वो फासले फ़र्जी बनाते रहे
हम नाहक उनको मनाते रहे
वो सवालों में हमको उलझाते रहे
हम सवालों के पर्चे सुलझाते रहे
वो वफाओं की तुरही बजाते रहे
हम कानों को हाथ लगाते रहे
वो कमियां हमारी गिनाते रहे
हम गिनने में गड़बड़ाते रहे
वो खताएं हमारी बताते रहे
हम हैं कि 'अदा से मुस्काते रहे
वो खताएं हमारी बताते रहे
ReplyDeleteहम हैं कि 'अदा से मुस्काते रहे
खूबसूरत ज़ज्बा. फ़र्जी फासले आखिर कब तक --
बेहतरीन
अंतिम दो पंक्तियाँ तो जानदार हैं -
ReplyDelete"वो खताएं हमारी बताते रहे
हम हैं कि 'अदा से मुस्काते रहे"
वो खताएं हमारी बताते रहे
ReplyDeleteहम हैं कि 'अदा से मुस्काते रहे
acchi lagi ye panktiyan..
sundar..
वो खताएं हमारी बताते रहे
ReplyDeleteहम हैं कि 'अदा से मुस्काते रहे
बहुत खूब ...ऐसे ही अदा से मुस्कुराते रहें ...!!
वो फासले फ़र्जी बनाते रहे
ReplyDeleteहम नाहक उनको मनाते रहे
वो सवालों में हमको उलझाते रहे
हम सवालों के पर्चे सुलझाते रहे
वो वफाओं की तुरही बजाते रहे
हम कानों को हाथ लगाते रहे
वो कमियां हमारी गिनाते रहे
हम गिनने में गड़बड़ाते रहे
वो खताएं हमारी बताते रहे
हम हैं कि 'अदा से मुस्काते रहे
ada ji,
aap aise hi muskaate rahen aur farji faaslon se door rahen.
kavita padhne mein bahut acchi lagi.
वो फासले फ़र्जी बनाते रहे
ReplyDeleteहम नाहक उनको मनाते रहे
वो सवालों में हमको उलझाते रहे
हम सवालों के पर्चे सुलझाते रहे
वो वफाओं की तुरही बजाते रहे
हम कानों को हाथ लगाते रहे
वो कमियां हमारी गिनाते रहे
हम गिनने में गड़बड़ाते रहे
वो खताएं हमारी बताते रहे
हम हैं कि 'अदा से मुस्काते रहे
ada ji,
aap aise hi muskaate rahen aur farji faaslon se door rahen.
kavita padhne mein bahut acchi lagi.
wo manzil ko nazdik karte meri,
ReplyDeletehum raste naye hi banate rahe.
:)
itna accha likhoge to kuch na kuch likhne ka man to hoga hi na?
हमारे सबसे निकटतम है जीवन
ReplyDeleteलेकिन फिर भी कितना दूर है जीवन
सारे फासले ... फर्जी
कितने सवालों में हमें उलझाता है जीवन
पर कब उसके पर्चों को सुलझा पाते हैं
'गर कोई सबसे अधिक वफा निभाता है तो वह है जीवन
पर हमने कब उसके शब्दों को सुना है !!! शायद कर्कश लगते हैं
अनेकों बार हमारी गल्तियाँ माफ कर हमें जगाता है जीवन
पर हम हर बार वही गल्तियाँ बार-बार दोहराते रहते हैं और गणित को बिगाड़ते हैं
वह (जीवन) हमारी हर खता को दर्पण की भांति दिखा देता है
पर हम हर खता पर अदा से मुस्काते हैं
जीवन एक सुंदर पहेली है
जिसे अदा सुंदरता से उलझाने की कोशिश कर रहीं हैं ।
जिसे अदा सुंदरता से उलझाने की कोशिश कर रहीं हैं ।
ReplyDeleteकृपया इसे "जिसे अदा सुंदरता से सुलझाने की कोशिश कर रही हैं" पढ़ें ।
वाह क्या बात है
ReplyDeleteरचना खूबसूरत और उपरवाली तस्वीर भी.
वो सवालों में हमको उलझाते रहे
ReplyDeleteहम सवालों के पर्चे सुलझाते रहे..kon dhunde jwaab logo ke..log to bas swaal karte hai..वो खताएं हमारी बताते रहे
हम हैं कि 'अदा से मुस्काते रहे..masoom laga ye andaaz...
आपकी यही अदा तो हमे भाती है बहुत बदिया लगे ये फर्ज़ी फासले बधाई
ReplyDeleteवो कमिया हमारी गिनाते रहे और हम गिनते रहे . वाह वाह !!
ReplyDeletefantastic
ReplyDeleteyeh aapki mahaanta hai i aap muskurate rahe......... itna sab hone ke baad bhi........
ReplyDeleteआप बस 'अदा ' से मुस्कुराते रहिये,फासले अपने आप मिट जायेंगे ... सुन्दर रचना
ReplyDeleteWAAH KYA BAAT HAI ......HAM ADA SE MUSKURATE RAHE ......BAHUT HI KHUB.
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteअदा जी....
अदा के साथ ही सुन्दर प्रस्तुति.....
वो वफाओं की तुरही बजाते रहे
ReplyDeleteहम कानों को हाथ लगाते रहे
अरे वाह क्या बात कही आप ने...
जबाब नही जी. धन्यवाद इस सुंदर गजल का
वो सवालों में हमको उलझाते रहे
ReplyDeleteहम सवालों के पर्चे सुलझाते रहे
ada ji,
aap mat ulajhiye in sawaalon mein
accha kiya jo aap muskurati rahin.
bahut khoob.
वफाओं की तुरही का जवाब नही और मोना बहंजी का भी ।
ReplyDeleteहै जुबां को काटने का शौक़, मेरी काटिये
ReplyDeleteबख्श भी दीजै रकीबों को, के कुछ मैं भी सुनूं..
ham to yahi dua karenge ki aap yunhi adaa se muskuraate rahiye...
ReplyDeletekisi aur shayar ka likha hai..
kitne bhi tu karle sitam, has has ke sahenge ham..
bahut khoob...
poora pankha ban chuke hain ham to..