ब्लाग दुआरे सकारे गई उहाँ पोस्टन देखि के मन हुलसे
अवलोकत हूँ कभी सोंचत हूँ अब कौन सा पोस्ट पढूँ झट से
घूंघरारी लटें समरूप दिखें कविता ग़ज़लें लगि झूलन सी
कहीं नज़्म दिखे कुछ मुक्तक हैं कई पोस्ट पे स्निग्ध कपोलन सी
परदन्त की पंगति कथ्य दिखे व धड़ाधड़ पल्लव खोलन सी
चपला सम कछु संस्मरण लगे जैसे मोतिन माल अमोलन सी
कभी गीत दिखे संगीत दिखे कभी हास्य कभी खटरागन भी
कभी राग दिखे, अनुराग दिखे, कभी आग लगाव बुझावन भी
कभी व्याध लगे, कभी स्वाद लगे, ई अगाध सुधारस पावन भी
कभी मीत मिला, कभी जीत मिली, कभी खोवन है कभी पावन भी
धाई आओ सखी अब छको जरा कुछ ईद पे कुछ फगुनावन पर
न्योछावरी प्राण करे है 'अदा' बलि जाऊं लला इन ब्लागन परऊपर श्री पद्म सिंह जी द्वारा सुधार की गई प्रस्तुती है ....
और अब यह कविता बेहतर हो गई है..
श्री पद्म सिंह जी का हृदय से आभार..
एक सार्वजनिक सूचना है ....
वैसे तो गिरिजेश जी मेरे पीछे झाड़ू-झौवा लेके पड़े रहते हैं वर्तनी सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत...लेकिन पता नहीं आजकल (वेलेंटाइन डे) के बाद से, नज़र नहीं आ रहे हैं...अगर कहीं वो मिलें तो उनसे कहें कि मेरी कई रचनाएँ उनकी प्रतीक्षा कर रही हैं ... ब्लाग दुआरे सकारे गई उहाँ पोस्ट देखि के ही मन हुलसे
अवलोकहूँ कभी सोंचू हूँ कि अब कौन सा पोस्ट पढूँ झट से
घूंघरारी लटें सम दिसें ग़ज़ल कविता भी लगी है झूलन सी
कहीं नज़्म दिखे कुछ मुक्तक दिखे कई पोस्ट पे सुन्दर कपोलन सी
परदन्त की पंगति कथ्य दिखे धड़ाधड़ पल्लव खोलन सी
चपला सम कछु संस्मरण लगे जैसे मोतीन माल अनमोलन सी
कभी गीत दिखे संगीत दिखे कभी हास्य कभी खटरागन भी
कभी राग दिखे, अनुराग दिखे, कभी आग लगावन बुझावन भी
कभी व्याध लगे, कभी स्वाद लगे, ई अगाध सुधा सुहावन भी
कभी मीत मिला, कभी जीत मिली, कभी खोवन है कभी पावन भी
धाई आओ सखी अब छको जरा कुछ ईद पे कुछ फगुनावन पर
न्योछावरी प्राण करे है 'अदा' बलि जाऊं लला इन ब्लागन पर
अरे भई ई कविता के बाँचे के कोसिस कियें हैं..सुनियेगा तनी..
वाह दी, हम भी छ्क गए आपकी आवज़ मे यह ब्लाग स्तुति सुन कर........आज तारिफ़ को शब्द आप हि से उधार लेने होगे लगता है!
ReplyDeletehttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
बलि जाऊं लला इन ब्लागन पर
ReplyDeleteवह क्या रच दिया है -
सृजन का कीड़ा आपका भी बहुत भूखा है बहुत तेज कुलबुलाने लगा है इन दिनों
कुछ ब्लागों की बलि से उसे शांत कराओ आर्य पुत्री!
बहुते बढ़िया ।
ReplyDeleteये तो विडंबना रहती है सबके साथ.. :(
ReplyDeleteजय हिंद...
nibhaya bahut hi achchha hai di...
ReplyDeletenibhaya bahut hi achchha hai di...
ReplyDeleteमुंह ब्ला से करी, बला ब्ला ही करी, एही कारन हर बात में होत है बलिहारी
ReplyDeleteयहां सब के है काज, सब के हैं साज, कौन के फुरसत कि मारे टिटकारी
हर मर्ज लिखंय, हर तर्ज लिखंय, लिंकिंत हैं सबकी मन की डोरी
गर कोई भागन लगै, टंकी पर चढै, सब मिल कर कहें - आजा आजा री....आजा आजा री :)
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteAapke lekhan , gane aur ab spasht uccharan ko naman
ReplyDeletesubah itanee madhur aawaz sunee hai ab din bhar ye hee chada rahega..........:)
Aapke lekhan , gane aur ab spasht uccharan ko naman
ReplyDeletesubah itanee madhur aawaz sunee hai ab din bhar ye hee chada rahega..........:)
न्योछावरी प्राण करे है 'अदा' बलि जाऊं लला इन ब्लागन पर...
ReplyDeleteपाबला जी, ए अदा जी नू कि हो ग्या वे, कल तक ते चंगे भले सी...
जय हिंद...
यथार्थबोध के साथ कलात्मक जागरूकता भी स्पष्ट है।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteBahut dino baad aaya hun, bahut acchi kavita,
ReplyDeleteshukriya
बहुत बढ़िया बा ....और अच्छा बांचा है आपने .
ReplyDeleteसुमन जी की टिप्पणी मेरी भी मानी जाए...
ReplyDeleteजय हिंद...
जितनी सुन्दर रचना उतना ही सुन्दर गायन!
ReplyDeleteपूरी ब्लॉग चर्चा एक कविता में समेट दी ....आपकी मधुर आवाज़ के तो सभी दीवाने हैं ...गालियाँ देंगी तो वो भी सुन लेंगे ...फिर ये तो ब्लॉग चरित्र चित्रण कविता है ...मधुरं मधुरं ....!!
ReplyDeleteये अदा नाम का तूफ़ान ही ऐसा है ....अजय झा जी के प्रस्ताव पर विचार कर ले क्या ...?
अदा जी,सादर प्रणाम्।
ReplyDeleteछु्ट्टी से वापस आते ही हम भी जरासिमों से ग्रसित हो गए और नाईस रोग लग गया। इसलिए-
नाईस
Shree Padm Singh ne likha hai :
ReplyDelete'अदा' जी को पद्म सिंह का नमन
अदा जी मै आपके ब्लॉग का नियमित पाठक हूँ . नित्य आपकी रचनाओं को बड़े मन से पढता हूँ . कमेन्ट नहीं करता कभी क्योंकि कर ही नहीं सकता. मेरे नेट में एक समस्या है कि कोई भी ब्लागस्पाट की साईट नहीं खुलती जिस से मै गूगल रीडर पर पढता हूँ . मै क्षमा प्रार्थना के साथ सानुरोध कहना चाहता हूँ कि आपकी रचनाएँ बहुत अच्छी हैं, भाव अनमोल होते हैं, किन्तु आप जब छंद में लिखती हैं तो उसमे मात्राओं का ठीक न होना खटकता है, थोड़े से शब्दों के रूप बदल देने से मात्राएँ ठीक हो जाती हैं और रचना और भी सुन्दर और सुपाठ्य हो जाती हैं. आपके पाठक होने के नाते, या ब्लॉग जगत में एक ही ज़मात के होने के कारण मेरे इस सुझाव को अन्यथा नहीं लेंगी इस का मुझे विश्वास है . उदाहरण के रूप में मैंने आपकी एक पोस्ट में अल्प सुधार कर के भेज रहा हूँ .. अपनी पुरानी पोस्ट और फिर इसे पढ़ें .. और तरलता का अनुभव करें .. बदले गए शब्द लाल कर दिए गए हैं-( पुनश्च आपसे अनुरोध है कि ये केवल सलाह है . कृपया बुरा न मानें)
ब्लाग दुआरे सकारे गई उहाँ पोस्टन देखि के .मन हुलसे
अवलोकत हूँ कभी सोंचत हूँ अब कौन सा पोस्ट पढूँ झट से
घूंघरारी लटें समरूप दिखें कविता ग़ज़लें लगि झूलन सी
कहीं नज़्म दिखे कुछ मुक्तक हैं कई पोस्ट पे स्निग्ध कपोलन सी
परदन्त की पंगति कथ्य दिखे व धड़ाधड़ पल्लव खोलन सी
चपला सम कछु संस्मरण लगे जैसे मोतिन माल अमोलन सी
कभी गीत दिखे संगीत दिखे कभी हास्य कभी खटरागन भी
कभी राग दिखे, अनुराग दिखे, कभी आग लगाव बुझावन भी
कभी व्याध लगे, कभी स्वाद लगे, ई अगाध सुधारस पावन भी
कभी मीत मिला, कभी जीत मिली, कभी खोवन है कभी पावन भी
धाई आओ सखी अब छको जरा कुछ ईद पे कुछ फगुनावन पर
न्योछावरी प्राण करे है 'अदा' बलि जाऊं लला इन ब्लागन पर
पद्म सिंह जी,
ReplyDeleteअभिवादन,
यह तो मेरा सौभाग्य है..कि आपने इस कविता को अपना समझा और सुधार दिया...मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई है...यह सच है कि मात्राओं कि त्रुटि हो जाति है मुझसे...मुझे अक्सर गिरिजेश राव जी टोकते ही रहते हैं...इसके दो कारण है सबसे पहला कि मुझे हिंदी पुस्तकें पढ़ने का मौका बहुत ही कम मिला है...और दूसरा अहम् कारण, मैं बहुत जल्दी करती हूँ लिखने में...और कविता को सुधारने का समय देती ही नहीं हूँ.....ख़ुद भी हड़बड़ी करती हूँ क्यूंकि पोस्ट डालने का समय हो जाता है...रोज-रोज कविता पोस्ट करके पाठकों की आदत बिगाड़ चुकी हूँ.....:):)
वैसे भी यहाँ कनाडा में किसीके पास जाऊँगी...कोई ऐसा है नहीं...ख़ास करके जहाँ मैं रहती हूँ..
मुझे बहुत ज्यादा ख़ुशी हुई है कि आपने समय निकाला और इस कविता को इस योग्य समझा...आगे भी आप ऐसा ही मार्गदर्शन करते रहेंगे यही आशा है...
आपका हृदय से आभार..
स्वप्न मंजूषा 'अदा'
हमारी पोस्ट को खटरागन कहा....देख लूँगा. :)
ReplyDeleteमैं समझ गया हूँ कि ये मेरे लिए ही कहा होगा..हा हा!!
प्रशंसा पढ़ कर अच्छा लगा.
ReplyDeleteबस तुम लाजवाब हो हर अदा लाजवाब बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteकभी आग लगाव बुझावन भी
ReplyDeleteये तो हमारी पुरस्कार की शब्दावली का मजाक उडाया है.:)
वाह गजब,,गजब और सिर्फ़ गजब. बस आप तो इसी तरह लिखती रहिये. सुबह सुबह मन चैतन्य होगया.
रामराम.
अदा जी, हम तो फिर यही लिखेंगे कि हम आप पर फिदा हो चुके हैं, वेलेण्टाइन डे भी जा चुका नहीं तो एक लाल गुलाब आपको ही भेज देते। अपना फोन नम्बर दीजिए आपकी आवाज साक्षात सुनना चाहती हूँ।
ReplyDeleteआपकी आवाज , उफ क्या कहने , जब सूनता हूँ तो पता नहीं क्या हो जाता है , और तब कई बार सूनना पड़ता है , आपकी आवाज में न पता क्या जादू है, तभी तो मुझे आपसे बहुत-बहुत प्यार है । रचना बहुत बढिया लगी ।
ReplyDeleteवाह वाह,
ReplyDeleteक्या बात है...रचना पढने के साथ साथ सुनने का अवसर भी मिला...जितना पढ़ कर आनन्द मिला उससे कहीं अधिक सुन कर आया....और भई विषयवस्तु तो कमाल ही है....
hnm....
ReplyDeleteWaah! Waah!!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया रहा यह ब्लॉग स्तुति...मजा आ गया,पढ़,सुन कर....
ReplyDeleteआह हा..........अदा जी! muaaaaaaaaaaaaanh ....क्या लिखा है.....एक एक पंक्ति पे बलिहारी जाऊं
ReplyDeleteबेहतरीन्! ब्लाग स्तुति!!!
ReplyDeleteदुविधा बढती जा रही है, रचना ज्यादा सुंदर है या आपकी आवाज? दोनों ही लाजवाब।
ReplyDeleteशुरू से ही मालूम है जी...
ReplyDeleteबहुत जल्दबाज हैं आप..
खूब याद है...युग्म पर झटपट पहेली का गलत जवाब देतीं थीं आप..
ReplyDeleteऔर अगले ही पर डिलीट कर देतीं थीं...............
बहुत सुन्दर दीदी, अच्छी लगी रचना ।
ReplyDeleteशानदार, न केवल पढ़ा बल्कि सुना भी।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ये अलग बात है कि आपको सुनते हुए यह महसूस हुआ कि रिकार्ड करते हुए एक हिचक थी आपमें, इसलिए आवाज पूरी तरह खुल कर सामने नहीं आ सकी।
ऐसा मुझे प्रतीत हुआ।
शुभकामनाएं
आप का स्वर तो नहीं सुन पा रहा लेकिन शिकायत देख रहा हूँ। मनो ई मेलवा पर पढ़ना और टिपियाना महत्त नहीं रखता ? इहाँ हाजिरी बजाना जरूरी है।
ReplyDeleteपद्म सिंह जी ने सुन्दर को सँवार दिया है - छ्न्द से।
छ्न्दों के मामले मैं नहीं जानता, ऐसा नहीं है लेकिन मुझे छ्न्द तले घुटन महसूस होती रही है। छ्न्दबन्ध रचा भी है तो बहुत कम।
आलसी स्वभाव के कारण जगण, भगण और मात्रा युति वगैरह पर कोफ्त होती रही है।
..वैसे आप तो आल राउंडर हैं - कपिलदेव जैसी।
तीखी धार है आपकी अभिव्यक्ति में ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteबेहतरीन आवाज के लिए बधाई !
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