Wednesday, October 7, 2009

फूल शोलों को आँधी को बया कहते हैं


तुमको हमारी उमर लग जाए.....


फूल शोलों को आँधी को बया कहते हैं
हमसे दीवाने, दीवानगी को अदा कहते हैं

देख ले ली है ख़ुदा ने तो जहाँ से रुख़सत
अब हम बन्दों को सरे-आम ख़ुदा कहते हैं

उम्र भर रोये औ लिपटे रहे तेरे दामन से
तुम इसे कुछ भी कहो हम तो वफ़ा कहते हैं

तेरी इस एक झलक का है असर न पूछो
वाइज़ बड़े शौक से इसे दर्द-ए-दवा कहते हैं

सजदे में सर झुका जब भी तेरा दर आया है
जाने क्यूँ लोग इसको भी खता कहते हैं

बया - एक छोटी चिडिया

16 comments:

  1. बहुत ही उम्दा रचना। करवा चौथ की हार्दिक बधाई

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  2. उम्र भर रोये औ लिपटे रहे तेरे दामन से
    तुम इसे कुछ भी कहो हम तो वफ़ा कहते हैं
    बहुत खूब. बेहतरीन गज़ल

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  3. अच्छी रचना आज का त्यौहार की आपको शुभकामनाये

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  4. वाह ! वाह ! वाह ! लाजवाब !! बहुत बहुत सुन्दर ग़ज़ल !!! हरेक शेर लाजवाब !!

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  5. बहुत सुंदर कविता, आप को करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाये,

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  6. Haapy Karwacauth aDadi....

    "सजदे में सर झुका जब भी तेरा दर आया है
    जाने क्यूँ लोग इसको भी खता कहते हैं "

    waise to log hmein bhi kafir kehte hai.....

    :(

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  7. उम्र भर रोये औ लिपटे रहे तेरे दामन से
    तुम इसे कुछ भी कहो हम तो वफ़ा कहते हैं
    Kya baat hai ada ji vafa ki ek misaal hai ye..
    behtareen..

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  8. अभी वक्त नहीं है जी पोस्ट पढने का...
    आपको और सभी पाठकों को करवाचौथ की बधाई...

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  9. लेकिन यहाँ यह चिड़िया बया किस तरह आई है ?

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  10. Dua kartee hun, 'ada' kee ye deevangee banee rahe...!

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  11. बहुत ही उम्दा रचना।
    हार्दिक शुभकामनाये,

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  12. देख ले ली है ख़ुदा ने तो जहाँ से रुख़सत
    अब हम बन्दों को सरे-आम ख़ुदा कहते हैं
    बन्दों में खुदा को देखा ...सुफिआना सोच

    उम्र भर रोये औ लिपटे रहे तेरे दामन से
    तुम इसे कुछ भी कहो हम तो वफ़ा कहते हैं
    वफ़ा ही तो है ...

    सजदे में सर झुका जब भी तेरा दर आया है
    जाने क्यूँ लोग इसको भी खता कहते हैं
    कुछ तो लोग कहेंगे ....लोगों का काम है कहना ...
    पूरी की पूरी ग़ज़ल ही शानदार है ...
    धन्य है आप ...आपके दिल और दिमाग के जमी बहुत उर्वरक है.... रोज इतने ख्यालों का उगना ...और आपका उन्हें शब्दों में पिरोना ....
    विस्मित हूँ ....!!

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  13. samajh nahi aa raha is rachna ke kis kis hisse ki tareef karu.
    lag raha hai jaise ek ek shabd dil ko chhoo gaya hai

    bahut hi achha likha hai aapne

    -Sheena

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  14. behatareen rachna adaa ji. specially these lines...
    उम्र भर रोये औ लिपटे रहे तेरे दामन से
    तुम इसे कुछ भी कहो हम तो वफ़ा कहते हैं

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  15. उम्र भर रोये औ लिपटे रहे तेरे दामन से
    तुम इसे कुछ भी कहो हम तो वफ़ा कहते हैं

    kya baat hai....!

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  16. namaskar

    aakhri sher ne to bahut gahra asar kiya hai ji

    bahut hi chooti hui gazal...

    meri badhai sweekar kare .

    regards,

    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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