दिल तो है दिल ..क्या कीजिये ??
कल मन बड़ा खिन्न हुआ था टिप्पणी के प्रति लोगों की बात सुन-सुन कर...और मैंने टिपण्णी आप्शन हटा दिया....यह नहीं कि मैंने आपकी टिप्पणी को मिस नहीं किया..बहुत किया...और अवधिया भईया की डांट, निर्मला जी की फटकार, डॉ.अजित गुप्ता जी का समझाना , दीपक का फ़ोन, अरविन्द जी का धिराना, गिरिजेश जी का चिढ़ाना, महफूज़ का मनाना , किशोर जी का मुस्काना, रानी का मुझे समझना, मिथिलेश का जाना, ललित जी का खटखटाना, और वाणी का ना बतियाना....सबने मिलकर मुझे मेरे फैसले पर रहने ही नहीं दिया....
फलस्वरुप टिप्पणी दान-पेटी खोल रही हूँ....
आशा है, आपलोग मेरे इस छोटे से कदम का मकसद समझ रहे होंगे...
अब क्योंकि 'टिप्पणी' से सम्बंधित इतनी प्रविष्ठियां पढ़ ली थी मैंने, कि मेरा आस्तित्व ही 'टिप्पणीमय' हो गया...अतः एक कविता का जन्म हुआ है...देखिये कैसी है...!!!
आभासी दुनिया की बस आधार है टिप्पणी
मृतक भावों में संजीवनी संचार है टिप्पणी
छोटों का हठीलापन, तकरार है टिप्पणी
कभी आदेश भईया का कभी फटकार है टिप्पणी
बहन बन रूठ जाए कभी, दुलार है टिप्पणी
कभी सुरसा सरि गटक जाए, तैयार है टिप्पणी
ग़र बच सको तो बच जाओ तलवार है टिप्पणी
कभी लागे यूँ बस प्रेयसी का प्यार है टिप्पणी
हम तो बैठे दूर देस में, तार है टिप्पणी
भीज गया है मेरा मन बौछार है टिप्पणी
भोली ना समझना इसे खूंखार है टिप्पणी
और कभी यूँ लगे मुझे बीमार है टिप्पणी
घर की बात मत कर अब,घर-बार है टिप्पणी
चरणों से यूँ लिपट बैठे सरकार है टिप्पणी
भीषण ब्लॉग सागर की खेवनहार है टिप्पणी
टिप्पणी की यह अदा भी मन को भाती है।
ReplyDeleteअब जा कर बैचेन दिल को करार आया.
ReplyDeleteदो धारी तलवार है टिप्पणी
ReplyDeleteमिल जाए तो प्यार है टिप्पणी
न मिले तो बेकरार करे टिप्पणी
कुछ भी कमाल करे टिप्पणी
किसी को मालामाल तो
किसी को कंगल करे टिप्पणी
कुछ भी हो सभी को भाती है
मित्रों की अच्छी टिप्पणी
इसलिए जरूरी करो टिप्पणी
इसे कहते हैं दिल को दिल की राह,
ReplyDeleteठीक जिस वक्त आपको ई-मेल कर रहा था, उसी वक्त आपकी ये पोस्ट आई...अच्छा हुआ आपने अपुन को भूखा मरने से बचा लिया...
करनी पर आएं तो कहर ढहाती है टिप्पणियां...
कभी अमृत, कभी ज़हर बन जाती है टिप्पणियां...
जान दे देंगे, अगर जान मांगे आपकी टिप्पणियां...
ऐसी अदा से, बुरा मान जाती हैं टिप्पणियां...
जय हिंद...
Chaliye isi bahane ek sundar kavita aur padhne ko mili di :)...
ReplyDeletetippanee box ke wapas khulne par swagat hai
Jai Hind... Jai Bundelkhand...
दोनों चित्रों से यह समझ आया कि बड़ी मछली का पेट छोटी टिप्पणियों से नहीं भरता है और तूफ़ान में घिरी नाव का सहारा है टिप्पणी.
ReplyDeleteघर की बात मत कर अब तो घर-बार है टिप्पणी
ReplyDeleteचरणों से ही लिपट बैठे हैं सरकार है टिप्पणी..
यह भी सही लगी....यह मेरी टिप्पणी.
ये क्या हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ, क्यूँ हुआ !?
ReplyDeleteपिछली पोस्ट पढ़नी पड़ेगी :-(
बी एस पाबला
nice
ReplyDeleteChaliye Didi,
ReplyDeleteham to isliye khush hai ki aapse sampark ke sidhe "Dwaar" khul gae ab piche ke darwaje se baat karane ki jarurat kam padegi :)
Welcome back in the world of "Tippani"
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
वाह रे टिप्पणी !!
ReplyDeleteबोल टिप्प्णी .... का/की जय
ReplyDeleteये हुई ना बात!
ReplyDeleteपोस्ट को पढ़ कर गम्भीरतापूर्वक की गई हो
तो प्रोत्साहित करती है टिप्पणी
मात्र टिप्पणी देने के लिये मजाक के साथ की गई हो
तो हतोत्साहित करती है टिप्पणी
टिप्पणी पर रचनाकारी के लिए बधाई!
ReplyDeleteफ़िल्म आंखें -
ReplyDeleteगाना - इस मुल्क की सरहद की निगाहबान हैं आंखें
’मुल्क’ की जगह ’ब्लाग’ और
’आंख’ की जगह ’टिप्पणी’ कर देने से जो बने, आज की हमारी टिप्पणी मान लीजिये।
तो जे बात है,तभी हमने सोचा कि
ReplyDeleteआज टि्प्पणी का दुवार क्यों बंद है।
इसलिए आज दो टिप्पणी कर रहे है।
ReplyDeleteआज और कल की कृपया खाते मे जमा करें।
टिपण्णी टिपण्णी ...सॉरी सॉरी ...
ReplyDeleteटिप्पणी टिप्पणी क्यों करती है
टिप्पणी पर क्यों मरती है
बस्स्स्सस्स्स्स.....टिप्पणी पर ही मरना ....हा हा हा हा
इरादा तो आज भी तुझसे बात करने का नहीं था ...मगर ये कमबख्त दिल ...दिल तो आखिर दिल है ...!!
अरे वाह...ये तो पूरी की पूरी कविता ही टिप्पणीमय हो गई ...बहुत बढ़िया
ReplyDelete'टिप्पणी' 6 बार ही क्यों? 10 बार लिखनी थी।
ReplyDeleteमेरी नज़र में टिप्पणी का मतलब "ब्लोग की दुनियां" में कुछ ऐसा है,
ReplyDelete(बकौल एक मशहूर हास्य कवि)
’सुन साहिबा सुन ब्लोग की धुन,
मैने तुझे सुन लिया तू भी मुझे सुन’
पर कहना ही पडता है," वाह रे टिप्पणी!"
टिप्पणी के बिना बेकार है टिप्पणी
ReplyDeleteमिल जाये तो त्योहार है टिप्पणी
चिट्ठाजगत का आधार है टिप्पणी
टिप्पणी टिप्पणी टिप्पणी टिप्पणी
आज तो यहां गुलज़ार है टिप्पणी
टिप्पणी ही मेरा आभार है टिप्पणी
अदा जी एक छोटी सी पैरोडी ;
ReplyDeleteमैं ब्लोगर की तरह टिपियाता ही रहा हूँ,
कभी इस ब्लॉग पे , कभी उस ब्लॉग पर
टिपियाता ही रहा हूँ, मैं ..........
कभी टिपिया गया कभी टिपण्णी पा गया,
सौ बार मुझे यूँ ही घिंघीयाना पडा ,
कभी इस ब्लॉग पर, कभे उस ब्लॉग पे ......:)
फागुन में टिप्पणी की यह बहस !
ReplyDelete.
फिर भी ;
'
''याक याक मिलि जांय तौ भैया ग्यारह हैं ,
औ' गायब होइ जांय ,तौ नौ दुइ ग्यारह हैं | ''
.
फागुन में वैचारिक आग्रह क्यों बढ़ रहा है !/?
साधक को साधन पर ही भरोसा नहीं रहा ! दुखद :)
.
आभार !!!
अब इस पर क्या टिप्पणी करें अदा जी ? हा हा। बहुत गहरी कविता लिखी आपने।
ReplyDeleteआपकी यह रचना शानदार है. टिप्पणी से कभी मैं भी आहत हुआ था....देखिये यहाँ...
ReplyDeleteटिप्पणी कीजिये खूब कोई शरारत ना कीजिये
शुक्र है टिप्पणी का महत्व समझ तो आया तब इतना कुछ कैसे छोदा जा सकता है हम लोग आपको संत महात्मा नही बनने देंगे मतलव संतनी।
ReplyDeleteघर की बात मत कर अब तो घर-बार है टिप्पणी
चरणों से ही लिपट बैठे हैं सरकार है टिप्पणी
टिप्पणी दानपेटी में टिप्पणी दान कर दीजिये
भीषण ब्लॉग सागर की खेवनहार है टिप्पणी
इस भीशण सागर मे एक बूँद टिप्पणी हमारी भी ले लो
टिप्पणियां इतनी भी बुरी नहीं होती है...अगर सोच सकारात्मक हो.कम से कम आपको टिप्पणी करने आने वाले लोगों को देखकर ही अपनी पोस्ट की गहराई का अहसास हो जाता है...टिप्पणियों के लम्बे और छोटे होने से भी पता लगा जाता है कि आपकी इस पोस्ट पर कितना सुधार बाकी है.नकारात्मक और विवाद के जरिये टी आर पी बढ़ने के लिए की गई टिप्पणियों को कूड़ेदान दिखा दीजिये.आपने अवधिया जी,निर्मला जी,डॉ अजित जी,दीपक जी ,अरविन्द जी,गिरिजेश जी,किशोर जी,रानी जी,मिथिलेश जी,ललित जी और वाणी जी का उल्लेख किया है ये सभी अपनी टिप्पणियों के माध्यम से न केवल किसी रचनाकार की हौसला अफजाई करते है..बल्कि उचित तरीके से उसके लेखन स्तर को ऊपर उठाने में सहायता भी करते है...हिंदी ब्लॉग में इनका यह योगदान महत्वपूर्ण है...
ReplyDeleteअब आपकी गजल 'टिप्पणी' पर क्या टिप्पणी करूं....आपने अपने भावों को कितना खूब सूरती से पिरोया है..हिंदी ब्लॉग जगत में ब्लोग्गेर्स में एक तरह का सामजिक बंधन और रिश्ता कायम रहता है इसलिए यह सृजनात्मक माध्यम के रूप में ज्यादा सफल है...यहाँ भी टिप्पणियों की भूमिका महत्वपूर्ण है...परस्पर संवाद ही भाषा और रचनात्मकता को बढाता है.
अंग्रेजी ब्लॉग जगत इसमें बहुत पीछे है...क्योंकि यहं पर रचनात्मकता और संवाद का नहीं वरन प्रसिद्धि और प्रशंसक का आपसी रिश्ता ही रहता है....
Tippani nahin to post men dam hi kya, thik vaise hi jaise sugandh ke bina phool kya.
ReplyDelete_______________________________
शब्द-शिखर पर इस बार काला-पानी कहे जाने वाले "सेलुलर जेल" की यात्रा करें और अपने भावों से परिचित भी कराएँ.
tippani re tippani tera rang kaisa
ReplyDeleteमैंने अपनी टिप्पणी दान पात्र में बजरिये ई मेल से भेजी थी दिख नहीं रही !
ReplyDeletehnm....
ReplyDelete:)
यह हुई न जिन्दादिली। अरे हमारे यहाँ तो कहा गया है कि निन्दक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय। बिना टिप्पणी के कहीं दुनिया चलती है? बस विचलित नहीं हो। महिलाएं कभी परिस्थितियों से भागती नहीं। वे ही तो हैं जो मुकाबला करती हैं अच्छी बुरी बातों का। हम पसन्द पर भी चटका लगा रहे हैं।
ReplyDeletebin tippanee sab soon.....
ReplyDeleteबोल टिप्प्णी .... का/की जय
ReplyDeletewelcome back COMMENT BOX...:)..am so happy to meet u again
ReplyDeleteटिपण्णी जीवन श्रृंगार की तरह है, जिस तरह एक नारी बिना श्रृंगार के अधूरी लगती है, उसी तरह टिपण्णी जीवन को सुन्दर और प्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है...... टिपण्णी को इस ऊचाई तक पहुचाने के लिए शुक्रिया.......
ReplyDeleteसुखद ..
ReplyDeleteजीव और ईश्वर के बीच की कडी ... टिप्पणी.
बहुत खूब एक तिपद्दी मेरी भी
ReplyDeleteJai HO !!!!!
ReplyDeleteमेरी अटेंडेंस मार्क की जाए.
ReplyDeleteek tipanni meri bhi
ReplyDeleteaapki is tippani ke aage meri to bekar hai tippani..
ReplyDeleteAda bahut bahut shukriya yeh tippani box phir se kholne ke liye
-Sheena
ye kab huaa pata hi nhi magar tippani ke bina bhi jeena koi jeena hai re ......pushpa , I LOVE TIPPANI........AAPKA TO YAHI ANDAZ AUR YAHI ADA ACHCHI LAGTI HAI.
ReplyDelete@ गिरिजेश राव
ReplyDeleteएक तो हम सजा काट चुके थे...ई तो लोकल टैक्स एक्स्ट्रा है...
दूसरी बात....६ नंबर लकी है हमरे लिए...
@वंदना जी..
ReplyDeleteye kab huaa pata hi nhi magar tippani ke bina bhi jeena koi jeena hai re ......pushpa ,
वंदना जी..
असली डायलोग है..
ये जीना भी कोई जीना है ..लल्लू
हा हा हा ..
मज़ाक कर रही हूँ..
बहुत बहुत शुक्रिया....
ReplyDeleteटिप्पणी-जगत में आपका स्वागत है,
पाठकों को अधिक से अधिक टिप्पणी देने का अवसर देकर हिन्दी को समृद्ध करने में यह आपका योगदान है ।
How to attract comments - W.Harper
@ दूसरी बात....६ नंबर लकी है हमरे लिए...
ReplyDeleteओह !
इसीलिये पोस्ट-शीर्षक में छः बार 'टिप्पणी' लिखा है .. :)
धन्यवाद, धन्यवाद, धन्यवाद!!! पता है मैं अक्सर आपकी रचनाएँ पढ़ती हूँ, पर टिप्पणी नहीं करती थी. कल जब पहली बार टिप्पणी करने का मन हुआ, तो कहीं ऑप्शन ही नहीं मिल रहा था. बाद में पता चला आपके फ़ैसले के बारे में, तो बहुत दुःख हुआ था. आज मैं खुश हूँ. इसके लिये धन्यवाद.
ReplyDeleteJai bolo tippani maiya ki.....
ReplyDeletehappy to see u again.
बहुत अच्छा लग रहा है
ReplyDeleteटिप्पणी टिप्पणी टिप्पणी टिप्पणी टिप्पणी
पर इक्यावन टिप्पणियां देखकर
बावन वीं पर फिर मैं आ गया हूं
टिप्पणियों में सार्थकता है कितनी
यह मैं तो जानता हूं, बाकी भी जानते हैं
यह मैं जान गया हूं
पहचान गया हूं
।
आज रविवार 7 फरवरी 2010 को
ब्लॉगर मिलन है दिल्ली में
यह बतलाने आया हूं
इसलिए ताश के बावन वें पत्ते पर
बैठकी जमाया हूं
देखिए चूकियेगा मत
आईयेगा अवश्य।
फिर न कहना खबर न हुई
http://nukkadh.blogspot.com/2010/02/blog-post_8058.html
पता यह है
Day :- The 7th Day of Febrauary(sunday)2010
Time:- 11 a.m. to 4.oo p.m.
Place :- GGS FAST FOOD AND BANQUET
PLOT NO. 14, LAKSHMI NAGAR
DISTRICT CENTRE
DELHI -110092
PH:- 011-42448800
और इंतजार कर रहे हैं
दिलवाले जिन्हें कहा जाता है दिल्ली वाले
।
हाय ,हाय , हाय ये टिप्पणी ।
ReplyDeleteमुझे पल पल है सताये
तेरी चार शब्द (नाईस )कि टिप्पणी
मेरी लाखो कि पोस्ट शरमाये |
हहहाहः
सच बात कहूँ दीदी, आप कमेन्ट का ओप्शन रखे या हटा दें.. इससे लोग दो-चार दिन भले ही सोंचे, मगर फिर किसी को कुछ भी याद ना रहेगा.. सीधे शब्दों में शायद ही किसी को फर्क पड़े.. ये दुनिया है ही ऐसी कि किसी व्यक्ति के रहने या चले जाने से रूकती नहीं है, ये ब्लोग तो कुछ है ही नहीं.. मेरे जैसे कितने ही पाठक होंगे जो आपको पढते तो होंगे, मगर टिपियाते नहीं होंगे.. और शायद वह संख्या यहाँ मिले कमेन्ट से अधिक ही होगा..
ReplyDeleteयहाँ मेरी बात को किसी तरह के बुराई के तौर पर ना लें.. मुझे अभी तक कि जो सच्चाई लगी है वही मैं बता रहा हूँ.. आज से तीन चार साल पहले जिन बातों से विवाद होता था या फिर जिन्हें पढ़े बिना लोगों को करार नहीं आता था उनका ब्लॉग कई दिनों से सूना पडा है.. और लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ा है, नए-नए लोग लिखने लगे हैं और सभी उन्हें ही पढ़ने भी लगे हैं.. यह सिर्फ आप पर ही नहीं, हर किसी के ब्लॉग पर लागू होता है.. चाहे वह कितना ही प्रसिद्ध क्यों ना हो..
यूं तो आपके इस ब्लॉग पर शायद मेरा पहला कमेन्ट है.. मगर आपको खूब पढ़ा है, सो इतना अपना समझने लगा हूँ कि सीधा दीदी कह कर बुला रहा हूँ.. उम्मीद है बुरा नहीं मानेंगी.. :)
प्रिय प्रियदर्शी,
ReplyDeleteआशीर्वाद,
अच्छा लगा तुम्हारा ईमेल पढ़ कर...उससे भी ज्यादा पसंद आई तुम्हारी सच्ची बातें...और फिर और ज्यादा ख़ुशी इस बात से हुई कि तुम मेरी रचनाओं को पढ़ते हो...
और अंत में सबसे ज्यादा खुश हुई की तुमने मुझे 'दीदी' कहा...
ये सच है दुनिया का यही नियम भी है....जो जरा सो बुताया जाएगा....
आज हमें लोग पढ़ते हैं..कल नहीं पढेंगे..बस तसल्ली इतनी सी है कि मन के भावों को अभिव्यक्त करनी की एक जगह है...और अगर वहाँ एक भी पाठक भूले-भटके भी आ गया उसे हमने जो कही बात वो रास आ गई...तो समझो...सफल हुए..
आज तक तो अपने मन की बातें ना जाने किन-किन बिखरे पन्नों में ही उतारते रहे थे....
अब एक मंच है...बहुत सशक्त सा..
तुम्हारी साफ़गोई बहुत अच्छी लगी...ऐसे ही लिखते रहो...
तसवीरें बहुत अच्छी खींचते हो...मेरी पसंद भी मैंने बता दी है....
खुश रहो..
दीदी..
accha..
ReplyDeleteaccha..
ReplyDelete