सन्नाटों का शहर है ये है खौफ़ का बज़ार
जिंदा यहाँ गुलाम हैं औ बुतों की सरकार
मसला बस इतना तुम्हें है हूरों की दरकार
गर मार कर मरोगे तो हो जाए बेडा पार
राम औ रहीम हो गए इस जहाँ से फरार
लड़ते रहेंगे हम तो बस ख़ुदा है कुसूरवार
गीता, कुरान, बाइबल तो पढाये पाठ प्यार
बहरों की बड़ी भीड़ है और चीखना बेकार
ek maarmik rachanaa ........aaj ke sandabh me to yahi lagata hai ki ram our rahim dono hi farar hai ..........bilkul sahi likha hai aapane ......
ReplyDeleteगीता, कुरान, बाइबल तो पढाये पाठ प्यार
ReplyDeleteबहरों की बड़ी भीड़ है और चीखना बेकार
Sundar !
गीता, कुरान, बाइबल तो पढाये पाठ प्यार
ReplyDeleteबहरों की बड़ी भीड़ है और चीखना बेकार
wah aDaDi....
Matlab jo samjhe mere sandesh ka...
Is desh main hai kya koi mere desh ka?
bahut hee sashakt bhav aur abhivyakti .
ReplyDeleteUmeed mat chodiyega Election ke samay swarth portee ke liye inhe paida karana labhdayee hota hai Ram ho Raheem Ya Gandhee sabhee ab netao kee mutthee me hai .
गीता, कुरान, बाइबल तो पढाये पाठ प्यार
ReplyDeleteबहरों की बड़ी भीड़ है और चीखना बेकार
बिलकुल सही कहा आप ने इस कविता मै.
धन्यवाद
राम और रहीम हो गए है फरार
ReplyDeleteफिर हम में लड़ते क्यों है बारम्बार
वाह वाह बधाई
आपके पास जो अपनी डायरी है वो आप किसी को देना चाहें तो मेरा नाम भी याद रखियेगा....
ReplyDeleteगीता, कुरान, बाइबल तो पढाये पाठ प्यार
ReplyDeleteबहरों की बड़ी भीड़ है और चीखना बेकार
बहूत खूब
राम औ रहीम तो हो गए इस जहाँ से फरार
लड़ते रहेंगे हम तो बस ख़ुदा है कुसूरवार
कब तक हम यूँ लड़ते-लड़ाते रहेंगे और उसे कुसूरवार ठहराते रहेंगे ???
लाजवाब। शब्द नहीं है।
ReplyDeleteसन्नाटों का शहर है ये है खौफ़ का बज़ार
ReplyDeleteजिंदा यहाँ गुलाम हैं औ बुतों की सरकार
मसला तो बस इतना तुम्हें हूरों कि है दरकार
गर मार कर मरोगे तो हो जाए बेडा पार
राम औ रहीम हो गए इस जहाँ से फरार
लड़ते रहेंगे हम तो बस ख़ुदा है कुसूरवार
गीता, कुरान, बाइबल तो पढाये पाठ प्यार
बहरों की बड़ी भीड़ है और चीखना बेकार
poori ghazal hi lajwaab hai ada ji aapki..
bahut saarthak rachna hai aapki..hamesha ki tarah...
बहरों की भीड वाली बात बडी हृदयस्पर्शी है.
ReplyDeleteएक दिशा बोधी रचना के लिए बधाई .
ReplyDelete- विजय
एक दिशा बोधी रचना के लिए बधाई .
ReplyDelete- विजय
kya mar gaye sab insaan...bach gaye sirf hindu ya musal maan?
ReplyDeleteबहुत हिम्मत के साथ आपने सच बयान किया है ।
ReplyDeleteगीता, कुरान, बाइबल तो पढाये पाठ प्यार
ReplyDeleteबहरों की बड़ी भीड़ है और चीखना बेकार
राम औ रहीम हो गए इस जहाँ से फरार
लड़ते रहेंगे हम तो बस ख़ुदा है कुसूरवार
हाँ चीखना फिलहाल तो बेकार है ...फिर भी चीखते रहिये ...कभी कानों का मैल ख़त्म हुआ तो बात तो पहुँच ही जायेगी और भेजे में उतर जायेगी ...
100 followers ki badhai what a co incident !!!!!!!!!...
ReplyDelete...aap samajh gaye hoge (waise link bhi hai)
गीता, कुरान, बाइबल तो पढाये पाठ प्यार
ReplyDeleteबहरों की बड़ी भीड़ है और चीखना बेकार
Sundar !
bahut hi sachhi kavita.. geeta, kuraan aur bible koi padhe tab to pata chale logon ko.. ye duniya usi din hamare layak banegi jis din ham iske layak banne ki koshish karenge..
ReplyDeleteमसला बस इतना तुम्हें है हूरों की दरकार
गर मार कर मरोगे तो हो जाए बेडा पार
"हूर" ka kya matlab hota hai?
bahut hi sundar rachna ...
ReplyDeletedesh ke aaj ke haalat par sahi praahaar karti hui rachana ..
badhai kabool karen
regards
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
अदा जी
ReplyDeleteसन्नाटों का शहर है ये है खौफ़ का बज़ार
जिंदा यहाँ गुलाम हैं औ बुतों की सरकार
अच्छा प्रयास.....भाव अच्छा है..
गीता, कुरान, बाइबल तो पढाये पाठ प्यार
ReplyDeleteबहरों की बड़ी भीड़ है और चीखना बेकार ।।
बिल्कुल सही लिखा आपने......अगर इन्सान इतनी सी बात समझ ले तो शायद सारे झगडे ही समाप्त हो जाएं..लेकिन आखँ के अन्धों और कान के बहरों को कोई क्या समझाए !!!!
kamaal ki baate kahi rachana ke madhyam se .aapki baate hi nirali hai .umda
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