हर दिन तुमने जाने हम को कितने मारे पत्थर
रक्खे हैं सम्हाल के हमने कितने सारे पत्थर
ठोकर तुमको लगती है हम जान नहीं पाए थे
पलकें मेरी चुनती थीं वो कितने सारे पत्थर
ममता की छाती सूखी है, बच्चे तरस गए हैं
पर दूध में नहाते रहते हैं वो बहुत दुलारे पत्थर
किस को काफ़िर बोलेंगे और किस को भक्त कहोगे
ये सारी बातें बता रहे हैं, मेरे तुम्हारे पत्थर
भूख की आँधी और गरीबी का ये आलम देखा
खेतों में अब बो डाले हैं हमने सारे पत्थर
आँखें भी डबडबाई 'अदा' और हूक भी तो उठती है
पर तुमको क्यों बताएँ हम, दिल में तुम्हारे पत्थर ?
धन्यवाद.....
सूखे तरूवर को पत्थर लगते हमने तो नहीं देखे हैं,
ReplyDeleteये सब पत्थर लगे आप को,पर हमने नहीं फेंके है।
सजा हमें क्यों फिर मिली, सोच के देखना आप,
इस ब्लाग की संपूर्णता से वंचित न करना आप।
पत्थर भी बहुत कुछ कहते हैं।
ReplyDelete--------
ये इन्द्रधनुष होगा नाम तुम्हारे...
धरती पर ऐलियन का आक्रमण हो गया है।
टिप्पणी-विकल्प बंद हुआ,खुला - हम दोनों वक़्त अनुपस्थित थे । कैसे बता पाता मैं कि एक शेर ने भीतर तक छुआ मुझे -
ReplyDelete"ठोकर तुमको लगती है हम जान नहीं पाए थे
पलकें मेरी चुनती थीं वो कितने सारे पत्थर"
बहुत खूबसूरत है यह ! आपको खूब आती है नाजु़क-बयानी !