जब मन उदास होता है
ख़याल के पास होता है
जो दिल में दर्द उठता है
लब पे उच्छ्वास होता है
पहुँचेंगे शिखर पर वो
जिन्हें विश्वास होता है
सच्चा प्रेम मिल जाए
फिर मधुमास होता है
सुधि सा जो साथी हो
जीवन ख़ास होता है
कलह प्रेमी मनुज का तो
बस विनाश होता है
कुटिलता का अंतिम लक्ष्य
बस भड़ास होता है
जिस जीवन में नहीं उत्साह
मृत्यु के पास होता है
Jivan ki sacchai ko baya karati is kavita ki jitani tarif karu kam lagati hai...ek ek line apane aapame bahut khub hai...Aabhar!!
ReplyDeleteहम भटकते ही नही बहरो-वजन पर ! इसलिये पूरे आनन्द से पढ़ रहे हैं यह रचना ।
ReplyDeleteशब्दों का सुन्दर प्रयोग मजा दे रहा है । बहु-संस्कारी शब्द घुलमिल गये हैं । आभार ।
दद्दा(मैथिली शरण गुप्त) की सादगी की स्मृति हो आई।
ReplyDeleteशब्द सरल, लय सरल, बात सरल - भाव गहन।
छन्दों से मुक्ति की भाप को बीच बीच में विधान पात्र में बन्द करते रहिए - शक्ति संचय होता रहेगा।
गहरे भाव ..।
ReplyDeleteआभार ।
jeevan kee sacchaee.......bhavo kee sunder prastuti..... .sabhee utkrusht .
ReplyDeleteaabhar
जिस जीवन में नहीं उत्साह
ReplyDeleteमृत्यु के पास होता है.nice
पहुँचेंगे शिखर पर वो
ReplyDeleteजिन्हें विश्वास होता है..
शानदार लाइनें,आभार.
सुधि सा जो साथी होजीवन ख़ास होता है
ReplyDeleteकलह प्रेमी मनुज का तोबस विनाश होता है
मेरे दिल के करीब की रचना है यह
जब भी ये दिल उदास होता है जाने कौन आस पास होता है
ReplyDeleteसच्चे प्रेम का मधुमास ....पहुंचे शिखर पर है विश्वास
जीवन नहीं उल्लास के बिना पूर्ण ...जानते हैं ....इसलिए हजार रोड़ों के बावजूद उत्साह कभी कम नहीं होता ...
उत्साह जगा तो रही है कविता ...मगर इसमें कही कोई छिपी उदासी नजर आ रही है ...क्या सिर्फ मुझे ही ...??
दीदी चरण स्पर्श
ReplyDeleteअरे वाह दीदी क्या बात है आजकल रोज धासु-धासु पोस्टवा ठेल रही हों कुछ हाथ लगा है लगता है , कोई बात नहीं वो तो हम पता लगा ही लेंगे , फिलहाल ये कह देता हूँ रचना बहुत अच्छी लगी । इतना धासू लिखती हैं आप तभी तो बार-बार कहने को मन करता है कि हम आपसे बहुत प्यार करते हैं ।
"पहुँचेंगे शिखर पर वो
ReplyDeleteजिन्हें विश्वास होता है"
बहुत सुन्दर!
हमें भी विश्वास है खुद पर।
कलह प्रेमी मनुज का तो
ReplyDeleteबस विनाश होता है
कुटिलता का अंतिम लक्ष्य
बस भड़ास होता है
ध्रुव सत्य है-आभार
मन की सरलता को संभव है कि बेहतरी से इसी तरह व्यक्त किया जा सकता हो.
ReplyDeleteबहुत उत्तम रचना ......
ReplyDeleteअरे वाह इतनी सुन्दर रचना पढने को मिले तो क्या बात हो , बहुत ही लाजवाब रचना लगी आपकी , खासकर शब्दो का संयोजन ।
ReplyDeleteक्या कहे, सब कुछ तो कविता में कह दिया गया है
ReplyDeleteएक सच्ची कविता
हर एक लाइन न सिर्फ बहुत सुन्दर अपितु यथार्थ बयान करती है !
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteछोटे थे तो बिना मतलब पता हुए ये गाया करते थे...
तितली उड़ी, उड़ के चली,
फूल ने कहा, आजा मेरे पास,
तितली कहे, चल हट बदमाश...
जय हिंद...
कुटिलता का अंतिम लक्ष्य
ReplyDeleteबस भड़ास होता है
जिस जीवन में नहीं उत्साह
मृत्यु के पास होता है
बहुत बड़ा सत्य कह दिया है इस रचना में....खूबसूरत ..
अदा साहिबा आदाब
ReplyDeleteबहुत खूब कहा है-
पहुँचेंगे शिखर पर वो
जिन्हें विश्वास होता है
आत्मविश्वास पैदा करने वाला भाव
सुधि सा जो साथी हो
जीवन ख़ास होता है
सच कहा-
मोहसिन साहब का एक शेर अर्ज़ है-
दिल ही न मिलेंगे तो सफर कैसे कटेगा
दुनिया ने तो रिश्तों में हमें बांध दिया है
Vaah!
ReplyDeletekya baat hai. do took baat.bahut khoob
ReplyDeleteखूबसूरत रचना...
ReplyDeleteपहले रचना कि जगह ग़ज़ल लिखने जा रहे थे कमेन्ट में...
लेकिन मन नहीं माना....
भाव बहुत गहरे हैं इस कविता के....
जब मन उदास होता है
ख़याल के पास होता है
पहली लाईने देखते ही ..गाना याद आ रहा है रफ़ी का...
जब भी ये दिल उदास होता है...जाने कौन आस पास होता है...
कोई वायदा नहीं किया लेकिन...क्यूँ तेरा इंतज़ार रहता है..
बेवजह जब करार मिल जाए..
दिल बड़ा बेक़रार रहता है..
सुधि सा जो साथी हो
ReplyDeleteजीवन ख़ास होता है
बहुत सुन्दर रचना.
Ambarish Ambuj ne kaha hai email se :
ReplyDeletecomment post nhi ho raha shayad....
जीवन में उत्साह आ गया है,
मन में विश्वास आ गया है,
कैसे नही मिलेगी सफलता जब,
राह दिखाने आप सा ख़ास आ गया है..
छोटे छंदों का भा अपना ही मजा है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है आपकी यह रचना!
आप यहाँ भी हैं-
http://charchamanch.blogspot.com/2010/02/blog-post_02.html
जिस जीवन में नहीं उत्साह
ReplyDeleteमृत्यु के पास होता है
छोटी छोटी लाइनों में जीवन दर्शन सिमेट दिया है .............
पहुँचेंगे शिखर पर वो
ReplyDeleteजिन्हें विश्वास होता है..
सुंदर रचना! इसमें सबकुछ है। साधुवाद!
ReplyDeleteवाह....वाह.....वाह.... अतिसुन्दर....
ReplyDeleteयथार्थ को अनूठे ढंग से उद्भेदित सभी के सभी पद मर्मस्पर्शी,मनमोहक...
Namaste :-)
ReplyDeleteBahut achha likha hai.
"कुटिलता का अंतिम लक्ष्य
बस भड़ास होता है"
Kaafi achhey se shabdo ko tol-mol kar likha hai....
Prem Sahit,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
har sher sacchayi bayaan karta hua. rachna ko sashakt aur sunderta pradan kar raha hai. ada di badhayi. sory kuchh posts per me nahi aa payi.
ReplyDeleteआशा और ऊर्जा से भरी कविताओं से नवजीवन का संचार होता है। बेहद उत्तम पोस्ट है आपकी।
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