यह पोस्ट समर्पित है , एक बेहद खूबसूरत जज़बा के नाम जिसे 'दोस्ती' कहते हैं ..
वर्ष : १९८०
स्कूल का आखरी दिन...
वीरेंदर सिंह पाबला और प्रगट सिंह बहुत गहरे दोस्त थे, पूरा स्कूल उनकी दोस्ती कि मिसाल देता था, दोनों कि दोस्ती पहली कक्षा से थी , दोनों ने पढ़ाई एक साथ की, बदमाशियां एक साथ की और खेल कूद में भी साथ-साथ ही रहे....
दोनों को पुलिस में जाने का शौक़ था, और आज उनके स्कूली जीवन का आखरी दिन था ...
दोनों स्कूल से लौटे समय बातें करते हुए आ रहा थे...
पाबला : भाई ! मैं दूसरे शहर जा रहा हूँ, वहीँ पढूंगा, तुम्हारी बहुत याद आएगी...
प्रगट हाँ मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आएगी , लेकिन हमारी दोस्ती कभी नहीं ख़तम हो सकती है, हम दोनों साल में एक बार ज़रूर मिला करेंगे...
पाबला: ये हुई ना बात , तो ये बात पक्की रही....उसके बाद दोनों ने अश्रुपूरित नेत्रों से एक दूसरे से विदा लिया... समय के साथ-साथ दोनों ही अपने कामों में व्यस्त हो गए...पहले के दो साल दोनों ने अपना वायदा पूरा लिया , उसके बाद वो अपनी-अपनी दुनिया में मशगूल हो गए...
दोनों ही पुलिस में भर्ती हो गए , और ऑफिसर बन गए....
वर्ष : २०१०
जगह : जहाँ पाबला काम करते हैं
ट्रिंग ...ट्रिंग....
पाबला जी ने फोन उठाया और आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी हुई उनको
""पाबला बोल रहो क्या ?"
"जी हाँ आप कौन ?"
" अरे भाई ! मैं प्रगट , अभी पता चला की तुम इस पुलिस स्टेशन में हो "
पाबला जी रो पड़े
पाबला : अरे कहाँ हो तुम ?
प्रगट : अरे मैं पुलिस स्टेशन के बाहर खड़ा हूँ....बाहर तो आ...
पाबला : अरे ऐसा क्या ? हुण आया !!!.
पाबला जी भागते हुए बाहर गए ..उनकी आँखों से आँसू रुक नहीं रहे थे ...प्रगट से वो पूरे ३० वर्षों के बाद मिल रहे थे ..पाबला जी प्रगट के गले मिलना चाहते थे लेकिन नहीं मिल पा रहे थे....चाहे वो गले नहीं मिल पा रहे थे लेकिन बहुत ही touching moment था दोनों के लिए....
क्यों यकीन नहीं आ रहा ख़ुद ही देख लीजिये ना......
नीचे .....
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नीचे .....
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.नीचे .....
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और नीचे .....
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बस ...
क्या ऐसा touching moment देखा है आपने ?
हा हा हा ....बहुत बढ़िया....क्या मजबूरी है....
ReplyDeleteपुलिस ऑफिसरों को अपने को चुस्त दुरूस्त बनाए रखना चाहिए .. ताकि किसी दोस्त के मिलने पर ऐसे टचिंग मोमेंट न आ सके !!
ReplyDeleteहां जी! हुण समझ आया मामला, जदों तुस्सी पोस्ट करेक्ट कित्ती। नइ ते अस्सी थल्ले-थल्ले करदे पाताल तक चलगे सीगे। वेक्खो जी साडे महकमे विच ते एन्ज ई चलदा हैगा, जिन्नी वड्डा टचिंग मोंमेंटो ते ओन्नी वड्डी इनकम होर अफ़सर्।
ReplyDeleteवाह! क्या दृश्य है।
ReplyDeleteहा हा हा हा ......चित्र सहित बहेतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteha ha ha waah kya drishya hai..
ReplyDeletekhoob.........
ReplyDeleteवाकई, ट्म्मी टचिंग मोमेंट।
ReplyDeleteहा हा हा ....अब चित्र दिखाई दिए...मज़ा आ गया....nice touching scene
ReplyDeletehahaaha.....kya ada....ye ada bhee gazab hai Ji :))))
ReplyDeleteओह यह पापी पेट....अपनों से ..बिछुड़े हुओं से मिलने भी नहीं देता..
ReplyDeleteये टचिंग मोमेंट महकमे की वजह आया जी. पर बडा ही जोरदार आया.:)
ReplyDeleteरामराम.
ha ha ha sahi majburi batai aapne :)
ReplyDeleteI saw this pic in my inbox once but I did not recognize then :) ... kudos
ReplyDeleteये तो संता बंता की जोड़ी लग रही है।
ReplyDeleteलेकिन एक सफ़ेद , दूसरा काला !
अजी मैं दाढ़ी की बात कर रहा हूँ।
ReplyDeleteमज़ा नहीं आया,
कृपया इस टिप्पणी को अपनी सुविधानुसाए मर्डरेट कर दें, किन्तु मुझे तमाम समय ऊपर लिखा हुआ " यह पोस्ट समर्तिप है ," ही सताता रहा ।
अब यह न कहना ओ बहना कि
ये भी कोई बात हुई, हाँ नहीं तो..
ReplyDeleteधन्यवाद देने से पहले टिप्पणी जी फूट कर निकल लिये.. मर्डरेशन से डरता है, नूँ !
हाँ नहीं तो..
जय हो।
ReplyDeleteहा ...हा...हा...बहुत ही मज़ेदार...रोचक पोस्ट
ReplyDeleteपंजाब पुलिस दा ते कोई जवाब नईं :-)
ReplyDeleteमिले तोंद तुम्हारी हमारी तो
ReplyDeleteदे दें एक सुपारी :) :) :)
ओए रव्वा कुछ ते कर अस्सी गले मिल लाईये, अब हम तो कोई मदद नही कर सकते जी
ReplyDeletehaha.....kya ada ji ....ye ada bhee gazab hai Ji
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteबच के रहना, पाबला जी ने सब कुछ नोट कर लिया है...ज़रूर काउंटर करेंगे...पंजाबी पुत्र, कभी हिसाब अधूरा नहीं छोड़ते...और अभी तो होली में थोड़े दिन पड़े हैं...
जय हिंद...
forwrded email pe yah photo karib ek mahine pahle aai thi lekin aapke jaisa dimag nahi laga paya mai.
ReplyDeleteman na padega, shandar, bahut badhiya
हाहाहाहाह बहुत खूब दीदी ।
ReplyDeleteआँख नम हो गई ऐसा टची मूमेंट देख कर... :)
ReplyDelete@ खुशदीप जी
ReplyDeleteकाउंटर या एनकाउंटर :)
Hmmmmm
ReplyDeleteखुद तो खिड़कियों पर परदे खींच रखे हैं और दूसरों की छुप छुप कर फोटो खींचती हैं :-)
खुशदीप जी का कमेंट पढ़ लीजिए :-)
बी एस पाबला
यह है जबर्दस्त सेन्स ऑफ ह्यूमर !
ReplyDeleteअमर जी की बात का खयाल नहीं किया आपने ? समर्तिप को समर्पित करिये !
आभार !
@ Dr.Amar aur Himanshu ji,
ReplyDeletebahut bahut maafi dhyan nahi de paayi thi..
vartani dosh bataya aapne..
kshamaprarthi hun vishesh roop se Dr. Amar ke parti..maaf kijiyega aandhar hue jaa rahe hain...
haan nahi to..!!