साभार : http://bharhaas.blogspot.com/2010/01/blog-post_7783.html
कहीं पढ़ा था इंटेलेक्चुअल आतंकवाद क्या होता है...सोचा मेरी समझ में जो आया बता दूँ...
आप क्या कहते हैं ?
ये है इंटेलेक्चुअल आतंकवाद...?
एम्. ऍफ़. हुसैन की पेंटिंग्स ...मेरी नज़र में इंटेलेक्चुअल आतंकवाद का बहुत बड़ा उदाहरण हैं ...और हाल-फिलहाल शाहरुख़ का पकिस्तान के प्रति स्नेह भी इसी श्रेणी में आता हैं...जबकि कसाब और उसके साथियों के कारनामों की यादें अभी धुंधली नहीं पड़ी हैं...
देखिये और ज़रा सोचिये....
आभार...देवी दुर्गा अपने वाहन सिंह के साथ नग्नावस्था में लैंगिक जुड़ाव के साथ
हज़रत मोहम्मद पैगम्बर की बेटी बीबी फ़ातिमा पूरे वस्त्रों में सज्जित
देवी लक्ष्मी भगवान गणेश के सिर पर नग्नावस्था में पैर रखे हुए
खुद मक़बूल फिदा हुसैन द्वारा बना्या अपनी मां का चित्र
देवी सरस्वती का नग्न चित्रांकन
मदर टेरेसा पूरे कपड़ों में चित्रित
नग्नावस्था में श्री-पार्वती
स्वयं हुसैन की बेटी का चित्र जो कि पूरे कपड़ों में है
नग्न द्रौपदी
पूरे वस्त्रों में आधुनिक मुस्लिम महिला
नग्न हनुमान और निर्वस्त्र देवी सीता को रावण की जांघ पर बैठा चित्रित करा गया है
शायर ग़ालिब और फ़ैज पूरे कपड़ॊं में चित्रित करे गये है
पूरे कपड़ों में सज्जित मुस्लिम बादशाह और नग्न ब्राह्मण जो कि चित्रकार द्वारा हिंदुओं के नंगे चित्र बनाने की सोच को साफ़ बता रहा है
भारतमाता का नग्न चित्र जिनके अंगों पर राज्यों के नाम लिखे गये हैं साथ ही अशोक चक्र जैसे राष्ट्रीय सम्मानित प्रतीक का भी इस चित्र में समावेश करा गया है
गांधी जी की गर्दन ही उडा दी है....
गांधी जी की गर्दन ही उडा दी है....
बेहद शर्मनाक ,यह तो घिनौना वाद है -बौद्धिक रुग्णता से भी बदतर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया अदा जी, मगर इनकी आँखों में तो मोतियाबिंद है ये इसे कैसे देख पायेंगे ! तिलमिलाकर कुछ लिखने से पहले कुछ लोग यह नहीं सोचते कि जहां तक निष्पक्ष टा से हर पहलू को देखने की बात आती है वहां ये कितने खरे उतारते है ! अभी कुछ महीनो पहले तक जब एक ब्लोगर बहुत कुछ अनाप सनाप लिख रहा था वहाँ उन्हें वह इंटेलेक्चुअल टेरर नजर नहीं आया !
ReplyDeleteकला के नाम पर महापुरूषों का नग्न चित्रण अशोभनीय है.......
ReplyDeleteGirijesh ji ne kaha hai ::
ReplyDeleteहम इंटेलेक्चुअल ही नहीं हैं, आतंकवादी होना दूर की बात है :)
... ऊपर वाला ही ऐसे लोगो को और इन के हिमायतीयों को सदबुद्धि दें...
ReplyDeleteविकृत मस्तिष्क की उपज है ये।
ReplyDeleteतभी तो ज़नाब लन्दन में पड़े हैं।
निंदनीय एवं घिनौना कृत्य
ReplyDeleteu have revealed new facts, excellent
ReplyDeleteकुत्सित मानसिकता के साथ किया गया घृणित प्रयास। देश की संस्कृति का होता पतन कि इसका विरोध करने वाले कहलाते है साम्प्रदायिक।
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteबहुत तार्किक रूप से एम् ऍफ़ हुसैन साहब को नंगा कर दिया है...बुद्धिजीवी जो तर्क की भाषा समझते है जिन्हें हिन्दू आराध्यों को नग्न दिखाने में ही अपनी कला की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति नजर आती है उन्हें ऐसे तर्कों से ही नंगा किया जा सकता है...हम हिन्दू है न तो बुद्धिजीवी है न तर्क वाले है कुछ कहने की आवश्यकता नहीं रही...तरतीब से उन्ही की कला दुनिया के सामने रखी तो उनका आतंकवाद सामने आगया..बौद्धिक आतंक वाद!हुसैन साहब आप ज्यादा खतरनाक है...आप अपनी कुंठा का इलाज करें या इन प्रश्नों का जवाब दे!प्रश्न जो आपकी कलाकृतियाँ पूछ रही है...आपको हिन्दू देवियों को नग्न दिखाने और बाकी सब धर्मों में मर्यादा दिखाने के पीछे कौनसी घृणित सोच है...क्या इसलिए कि हिन्दू धर्म में आपके खिलाफ फतवे जारी नहीं होते...आपको हिन्दुओं से माफ़ी मंगनी चाहिए!
विकृत मस्तिष्क की उपज को उजागर करती आपकी प्रस्तुति काबीले तारिफ़ है...आभार!
ReplyDeleteमैंने केवल इन चित्रों के बारे में सुना था.....आज यहाँ देख कर रोंगटे खड़े हो गए..वीभत्स चित्र
ReplyDeleteमुझे नहीं लगता कि अब कोई ये पूछने की हिम्मत करेगा कि इंटेलेक्चुअल आतंकवाद किसे कहते हैं ??? और रही इन महान चित्रकार की चित्रकारी की बात ....तो इसके बाद भी यदि कोई कहता है कि अभिवयक्ति की स्वंत्रता है ...तो उसे .....छोडिये ....मैं अपशब्द लिखना नहीं चाहता
ReplyDeleteअजय कुमार झा
uffffffffffff शर्मनाक ..बेहद शर्मनाक
ReplyDeleteबेहद अफ़्सोसनाक और कायराना कत्य.
ReplyDeleteरामराम.
Agreed with Ajay ji.....
ReplyDeleteAgreed with Ajay ji....
ReplyDeleteAbhee tak sunaa hee tha aaj dekha . mai stabdh hoo .
ReplyDeleteada ji,
ReplyDeleteaapne aisi post likh di jiski bahut jyada zaroorat hai, aaj aadhunikta ke naam par na jaane kya -kya kah kar aur kerke log nikal jaate hain.
M.F.Hussain ek kutsit vichaar waala bahut hi ghatiya insaan hai, uske Madhuri Dixit ki leye ulti seedhi baat kahi fir baad mein Urmila ke liye. is budhaape mein use desh se bhagna pada, Intellectual atankawaad ka isse accha koi example nahi mil sakta. aapki lekhni ko naman.
बेचारे 'सेक्युलरों' की तो बल्ले -बल्ले हो गई आज
ReplyDeleteजब इन लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है तो हमें क्यों नहीं है, या ऐसी स्वतंत्रता लेने के लिये हम खुद ही असहज महसूस करते हैं।
ReplyDeleteबहुत ही शर्मनाक और घृणित है, इनको तो भारत में रहने ही नहीं देना चाहिये और सरकार है कि सम्मान करती है, कि महान कलाकार हैं।
अब कौन बोलेगा कि कलाकार हैं, नहीं हम तो कहेंगे कि आतंकवादी हैं, जो कि बौद्धिक स्तर पर आतंकवाद फ़ैला रहे हैं।
अब क्या कहूँ दीदी गुस्सा तो बहुत आ रहा है, इनको चौराहे पर लटकार महफूज भाई के शब्दो में ऐसी जगह मारो की आवाज ना हो , हाँ काम हो जाये, अब ये मत पूछना कि कहाँ । ये के पिल्ले तब तक ये करते रहेंगे जब तक इनका ईलाज बढिया पागलो के हास्पिटल में होगा तभी ये ठिक हो पायेंगे , अब बस अभी बहुत गुस्सा है, बाद में फिर आता हूँ ।
ReplyDeleteअरे भईया ये सवाल पूछने और इन आतकंवादियों की चमचा गीरि करने वाले कहाँ है , अरे भईया बुलाओ , जवाब हाजिर है ।
'अदा'
ReplyDeleteहुसैन को प्रणाम..
आपको सलाम...
समझ नहीं आ रहा 'बेतख्ल्लुस' को..
के किन शब्दों में शुक्रिया अदा करे....इन तस्वीरों को देखने को कब से बेताब थे हम.. !!!
आप को नहीं मालूम...आपने कितना बड़ा अहसान किया है आज हम पर....
मालूम है...
आप अपनी तर्क-शक्ति से हुसैन को गलत साबित कर सकती हैं..
बहुत दम है आप में...और आपने कर भी दिया है....
लेकिन आपका शुक्रिया....
बहुत बहित शुक्रिया....................
सुबह आपके भजन से...
आपकी आवाज़ से ...
राम जी की तस्वीर से सुहानी हुई थी...
और शाम इन विवादित....कीमती तस्वीरों को देख कर...
सुबह जैसा ही शुक्रिया अदा करते हैं आप को...
गुड मोर्निंग...................!!!!!
अभी कई तस्वीरें कट कर दिख रही हैं...ब्लॉग या नेट की समस्या के कारण..
ReplyDeleteलेकिन हम सब को देख कर ही सोयेंगे आज...
इलाही...हमारी बिजली कट ना हो जाए बस.....
गांधी जी की गर्दन उडी नहीं है...
वहाँ से उतार कर रिजर्व बैंक के नोटों पर चिपका दी गयी है...........
शायद हम गलत कमेन्ट कर गए
ReplyDeleteगलत जगह........
हुसैन भी हमारे लिए कुछ ना कर सकें शायद...
ईश्वर अल्ला तेरो नाम,
ReplyDeleteसबको सम्मति दे भगवान...
जय हिंद...
विकृत मानसिकता के द्योतक!
ReplyDeleteअच्छा किया मैडम...
ReplyDeleteजो आपने ये पोस्ट डाल दी...
जाने कितने ही नकाब उठ गए आज....
’सैटेनिक वर्सेज़’ पर बैन जायज, तस्लीमा नसरीन की किताबों पर बैन भी जायज, लेकिन इन पेंटिंग्स का विरोध किया जाये तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में आ जाती है, वाह रे हम और वाह हमारे जनसेवक..
ReplyDeletewo to sssala hai hi pakka h***mi...
ReplyDeletekala ke naam par bhadiyaai kar raha hai..
ReplyDeleteजो मां मां मे फ़र्क़ करे उससे नीच कोई हो ही नही सकता।हमारी मां बहन बेटी और उसकी मां बहन बेटी मे हम फ़र्क़ नही करते इसलिये ये नीचता पे उतर आते हैं।आपने तो दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।बधाई है आपको।
ReplyDeleteअदा जी !
ReplyDeleteकुछ '' सो काल्ड इंटेलेक्चुअल '' हुसैन की कला की स्वायत्तता
का तर्क देते हैं , पर विरोधाभास तो है ही ... जब हुसैन
अपनी माँ को पूरे वस्त्र में दिखाता है , तो वहां कला की स्वायत्तता
मर्यादा के खोल में क्यों चली जाती है ! ... भारत माता पर क्या
यही चित्र कला का सर्वोच्च प्रदर्शन है ! ... बिलकुल नहीं ... चुन - चुन
कर जब एक ख़ास मजहब को इस रूप में '' प्रिसेंट'' किया जाय तो
वह निंदनीय है , चाहे किसी भी मजहब का चित्रकार हो ... '' प्रतिमान ''
दोहरे नहीं होते कला के ... अतः यह हुसैन की कुशलता नहीं बल्कि
कुरूपता है , जो चिंतन और चित्र के स्तर पर रखी गयी है ... निंदनीय है ..
महफूज भाई कहाँ है आप , आप बिन सब अधूरा सा लग रहा है , वे कमिeeeeeeee सlllllllleeeeeeeee इतना भी बुद्धिमान नहीं है ,।
ReplyDeleteहैरानी होती है कि एक कलाकार मानसिक रूप से इतना रूग्ण भी हो सकता है...
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteअरब अमीरात में बसे उस मनोरोगी एम् ऍफ़ हुसैन की असलियत सामने रखने का शुक्रिया. सच है इंटेलेक्चुअल आतंकवाद यही है.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ये तस्वीरें बयान कर रही है घृणित व कुत्सित मानसिकता ....इससे ज्यादा क्या लिखूं ...मन ही ख़राब हो गया है ...
ReplyDeleteबेहतरीन रचनाएँ...
ReplyDeleteशानदार रंग संयोजन...
बधाई....
ये सब हमें मेल कर दीजिएगा अदा जी...
आभार...
दुःख होता है .....देख कर .....ये कलाकार कम मानसिक रोगी जायदा लगता है
ReplyDeleteये पेंटिंग्स एम्. ऍफ़. हुसैन की मानसिक विकृति, बौद्धिक रूप गिरा हुआ स्तर, धार्मिक कट्टरता और हृदय के कलुष के द्योतक हैं!
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteआपने हमारा कमेन्ट तो छाप दिया ..पेंटिंग्स मेल नहीं की अब तक...
आपको कमेन्ट करने के चक्कर में बच्चों को भी स्कूल छोड़ने में देर हो गयी आज...
मालूम है स्कूल की प्रार्थना भी शुरू हो चुकी थी आज ...
आज काफी दिन बाद कानों में बच्चों की आवाज़ में सुना...
वनदे मातरम्...
सुजलाम सुफलाम...मलयज शीतलाम...
और वापस आकर फिर आपके ब्लॉग पर भारत माँ को देखा...
हम वैसे थे जैसे पहले ..और भारत माँ भी वैसी ही ...
कोई मन खराब नहीं हुआ....
हाँ,
जब तक पोस्ट पर केवल लिखा हुआ दिख रहा था...तब तक जरूर गुस्सा आ रहा था...जब धीरे धीरे नेट सही हुआ और तस्वीरें पूरी दिखने लगीं..तो एक बार फिर आ गए तारीफ करने.....
बेशक...ये स्वीकार करने में कोई तकलीफ नहीं है हमें..के हमें 'आर्ट' की ज्यादा समझ नहीं है.....
लेकिन हम ऐसे भी नहीं के कुछ भी ना समझते हों..
नतमस्तक हूँ । मुखर सत्य की अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteकितना हास्यास्पद है कला के नाम पर इस प्रकार का कृत्य ! अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर एक नंगा सच उभरा आप की प्रविष्टि से ।
सम्यक दृष्टि को सलाम !
हुसैन साहब की इसी मानसिकता को उजागर करते हुए बहुत पहले पोस्ट लिखी थी. आपने एकदम उधेड़ कर रख दिया. साधूवाद.
ReplyDeleteशर्मनाक कृत्य !
ReplyDeleteविकृत मानसिकता को दर्शाता है यह.
अदा जी.. .. बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है आपने... बौद्धिक आतंकवाद.. का जो डेफिनिशन आपने दिया है... उससे अच्छा डेफिनिशन और कोई हो भी नहीं सकता...... उस वक़्त मैं काफी जल्दी में था... इसलिए देरी से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.... क्या करूँ...टाइम ही नहीं मिल पाता है... आज...भाई...मिथलेश का फोन आया कि अदा जी ने अच्छी पोस्ट लिखी है... तो अब जा कर टाइम मिला है.... मुझे .....इसलिए.... इस वक़्त टिप्पणी कर रहा हूँ...मुझे उम्मीद है कि आप माफ़ कर देंगीं.... लेट कमेन्ट करने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.... उस वक़्त बहुत जल्दी में था.... इसलिए सिर्फ झलक भर देख कर चला गया....
ReplyDeleteआपका
महफूज़....
मनु जी,
ReplyDeleteहैरानी हुई आपकी टिप्पणी देख कर..फिर ये भी लगा कि हर इन्सान की अपनी-अपनी सोच हो सकती है...
मेरी माँ कि नंगी तस्वीर अगर कोई किसी के कंधे पर बिठा कर बनाएगा तो मुझे ज़रूर बहुत बुरा लगेगा ...लेकिन ऐसा लगता है आपकी माता जी की ऐसी तस्वीर देख आपको बुरा नहीं लगेगा...आप भी उसमें कला ही ढूंढेंगे..आप एक सच्चे कलाकार हैं..आज पूरा विश्वास हो गया...धन्यवाद ..
had ho gayi hai nagnta ki aur aisi soch ki aur phir bhi aise logon ko sammanit kiya jata hai .......unki aisi darindgi ko kala kaha jata hai..........aapne bahut hi gambhir vishay uthaya hai..........bahut gussa aa raha hai dekhkar .........abhi jyada nhi kah paungi.
ReplyDeleteमेरी इस पोस्ट का अवचित्य किसी भी प्रकार की धार्मिक दूरभावना फैलाना नहीं है ...एक कलाकार को आत्माभिव्यक्ति की भी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए....लेकिन अगर वह कलाकार...दोहरी मानसिकता इख्तियार करता है अपने कला के प्रदर्शन में तो यह अक्षम्य है...यहाँ हुसैन ने चुन-चुन कर देवी देवताओं का ही अपमान किया है, हिन्दू पुरुषों को नग्न दिखाया है ...एक ही पेटिंग में उसकी कुत्सित मानसिकता का भान हो जाता है... जबकि वह चाहता तो अपनी माँ बेटी की भी वैसी ही तसवीरें बना सकता है ...उसके पास मौका भी था और दस्तूर भी...फिर तो हम भी मानते की वो एक सच्चा कलाकार है...और जो पाठक हुसैन की इस घिनौनी कलाकृति से इत्तेफाक रखते हैं वो अपने दिमाग का इलाज करवा लें...उन्हें ना तो हिन्दुस्तानी कहाने का कोई हक है ना ही हिन्दू...वो बीमार हैं उनको सिर्फ़ अपना इलाज करवाना चाहिए...बस ..बात ख़त्म...
ReplyDeleteपता नहीं कितने लोगों को ये पता है कि....ये हुसैन की दुर्गा श्रृंखला की पेंटिंग उन्होंने इमरजेंसी में इंदिरा गाँधी को खुश करने के लिए बनायी थी...और दुर्गा के रूप में इंदिरा गाँधी को चित्रित किया था और ये सारी पेंटिंग्स उन्हें भेंट भी की थी....हुसैन,इंदिरा जी और इन पेंटिंग्स की तस्वीरें भी थीं एक साथ.
ReplyDeleteमैंने तो बहुत बाद में ये सब कहीं पढ़ा....पर हैरान रह गयी थी कि ये कैसी कला की समझ है जो इंदिरा जी को भी कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा..
Di.. hindoo ho ya na hon.. is husain se ittefaq rakhne wale secular bhi nahin ho sakte.. haan apne faide ke liye ek taraf jhuke log jaroor kah sakte hain unhen..
ReplyDeleteजिन के दिमाग को लंकवा मार जाये उन से ओर क्या उमीद की जा सकती है, इन की सोच सिर्फ़ अपने घर तक ही सीमंत रहती है, इन्हे अपनी बेटी तो बेटी दिखती है दुसरो की बेटी भोग की वस्तु.... यह जनवरो से भी गये गुजरे लोगो की सोच है.....पेसो के लिये यह अपनी मां ओर बेटी को भी बाजार मै खडा कर दे
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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आदरणीय अदा जी,
चलिये जान में जान आई, वरना मेरी इस पोस्ट पर हुसैन साहब को कोसता कमेंट करने के बाद जब आपने खुद ही उसे हटा लिया तो मैं तो हैरान ही हो गया था कि हे राम! माजरा क्या है, क्या खता हुई है मुझसे ?
@ Deepak...dhrm ki baat rehne hi dein to kamse kam naari ka apmaan to hai hi...aur Husain ko koi hak nahi hai naari shareek ko is tarah apmaanit karne ka..
ReplyDelete@ praveen ji...abhi dekhne ke baad yaad aay..wahan thode jyada hi apshab ho gaye the isliye ahataya tha maine comment..
ReplyDeleteमहफूज जी की तरह चौथाई मुस्लिम भी हो जायें तो भला हो जाये. इनके जैसे अंगुलियों पर गिनने लायक होंगे जो सही को सही और गलत को गलत कहने का माद्दा रखते हैं.
ReplyDeleteएम०एफ०हुसैन ऐसी ही पेंटिंग मुस्लिम और ईसाई धर्मगुरुओं की बनायें तो एक ही दिन में उन्हें हिन्दू साम्प्रदायिकता और मुस्लिम धर्मनिरपेक्षता का अन्तर पता चल जायेगा.
ताज्जुब इस बात का है कि ऐसी पेंटिंगों के बाद भी कोर्ट में मुकदमा टिक न सका.
main prakash pakhi ji k sath hu.
ReplyDeletein chittro ko dekh kar gussa foot raha hai...aise logo ko to India ki jameen par pair nahi rakhne dena chahiye. aur inke against awaz buland karni chahiye.
जैसा सच एक समय में तस्लीमा नसरीन ने लज्जा में लिखा था...कुछ वैसा ही आपने किया है....आप पर हमें गर्व है...आपने बडे सलीके के साथ तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है..... किसी छ्द्म धमनिरपेक्षी को साँस नहीं आ रहा है.... ईश्वर आपको सदैव सत्य का ध्वज वाहक बनाए....
ReplyDeleteइंटेलेक्चुअल आतंकवाद प्रायोजित होता है l अकेले इस प्रकार के घृणित कर्म नहीं किये जा सकते l तथाकथित सिक यू लायर (बीमार और झूठी मानसिकता वाले) एवं देशद्रोही संगठन इस तरह के इंटेलेक्चुअल आतंकवाद के प्रेरक, आयोजक एवं संरक्षक होते है l भारत की स्वाभिमानी जनता कितना भी विरोध कर ले - इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती क्योंकि भारत के शाषकवर्ग का वरद हस्त और अभयदान इन लोगों को मिला हुआ है l वैसे ये गंदगी आप सब के पास बहुत देर से आई है - मेरे पास तो यह करीब ३ वर्ष पहले आई ईमेल में है l
ReplyDeleteSubject: M.F.Hussain's Hypocrisy
If a person dresses like a Sikh Guru, thousands of Sikhs gather and destroy their establishments , threaten to kill him, announce a bounty on his head - Sikhs are not criticised for being communal and intolerant.
If a Danish journalist depicts the Prophet of the Muslims , Muslims all over the world rise in anger, there is violence, a booty on the head of the Journalist - Muslims are not criticised for being communal and intolerant.
If M.F.Hussain draws paintings depiciting Hindu Gods and Goddesses in sexual positions (which relations are not borne out by ancient texts at all ) and Hindus merely protest , they are called communal, intolerant and taught lessons in secularism by one and all.
The problem apparently is not with Sikhs and Muslims, it is with Hindus , because we are not violent, we accept what ever is dished out to us , we do not have the guts to say that this is wrong , we seek acceptance from outsiders rather than from our conscience. We worship the same Gods and Goddesses but don't stand up for them when the time comes. If you believe Hussain is wrong, forward this message......
Be a judge yourself of Hussain's paintings below. (Paintings and their comparison)
Don't feel shy to circulate. At lest people should know "HOW COWARD WE HINDUS ARE" WE DON'T HAVE COURAGE TO PROTECT OUR SELF RESPECT.
Padm singh -
ReplyDeleteपागल कुत्ता है मकबूल हुसैन .... और आज की दुनिया के पागल उसे पाल रहे है...एक समय पिक्चर हाल के पोस्टर बनाने वाला मकबूल .. अपनी औकात से ज्यादा क्या सोच सकता है .... कहते हैं किसी की नीचता और बडप्पन सात पुश्तों तक नहीं जाती .. और इस की कृतियाँ इसकी अतृप्त वासनाओं का ही प्रतिबिम्ब है ...जो बुढापे में जवानी के सपने देखता है .... कभी माधुरी के तो कभी किसी और के ... जीवन के शुरूआती दौर में गरीब आर्थिक और मानसिक हालात वाला एक घटिया इंसान आज के बाजार वाद में करोड़ों में खेल रहा है .... पर पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है ... संस्कार और तमीज जैसी चीज़ बाजार में नहीं बिकती ...मुझे तो इस जैसे इंसान(??) पर ये शब्द लिखते हुए भी घृणा और शर्म महसूस हो रही है ...ईश्वर उसे सद्बुद्धि दे ...... और उसे चाहने वालों को भी8:53 am
बस एक बार भी इस बात को उठाने वाले घोषित तौर पर बुरे,कुंठित,जाहिल,गंवार किस्म के भड़ासियों का तो जिक्र कर दिया होता। भड़ास पर पढ़ा होगा सबने लेकिन कमेंट कौन करे। सब के सब मुखौटाधारी ढकोसलेबाज पोकल लोग हैं इनमें और उस ठरकी बुड्ढे चित्रकार मकबूल फ़िदा में कोई अंतर नहीं है।
ReplyDeleteजय जय भड़ास
साम्प्रदायिकता को हवा देते हैं यो चित्र!
ReplyDeleteलगता है बुड्ढा सठिया गया है!
Husain saheb mein 'Testosterone' ki matra kuchh jyada hi lagti hai.He deserves to be in mental asylum.
ReplyDeleteHusain Saheb ke andar 'Testosterone' ki matra kuchh jyada he lagti hai. He ought to be in mental asylum.
ReplyDeleteWelcome Mr. Ajay Mohan in my blog..
ReplyDeleteAapne ne dhoodh ka dhoodh paani ka paani kar diya.
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