मैं ठोकर खाके गिर जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
गिर कर उठ नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
तुम हँसते हो परे होकर, किनारे पर खड़े होकर
मैं रोकर हँस नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
अभी जीना हुआ मुश्किल, घायल है बड़ा ये दिल
मैं टूटूँ और बिखर जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
खिजाँ का ये मंज़र है, कभी बादल घना-घन है
मैं छीटों में ही घुल जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
कश्ती की बात रहने दे , समन्दर भी डुबो दे तू
किनारे तैर न पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
गिरी है गाज हमपर अब, कभी बिजली डराती है
मैं साए से लिपट जाऊँ , ऐसा हो नहीं सकता
सभी सपने कुम्हलाये, तमन्ना रूठे बैठी है
मैं घुटनों पर ही आ जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
तू मेरा हैं मैं जानू, ये कायनात तेरी है
मैं तेरा हो नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
अगर विडियो देखने की इच्छा है तो बस ....ज़रा सा दायी ओर देखिये 'सुर के साथ' बस यही है जी...
आत्मसम्मान और स्वाभिमान की झलक दिखी ---
ReplyDeleteगिरी है गाज हमपर अब, कभी बिजली डराती है
मैं साए से लिपट जाऊँ , ऐसा हो नहीं सकता
आशावादी तेवर --
बहुत सुन्दर
ये तो हम विडियों में देखे थे न!!
ReplyDeleteदेखा और सुना था पहले भी ...बहुत सुथर
ReplyDeleteतू मेरा है मैं जानू ...मैं तेरा हो नहीं पाऊं ..ऐसा हो नहीं सकता ..
अच्छी जबरदस्ती है ...!!
खिजाँ का ये मंज़र है, कभी बादल घना-घन है
ReplyDeleteमैं छीटों में ही घुल जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
कश्ती की बात रहने दे , समन्दर भी डुबो दे तू
किनारे तैर न पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
waah shandaar
di ye poem to us hari saari wali 'bhojpuriya' aurat se kai baar suni hai, lagta hai peeche rakha hua gamla bhi jhoomne laga hai, kya mast aawaz hai uski. agar aap usko jaanti hon to mere se bhi milwaaiyega.
ReplyDeleteThankyou to kahoonga nahi phir bhi....
:)
naya sa rang hai koi, nayi si baat hai ya rub,
ki jaisa ho raha harsu,aisa ho nahi sakta !!
वाणी जी की बात सही है ।
ReplyDeleteखूबसूरत कविता का आभार ।
तू मेरा है मैं जानू ...मैं तेरा हो नहीं पाऊं ..ऐसा हो नहीं सकता ..
ReplyDeleteअच्छी जबरदस्ती है ...!!
&
naya sa rang hai koi, nayi si baat hai ya rub,
ki jaisa ho raha harsu,aisa ho nahi sakta !!
filhaal to itnaa hi...
मेरे पास आये और नई अदा न दिखलाऊं ये हो नहीं सकता,
ReplyDeleteअदा देख के, बिना कुछ कहे निकल जाऊं, ये हो नहीं सकता....
आपकी आवाज भी आपकी लेखनी की तरह गज़ब की है..बढिया है...
बहुत खुब, आपके इस कविता मे इक अजब सी अदा है। लाजवाब, मैने तो बहुत पहले ही सुन लिया था आपके ब्लोग पे, आपकी आवाज के तो क्या कहने , उसका तो मै दिवाना हूँ।
ReplyDeleteसुंदर कविता को मधुर स्वर
ReplyDeleteगिरने वाले को उठने के लिए प्रोत्साहन
बहुत सुंदर
ada ji,
ReplyDeleteaapki is ghazal ko blog jagat mein shayad hi koi hai jisne nahi suna hai.
bahut khoobsurat, kitna bhi suno dil nahi bharta.
खिजाँ का ये मंज़र है, कभी बादल घना-घन है
ReplyDeleteमैं छीटों में ही घुल जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
bahut achchee gazal likhi hai.
aap ko pahle bhi suna tha.
achcha lagaa.
podcast mein lage geet bhi madhur hain.
abhaar .
bahut pyari kavita hai.maine kai baar aapke video ko suna hai.Bahut sundar.Kavita ke saath sath ise geet ke roop mein bhi sunane ka mauka mila.
ReplyDeleteBahut Bahut dhanyawad.
बहुत सुंदर. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
तू मेरा हैं मैं जानू, ये कायनात तेरी है
ReplyDeleteमैं तेरा हो नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
bahut khoob
-Sheena
kya awaz hai !!
ReplyDeletena malum kitni baar suna hai isko
apne yah gazal sirf acchi likhi hi nahi gayi bhi shadar hai
main to apki awaz ka deewana hun hi
bahut bada deewana hun
bahut hi ashawaadi kavita hai
ReplyDeletebadhai