur mayank ki to baat hi kya !!
@जी हाँ कुश जी,
ReplyDeleteआपने मुझे मेल में भी कहा था कि मेरे ब्लॉग का लुक बदलना चाहिए,
लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत मुझे राज भाटिया जी ने बताया कि वो खोल ही नहीं पा रहे हैं मेरा ब्लॉग, उनका कंप्यूटर ही hang कर जाता है , बार-बार मेरे ब्लाग पर आते ही. बाद ललित जी ने भी कुछ इअसी ही बात कही...
@राज जी आशा है अब सब ठीक होगा...
तब सोच कि नहीं बदलना गुनाह हो जाएगा...
इसलिए बदल दिया..
ख़ुशी हुई कि आप लोगों को पसंद आया...
अगर अब भी कोई दिक्कत है मेरे ब्लॉग में तो कृपा करके मुझे बता दीजियेगा...
धन्यवाद..
bahut hi sundar gaaya hai ye geet aapne Ada ji
ReplyDeletethanx
sorry ada ji ye comment aapke 'jab se tere naina geet' ke liye tha galti se yahan chhap gaya hai
ReplyDeleteaap amajh jaaiyega
ab mujhe bhagna hai baki kal sununga.
kahe tanhayi chhayi..
ReplyDeletekahe gori bharmayi..
jb kadam chal hi diye
apni raah...
to
fir gori...
kyu
tanhayi ko lapet aayi???
ye baat samajh na aayi...
kuch to daal me kaala hai bhai???
gana bahut achha laga.
यकीं नहीं उसे मेरी मोहब्बत का
ReplyDeleteसबने उसे बहुत सताया है..
vaah.
सुन्दर रचना .....गीत भी बढ़िया ...और मंयक जी कलाकारी तो लाजवाब .
ReplyDeleteपरिमल जी,
ReplyDeleteधन्यवाद मेरा हौसला बढ़ाया :)
बढ़िया नज़्म,गीत और चित्र....
ReplyDeletekavita ke sath gana sunkar aanand aa gaya
ReplyDeleteचित्र की तारीफ करूं, या चित्रकारी की या फिर,,चित्रों के साथ गुंथी चित्रमय कविता की?...
ReplyDeleteलड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से...
http://laddoospeaks.blogspot.com
पैरों में बंधन है, पायल ने मचाया शोर,
ReplyDeleteसब दरवाज़े कर लो बंद,
देखो-देखो आए चोर...
जय हिंद...