Saturday, October 3, 2009
शैतान का आविष्कार
इनदिनों दूध की बात कर रही हूँ मैं तो सोचा क्यूँ न कुछ जानकारी सिंथेटिक दूध पर भी दे दूँ...
रासायनिक दूध, जिसे आम तौर पर सिंथेटिक दूध कहा जाता है , शैतान का आविष्कार है जिसे कुछ दूध माफिया दिमाग की उपज कहा सकता जा है , रिपोर्ट है कि इस तरह के नकली और घातक दूध का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाता है राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक के बाजारों में बड़ी मात्र में यह उबलब्ध है और उडीसा पंजाब और हरियाणा में भी अब देखने को मिल रहा है.
इसे बनाने में जो रसायन प्रयोग में कहा लाया जाता है वो है , यूरिया कास्टिक सोडा, रिफाइंड तेल (सस्ता खाना पकाने के तेल) और आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला डिटर्जेंट पावडर, जिसे एक निश्चित मात्रा में मिला कर , इन सबको प्राकृतिक दूध के साथ मिला कर बेचा जाता है
सिंथेटिक दूध बनाने में तेल और डिटर्जेंट मिला कर सफ़ेद रंग और झागदार दूध के लक्षण दिखाए जाते हैं ,
परिष्कृत तेल दुग्ध वसा के लिए एक विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाता है.
कास्टिक सोडा रसायन का प्रयोग प्राकृतिक दूध की अम्लता को कम करने के लिए किया जाता है जिससे कि परिवहन के दौरान प्राकृतिक दूध अम्ल से फट न जाए
यूरिया / चीनी का प्रयोग ठोस वसा (SNF) के लिए किया जाता है जो प्राकृतिक दूध में मौजूद होता हैं,
सिंथेटिक दूध की तैयारी की कीमत प्रति लीटर की दर 3 रुपये से भी कम है और इसे लेकर 10 रुपये और 15 रुपए प्रति लीटर के बीच मूल्य पर उपभोक्ताओं को बेच दिया जाता है प्राकृतिक दूध के साथ मिला कर..
रासायनिक या सिंथेटिक दूध का भौतिक स्वरुप, प्राकृतिक दूध के जैसा दिखता है, लेकिन यह पूरी तरह से है
स्वाद में भिन्न है इसका कोई भी पोषक मूल्य नहीं है, यह स्वास्थ्य के लिए खतरा और बहुत बहुत हानिकारक है
रासायनिक या सिंथेटिक दूध के उपयोग से कैंसर होने की संभावना बहुत ज्यादा है और कैसर पर प्रभाव देखा गया है
यूरिया और कास्टिक सोडा दिल, जिगर और गुर्दे के लिए बहुत हानिकारक हैं.
यूरिया से गुर्दे ख़राब होने कि सम्भावना बहुत अधिक है , कास्टिक सोडा, में जो सोडियम होता है, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए एक धीमा जहर के रूप में कार्य करता है. लेकिन सबसे ज्यादा खतरनाक होता है या गर्भवती महिलाओं के लिए....
आइये देखते हैं अगर आपको सिंथेटिक दूध मिल जाए तो आप कैसे पहचानेंगे.....
(बड़ा करने के लिए टेबल पर क्लीक करें )
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hamare lucknow mein bahut bikta hai..... ek baar saare gwaale mil ke hadtaal kar diye they..... ki ispar se rok hatao.......... bataiye ab? hamare yahan Mayawati sakar mein Mayawati khud banwati hai..... synthetic doodh..... PARAG DAIRY mein....
ReplyDeleteइन शैतानो ने तो दवा की जगह ज़हर रख दिया है. ये मरे हुए आत्मा के लोग है.
ReplyDeleteजानकारी अच्छी दी है आपने
Ek aur 'ada' is adakee..behad sahee likha hai...ek aur baat hamesha dhyan me rakhni chahiye, khaaskar Hindustaan me..doodh kee thailiyan, pooree tarah kaatke fenknee chahiye...ek thailee kamse kam 4 tukade...achhe gharon kee mahiayen in thailiyon ko bechatee hain! Khareedne wala kal inhen hee galat doodh dega, ye kabhee socha hai?
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया जानकारी दी अपने ।
ReplyDeleteek achchi jaankari dene ke liye dhanyawaad.......
ReplyDeleteइस जानकारी के लिए धन्यवाद !!!
ReplyDeleteऔर शरद् पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
शरद् -पूर्णिमा और दूध का भी बहुत महत्व है ।
हमारी पाचनशक्ति देखो पाचनशक्ति.
ReplyDeleteहम फिर भी ज़िन्दा है. और तो और, हम डरते भी नहीं हैं...
"शैतान का आविष्कार"
ReplyDeleteसही कहा आपने!
सिंथेटिक दूध की विस्तृत जानकारी देने के लिए बहुत आभार ....
ReplyDeleteकहाँ तक बचेंगे खाने पीने के नकली सामान से हर चीज में मिलावट हैं ...हाजमा इतना जबरदस्त हो गया है की शुद्ध खाने पर पेट गडबडा जाता है हम भारतीयों का...अब तो बस भावनाएं भी सिंथेटिक होने से नहीं बची हैं ..की कोई सच्चा भावुक इंसान हो तो उस पर यकीन करना भी कठिन हो गया है ..
आपकी ग़ज़लों की तरह ही बहुत
अच्छी प्रविष्टि ...!!
जिस जगह यह दुध तेयार होता है, वो जगह किस की है,कोन यह दुध तेयार करता है, किस किस को बेचा जाता है, इन सब को पकडना कठिन काम नही, ओर इन सब को पकड कर कठोर से कठोर सजा दि जाये फ़िर हो सके त फ़ांसी दे दी जाये.... फ़िर देखे कोन केसे मिलावट करता है, लेकिन इन्हे कोन पकडेगा? क्योकि यही तो वोट भी हम से ही लेते है, ओर जहर भी हमे ही पीलाते है.
ReplyDeletejankaari ke liye shukriyaa..
ReplyDeletebaaki ka to pata nahi, UP aur Bihar ki trains mein aisi doodh ki bani chay atyant sulabh hai..
डिब्बा बंद और पैकेट वाली चीजों की लत लगा दी गई है हमें ...
ReplyDeleteमेरे साथ काम करने वाली लड़की को गाय या भैंस का शुद्ध दूध अच्छा नहीं लगता था ... उसे पैकेट वाला ही पसंद था ...
अब तो हमें सिंथेटिक दूध की आदत हो गई है ... क्या पता शुद्ध दूध पिए तो कहीं हम बीमार ना हो जाएँ ?
इन शैतानो को दोज़ख मे भी जगह न ही मिलेगी इसलिये कि इन्होने दुनिया को दोज़ख बना दिय है ।
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