उ दिन इंदिरा गाँधी राष्ट्रिय मुक्त विश्वविद्यालय में हम ज्वाइन किये रहे सीनियर सॉफ्टवेर इंजिनियर (Deputy Director) का पद पर.......पहिला दिन था नौकरी का....IGNOU, K-76, Hauz Khas, में, लेकिन उ दिन हम ज्वाइन ही नहीं करे चाहते थे कारन कि हमरी एक कैसेट Release होवे वाली थी T-Sereis ..गुलशन कुमार की कंपनी से...पुराने गाना सब को उ revival बना रहे थे , हमरी किस्मत कि हमहूँ चुन लिए गए थे.....खैर ५ गाना का रेकार्डिंग हो गया था और उ दिनवा ६वां गाना रिकार्ड होवे वाला था......
हमरे पास IGNOU का appointment letter आइये गया था हम सोचे चल जाते हैं....अपना मुखडा देखावेंगे IGNOU में और फिन गुलशन जी पास नॉएडा पहुँच जावेंगे..... हाँ तो हम बढियां से सपर के पहुँच गए IGNOU, K-76, Hauz Khas,.....जब उहाँ पहुंचे तो लोग-बाग़ बताया कि आपको मैदान गढ़ी जाना होगा....अब हम तो परेशान हो गए ...बोले कि हम तो बस ऐसे ही आये हैं...हम कल ज्वाइन करेंगे......administrative officer, C.H.Thakur हमको मुंह बाए देखते रहे......कहे की आप भी कमाल करतीं हैं मैडम, class one officer का पोस्ट है, एक दिन भी देर करेंगी तो Seniority में पीछे हो जायेंगी.....कल जब प्रमोशन का टाइम आएगा तो आपको पता चलेगा......हमरी उम्र इतनी कम थी कि हम इ सब सोचबे नहीं किए थे ....बात तो ठीक कहे उ
लेकिन....गुलशन कुमार का का होवेगा.....उ जो बैठे होंगे ३० ठो बज्वैय्या लेके ....हम सोचे चलो फ़ोन कर देते हैं और माफ़ी माँग लेते हैं गुलशन कुमार जी के ऑफिस में......अब हम लग गए फ़ोन की तलाश में......स्विच बोर्ड पर एक हैंडसम बैठे मिलते ...दोनों टांग टेबुल पर रख कर बतिया रहे थे...हम गए....हमको देखे तो उनका इश्टाइल में तनी और इजाफा हो गया......तनी सा हमरा कान में उनका बात गया कि उ का बतिया रहे हैं.....साफ़ पता चला कि कौनो लड़की दे गपिया रहे थे...वोही....टाइप का बात......कि जबसे आपको देखा है ...सोने के बाद नींद नहीं आती है...खाने के बाद भूख नहीं लगती है.....बस आपका याद में सूख के तिनका हो गए हैं ...जबकि महाशय का ऊंचाई ६ फ़ुट था और गाल रिलायंस फ्रेश से लाया हुआ सेब जैसा......
खैर हम सोचे चलो थोडा waitiyaiye लेते हैं ....हम वही पर बैठ गए रिसेप्शन में ...दस मिनट हो गया ....उनका प्रेम निवेदन चलिए रहा था....अब हमसे नहीं रहा गया.....हम गए और बमकिये गए .....ये आप का कर रहे हैं.....तभी से आपका अनाप-शनाप हम सुन रहे हैं...यह फ़ोन university की प्रोपर्टी है....और यह university का रिसेप्शन है.... आपके घर का ड्राइंग रूम नहीं....इसी वक्त मुझे फ़ोन दीजिये......उ लगे हमसे बहस करने ...आप है कौन हमसे इ सब कहने वाली ? हम कहे आज से हम आपके बॉस हैं...विश्वास न हो तो ये रहा मेरा appointment लैटर...उनका मुंह लैटर बॉक्स जैसा खुल गया.....हम झट से फ़ोन लिए और फ़ोन किये गुलशन कुमार को लेकिन उनका मिजाज बहुत गरम रहा...हमसे बोल दिए कि सुनो ....! आज के बाद तुम अपना चेहरा हमको कभी मत देखाना....और हम भी आज तक नहीं देखाए उनको अपना चेहरा .....
वोही दिन हम ज्वाइन कर लिए और अपना ऑफिस में बैठ गए.....अब लोग आवे लगे हमसे सलाम दुआ करने....हैंडसम बॉय भी आये लेकिन अकेले नहीं तीन गो के साथ.....हम कहे बैठिये.....सब बैठ गए....औउर उल्टा-सीधा होने लगे.....हम कहे कि आपलोग अपना-अपना नाम बताइये......हैंडसम बॉय का नाम 'गुलशन अरोरा' था, 'गुलशन' नाम सुनते हम सोचे कि आज तो हमरा भविष्यवाणीये में लिखा होगा कि 'गुलशनों' से दूर रहो .....बाकि हम कुछ बोले नहीं........दूसर ने अपना नाम संजीव कपूर बताया फिर, जवाहर लाल कपूर, और भूपेश खत्री......
सब अभियों तक भकुआ के देखिये रहे थे.... ...विश्वासे नहीं कर रहे थे.......कहने लगे मैडम आप इतनी छोटी लगती हैं कि हमलोगों को यकीन ही नहीं आया.........गुलशन ने आपको कोई स्टुडेंट समझा था......हम कहे अब इसमें हम तो कुछो नहीं कर सकेंगे भाई.......और वैसे भी कीमती चीज़ छोटा पैकेट में आता है......अब तो आप सबको हमहीं को झेलना है.....
बात करते-करते उ लोग हमसे पूछ ही दिया कि आप कहाँ की हैं......हम 'बिहार' के हैं.....इतना सुनते ही उनका मुंह ऐसे हो गया जैसे हम कोई डायन या चुडैल होवें......बस अँखियाँ झपका-झपका के देखे लगे.........हम कहे का हुआ भाई ऐसे काहे देख रहे हैं....तो एक ठो बोला...नहीं नहीं मैडम ...बिहार के लोग तो अजीब होते हैं....हमारा तो एड़ी का खीस चुंदी में चढ़ गया.......हम कहे का मतलब है आपका ??? बिहार का लोग कैसे अजीब होते हैं ??? का उनके सींघ होती है पूँछ होती है.....??? का अजीब होता है भाई.......बोले नहीं मैडम वो तो बड़े अजीब से ....काले-काले, गंदे-गंदे से होते हैं.......हम खुद को ऊपर से नीचे हाथ से देखा कर बताये........जी नहीं महराज......बिहार के लोग ऐसे भी होते हैं....!!!!
('गुलशन अरोरा' बाबू अगर जो पढ़ रहे हो तो याद है न....)
गुलशन बाबू को जरूर याद होगा --- ये बातें भूलने के लिये नहीं होती.
ReplyDeleteसमय की बिसंगति है,
ReplyDelete...वाद-ग्राही मनोवृत्ति से
बड़ा नुकसान हुआ है,रास्ट्र का,समाज का |
अच्चा लगा , धन्यवाद...
त फिर ऊ गाना-उना का फिर आगे का हुवा तनिक ये भी तो बताइये।
ReplyDeleteप्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
सुदर लगा आपका लेख
ReplyDeleteनमस्कार
nice post. :-)
ReplyDeleteदीदी बहुत ही जबर्दस्त । और उपर में जो फोटो है वह मैथिली पेन्टिंग ही है न ?
ReplyDeleteचन्दन बउवा,
ReplyDeleteखुश रहो,,
हाँ ये मिथिला कि ही पेंटिंग है और इसे...'मधुबनी पेंटिंग' कहते हैं....
बहुते बढिया लगा। अउर आगे का भी बताते रहिएगा।
ReplyDeleteab kahaan dhare hain gulshan kumaar.....?
ReplyDeletejo ise padheinge..aur tipiyaayenge....!!
.बस अँखियाँ झपका-झपका के देखे लगे.........हम कहे का हुआ भाई ऐसे काहे देख रहे हैं....तो एक ठो बोला...नहीं नहीं मैडम ...बिहार के लोग तो अजीब होते हैं....हमारा तो एड़ी का खीस चुंदी में चढ़ गया.......हम कहे का मतलब है आपका ??? बिहार का लोग कैसे अजीब होते हैं ??? का उनके सींघ होती है पूँछ होती है.....??? का अजीब होता है भाई.......बोले नहीं मैडम वो तो बड़े अजीब से ....काले-काले, गंदे-गंदे से होते हैं.......हम खुद को ऊपर से नीचे हाथ से देखा कर बताये........जी नहीं महराज......बिहार के लोग ऐसे भी होते हैं....!!!!
ReplyDeleteka baat kar di aapne di.. maza aa gaya.. etek nik likhwak lel aaur madhubanik etek sundar chitrakaari k lel bahut bahut aabhaari rahalaun.. dhanyawad sweekar karu...
@प्रमोद जी...
ReplyDeleteअब उ गाना-उना का होना था परमोद जी....गुलशन कुमार बहुत बड़ आदमी थे (भगवान् उनकी आत्मा को शांति दे) उनका से हम का पंगा लेते भाई...चुप-चाप बैठ गए .....उठा के बिग दिए होंगे हमरा पांच गो गाना....कोई डस्टबीन में......और का ....!!
@मनु जी,
ReplyDeleteआपको का लगता है मनु जी कि गुलशन कुमार होते तो हियें आते टिपियाने का ?
बिहार के ही नहीं, गुलसन बाबू को अपने गाँव के अलावा सारे देस के लोगों में कमिये ही दिखता है, उनमें और राज ठाकुर में कोई ख़ास फरक नाहीं है. भैया तो गाली है इन दोनों के लिए जो की हिन्दी-पट्टी के मजदूरों को देखकर उनकी जुबां पर आती है.
ReplyDeleteकई बार जीवन दोराहे पर खडा होता है ..मगर जो होता है अच्छे के लिए होता है ...उसी दिन ज्वाइन करने का कुछ फायदा तो जरुर ही हुआ होगा ...अफ़सोस भी है की दुनिया एक खूबसरत आवाज की मल्लिका को सुनने से वंचित रह गयी ...मगर यही दुनिया है ...अपने हिसाब से ही चलती है ...
ReplyDeleteअपने संस्मरण के बहाने बिहार के लोगों के प्रति दुसरे प्रदेशों की सोच को भी बताया आपने ...बिहारी काले होते हैं ...गंदे गंदे से होते है ...हमे तो ऐसा कभी नहीं लगा ...वैसे काले और गंदे लोग तो हर प्रदेश में मिल जाते हैं ...
बिहार की छवि बिगाड़ने में कुछ खास नेता लोगों का भरपूर हाथ रहा है मगर काले और गंदे तो वे भी नहीं हैं ..!!
बहुत ही सुन्दर संस्मरण!!!
ReplyDeleteकिन्तु आपके गानों की रेकार्डिंग न हो पाई यह जान कर अच्छा नहीं लगा।
बहुत सुंदर संस्मरण है।
ReplyDeleteआपको एक सलाह देना चाहूंगी कि दो पैरों के बीच थोडी दूरी कर दिया करें,तो पढने में सुविधा होगी।
आशा है आप हमारी सलाह को अरदवाइज नहीं लेंगी।
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स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक
आइए आज आपको चार्वाक के बारे में बताएं
एक बात और....
ReplyDeleteदिल्ली या बोम्बे में रहने वाला हर आदमी बिहारियों के बारे में ऐसा नहीं सोचता ....
हमारे तो सबसे ख़ास दोस्त बिहार वाले ही रहे हैं...
चाहे गौतम हो, अर्श संजू माधुर या खुद आप...!!!
कमाल की पोस्ट लिखी है आपने...भोजपुरी की मीठी ज़बान में पढ़ कर मजा तिगुना हो गया...वाह...
ReplyDeleteनीरज
अर्शिया जी,
ReplyDeleteमेरा ध्यान इस घिचपिच की ओर दिलाने के लिए धन्यवाद ...
लीजिये हम ठीक कर दिए हैं..फिर एक बार शुक्रिया....
अर्शिया जी,
ReplyDeleteमेरा ध्यान इस घिचपिच की ओर दिलाने के लिए धन्यवाद ...
लीजिये हम ठीक कर दिए हैं..फिर एक बार शुक्रिया....
मजेदार..
ReplyDeleteयह आपने गुलशन कुमार की अच्छी याद दिलाई । केसेट को आम आदमी तक पहुँचाने मे उनका योगदान अविस्मरणीय है ।
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