मालूम क्या
उधर कुछ शान पत्ती
गुमराह ख्याल
कुछ लोचा कियेला है
अपुन का ज़हन की
गल्ली में
कब से मस्ती कर रहेली है
मालूम !!
क्या बोला ?
हकीकत भाई समझायेगा
अरे हकीकत से
ख्याल का ३६ का
आंकडा है बाप
खाली-पिली
भंकस होयेगा
बोला था अपुन
उधर नई जाने का
उधर नई जाने का
अहसास का अक्खा
दीवार है..
सोलिड !
सोलिड !
टकरा जायेंगा
और बहुत पछ्तायेंगा
मान्तायिच नईं
गयेला उधर को
बिंदास..
और हुआ क्या ?
टकराया न..
और अब कल्टी मार रहेली है !!
बोला चुप करके बैठने का
पण शाणा है
अबी कोई ज़मीर का खोली के
बाजू में राड़ा करेगा तो
लोचा होयेंगा न
लोचा होयेंगा न
कोंचा भी मिलेंगा
हाँ तो फिर मिला !!!
सोलिड मिला..
फिर अपनी नियत हैं न
अरे नियत !!
उससे पंगा लिया
नियत ने उसका बैंड
बजा डाला
फिर
अपना दीमाग भाई
को मालूम चला
प्यार से बुलाया
इस गधेला ख्याल को
बहुत समझाया
मक्खन का माफिक समझाया
पर क्या समझेगा रे
एकदम धिबचुक है
दीमाग का भी भेजा
खिस्केला है बाप !!!
उसने अबी का अबी
जुबां को ताला मारा
और इस हलकट ख्याल
का उधरिच गेम कर डाला
ह्न्म्म्म
दीमाग भी न...
सोलिड हैं बाप !!!
चल अब तू भी खिसक ले...
nice
ReplyDeleteसॉलि़ड बंकस ठेला है...दिमाग का दही करे ला है...भांग का एक्स्ट्रा स्टॉक उड़ेला है...क्या करें, बजट के चक्कर में हम भी टिप्पणी करने में थकेला है...
ReplyDeleteजय हिंद...
खाली पीली भड़कीली !
ReplyDeleteटेंसन नहीं लेने का, आचारज लोगों को टेंसन देने का sss
क्या !
क्या भिड़ू अपन सुना अपुन की लेंग्वेज में श्यानपत्ती हो रेली है, अबी के अबी इसको लेके आ, अपुन इसको रंग लगायेगा।
ReplyDeleteसोलिड है बाप..
हम भी खिसक ही लें बाप!! सालिड!
ReplyDeleteये क्या लिखा बाप! पढ़के तो अपना दिमाग चकरायेला है।
ReplyDeleteवो भेजा शोर करता है गीत की याद हो आयी ....
ReplyDeleteअपुन का तो खोपड़ी हिल गयेला है --
ReplyDeleteDhaansoo likhela hai .
ReplyDeleteजो भी लिखेला है .....अच्छा लिखेला है .....सचमुच सालिड है बाप
ReplyDeleteयह तो गजब है,बढ़िया लगा यह भी अंदाज़,आभार.
ReplyDeleteयह तो गजब है,बढ़िया लगा यह भी अंदाज़,आभार.
ReplyDeleteमेरी खोपडी मे कुछ कुछ घूम रयेला है.
ReplyDeleteरामराम.
Ha,ha!
ReplyDeleteइतना रायता फैला के किधर कू खिसक रयेली है.....:)
ReplyDeleteये क्या हो रयेला है मामु
ReplyDeleteभोत गर्दी है इदर कु।
नाईस
hnm...
ReplyDeleteचल चल दिमाग का दही मत कर रे बाप ... हवा आन दे ...अपन होली बाद बात करेगा ...
ReplyDeleteHello,
ReplyDeleteWow!! What a concept... & different style of writing :)
Great work done!
Regards,
Dimple
आपका ये अन्दाज भी बहुत भाया....जरा हट के :-)
ReplyDeleteएकदम सॉलिड।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
--------
कुछ खाने-खिलाने की भी तो बात हो जाए।
किसे मिला है 'संवाद' समूह का 'हास्य-व्यंग्य सम्मान?
मजेदार.
ReplyDeleteसालिड ही नहीं बाप,सालिड-स्टेट। लगेला है अराज ठाकरे का आर्डर सात समंदर पार भी पहुंचेला है।
ReplyDeleteसचमुच सालिड है बाप :)
ReplyDeleteअरे बाप रे हमे पढने मै मुस्किल आ रही है, आप की हिम्मत की दाद देनी चाहिये जो इतनी कठिन भाषा को भी कविता का रुप दे दिया.
ReplyDeleteखाली पीली करने का नहई
टेंसन नहीं लेने का, देने का... समझा क्या बिडू
ufffffffffffffffffffffffffffffffffffffffffffffffffffffffffff
ReplyDeletediiiiiiiiiiiiiiiiiiii
aur koi rang bacha hai????????
apki syahi ka?????
yaar use bhi udail daalo...
aaj pata chal hi jaye aur kitne rang baki hai....
(rang barse bheege....chunar wali.....rang.......)
ha.ha.ha.
ok bye...HAPPY HOLI...
APUN AAJKAL BACCHO KE EXAM ME BUSY HAI KYAAAAAAAAAA???SAMJHI KYA???
टेंशन लिया नहीं.... दे ही दिया ....
ReplyDeleteखिसियान बिल्ली खम्भा नोचे और खिसिआना बिल्ला अपना दिमाग ....कहाँ सर फोड़ा है ...!!
Holee kee anek shubhkamnayen!
ReplyDeleteआप और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteकटक्षरी भी जमी ...
ReplyDeleteशब्दों पर यही रस्साकशी जारी
जारी रहे , तो क्या बात !