Thursday, September 24, 2009
भारत बदल गया है जी..
कहा मेरे सपूत ने एक दिन
मम्मी मैं sleep over को जाऊं
मैं अवाक खड़ी पूछा उससे
sleep over क्या है बताओ
कहने लगा कि बच्चे
दूसरों के घर सोने जाते हैं
शायद सोते ही होंगे पर
सारी रात वहीँ बिताते हैं
कहने को तो parental guidance
वहाँ होता है
लेकिन ये नहीं मालूम
कौन सा parent
किस बच्चे संग सोता है
मैंने तमक कर कहा
बेटे क्यूँ ऐसा काम करोगे
कल बहन जब बड़ी होगी
तो कैसे उसको रोकोगे
कान खोल कर सुन लो बेटा
घर के बाहर कनाडा है
जिस पल तुम अन्दर आये
समझ लो ये इंडिया है
मिली एक दिन एक बहिन जी
लगती थी उदास
मैं समझी शायद इंडिया से
आई है उसकी सास
मैंने पुछा क्यूँ आज off हुई हो
क्या दिन बीत रहे हैं कड़की में
कहने लगी ये होता तो अच्छा था
मुझे परेशान किया मेरी लड़की ने
date पर जाना चाहती थी
मैंने मना किया था
you old fashioned people
कह कर 911 घुमा दिया था
पुलिस को देख वैसे ही
हाथ-पाँव पथरा गए थे
you better take care of your child
ऐसा वो धमका गए थे
अब आलम ये है कि
उसे कुछ कहते हम घबराते हैं
बदले में दो-चार डांट
उसकी रोज हम खाते हैं
घबड़ा कर मैं घर पहुंची
कहा इनसे चलो वापिस अपने देश
मुझे बिलकुल पसंद नहीं है
यह बिलायती परिवेश
बड़ी मुश्किल से सब बेच-बाच कर
पहुँचे हम हिन्दुस्तान
तसल्ली हो गयी तब जाकर
जान में आई जान
अपने culture में हम
अपने बच्चे पालेंगे
गवर्नमेंट का हस्तक्षेप न होगा
बच्चों को स्वयं सम्हालेंगे
एक week ही हुआ था बस
बेटा रोता घर आया
जूते उसने बाहर फेंके
बड़ा सा मुँह फुलाया
पूछा जब मैंने क्या बात है
बहुत-बहुत झल्लाया
कल से स्कूल नहीं जाऊँगा
गर नेम ब्रांड न दिलाया
नेम ब्रांड न पहनो तो यहाँ
भी बच्चे चिढ़ाते हैं
और सुनो माँ यहाँ भी
बच्चे dating करने जाते हैं
उस क्षण महसूस हुआ था
पाँव के नीचे से कैसे ज़मीन
निकलती है
या फिर बंद मुट्ठी से कैसे रेत
फिसलती है
हर प्रवासी अपने अनुभव से
कुछ ऐसा जुड़ जाता है
बदलती दुनिया के बदलाव
से ताल-मेल नहीं रख पता है
पलक झपकते आँख के आगे
कुछ का कुछ हो जाता है
अच्चम्भित से रह जाते हैं
जब भारत भी बदल जाता है
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main aaya , maine dekha aur ye rahi meri 'instant' tippani....
ReplyDelete...ab joota dhoondta hoon....
...are lagta hai chai bhi ubal gai !!
sleep over, ya over sleep ka asar ha pata nahi!
बदलना प्रकृति की नियति है
ReplyDeleteयह नियति समाज अपनाता है
यही अपनाने की प्रक्रिया
देश को आगे ले जाता है
आपने बिलकुल सही कहा अदा ..बदलना प्रकृति का नियम है ... मगर दुसरे समाज और संस्कृति के कूड़ा करकट को बदलाव के रूप में अपनाना किसी भी रूप में सुखद और स्वागतयोग्य नहीं है ....भारत में टूटते घर परिवारों की बढ़ी संख्या इशारा करती है की हम कैसा बदलाव अपना रहे हैं ....जो रिश्ते कानून के जोर पर निभाए या जिए जाएँ ...उनमे आत्मीय रिश्ते ,प्यार, वफ़ा की सौंधी खुशबू कभी नहीं हो सकती ...वे महज कागजी रिश्ते बन कर रह जाते हैं ...हमे गर्व हैं की हम ऐसे देश में रहते हैं जहाँ मोहल्ले के बच्चे को भी अपना मानकर गलत दिशा में जाने पर रोका टोका जा सकता है ...वही पश्चिमी देशों में आप सिर्फ दर्शक बन कर रह जाते हैं...
बहुत खूब आपने तो प्रवासियो के अंतर्द्वन्द और उनकी पीडा को बखूबी उकेरा है.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
हम प्यार, सेक्स, डेटिंग का मतलब जब तक समझने लायक होते हैं उनसे पहले ये सब देख चुके होते हैं. हमारे देश में सबसे बड़ी ताकत पैसा है. मैं चाह कर भी अपने बच्चों को टी वी से दूर नहीं रख सकता और आप कुछ नहीं कर सकते जब बच्चों के चैनल पर आ रहे कॉमर्शियल में AXE का बेहूदा विज्ञापन आये.
ReplyDeleteजिस देश का लग्भग हर आदमी नियम, कानून और विवेक को ताक पर रख खर काम करता है उस देश को तो भगवान ही बचाये. मुझे तो पूरा विश्वास हो चला है कि पूरब और पश्चिम का भेद नहीं रहेगा.
निश्चित ही भारत बदल गया है
ReplyDeleteग्लोबलाइजेशन के जमाने में
मोबाइल और इंटरनेट के शाइनिंग इंडिया में
जो खुशनुमा मोहाल बना है
वह उदयीमान भारत की तस्वीर है
जो पृथक नहीं है शेष विश्व से
भारत बदल रहा है
कल तो जो विदेशो में देखा सुना जाता था
वह आज भारत में कुछ खुले-आम सार्वजनिक हो रहा है तो कुछ चोरी-छीपे भारतीयता के नाम पर
निश्चित ही भारत बदल गया है !!!
यथार्थ के धरातल पर उपजी एक सुंदर अभिव्यक्ति को प्रणाम
Di ye qya aapne over sleep.........bataya ........ham to bachpan main Ganesh jee ki jhankee mein or Dashhare par over sleep karte the ......................Maa Durga ......or Ganpati Babba ka parental guidance
ReplyDeleteवहाँ होता tha ..... Di ab main bhi jaun qya date par ? ...............
दी .. मेरे बेटे ने भी कई बार sleep over की मांग की मैंने भी जैसे तैसे डिमांड को डिसमिस कर दिया |
ReplyDeleteये १००% सही बात है की अब भारत मैं स्थिति थोडी ज्यादा ख़राब है |
दीदी चरण स्पर्श
ReplyDeleteक्या बात है, बहुत खुब लिखा है आपने। आजकी तस्विर उतार दी आपने अपने रचना के माध्यम से। आज कल भारतिय लड़कियाँ किस प्रकार के कपड़े चाहती हैं इसको लेकर आपकी रचना में दो लाइनें जड़ना चाहुंगा
आजकी लड़की कहती है स्कर्ट और जिंस ही पहनूंगी
नहीं मिला मुझे ये सब तो हंगामा मै कर दुंगी
ज्यादा टें-टें किया अगर तो
बेटे और बेटी में फर्क का केस दुंगी।।
आप ड़ेटिंग की बात की है, तो आज की भारतिय लड़कियों के मार्डन खयालात क्या है बताना चाहूंगा
वह तो बस ब्वाय फ्रेंड है मेरा
शादी किसी और से रचाऊंगी
अभी तो मेरी उम्र है छोटी
दो चार को ऐसे ही घुमाऊंगी
ांअपकी कविता का एक एक शब्द जैसे सब का दर्द है ये प्रवासियों का ही नही बल्कि अब भारत मे रहने वालों का भी दर्द बनता जा रहा है शुभकामनायें
ReplyDeleteलाजवाब रचना है
भारत की इस तस्वीर को बखूबी दिखाया । आभार ।
ReplyDeleteआज तो बहुते गजब का लिखा है, यकीनन धरातल पर. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
संक्रमण हर काल में जारी रहता है किन्तु ठोस चीजें बची रह जाती है हर बार
ReplyDeleteआप ने एक दम सही लिखा है, हम प्रवासियों जब भी अपने घर (भारत ) आते है बच्चो को भारत के बारे अच्छी अच्छी बाते बताते है, ओर जब वापिस जाते है तो हम सब के मुंह लटके से होते है, जो भारतीय विदेश मै रहते है, आज भी उन के बच्चो मै ओर उन मै आप को संस्कार मिलेगे, भारत मै... बहुत कम .
ReplyDeleteआप ने मेरे दिल की बात इस कविता मै लिखी है, आप की कविता का एक एक शव्द सच है.
बहुत बहुत धन्यवाद
अदा जी नमस्कार !
ReplyDeleteआज तो आपने क्या खूब लिखा है , मैंने पूछा बहन जी क्यों हो उदास शायद आयी है सास , हां हां हां
प्रवासी भारतियों की पीडा को शब्दों में ढाल कर इस दर्द का अहसास हमें भी करा दिया ...बदलाव तो प्रकृति का नियम है पर ये अगर भले के लिए हो तो ठीक नहीं तो घाव बन कर सालता रहता है ....खूबसूरत भाव
ReplyDeleteSorry to say that I don't agree completely with the meaning conveyed by you..
ReplyDeletezamaana badal raha hoga kahin hindustaan mein pal rahe chote chote USA's mein.. asli hindustaan abhi bhi apne culture par naaz karta hai..
aur log honge jinhein zamaana badalta hoga.. ham aaj bhi apne parents mein bhagwaan dekhte hain..
yatharth ke dharatal par likhi gayi ek sarthak kavita..
ReplyDeletesacchi baat kah di aapne ada ji. bahut acche.
baat to apki bilkul sahi hai. bharat badal to raha hai. acchaiyon mein bhi aur buraiyon mein bhi. night club, dance bar ki sankhya badhi hai ab log velentine day jyada besabri se intezaar karte hain holi-deewali ka kam. ab tan par kapde kam hote jaa rahe hain aur beauty parlour jyada bante jaa rahe hain. plastic surgery karwaana jyada jaroori ho gaya hai bacche ki fees se. apne dating ko itni tool de di hai ye to bahut poorani baat ho gayi hai bharat mein. bharat ab aur deshon se bahut aage hai in mamlon mein.
ReplyDeletebahut acchi aur sacchi baat.
sach bolne ke liye aapki lekhni ko naman.
acchi rachna bahut hat kar lekin samsamyik aur sarthak.
ReplyDeletewah wah wah...har apravaasi bhartiya ke jese dil ki baat khol kar rakh di aapne...sach roz isi jhanjavat se jujhte hain ham..hamen lagta hai bharat vahi hai jahan ham use chodkar aaye the..ye bhool jate hain ki bharat ek vikas sheel desh hai [:)].vo bhi tarakki kar raha hai bhai or unke aage hamare bachche rudiwadi kehlate hain. ha ha ha ah
ReplyDeletebahut hi acchi kavita aapki
ReplyDeletebharat aisa hi hai......
ReplyDeletegabdi cheezen jaldi apnaata hai....
Thanx to our film industry....
bahut hee sunder rachanae .ise blog par aa kar lag raha hai poems ka khazana hath lag gaya ho padane ko .
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