ब्लॉगर हौं तो बस एही बतावन बसौं कोई गुट के छाँव मझारन
नाहीं तो पसु बनिके फिरोगे आउर खाओगे नित रोज लताड़न
पाहन बनौ कि गिरि बनौ नहीं धरोगे धैर्य कठिन है ई धारण
फिन खग बनि इक पोस्ट लिखोगे औ करोगे अभासीजगत से सिधारन
क्यूँ करुँ मैं गिला अब तुमसे भला
जब तुम सुन रहे हो तो करार आये
वो जो गुज़री थी कल रात शाने में तेरी
अब गोशे-दर-गोशे में बहार आये
बच जायेंगे अंजाम-ए-इश्क से ये परवाने
ग़र शम्मा को उन पर भी प्यार आये
जुनूँ की हदों तक है मुझे तुमने चाहा
बस निभा दो न जानम तो एतबार आये
मोहब्बत का ऐसा असर हमने देखा
मुस्कुराते हैं काँटे जब निखार आये
ब्लॉग जगत के रसखान को दंडवत प्रणाम दी.. :)
ReplyDeleteआपके लिए-
'नहिं पराग नहिं मधुर मधु.. नहिं विकास एही काल
अली कली ही सौं बंधो.. आगे कौन हवाल..'
कवि का नाम याद नहिं पड़ता..
जय हिंद...
बच जायेंगे अंजाम-ए-इश्क से ये परवाने
ReplyDeleteग़र शम्मा को उन पर भी प्यार आये...
कैसे बचेंगे ...शमा की आंच में जल नहीं मरेंगे..
जुनूँ की हदों तक मुझे तुमने चाहा
बस निभा दो न जानम तो एतबार आये ...
जूनून की हद तक चाहने वाले को भी ऐतबार दिलाना होगा...??
ब्लोगर चिंतन का तो कहना ही क्या ...क्या टेलीपैथी इसी को कहते हैं ...आज कुछ चिंतन मनन मैंने भी कर ही लिया ...!!
वैसे तो तुम्ही ने मुझे बर्बाद किया है,
ReplyDeleteइल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा,
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा,
बिखर जाए तो अच्छा...
जय हिंद...
अच्छी कविताई और गजल गूलूकारी
ReplyDeleteब्लागजगत से सिधारन ..हा हा कौन सा जन्नत है ब्लागजगत -रोज रोक तो नवा नवा कष्ट दे रहा है ई
निबहुरा ......
कांटे क्या सचमुच काटें थे ?
kavita to kavi raskhaan ki yaad dila gayi,
ReplyDeletemanus ho to wahi raskhaan...
accha vyang kiya hai aapne
aur ghazal hamesha ki tarah dilfareb lagi hai ada ji
kavita to kavi raskhaan ki yaad dila gayi,
ReplyDeletemanus ho to wahi raskhaan...
accha vyang kiya hai aapne
aur ghazal hamesha ki tarah dilfareb lagi hai ada ji
मोहब्बत का ऐसा असर हमने देखा
ReplyDeleteमुस्कुराते हैं काँटे जब निखार आये..
यह पसंद आया,आभार.
जुनूँ की हदों तक मुझे तुमने चाहा
ReplyDeleteबस निभा दो न जानम तो एतबार आये
pooree gazal pasand aaee ye sher to bas cha gaya......
आपकी दो अलग अलग रचनाएँ हैं.
ReplyDeleteजैसे ..
भले ही दोनों कृष्ण के हों..लेकिन अलग अलग फोटो हैं.............
इन चारों में से सबसे ज्यादा प्रभावित किया है दुसरे नंबर वाली तस्वीर ने..
दूसरी रचना के भाव बहुत सुन्दर हैं..
जबकि पहली रचना भाषा के चलते ठीक से समझ नहीं पाए हैं अभी....शायद ब्लोगिंग की गुटबाजी को लेकर है..
अगर प्यार..दोस्ती गुटबाजी है..तो हम पक्के गुट्बाज हैं...
और महज कमेन्ट करना गुटबाजी है.....तो हरगिज नहीं...
जो जहां चाहे का लिंक दे दे ..मूड हुया तो कमेन्ट करेंगे ही करेंगे ....
और जैसा दिल में आयेगा वैसा करेंगे......
Aaj to aapane dono hi chitra bahut hi sundar lagae hai...kya kahane!
ReplyDeleteMain bhi yahi samjhati hun jis tarah se alag alag drshyo me nazar to krishn hi aate hai wese hi dono rachanao ka marm to ek hi ...wese itana hi kah sakati hun ..koi kuch bhi kare bas aap to apani Ada me Pyaar Batate chalo!!
Sadar
nice
ReplyDeleteनाहीं तो पसु बनिके फिरोगे आउर खाओगे नित रोज लताड़न
ReplyDelete-गज़ल का क्या कहें..हम तो ऐही लाईनवा में उलझ कर रह गये. :)
हा-हा-हा , Thats gr8, रसखान के साहित्य को भी पछाड़ दिया आपने तो !
ReplyDeleteमोहब्बत का ऐसा असर हमने देखा
ReplyDeleteमुस्कुराते हैं काँटे जब निखार आये
अद्भुत...गायन भी हो जाता तो और भी अच्छा लगता।
बहुत खूब ...
ReplyDeleteऐसे प्रयोग होते रहने चाहिये ,इससे रचनात्मकता बढ़ती है ।
ReplyDeleteजुनूँ की हदों तक मुझे तुमने चाहा
ReplyDeleteबस निभा दो न जानम तो एतबार आये
मोहब्बत का ऐसा असर हमने देखा
मुस्कुराते हैं काँटे जब निखार आये
वाह क्या गज़ल है और ब्लाग विमर्श की तो बल्ले बल्ले । शुभकामनायें
कोई हमें बताए कि हम किस गुट में हैं। कोई लेने को तैयार है क्या हमें? अदा जी आप ही अपने गुट में ले लीजिए।
ReplyDeleteबच जायेंगे अंजाम-ए-इश्क से ये परवाने
ReplyDeleteग़र शम्मा को उन पर भी प्यार आये
बहुत खूब....खूबसूरत ग़ज़ल
और रसखान शैली में ब्लोगेर्स चिंतन तो गज़ब कर रहा है....
ऊपर वाली कविता तो जबरदस्त है मैडम जी। डर-उर नहीं लगता है आपको ऐसे जो लिखती रहती हैं?
ReplyDeleteदूसरी वाली रचना के ऊपर जो ई ताल ठोक के घोषणा कर दिये हैं कि "ग़ज़ल"...तो सो हमसे बरदाश्त नहीं होगा। कहे देते हैं। आप जानती तो हैं कितने सेंटियाये रहते हैं हम ग़ज़ल को लेकर...
हाँ, गायन वाली बात तो हमें भी लुभा रही है ।
ReplyDeleteगजब की कलाकारी है आपकी लेखनी में !
प्रविष्टि का आभार ।
ब्लॉगर हौं तो बस एही बतावन बसौं कोई गुट के छाँव मझारन
ReplyDeleteनाहीं तो पसु बनिके फिरोगे आउर खाओगे नित रोज लताड़न
पाहन बनौ कि गिरि बनौ नहीं धरोगे धैर्य कठिन है ई धारण
फिन खग बनि इक पोस्ट लिखोगे औ करोगे अभासीजगत से सिधारन
वाह कमाल की रचना है.आज तो चोला मस्त हुई गवा हमार...बहुत शुभकामनाए. ऐसी दो चार ठो रचना और लिखने का गुजारिश है.
रामराम.
दीदी उपर वाली रचना तो समझ में बहुत कम आयी लेकिन बढ़िया लगा पढने में , गजल के तो क्या कहने बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteअरे अब ब्रिज भाषा में रसखान शैली भी......कुछ तो छोड़ दीजिये अदा जी ! मजा आ गया....ग़ज़ल तक तो आई ही नहीं मैं..यही न जाने कितनी बार पढ़ डाला :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति॥
ReplyDeleteaDaDi आप parody के मामले में तो उस्ताद हैं...
ReplyDeleteतो भैया हम कहे पीछे रहे?
इ लेवा... (Original: सुबह-सुबह एक ख्वाब की...)
सुबह सुबह एक उम्मीद की दस्तक पे blog खोला,देखा,सरहद पार से कुछ कमेन्ट आये थे,बातों से 'बढ़िया' थे सारे,मज़मून सारे सुने सुनाये.
Reply किये,Mail डाले,...दूसरे blogs पे comment चिपकाये .
और...
अपने blog में...
'फलसफों' के कुछ मोटे मोटे 'post' बनाये.
Comments में bloggers मेरे,पिछले comments का ही 'उम्दा ' 'उत्कृष्ट ' लाये थे .
पुरानी post खोली तो देखा 'comments कोई नहीं था ',
Scrool down कर के देखा,post अभी तक पढ़ा नहीं था.
और...
Posts पे 'आपका स्वागत है ' का अनुरोध अब तक चिपक रहा था,
Old post था शायद ,
Old ही होगा.
Blogs पर कर रात सुना है आये नए posts थे ,
Blogs पर कल रात सुना है कुछ old posts का खून हुआ था .
और ये...
मोहब्बत का ऐसा असर हमने देखामुस्कुराते हैं काँटे जब निखार आये
...जानलेवा !!
आप जानती तो हैं कितने सेंटियाये रहते हैं हम ग़ज़ल को लेकर...
ReplyDeleteबाप रे गौतम सर...
सेंतियाना तो हम आपका उस दिन देखे, कविता और ग़ज़ल को लेकर. साला कॉन्व दुनाली नहीं रहा आपके पास नाही तो आपने तो....
On a serious note i love your passion for this विधा.
@अरे हटा दिए हैं गजल काहे किसी को तपलिक देना..:)
ReplyDelete:( itna zaldi haar maan liva?
ReplyDeleteaap to aisan na the?
इतना कुछ, और इतना सुंदर, आप सोच कैसे लेती हैं? और फ़िर अभिव्यक्त भी कर लेती हैं। आप के चिट्ठे का नाम "एक महामानव(नारी सशक्तीकरण के पैरोकारों को आपत्ति हो तो महामानवी) का चिट्ठा होना चाहिये।" सीरियसली..
ReplyDeleteरस खान जी भी देख कर मुस्कुरा रहे होगे इस महान रचना को, बहुत सुंदर जी
ReplyDelete