Sunday, October 25, 2009

शहर की हवाएँ बदलने लगी हैं


ज़िन्दगी की तहें उतरने लगीं हैं
अश्कों की तासीर बदलने लगी है

देखा उन्हें तो हरारत हुई थी
थोड़ी सी जाँ सम्हलने लगी है

ना झाँका करो झरोखे से बाहर
शहर की हवाएँ बदलने लगी हैं

नज़र में तुम्हारी हया की बाती
लबों की छुअन से मचलने लगी है

अदा से देखो 'अदा' बन गए हम
'अदा' की अदाएं अब चलने लगी हैं








ये कैसे साए हैं ?

पता नहीं !!
मेरा दिल है
या कोई सच
जो हाथ पकडे
लिए जा रहा है
मुझे !
कुछ बता रहा है...

पीछे पूल
नाज़ुक से दिलों का
बेरहमी से
जला कर आई हूँ
तुम्हारे पास...
लेकिन यहाँ
ये कैसे साए हैं ?
जिनकी आदत
है तुम्हें
पर अपना नहीं कहते ....
वापसी के रास्ते ने
मेरा रास्ता रोक लिया..

24 comments:

  1. पीछे पूल
    नाज़ुक से दिलों का
    बेरहमी से
    जला कर आई हूँ
    और फिर वापसी के रास्ते होते ही कहाँ हैं.
    बहुत सुन्दर

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  2. ह्म्म्म्म....अदा की अदाएं चलने लगी हैं ...तो फिर जिन्दगी की तहें उतरेंगी ही ...अश्कों की तासीर बदलेगी ही ...
    वापसी के रास्ते ने मेरा रास्ता रोक लिया ....पीछे मुड कर क्या देखना है ...??

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  3. कोई दोस्त है न रकीब है,
    तेरा शहर कितना अजीब है...
    मैं किसे कहूं मेरे साथ चल,
    यहां हर सर पे सलीब है...

    जय हिंद...

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  4. जी सचमुच,अदायें भी ,सदायें भी और साए भी सरपट निकल पड़े हैं -देखिये कहाँ तलक जाते हैं !
    आपके मिथक गीत कहा गए ?

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  5. देखा उन्हें तो हरारत हुई थी
    थोड़ी सी जाँ सम्हलने लगी है
    बहुत सुंदर चित्रण-आभार

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  6. Di, jitni khoobsurat gazal hai utni hi kavita... khaskar gazal ka makta jisme aapne takhallas ka bahut hi sundar aur anootha prayog kiya hai..... aap ka harfanmaula hona darshata hai..... aur haan mere likhe ko ek 'di' ki tarah hi nahin balki kabhi kabhi critic ki tarah bhi padhiye, aapko bhi kami pakadte maza aayega, aur main bhi kuchh seekh loonga :)

    Aapka ladla bhai.

    Jai Hind..

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  7. Sundar tasveeron ke saath sundar rachna aur abhivyakti kaa TRIVENI SANGAM !

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  8. "अदा से देखो 'अदा' बन गए हम
    'अदा' की अदाएं अब चलने लगी हैं"

    यक़ीनन, मैम..चलने तो लगी हैं।

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  9. देखा उन्हें तो हरारत हुई थी
    थोड़ी सी जाँ सम्हलने लगी है

    बहुत सुन्दर.

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  10. अदा से देखो 'अदा' बन गए हम
    'अदा' की अदाएं अब चलने लगी हैं

    वाह अदाजी
    गजब ढा रही है आजकल बहुत सुंदर कविता है |
    आपकी आवाज भी समां बांध रही है एक गीत है मुझे फिल्म का नाम नही मालूम शायद लताजी ने गाया है मझे ये गाना बहुत पसंद है
    आपकी आवाज में अच्छा लगेगा| कृपया फरमाइश पूरी करने का कष्ट करेगी ? गीत के बोल है -
    आज दिल पे कोई जोर चलता नही
    मुस्कुराने लगे थे मगर रो पडे मगर

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  11. Donon rachnayen- kavita aor gazal bahut achhi hain. gazal to kamal hai.

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  12. didi, kya sanyog hai ki aapne idhar shahar ki hawayein badal di aur udhar hamein gaanv badle badle se nazar aaye!!!

    अदा से देखो 'अदा' बन गए हम
    'अदा' की अदाएं अब चलने लगी हैं
    itni badal gayi hawayein!!

    पीछे पूल
    नाज़ुक से दिलों का
    बेरहमी से
    जला कर आई हूँ
    तुम्हारे पास...
    लेकिन यहाँ
    ये कैसे साए हैं ?
    जिनकी आदत
    है तुम्हें
    पर अपना नहीं कहते ....
    simply awesome...

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  13. सात समंदर पार तक चलने लगी हैं
    बहुत खूब लिख रही हैं, कुछ दिन अनुपस्थित था आज लौट के आया हूँ तो लगता है तीन पोस्ट और हैं शायद मुझे सुकून देने के लिए.

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  14. पीछे पूल
    नाज़ुक से दिलों का
    बेरहमी से
    जला कर आई हूँ
    तुम्हारे पास...
    लेकिन यहाँ
    ये कैसे साए हैं ?
    जिनकी आदत
    है तुम्हें
    पर अपना नहीं कहते ....
    वापसी के रास्ते ने
    मेरा रास्ता रोक लिया....bahut si cheezo ko hum apna samjh lete hai par wo apni nahi hoti....

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  15. ना झाँका करो झरोखे से बाहर
    शहर की हवाएँ बदलने लगी हैं

    बेहद उम्दा...सुंदर रचना...धन्यवाद!!!

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  16. जिनकी आदत
    है तुम्हें
    पर अपना नहीं कहते ....
    वापसी के रास्ते ने
    मेरा रास्ता रोक लिया..
    waah behtarin

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  17. लेकिन यहाँ
    ये कैसे साए हैं ?
    जिनकी आदत
    है तुम्हें
    पर अपना नहीं कहते ....
    वापसी के रास्ते ने
    मेरा रास्ता रोक लिया..

    mohabbat me vapis lautne ke lye
    koi raasta nahi hota.....

    bahut hi suksham ahsaas ki kavita...

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  18. ना झाँका करो झरोखे से बाहर
    शहर की हवाएँ बदलने लगी हैं

    aisa kyun lag raha hai ki ye padh li hai maine?
    haan di apni kasam maine padh li thi kal !!

    par comment Kyun nahi kiay tha ?

    main bhi na....

    ye abhivyakti to kai nazmon main se ek main dikhti hai...jo aap itni aasani se roz likh jaati ho...
    ek din ka off kya liya itna backlog ho gaya !!
    Once compliment:
    Quality+Quantity = aDaDi
    jaa raha hoon ye gaate gaate...
    "Dil dhoondta hai phir wahi"
    kahan?
    ye mat poocho...
    link dekh ko bus !!
    hahahaha

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  19. ये कैसे साए हैं ?

    bus gulzaar ki nazm yaad aa gayi...
    ye saaye hain...

    aur aapko pata hai ki agar gulzaar ki koi nazm yad aaiye hai...
    wo bhi mujhe !!
    mujhe!!
    to kya koi tippani ki avshaykta reh jaati hai?

    "लेकिन यहाँ
    ये कैसे साए हैं ?"

    bhootttttt....

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  20. दुसरे वाली कविता एक अजीब उलझन पैदा कर रही है.....

    एक और पोस्ट पे लिखा है अभी...
    वो ही यहाँ भी कहता हूँ....

    रवां थी यूं भी ये अफ्सुर्दगी, बेकस ख्यालों में,
    मुझे वो और क्यूँ उलझा गए अपने सवालों में..

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