Tuesday, February 16, 2010
ज़रुरत है हिंदी पुरस्कारों के लिए
ज़रुरत है हिंदी पुरस्कारों के लिए
कवियों, लेखकों और साहित्यकारों की
एक कवयित्री चाहिए
जिसका रंग गोरा, कद ५ फीट ३ इंच
बायें गाल पर तिल हो
जिसने ख़ूब खूबसूरती पाई हो
और अपनी हर कविता में
मर्दों की की धुनाई हो
ऐसा हो तो अच्छा है
और उसके हर लेख में
नारी शक्ति की ही चर्चा हो
एक युवा कवि चाहिए
जो लगभग ५५ का हो
जो भी उसने लिखा हो
कोई समझ न पाया हो
पहले उसने कुछ भी लिखा हो
पर अब क्षेत्रीयता विरोध अपनाया हो
और यह पक्का कर लेना
वो यू.पी., बिहार का जाया हो
दलित वर्ग का भी कवि देखो
यह पैदायशी दलित होना चाहिए
मोटा-ताज़ा ना हो
दलित ही दिखना चाहिए
एक और कैटेगोरी आई है
जो धर्म निरपेक्षता कहलाएगी
और इसमें सिर्फ़ और सिर्फ़
मुसलमान कवि ही आएगा
जो अलीगढ़ के आस-पास
ही पाया जाएगा
कैसे भी पकड़ कर ले आओ
उसको मेरे पास
बस हिन्दू-विरोधी न हो
यही बात होवे ख़ास
बाल कवियों की भी श्रेणी है
ये उस जगह पाओगे
जहाँ बच्चे ग़ायब होते ज्यादा
ढूँढने का बस कर लो इरादा
मझोले कद का हो और शक्ल से
शरीफ लगता हो
अन्दर से चाहे घाघ हो
पर ऊपर से ख़ूब जंचता हो
इतने से ही हमारा सारा
काम चल जाएगा
वर्ना हिंदी-विकास का कोटा
साफ़-साफ़ रुल जाएगा
अरे जल्दी कुछ करो भाई
वर्ना समझो कि शामत आई
मार्च महीना आया है
और ट्रेजरी ने याद दिलाया है
अगर ये राशि नहीं खर्ची तो
वो सारे पैसे ले जायेगी
और हिंदी साहित्य पुरस्कार की
नैयाँ ऐवें ही डूब जायेगी
हिंदी विकास का धंधा
फिर मंदा हो जाएगा
और मेरे-तुम्हारे घर का चूल्हा
भी ठंडा हो जाएगा ...
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दी, लगता है कवित्री का चरित्र चित्रण तो हमे ही देख किया है :D
ReplyDeleteसटीक व्यंग ...!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
अदा जी,
ReplyDeleteपोस्टर मैं छपवा देता हूं, जिंदा या मुर्दा पकड़वाने वाले को पाबलाजी की ओर से पचास हज़ार का इनाम...
जय हिंद...
एक युवा कवि चाहिए
ReplyDeleteजो लगभग ५५ का हो
जो भी उसने लिखा हो
कोई समझ न पाया हो
-आगे वो दुबला पतला में लफड़ा फंस रहा है, जरा नियम थोड़ा ढीले करिये न!! :)
moti....system abhi theek nahi hai...
ReplyDeletetab tak aise hi jhel le ...
shandaar jaandar sateek vyangya ....ek purasakar mera reserve rakhna ...nahi to dosti ka kya fayda ,...
ha ha ha ha ha ha ha ha ...
sateek kataksh !
ReplyDeleteBahut acchee prastuti .
vyang bhee muskurahat le aaya hoto par......
यह तो घोर अन्याय है मेरे साथ -कोई पुरस्कार विज्ञान के क्षेत्रमें महान
ReplyDeleteयोगदान के लिए नहीं रखा -मुझे ही तो मिलता
बहुत सटीक ! सधा हुआ !
ReplyDeleteहम सबको छांट दिया न आपने !
Di.. shuru me to bahut hansee aayi. ant tak aate aate rona aa gaya.. ki hum to kisi categary me hi nahin aate bhai.. ek puraskaar hamare naam bhi lag jata to... :)
ReplyDeleteJai Hind... Jai Bundelkhand...
बहन मंजूषा - पूरी कविता पढ़ी - कई बार पढ़ी - इस आशा से कि परस्कार के किसी भी श्रेणी के लिए मेरा भी नाम उम्मीदवार के रूप में आ जाय - पर अफसोस ऐसा नहीं हो पाया। मैं तो कहीं भी फिट नहीं हो रहा हूँ। हा - हा - हा -
ReplyDeleteशुभकामना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
गनीमत है इस पोस्ट पर नज़र पड़ गई, समय रहते :-)
ReplyDeleteआज तो खुशदीप जी ने पंगा ले लिया। वैसे उन्होंने कह दिया है तो मानना ही पड़ेगा।
लेकिन वह मैं तभी दे पाऊँगा जब वो 11 महीने पहले लिए गए, मेरे बावन हजार लौटा देंगे :-)
बी एस पाबला
जरुरी बात तो लिखना ही भूल गयी...महिला कवियत्री ऐसे हो जिसमे स्रियों वाली कमजोरी ना हो ...वरना इतने दिन तक मीठी मीठी बातें करने का क्या फायदा ...:)
ReplyDeleteचयन के लिये गजब की शर्तें हैं...?
ReplyDeleteक्या खूब व्यंग किया है..!
आभार..!
मार्च महीना आया है
ReplyDeleteऔर ट्रेजरी ने याद दिलाया है
अगर ये राशि नहीं खर्ची तो
वो सारे पैसे ले जायेगी
और हिंदी साहित्य पुरस्कार की
नैयाँ ऐवें ही डूब जायेगी
हिंदी विकास का धंधा
फिर मंदा हो जाएगा
और मेरे-तुम्हारे घर का चूल्हा
भी ठंडा हो जाएगा ...nice
कविता पढ़कर पहले लगा के ब्लोगर्स की खिंचाई की जा रही है ...
ReplyDeleteपर लगा के नहीं यार...
ये बस कविता ही है........
पढ़ कर कहीं कहीं पर हँसी आई और कहीं कहीं पर हंसी गायब हो गयी...
हिंदी विकास का धंधा
फिर मंदा हो जाएगा .................
ये लाईन पढ़कर वो युग्म पर अपनी और मेज़र साब की बात याद हो आई...जब हम दोनों ने ही इस शब्द का विरोध किया था के की "हिंदी की जान बचाना" क्या होता है....
@पाबला जी,
ReplyDeleteमैंने ये कोई कहा था पचास हज़ार रुपये...मैं छितर आगे लगाना भूल गया था...दो हज़ार बढ़ा कर वापस करूं क्या...
@अदा जी,
अब ये मत पूछना छितर का मतलब क्या होता है...क्या कहा...पूछना है...फिर पाबला जी ही बताएंगे...हां इस बार वो फोन के टाइम का ख्याल भी रखेंगे...
@सुमन जी,
क्या बात है आज आपने अदा जी की पोस्ट को nice के अमृतदान से वंचित कर दिया...
जय हिंद...
चूल्हा ठंडा हो जी दुश्मनों का, हमारा तो कलेजा ठंडा हो गया। इतनी सारी श्रेणियां देख कर और वांछित योग्यतायें देखकर हमें पक्का यकीन हो गया कि एक न एक ईनाम हमारा पक्का है, निष्पक्षता दिखाने के लिये एक सही चयन का फ़ार्मूला है ही।
ReplyDeletegzb,vaah.
ReplyDeleteहा हा हा
ReplyDeleteखुशदीप जी, लिखा तो मैंने भी नहीं!
वैसे, अब किसी को बता न देना कि क्यों लिए थे (छित्तर)!!
अनुभव को कोई पुरस्कार नहीं? सारी इबारत पढ़ डाली और धत तेरे की अपने लिए कुछ भी नहीं। चलो पुरस्कार समारोह में मुख्यअतिथि ही रख लेना। बढिया रचना के लिए बधाई।
ReplyDeletemast..
ReplyDeleteमुन्ना भाई से कहते हैं लगता है अपना चिल्हा ठंडा ही रहेगा अरे जाते जाते एक आध इनाम बुढों के नाम भी रख देते। अच्छा व्यंग है शुभकामनायें
ReplyDeleteसभी नामितों, चयनितों और विजेताओं को अग्रिम बधाई! समारोह में एक दर्शक भी चाहिए न उसके लिए हम तैयार हूँ!
ReplyDeleteवाह वाह :)सही लिखा है अदा जी आपने ..
ReplyDeleteढूँढ़कर अभी लाये बस ।
ReplyDeleteअदा साहिबा, आदाब
ReplyDeleteगहरा, सटीक, चुटीला व्यंग्य...
सटीक व्यंग…………
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग....
ReplyDeleteसबको अपने नाम की पड़ी है....
और सरकार पैसे वापस लेने के लिए खड़ी है .
गर नाम नहीं भी आते तो कागजों पर ही दिखा दीजिए ..
और पुरस्कार राशि अपने भाई - भतीजे को ही बंटवा दीजिए....:):)
सटीक उम्दा लाजवाब व्यंग्य....वाह !!!!
ReplyDeleteमजा आ गया पढ़कर...आपने बढ़िया पोल पट्टी खोली सबकी...
बढ़िया हास्य व्यंग रचना।
ReplyDeleteअदा जी , आप बीच बीच में इस तरह की पोस्ट भी डालते रहिया , माहौल तरो ताज़ा बना रहता है।
@ समीर जी आप बाल कवि श्रेणी में फिट हो सकते हैं...
ReplyDeleteवो कहते हैं कि आप कितने क्यूट हैं ..:):)
@ वाणी वो कवयित्री वाली में तू आ सकती है ..बस तिल बनवा ले फटाफट..:)
ReplyDelete@ अरविन्द जी ये हिंदी साहित्य पुरस्कार है ...
ReplyDeleteआप हिंदी साहित्य लिखते हैं लेकिन विज्ञानं पर नहीं 'बायोलोजी' पर आधारित लिखते हैं ....:):)
अभी उस कैटेगोरी के बारे में सोचा नहीं है...
अगर कभी यह कैटेगोरी बन गया तो दूसरे प्रत्याशी की सम्भावना बहुत कम है ...आपकी विजय निश्चित है ...::):)
बहुत ही बढ़िया...व्यंग्य से लबालब कविता
ReplyDeleteadbhut rachna padhkar aanad aa gaya .zabardast vyang padhte huye hansi bikhar gayi ,
ReplyDeleteई का फ़ेदा हुआ जी अपना मुलुक का लोक होने का कौनो एक ठो कैटेगरी ओईसन नहीं रख सकते थे जिसमें हम और आकाशवाणी ...अरे वाणी जी ...दुनु जन को भी कौनो नोमिनेशन आउर प्राईज़ मिल जाता , खाली फ़ोकट में एतना पढवाते हैं न ...जाईये ...हां नहीं तो ....आपही का डायलाग चेप देते हैं
ReplyDeleteअजय कुमार झा
हा हा हा क्या चुटीला कटाक्ष है ...बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया व्यंगात्मक कविता है....एकदम सटीक
ReplyDeleteलाजवाब व्यंग्य रचना...एकदम सटीक निशाना साधा आपने।
ReplyDeleteवैसे भारतीय संविधान में तो ब्राह्मणों,ज्योतिषियों के लिए कोई स्थान नहीं हैं.. किन्तु यदि साहित्यक पुरूस्कार हेतु इनके लिए कोई आरक्षित कोटा हो तो कृ्प्या अवश्य सूचित करें :)
@ अदाजी
ReplyDeleteतिल तो वैसे भी बना हुआ है ...कद का क्या करेंगे ...5.1पर अटका है ...
@ अदाजी
ReplyDeleteतिल तो वैसे भी बना हुआ है ...कद का क्या करेंगे ...5.1पर अटका है ...
bahut sateek vyang
ReplyDeletebadhaii !!
kuch aur bhi shreni jod lijiye sabko shikayat ho rahi hai
ReplyDelete:)