इनदिनों लेखों को पढ़ कर खासा अनुमान लग रहा है कि धार्मिकों कि संख्या में काफी बढोतरी हुई है...
कुछ लोगों ने तो अपना जीवन ही ब्लॉग को इस लिए समर्पित किया है कि वो धर्म का प्रचार-प्रसार करें...और जुटे हुए हैं जी-जान से इस काम में.....कहीं एक टिपण्णी भी पढ़ी.....शायद.......हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्यता जिंदाबाद..!!!
हर जगह आरोप-प्रत्यारोप देख कर मन हुआ कि कुछ ऐसा कहें जिसमे कुछ मिलने-मिलाने की बात हो....जहाँ ये लगे कि हम जुड़े हुए हैं ....
धर्म और संस्कृति दो अलग-अलग विधाएं हैं ....धर्म आप पर आपके जन्म के साथ ही थोप दिया जाता है....मेरा जन्म हिन्दू परिवार में हुआ इसलिए मैं हिन्दू हूँ.....मेरा अपना कोई चुनाव नहीं है....लेकिन संस्कृति !!..जहाँ लोग रहते हैं वहीँ की अपनाते हैं....
आज मैं यह बताना चाहती हूँ की हम महिलाएं इस धर्मवाद से कितनी अलग हैं ...
महिला हिन्दू हो या मुसलमान पुरुषों की अपेक्षा हर अच्छी चीज़ जल्दी अपना लेती है...
भारत में मैं बहुत सारी मुस्लिम शादियों में शामिल हुई हूँ ...और यकीन मानिए ज्यादातर रस्म हिन्दुओं के जैसे ही थे.....जैसे :
हल्दी या उपटन लगाने कि रस्म, बिलकुल वैसा ही था जैसा हिन्दुओं में होता है यहाँ तक कि गाने, परिछना सब कुछ एकदम हमारे जैसा....कोई फर्क नहीं....
जबकि साउदी अरब में हल्दी नाम की कोई रस्म नहीं होती .....
मेहँदी की रस्म भी बिलकुल वैसी ही थी जैसी हमारी थी ....
मेरी मुस्लिम सहेली की शादी में बारात आई थी और मेरी शादी में भी ...
अब बात करते हैं शादी के जोड़े की....मेरी मुस्लिम सहेली ने शादी में पीला जोड़ा पहना था ठीक वैसा ही जैसा मैंने पहना था.....विदाई के वक्त मैंने लाल जोड़ा पहना था....उसने भी....कहाँ था फर्क ?
मेरी शादी में शहनाई, और ढोल बजा था ...उसकी भी ...
जबकि साउदी अरब में दुल्हन सफ़ेद गाउन पहनती हैं ...ठीक वैसे ही जैसे अमेरिका कनाडा में इसाई पहनते हैं वेडिंग गाउन ...
मेरी सहेली ने भी मंगल सूत्र पहना था.....काले मोती और सोने की चेन....मैंने भी वही पहना था....फर्क कहाँ था...???
जबकि साउदी अरब में मंगल सूत्र नहीं पहनते....
मैंने माँगटीका पहना था, उसने भी पहना था...
साउदी अरब में तो कोई नहीं पहनता माँग टीका .....
मैंने सिन्दूर लगाया था और उसने अफसां...
जबकि साउदी अरब में न तो सिन्दूर लगाते हैं न ही अफसां....
यहाँ तक की उसकी शादी में गाने भी लाउड स्पीकर पर वही बजे जो मेरी शादी में बजे थे ...
जबकि साउदी में तो लाउड स्पीकर बजाना या गाना जेल भिजवा सकता है या कोडे लगवा सकता है...
और बारात !! अजी भूल जाइए बारात-सरात....साउदी में ये नही होता...
गौर से देखें तो ये सारे रस्म-रिवाज़ संस्कृति महिलाएं ही तो अपनाती हैं.....बिना किसी धर्म का लेबल लगाये...
क्या फरक पड़ता है साउदी अरब में क्या होता है ...रहना तो हमें साथ में है ...और देखना ये है कि प्यार-प्रीत से साथ में कैसे रहे...
क्या ये नहीं हो सकता की कुछ आप हमें अपनाए कुछ हम आपको अपनाएँ ....और यह जीवन गुजर जाए...
क्यूंकि आप सबसे अच्छे हो नही सकते और हम इतने बुरे हो नही सकते....
आपने वाकई ऐसी बात बताई है जो किसी सार के साथ ख़त्म होती है
ReplyDeleteकभी इस एंगल से सोचा ही नहीं था। ये सच है कि आप जिस परिवेश में रहे उसके मुताबिक़ ढ़ल जाएं।
ReplyDeleteमेरी मुस्लिम सहेली ने शादी में पीला जोड़ा पहना था ठीक वैसा ही जैसा मैंने पहना था.....विदाई के वक्त मैंने लाल जोड़ा पहना था....उसने भी....कहाँ था फर्क ?
ReplyDelete=====
एक और समानता का जिक्र करने की हिमाकत कर रहा हूँ : -
मेरी मुस्लिम सहेली की रगो मे भी लाल खून दौड रहा था और मेरी रगो मे भी ---
===
आपकी सोच को सलाम
विवाह संस्कार और रस्मे तो मिलती जुलती है . वैसे व्यक्ति जिस वातावरण में रहता है उसे उसी में ढल जाना पड़ता है .... बढ़िया आलेख के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteशादी ब्याह के अवसर पर किये जाने वाले रस्मो-रिवाज़ खुशियाँ मनाये जाने के लिये होते है और न ही खुशी का कोई धर्म होता है नही दुख का । हाँ चालाकी और वैमनस्यता का अपना धर्म होता है जिसे लोग निबाहते है ।
ReplyDeletehi aDaDi....
ReplyDeleteMahila hona bhi to ek dharm hai...
..iske apne riti riwaz hain (bahut kathor )
...afsoos hai (shayad main purhsu hoon is liye vivaad khada ho jaiye par phir bhi kahoonga) ki is dharm ka bahut kshohan hua hai aadi kaal se hi....
...saman roop se!!
Hindu ho ya muslim.
Saudi arab main bhi...
...aur India main bhi.
Ab shayad ye dharm jaage !!
waise ek bidai link main bhi hai...
...india ki bidai...
par sab bidaiyaon sab shadiyoon se alag.
:(
बहुत अच्छा लिखा है ...
ReplyDeleteक्या ये नहीं होसकता की कुछ आप हमें अपनाए कुछ हम आपको अपनाएँ ....और यह जीवन गुजर जाए...
यही तो हम भी कहते हैं की हम तो अल्लाह का आदर करते हैं ... उनसे request करते हैं की भाई आप राम, कृष्ण दुर्गा की मूर्तियाँ मत तोड़ो, देवी देवताओं की नंगी painting बनाना बंद करो ... पर कहाँ सुनते हैं वो |
आज तक किसी हिन्दू द्बारा अल्लाह का सार्वजनिक अपमान मैंने नहीं देखा है पर वही बात उधर लागू नहीं होती है .....
खैर जो भी हो ... आपका प्रयास सराहनीय है |
दीदी
ReplyDeleteचरण स्पर्श
वाह वाह क्या बात है। आपने ने तो इस लेख के माध्यम से सारे विवाद ही सुलझा दिए ।
कितनी समानतायें हैं फीर भी न जाने कैसी दूरी है, मनुष्य जाती के ही है सब,
फीर भी न जानें कैसी मारामारी है।
बबहुत सुंदर लिखा आप ने , हमरे यहां ही हम सब मिल कर रहते है, कुछ खास लोगो को छोड कर, ओर हमारे संग पाकिस्तानी मुस्लिम, भारतीया मुस्लिम भी सब मिल कर रहते है, फ़िर झगडा कहां? झगडा सिर्फ़ नेता करवाते है, ओर इन की चाले समझनी चाहिये, क्सि का रब बडा किस का छोटा किसे पता है, किस ने देखा... ओर जिस ने देखा उस के लिये सब बडे ही बडे है.
ReplyDelete@Rakesh Singh - राकेश सिंह जी.
आप का कहना... राम, कृष्ण दुर्गा की मूर्तियाँ मत तोड़ो, देवी देवताओं की नंगी painting बनाना बंद करो ... पर कहाँ सुनते हैं वो |
अरे मत सुनने, ओर हमे सुनाना भी नही, क्यो कि हमारा रब इतना कमजोर भी नही कि ऎसी बातो से उस की बेज्जती हो जाये, वो छोटा हो जाये, हमारा क्या किसी का रब इअतना कमजोर नही कि किसी की उल जलुल हरकत पर उस की बेज्जती हो, वो छोटा हो, वो रुठ जाये... अजी नही... जो करता है करने दो ...जिस के दिमाग मै जो भरा है वो ही बाहर निकले गा.फ़िर हमे क्यो फ़िक्र.
दो संस्कृतियों...दो दुल्हनों ...दो धर्मों की अच्छी तुलना की है आपने...आदमी -आदमी में कोई फर्क नहीं है, फिर भी न जाने हम क्यों स्वयं को टूकड़ों में बाँट लेते हैं...मजहब के नाम से...देशों के नाम से...संस्कृतियों के नाम से ...रास्तों में ही भटक जाते हैं और मंजिल भूल जाते हैं ।
ReplyDeleteकाश सिर्फ इतना ही हो सके : कुछ आप हमें अपनाए कुछ हम आपको अपनाएँ ....और यह जीवन गुजर जाए...
क्यूंकि आप सबसे अच्छे हो नही सकते और हम इतने बुरे हो नही सकते....
बहुत सुन्दर दीदी । संस्कार चाहे जो भी हो दिल मलने चाहिये । आभार
ReplyDeleteअदा जी नमस्कार , सुन्दर लगी आपकी ये प्रस्तुति
ReplyDeleteहिन्दू एक धर्म है ही नहीं वह जीवन शैली है जिसे सभी भारतीय लोगों ने अपनाया है जिस में मुसलमान और ईसाई भी सम्मिलित हैं। झगड़ा तो वे लोग कराते हैं जो इस जीवन शैली को धर्म के आधार पर बदलने की कोशिश में लगे हैं। उस में भी कहीं न कहीं राजनीति है।
ReplyDeleteInsaan pe jab shaitaan sawaar hota hai,tabhee aapasee rishon me khalal aata hai..
ReplyDeleteaajkal to ek or in baton ko dakiya noosee kaha jata hai,to doosaree or TV ke dharavahik me andh wishwaas aur karam kaand kaa bolbala hota hai...
hairanee kee baat yah hotee hai,ki, dakianoosee logon ke pariwar kee ladkiyan gazab behooda wastr pahntee hain...! Bada bemel lagta hai!
Aapka gady lekhan pady lekhan kee tarah hee moh leta hai...balki utnaahee kavymay hota hai..
जबरदस्ती किस लिए आप ये सब एक साथ जोड़ रही हैं अदा जी....?
ReplyDelete@एम वर्मा..
लाल खून सहेली में तो क्या...पाले हुए..( या ना पाले हुए ...आवारा कुत्ते में भी होता है..)
सओदी अरब में भी लाल ही होना चाहिए.....( मेरे हिसाब से ..)
@ राकेश जी..
क्या रिक्वेस्ट करते हैं आप..?
किन से..( किस से करते हैं....?....)
कितनो को पता है नंगेपन का मतलब...?????
किसे पता के देवी-देवता का नंगा होना क्या होता है..?
@मनोज..
आदमी -आदमी में कोई फर्क नहीं है, फिर भी न जाने हम क्यों स्वयं को टूकड़ों में बाँट लेते हैं...
आर यु श्योर....?????
आदमी आदमी में कोई फर्क नहीं....?????
@ राज जी,
हमारा भी पडोसी हमें टेंशन देता है..
पर शुक्र है के वो हिन्दू है....किसी और धर्म का नहीं है...
इसलिए हमें कोई ख़ास दिक्कत नहीं है..
इसीलिए हम अपने ब्लॉग पर सिर्फ गजल ही डालते हैं...
वो कोई और धर्म का होता तो शायद....!!!!!!!!!!!!!!!!!!!१११
एक ठीक ठाक पोस्ट को जबरदस्ती से ,,,,, बनाने की कोशिश मत कीजिये आप लोग....
फिर आते हैं ,,,,
bahut achchhi tasvire jo apni sanskriti ko darshati hai saath hi aapki kahi baate bahut aham lagi .dharm chahe jo ho par sanskaar ek hote hai .sabhi granthon me baate insaaniyat se hi judi hoti hai .ek sandesh is pankti ke madhyam se ---hindu baate muslim baate ,bat diye bhagwaan ko mat baton insaan ko ab mat baton insaan ko .ye gujarish hai sabse .is tarah aapas me todne ki baaton se taklife hoti hai .har dharm ki khoobiyon ko apnaao .
ReplyDeletebahut achchhi tasvire jo apni sanskriti ko darshati hai saath hi aapki kahi baate bahut aham lagi .dharm chahe jo ho par sanskaar ek hote hai .sabhi granthon me baate insaaniyat se hi judi hoti hai .ek sandesh is pankti ke madhyam se ---hindu baate muslim baate ,bat diye bhagwaan ko mat baton insaan ko ab mat baton insaan ko .ye gujarish hai sabse .is tarah aapas me todne ki baaton se taklife hoti hai .har dharm ki khoobiyon ko apnaao .
ReplyDelete"शादी तो दो दिलों व परिवारों का मेल है .
ReplyDeleteहिन्दू,मुस्लिम को लड़ना ,इक सियासी खेल है.."
बहुत अच्छी पोस्ट...बधाई
दिनेश जी ने मेरे मन की बात कह दी है ।
ReplyDelete"इनदिनों लेखों को पढ़ कर खासा अनुमान लग रहा है कि धार्मिकों कि संख्या में काफी बढोतरी हुई है..."
ना, ना ! धार्मिक नहीं बढ़े । धर्म के मुखौटॆ बिकने लगे हैं । आसान हैं न उनको लगा लेना । आभार प्रविष्टि के लिये ।
सच कहती हो अदा ...स्त्रियाँ सब जगह एक सी ही होती हैं...माँ बहन बेटी पत्नी के रूप में सभी धर्म की महिलाओं की भावनाएं एक सी होती है ...फिर धर्म के नाम पर इतना दोहराव क्यों ...
ReplyDeleteकरवा चतुर्थी पर दुल्हनों को एक सांचे में ढालती सार्थक प्रविष्टि ...!!
बहुत अच्छा आलेख. शायद लोग इससे कुछ ज्ञान ले सकें.
ReplyDeleteहार्दिक आभार.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
is tarah se to kabhi socha nahi tha?
ReplyDeleteआपने बहुत सुंदर जानकारी दी है। बिनामतलब इसे हिंदू मुस्लिम का रंग दिया जा रहा है।
ReplyDeleteकरवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?
आदरणीय अदा जी
ReplyDeleteहिन्दू मुस्लिम वैमनष्यता जिन्दा बाद.... ये टिप्पणी मेरी ही है. लेकिन माफ कीजिये आप इसका भावार्थ नहीं समझ पायीं, ये टिप्पणी उन मूर्खों पर व्यंग है जो इन फालतू बातों में उलझे रहते हैं.. मुसीबत यही है की यहाँ कोई हिन्दू है कोई मुस्लमान लेकिन इंसान ढूँढना मुश्किल हो रहा है. मूर्खो के लिए ऐसे ही व्यंगात्मक बाणों का सहारा लिया जाता है. मैं खुद सोचता हूँ की जब तक हिन्दू मुसलमानों में रक्त सम्बन्ध वर्जित है. तब तक एकता भी संभव नहीं है. एकता सम्बन्धी नारे केवल ढकोसला है. खेर बहुत सुंदर लेख के लिए आभार......
बहुत ही सुन्दर पोस्ट.......शरद कोकास जी ने एकदम से मेरे मन की बात कह डाली कि सुख-दुख,खुशी-गम का कोई धर्म नहीं होता....इन्सान यदि समझे तो प्रेम से बढकर कोई धर्म नहीं !!!
ReplyDeleteअभिभूत हो गयी.....मन मोह लिया आपके इस आलेख ने और आपके सम्मुख यह नतमस्तक हो गया...शब्दसह सहमत हूँ आपसे....ईश्वर से विनय है कि सबके मन में यह विचार बसायें....
ReplyDeleteअफसां. means
ReplyDelete'Afshaan' is silver colour powder that Muslim newly wed bride put in their Hair Parting (maangh), where as Hindu bride wears Red Powder (sindoor).
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