मैं भी कल रात उन दीवानों में थी
मेरी नज़रें तो गुजरे ज़मानों में थी
दिल घबराया ऊँचे मकाँ में बड़ा
फिर सोयी मैं कच्चे मकानों में थी
यूँ तो दिखती हूँ मैं शमा की तरहां
पर गिनती मेरी परवानों में थी
मैंने हर बात पे उसके यकीं कर लिया
कितनी सच्चाई उसके बयानों में थी
मेरे अपनों ने कब का है छोड़ा मुझे
शायद लज्ज़त-ए-उल्फत बेगानों में थी
क्या ढूंढें 'अदा' वो तो सब बिक गया
तेरे सपनों की डब्बी दुकानों में थी
SOUND OF SILENCE
Hello darkness, my old friend,
I've come to talk with you again,
Because a vision softly creeping,
Left it's seeds while I was sleeping,
And the vision that was planted in my brain
Still remains
Within the sound of silence.
अँधेरे मेरे पुराने दोस्त
मैं फिर आया हूँ तुमसे बात करने
क्यूंकि कुछ प्रतिबिम्ब अहिस्ता से मेरे
अन्दर समा रहे थे, जब मैं सो रहा था
और ये प्रतिबिम्ब अभी भी मेरे दिमाग में
ठहरे हुए हैं...ख़ामोशी की आवाज़ के साथ
In restless dreams I walked alone
Narrow streets of cobblestone,
'neath the halo of a street lamp,
I turned my collar to the cold and damp
When my eyes were stabbed by the flash of a neon light
That split the night
And touched the sound of silence.
वो एक बेचैन सा सपना था
जिसमें में पथरीले और संकरी गलियों में चल रहा था
जहाँ पर स्ट्रीट लाईट थी उसकी गोलाई के नीचे
मैंने अपने कालर ऊपर कर लिए थे क्यूंकि
ठण्ड और नमी थी
ऐसे में ही मेरी आँखें चौंधिया गयीं
रात की उन रंगबिरंगी बत्तियों से
और उन रौशियों ने छू लिया था
ख़ामोशी की आवाज़ को
And in the naked light I saw
Ten thousand people, maybe more.
People talking without speaking,
People hearing without listening,
People writing songs that voices never share
And no one dare
Disturb the sound of silence.
और उसी नंगी रौशनी में मैंने देखा
दस हज़ार लोगों को या शायद उससे से भी ज्यादा थे वो
वो बिला कुछ बोले बोले रहे थे
बिना कुछ सुने , सुन रहे थे
लोग गीत लिख रहे थे, लेकिन उन गीतों को कोई आवाज़ नहीं मिल रही थी
और किसी ने भी हिम्मत नहीं की
परेशान करने की
ख़ामोशी की आवाज़ को
"fools" said i, "you do not know
Silence like a cancer grows.
Hear my words that I might teach you,
Take my arms that I might reach you."
But my words like silent raindrops fell,
And echoed
In the wells of silence
And the people bowed and prayed
To the neon God they made.
And the sign flashed out it's warning,
In the words that it was forming.
And the sign said, "the words of the prophets
Are written on the subway walls
And tenement halls."
And whisper'd in the sounds of silence.
बहुत बेहतरीन गाया है संतोष जी ने...सुपर्ब!
ReplyDeleteअरे, लेखन की तो तारीफ भूल हू गये..ऐसा डूबे शब्दों में कि ख्याल ही नहीं रहा कि लिखा कितना सुन्दर है. :)
ReplyDeletebahut sunder shacd avum swar.
ReplyDeleteBahut Sundar rachana bhi aur gayan bhi...Aabhar!!
ReplyDeleteमेरे अपनों ने कब का है छोड़ा मुझे
ReplyDeleteसच्ची चाहत शायद बेगानों में थी
क्या ढूंढें 'अदा' वो तो सब बिक गया
तेरे सपनों की डब्बी दुकानों में थी
बेहतरीन। लाजवाब।
अरे वाह दीदी बहुत खूब , आज पूछिए मत , बस मजा आ गया ।
ReplyDeleteगीत अभी नहीं सुना जा रहा है..
ReplyDeleteरचना बढ़िया है...
ज़रा और कोशिश कर लेती तो और निखर जाती...
बहुत अच्छी पेशकश ........बहुत अच्छा गाया है संतोष जी ने !
ReplyDeleteमेरे अपनों ने कब का है छोड़ा मुझे
ReplyDeleteसच्ची चाहत शायद बेगानों में थी .nice
बहुत सुन्दर गायन और लेखन।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना और बेहतरीन आवाज.
ReplyDeleteरामराम.
क्या ढूंढें'अदा'वो तो सब बिक गया।
ReplyDeleteतेरे सपनों की डब्बी दुकानों में थी।
तारीफ़ मे जिनकी शब्द ही खो जाएं।
कैसे करें करें तारीफ़ आप ही बताएं॥
आभार
क्या कहें पर यकीं तो आपको भी है,
ReplyDeleteअसली कसक तो आपके गानों में थी |
यूँ तो दिखती हूँ मैं शमा की तरहां
ReplyDeleteपर गिनती मेरी परवानों में थी
मैंने हर बात पे उसके यकीं कर लिया
कितनी सच्चाई उसके बयानों में थी
वाह,
fools" said i, "you do not know
Silence like a cancer grows.
Hear my words that I might teach you,
Take my arms that I might reach you."
But my words like silent raindrops fell,
And echoed
In the wells of silence
And the people bowed and prayed
To the neon God they made.
And the sign flashed out it's warning,
In the words that it was forming.
And the sign said, "the words of the prophets
Beautiful !!
बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteपढ़ना भी अच्छा लगा और सुनना भी। बढिया, बधाई।
ReplyDeleteNamaste ji,
ReplyDeleteमेरे अपनों ने कब का है छोड़ा मुझे
शायद अलग सी चाहत बेगानों में थी
Talented or I will say multi-talented :)
Regards,
Dimps
बहुत सुंदर रचना ... बधाई
ReplyDeletesundar shab....sundar swar.
ReplyDelete"मेरे अपनों ने कब का है छोड़ा मुझे
ReplyDeleteशायद अलग सी चाहत बेगानों में थी"
छोड़ते तो अपने ही हैं, बेगाने भला क्या छोड़ेंगे!
बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति...बेहतरीन रचना..बधाई.
ReplyDelete______________
शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".
कुछ-कुछ वैसा ही है न -
ReplyDelete"वो जो बेचते थे दवा-ए-दिल,
वो दुकान अपनी बढ़ा गये।"
आपकी रचना और शैल जी की आवाज, दोनों ही बेहतरीन।
कविता बहुत अच्छी लगी....
ReplyDeleteमेरे अपनों ने कब का है छोड़ा मुझे शायद अलग सी चाहत बेगानों में थी ....
इन पंक्तियों ने तो दिल ही छू लिया... मुझे भी कभी कभी ऐसा ही लगता है....
संतोष जी ने बहुत ही खूबसूरती से गाया है.... आवाज़ बहुत अच्छी लगी... आप दोनों की आवाज़ में जादू है... सच कहा गया है.... जोड़े उपरवाला ही बनाता है.... मेरी दुआएं आप दोनों के साथ हैं.... बहुत सुंदर पोस्ट...
बहुत अच्छी रचना ओर गीत अभी सुना नही, धन्यवाद
ReplyDeleteसुन्दर लेखन और गायन का एक नमूना।
ReplyDeleteमेरे अपनों ने कब का है छोड़ा मुझे
ReplyDeleteशायद लज्ज़त-ए-उल्फत बेगानों में थी
बेगाने कब अपने हुए ..तनिक धीरज रखें
सतोष जी तो क्या खूब गाते हैं -मेरी शुभकामना की
उनके गीत हालीवुड के परदे पर जायं
संतोष जी की बहुआयामी प्रतिभा को सलाम...
ReplyDeleteजय हिंद...
सुन्दर गजल - सा !!!
ReplyDeleteदेखिये , सम्हलिये नहीं किसी दिन
राजरिशी जी क्लास लगायेंगे , बहर पर !
.
अंगरेजिया भी मेरे पल्ले पड़ती है कभी कभी ! मान गए ! आभार !
सच कहिये तो अंग्रेजी में कुछ भी गाया हुआ पहली बार खयाल से सुना !
ReplyDeleteबेहतरीन ! आभार !