ये गीत मेरी बहुत अच्छी सहेली को समर्पित है.....
पतरकी.......ये सिर्फ़ तेरे लिए है .....!!!!!
गुडिया ..ये तेरी पसंद हैं...
मैं इतना जानती हूँ कि तेरी जान है ये गीत...
तू इसे सुनकर भावः विभोर होती है..और मेरे आँसू नहीं थमते हैं,,,
तू तो सही में आलसी है......हा हा हा हा
आप सब सुने और सिर्फ इतना बता दें कि इस गीत को सुनकर कैसा लग रहा है....
अपने भावः दिल खोल कर रखें....मुझे सिर्फ इतना ही कहना है .....ये वो गीत है जो मुर्दे में जान डाल दे........
और मेरे लिए ये गीत एक प्रार्थना से कम नहीं है...
आवाज़ : लता मंगेशकर
फिल्म : तुम्हारे लिए
गीतकार: नक्श ल्यालपुरी
संगीत : जयदेव
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हें जानती हूँ
अगर तुम हो सागर -२
मैं प्यासी नदी हूँ
अगर तुम हो सावन मैं जलती कली हूँ
पिया तुम हो सागर
मुझे मेरी नींदें -२
मेरा चैन दे दो
मझे मेरे सपनो कि एक रैन दे दो न
यही बात पहले-२
तुमसे कही थी वोही बात फिर आज दोहरा रही हूँ
पिया तुम हो सागर
तुम्हें छू के पल में बने धूल चन्दन -२
तुम्हारी महक से
महकने से लगे तन-२
मेरे पास आओ-२
गले से लगाओ
पिया और तुमसे मैं और क्या चाहती हूँ
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हें जानती हूँ
अगर तुम हो सागर
मुरलिया समझ कर-२
मुझे तुम उठा लो
बस एक बार होठों से अपने लगा लो न -2
कोई सुर तो जागे -२
मेरी धडकनों में
के मैं अपनी सरगम से रूठी हुई हूँ...
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हें जानती हूँ
अगर तुम हो सागर
मैं प्यासी नदी हूँ
अगर तुम हो सावन मैं जलती कली हूँ
पिया तुम हो सागर
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अद्भुत गीत, कर्णप्रिय और सुखद
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार इस सुन्दर गीत को सुनवाने के लिये.
जनाब नक़्श लायलपुरी के लिखे इस गीत के बाद ही लगता है नदी और सागर के बिम्ब को लेकर तमाम कवितायें रची गई होंगी । यह गीत मन मे गूंजता रहता है ।
ReplyDeleteगीत सुनवाने के लिए आभार।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट है..स्वागत है
ReplyDeleteआपने जो चित्र लगाया है वह बेमिसाल है
ReplyDeleteसागर से मोती चुन लाईं आप !
ReplyDeleteइस गीत को पढ़ने और सुनने के बाद लगता है कि एक जमाने में फिल्म संगीत वाला हिन्दी उर्दू विवाद कितना निरर्थक था। साथ ही उर्दू की ओर कृत्रिम झुकाव ने कितना अहित किया !
भाषा ऐसी ही होनी चाहिए - सरल, प्रवाहमयी और संवेदनशील।
बहुत बढ़िया कर्णप्रिय,ख़ूबसूरत गीत,
ReplyDeleteवाह ! अद्भुत गीत है ...बहुत पसंद ..आभार आपका ...बिलकुल, प्रार्थना के स्वर हैं
ReplyDeleteMOTI....COMMENT BAAD ME...
ReplyDeleteइस सदाबहार गीत को सुनवाने के लिए धन्यवाद
ReplyDelete"प-तरकी" पे खूबे हँस रहे हैं हम।
ReplyDeleteधुर, हम तो सोच रहे थे के आप ही गाईये होईयेगा...धोखा हो गया। ई तो हमरे अपने कलेक्शन में है।
बात इ है मेजर साहिब,
ReplyDeleteट्राफिकवा इधर लाने का वास्ते इ सब टंटा करना पड़ता.....
और आपका 'धुर' तो बस कालजयी 'धुर' लग रहा है...
बाकि कुछो कहिये गीतवा एक दम नीमन है....हम केतनो गाते ...तो का गाते ??...कह दीजिये तो !!!
हमारा भी पसंदीदा गीत है...आभार.
ReplyDeleteशुष्क मन में बहार लाने वाला गीत है यह।
ReplyDeletekarn priy geeet...
ReplyDeletelata ji ne kyaa gaaya hai...?
jaise kisi kaa dil hi nikaal ke rakh diyaa hai..
मस्त गीत लगा अदा जी , आप कविता लिखना नहीं तो कम से कम अच्छी टिप्पणी करना सीखा दीजिये :)
ReplyDeleteDi aapne BSc ka time yad dila diya jab lagbhag har din ye geet sunta tha.... bas me bhi aur ghar pe bhi...
ReplyDeletevaise aajkal aap jyada busy hain shayad. bhai ke blog par aane ka time nhin???? koi baat nhin hota hai jo sabse kareeb hon unka khyal nhin rahta(jaise aankhen sari dunia dekh leti hain, bas kajal nhin dekh pateen) :)
मोटी...तू तो मेरी लिए वो जादू की छड़ी बन गयी है जो पलक झपकते ही मेरी सारी इच्छाएं पूरी कर दे ...कल जब इस गीत के बारे में तुझे बताया तो एक सेकंड में सर्च कर इतने सारे लिंक भेज दिए ...कल से कई बार सुन चुकी हूँ ...पर तेरे ब्लॉग पर इस तस्वीर के साथ इसे सुनने का मजा ही और है ....
ReplyDeleteअच्छा ही हुआ जो तुने इसे पोस्ट किया वर्ना मेरे आलस में तो जाने कितने समय तक रह जाता ....शुक्रिया बिलकुल नहीं बोलूंगी ....
तू गीत सुन कर रो रही होगी ...मैं तेरी भूमिका पढ़कर ....
और इस गीत के बारे में क्या कहूँ ...ये गीत स्वयं ही बहुत कुछ कह जाता है ..
भावः विभोर हूँ ...अभिभूत हूँ ....
निशब्द हूँ ...!!
इस गीत को सुनकर बहके नही ...महके नही ...तो आपको आपके मेडिकल मुआइने की सख्त जरुरत है ....दिल की जगह कहीं मोटा सा पत्थर तो नही .....
ReplyDeleteइस गीत की इतनी तारीफ सुनकर बहुत अच्छा लग रहा है, नहीं तो आज के जमाने में मेलॉडी को पूछता ही कौन है, आज तो हर किसी को बीट्स ही चाहिए।
ReplyDeleteमधुर गीत सुनवाने के लिए धन्यवाद!
अदा जी,
ReplyDeleteये गीत तो बेमिसाल है ही...
एक गीत कल के लिए सुझाता हूं...आप यूं फासलों से गुजरते रहे...कदमों की आहट होती रही...कतरा-कतरा पिघलता रहा आसमान...एक नदी...आगे भूल गया...
जय हिंद...
adbhut geet
ReplyDeletepahle bhi kyee baar suna hai....etna achha pahle nahi lga.....thanx...
ReplyDeleteबहुत मधुर गीत है ........... दिल में सीधे उतर जाता है ......... बोल भी गहरे एहसास लिए हुवे हैं ......... आपका बहुत आभार इस गीत के लिए .......
ReplyDeleteबहुत प्यारा गीत है सुनवाने के लिए शुक्रिया
ReplyDeleteएक मधुर गीत जो गहरे लेकर उअतरती है और मधुरता इतनी है कि उसकी मिठास मे पूरी तरह गुअलने मे मज़ा आ जाता है ........प्रस्तुति के लिये धन्यवाद!
ReplyDeleteek bahut hi karnpriya,dil ko choone wala ,bahut hi pasandida geet hai ........shukriya ek baar phir itna pyara geet yaad dilane ka.
ReplyDeleteमुझे ही पता कि किस पतरिकी और किस गुड़िया को ये गीत पसंद है ?? मगर ये गीत खुद मुझे बहुत पसंद है...कुछ गीत कुछ दिनों बाद सुने जाने पर अलग असर डालते हैं... ये भी..बहुत देर से सुन रही हूँ ..मग्न हूँ...!
ReplyDeletebahut hi manmohak geet. aap bhi ise gaa hi dijiye ada ji.
ReplyDeletebahut hi manmohak geet. aap bhi ise gaa hi dijiye ada ji.
ReplyDeleteadaji dhnywad itna sundar geet sunvane ke liye
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