खुशदीप जी
आप सुझाये और हम न माने ऐसे तो हालात नहीं ...
आपकी पसंद की दाद देनी पड़ेगी....
आपकी बातों से यह भी कुछ-कुछ समझ में आ रहा है की संगीत के प्रति आपको आगाध प्रेम है...
आपकी टिपण्णी बताती है ..कई जगहों पर...
और ये भी समझ में आ रहा है आप गाते होंगे.....जो आपके मुखारविंद पर भी दिखता है...तो लगे हाथों अपना गाया हुआ भी कुछ कहीं पोस्ट कर ही दीजियेगा....
सभी सुधि पाठकों से भी यही गुजारिश हैं की मेरे साथ-साथ आप भी खुशदीप जी के गायन को सुनने की जोरदार अपील करें....
फिलहाल हम आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करते हैं और सुनते हैं आपकी पसंद और बहुतों की पसंद आपके नाम....
फिल्म : शंकर हुसैन
आवाज़: लता मंगेशकर
संगीत: खय्याम
गीतकार: जानिसार अख्तर
आप यूं फासलों से गुज़रते रहे
दिल से कदमों की आवाज़ आती रही
आहटों से अंधेरे चमकते रहे
रात आती रही रात जाती रही
गुनगुनाती रहीं मेरी तन्हाईयां
दूर बजती रहीं कितनी शहनाईयां
जिंदगी जिंदगी को बुलाती रही
क़तरा-क़तरा पिघलता रहा आसमां
रूह की वादियों में जाने कहां
इक नदी दिलरूबा गीत गाती रही
आप की गर्म बांहों में खो जाएंगे
आप के नर्म ज़ानों पे सो जायेंगे
मुद्दतों रात नींदें चुराती रही
आप यूं फ़ासलों से गुज़रते रहे ।।
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तो आपको गज़ल का भी शौक है!
ReplyDeleteइसीलिए
"तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं
एक जरा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं"
से अपने पोस्ट का शीर्षक बना लिया।
मेलॉडी को एक बार फिर से लोगों तक लाकर आप भारतीय संगीत को सम्मान दे रही हैं।
aap ki baat se sahmat..
ReplyDeletekhushdeep ji ke geeton ki choice achchhee hai.
क्या खूब बहुत खूब। बहुत समय बाद आज आपको पढ़ रही हूं और सुन रही हूँ ये मीठा सा गीत आज दोनो ही गाने मेरी पसंद के थे। लगता है अब यहाँ रोज आना पडेगा। धन्यवाद।
ReplyDeletelata ji ka ye dilkash gaana sunkar aanand aa gaya. maine record bhi kar liya.
ReplyDeleteaapka bahut shukriya
shubh kamnayen
अदा जी , नमस्कार ,
ReplyDeleteखुशदीप जी के बहाने हमें भी आनद प्राप्त हुआ ये सुनने का
धन्यवाद आपको और खुशदीप भाई को भी
खुशदीप जी एक धीर-गम्भीर आवाज़ के मालिक हैँ...ये तो पता है लेकिन वो गाते भी हैँ?...इसका पता नहीं...
ReplyDeleteमैम को नमस्ते-सलाम,
ReplyDeleteशंकर हुसैन फिल्म के इस गाने के तो हम भी जबरदस्त मुरीद रहे हैं। कुछ अजीब-अजीब सी वजहें हैं:-
वजह १. लता दी की आवाज
वजह २. खैय्याम का संगीत
वजह ३. जांनिसार साब के मोहक शब्द
वजह ४. मेरी सबसे पसंदीदा बहर{बहरे मुतदारिक}
वजह ५. मेरे गुरू की लिखी एक बेहतरीन कहानी की पृष्ठभूमि में इस गाने का होना{"शायद जोशी"}
वजह ६. मेरी कुछ अपनी लिखी गज़लें इस बहर और धुन पर।
अपना लिखा एक मतला सुनाता चलूं आपको इसी धुन पर:-
"रात भर चाँद को यूं रिझाते रहे
उनके हाथों का कंगन घुमाते रहे"
...और अंत में, शुक्रिया इस गीत को सुनवाने का। नहीं सुनवाने का नहीं। सुन तो पा नहीं रहा मैं। नेट की स्पीड तो माशाल्ल्लाह है। शुक्रिया इस गीत के जिक्र का।
बहुत सुंदर ग़ज़ल। आप के सौजन्य से सुन लिया है। वरना आज कल तो संगीत हम से बहुत दूर हो गया है।
ReplyDeleteमैं कौन सा गीत सुनाऊं, क्या गाऊं
ReplyDeleteजो पिया बस जाए, तेरे तन-मन में,
खिल जाएं कोई कलियां, हाए कलियां
बहार ले आएं, सूनी बगिया में...
अदा जी, लता जी का ये गाना 1978 में आई फिल्म दिल्लगी का है...राजेश रोशन ने इसमें इतना मधुर संगीत दिया था कि जी चाहता है कि बस ये गीत बजता ही रहे...एक राज़ की बताऊं ये गीत जी के अवधिया साहब को भी बहुत पसंद है...अगली बार इस गीत पर तवज्जों दीजिएगा...
जय हिंद...
aap yun faaslon se guzarte rahe.
ReplyDeleteek bahut hi umda ghazal sunwaane ke liye dhanyawaad.
सहगल साहिब...
ReplyDeleteअदा जी को कल के लिए भी होमवर्क दे ही डालिए....
हमें तो समय ही नहीं मिलता आजकल..
अपने पसंदीदा गीतों के बारे में सोचने का..
आपकी फरमाइशों के बहाने हम भी अपने फेवरिट गाने सुन लिया करेंगे
बल्कि..
बाकायदा टाइप किया हुआ, सचित्र देख भी सकेंगे...
आपका आभार....
अदा जी को बधाई.........
सादर ..
मनु.
itne behatreen song dhoondh lati hain aap bhi beete samay me wapas le jane ke liye :)
ReplyDeletelekin kya Di aapse aisi ummeed nahin thi, ek paksh dekh ke hi faisla le leti hain? DDLJ dekhe bina hi tay kar liya ki wo bakwas movie hai, samasya yahi hai ki ham buraiyan bahut asani se dhoondh lete hain.... maine film ke bare me kuchh achchha likhne ki koshish ki hai. plz dobara us blog pe jake tippani padhiye. aur meri itni si request hai ki ek bar movie dekhiye jaroor.
Pyare Deepak,
ReplyDeletevaise tumhaari baat sahi hai...mujhe dekhna chahiye is movie ko ..aur bas isi week-end dekhungi pakki baat.. yumhara ye bhi kahna sahi hai ki bina dekhe doosron ki raai apni raai bana lena theek nahi...lekin ye bhi sach hai ki kuch dost aise bhi hote hain joinki pasand na-pasand khud se itni jyada milti hai ki pata chal jaata hai jo mujhe nahi pasand wo definetli uhein nahi pasand hoga...aakhir ham KG se saath padhe pale hain na to itna jaante hain...
fir bhi ek koshish zaroor karungi sirf tumahre kahne par aur fir mera kya sochana hai bataungi...
didi
Maafi chahta hoon Di(dono kaan cross hands se pakad ke), mujhe ye sab pata nahin tha...
ReplyDelete@ deepakji
ReplyDeleteआपका जवाब मैंने उक्त साईट पर दे दिया है ...कृपया वहां जरुर देखें ..
मेरा एक और पसंदीदा गीत सुनाने के लिए बहुत ...नो नो ...no thanks....हक़ है मेरा ...तुझसे अपनी फरमाईश पूरी करवाने का ...और दीपक जी को जवाब मैं तेरे ब्लॉग पर भी दे सकती थी ...लेकिन ये मेरे उसूलों को मंजूर नहीं है ...तो मेहरबानी कर के वहां जरुर देख लेना ...
ReplyDeletesundar gazal !!
ReplyDeletesundar gazal !!
ReplyDeleteबहुत प्यारी ग़ज़ल है. ऑडियो भी होता तो और भी अच्छा लगता.
ReplyDeleteada ji,
ReplyDeletevaise to ye gazal Khushdeep bhai ke naam par suni hai sabne, lekin mujhe bhi bahut pasand hai, aapka shukriya ise sunanae ke liye.
ada ji,
ReplyDeletevaise to ye gazal Khushdeep bhai ke naam par suni hai sabne, lekin mujhe bhi bahut pasand hai, aapka shukriya ise sunanae ke liye.
खुशदीप जी की पसन्द के क्या कहने आप्की गज़ल पढकर उन्हे कई कई गीत याद आगये ... देखा असर ।
ReplyDeletekitni hi baar suna hai ise, par aaj kuch alag sa hi lag raha hai... shukriya aapka di..
ReplyDeletei know u must be awake sitting in your office and going through blogs...well i came searching for this post of yours. i am giving refrence of this song in my next post...i hope u wont mind...
ReplyDeleteha ha ha
शब्बा खैर!
मेरा फेवरेट सोंग है .फेसबुक पर कुछ दिन पहले डाला था .युनुस भाई से खास तौर से ढूंढ के मांगा था .....अब मोबाइल में भी है
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