एक भजन लिखने की कोशिश की थी...
जग मग दीप जले
दीप जले दीप जले
राम नाम का दीप जले
जग में सारे जहान
ओ री आत्मा कर तू पुकार
निज स्वामी का कभी न बिसार
राम नाम का हो संचार
जग में सारे जहान
कर तू कर्म सदा निष्काम
ध्यान लगा तू प्रभु के नाम
राम नाम हो हर परिणाम
जग में सारे जहान
जग मग दीप जले
दीप जले दीप जले
राम नाम का दीप जले
जग में सारे जहान
( सुर में अगर सुनना हो तो यहाँ सुनिए )
bahut hi sundar bhajan aagya hai aapne ada ji, lekin aur accha gaati hain aap, itna hadbada kar kyun daal diya post, aaram se gaa kar daaltin, fir bhi bahut sundar hai, pasand ka bhi chatka laga diya hai
ReplyDeletedhanyawaad.
bahut hi sundar bhajan aagya hai aapne ada ji, lekin aur accha gaati hain aap, itna hadbada kar kyun daal diya post, aaram se gaa kar daaltin, fir bhi bahut sundar hai, pasand ka bhi chatka laga diya hai
ReplyDeletedhanyawaad.
sundar BHAJAN
ReplyDeleteRAM RAM
सुन्दर भजन..सुनकर और अच्छा लगा.
ReplyDeleteआज तो सुबह सुबह रामजी का भजन सुना दे रही हैं ...निष्काम ध्यान लगा ...सब पवित्र हो गया ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...!!
अच्छा है रोज डांट खाते थे कि सुबह सुबह ही गाने सुनने लग जाती हैं ...आज कोई कुछ नहीं कहेगा ...
Nikhil ji ne email kiya hai :
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आया हूँ अदा जी और आपकी आवाज़ सुनने को मिली बहुत ही सुन्दर भजन, मैं कमेन्ट नहीं कर पा रह हूँ..आप इसे पब्लिश कर दीजिये प्लीज
आभार !!
बढ़िया।
ReplyDeleteआज की सुबह आपके गाए भजन के साथ हुई। धन्यवाद।
hnm...
ReplyDeleteparimal ji se sahmat....
manu 'be-takhallus'
रचना एवं गायन दोनों ही अति सुन्दर!
ReplyDeleteबहुत बढिया भजन।
ReplyDeleteजय श्री राम ........बहुत बढ़िया भजन , और आपकी आवाज नें भजन और सुन्दर लग रही है
ReplyDeleteआज भजन का सस्वर आनंद लिया सुबह सुबह
ReplyDeletesunder bhajan.
ReplyDeleteजग भी और जहान भी ! कविगण इतने डिक्टेटर क्यों होते हैं?
ReplyDeleteसर्वश्रेष्ठ गान समर्पण की राह क्यों चलता है, मेरे लिए यह गुथ्थी अबूझ ही रही है।
आप का स्वर नहीं सुन पा रहा लेकिन भजन के सरल सुर समर्पण का अनुभव तो कर ही रहा हूँ।
"कर तू कर्म सदा निष्काम" - काश ऐसा सब कर पाते?
ReplyDeleteसुर में सुनकर तो बस मजा आ गया बहन मंजूषा। शुभकामनाएं।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
सराहनीय
ReplyDeleteबी एस पाबला
आज बहुत बोझ है काम का..
ReplyDeleteबेहद टेंशन...
अच्छा हुआ के सुबह सवेरे राम जी के दर्शन हो गए...
प्यारा सा भाजां सुनने को मिल गया...
वो भी 'अदा' की आवाज़ में...
लगा के जैसे दिन ठीक ठाक निकल जाएगा...
ठण्ड की वजह से हाथ अकाद रखे हैं..
ReplyDeleteभजन लिखना था जाने क्या लिखा गया...
ऊऊऊओफ़्फ़्फ़...............
ReplyDeleteअकाद नहीं..
अकड ...
बहुत सुंदर भजन, लाजवाब.
ReplyDeleteरामराम.
अदा जी,
ReplyDeleteकभी कहा जाता था कि लता मंगेशकर की आवाज़ से ही भारत की सुबह और रात होती है...ब्लॉगवुड में यही मकाम अब आपका हो गया है...
एक बात और, थोड़े बादाम भिजवा दीजिए...रोज़ रोज़ आपकी पोस्ट के अनुरूप अच्छी टिप्पणियां सोचने में दिमाग का फलूदा होता जा रहा है...क्यों पाबला जी...छोड़ो आज जाने दो...
जय हिंद...
बचपन में हमारे एक प्राचार्य सुनाया करते थे, "श्री राम चंद्र क्रपालु भजमन, हरण भवभय दारुणं..."(दिल्ली की ही बात है १९७८-७९ की, हैरान मत होईयेगा क्योंकि बहुत से लोग मानते नहीं कि दिल्ली में ऐसे स्कूल और ऐसे अध्यापक भी हो सकते हैं)। बाद के वर्षों में यह कुछ भूल सा गया था लेकिन फ़िर दुबारा खोज कर वह रचना याद की और वह मेरी पसंदीदा रचना है। आज यह भजन देखकर अपने सरपाल सर की याद आ गई।
ReplyDeleteजय श्री राम।
@ खुशदीप सहगल
ReplyDeleteऐसे कैसे जाने दें भई!?
बादाम अकेले अकेले गड़प लेने का इरादा है क्या? :-)
बी एस पाबला
aawaz bahut sundar
ReplyDeleteसुन्दर आवज़ मे सुन्दर भजन अच्छा लगा...धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भजन है...भक्ति से ओत प्रोत..
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भजन है...भक्ति से ओत प्रोत..
ReplyDeleteआप इसी तरह लिखते रहे ' अदा जी ' आप का गायन सच में मुझे बहुत पसंद है
ReplyDeleteyou have real sweet voice ! God bless
Jai Shree Ram !
स्नेह,
- लावण्या
Di likha to bahut hi khoobsoorat hai.. sunne ke liye ghar pahunch raha hoon 15 min. me
ReplyDeleteक्या कहूँ ! बार बार लगता है कि अगर कहीं से
ReplyDeleteसारे संयोगों को पकड़ के आपके सामने रख दिया जाय
और आप इसी सुर-शक्ति के साथ हाजिर रहें तो आने वाले
समय में सुर-सरिता में लोगों को नहलाने का अच्छा उपकार
आपके कंठ से हो जायेगा ...
.... लिखा भी भरसक मनोयोग से गया है और गया तो गया ही है ... सुनकर
'' अध्यात्मिकता '' के नगर में पहुँच गया , जहाँ द्वंद्व नहीं है .... सुन्दर और सुखकर !
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteइसे 20.02.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/