माना के दरिया में कई क़तरे होते हैं
पर दरिया को क्या पड़ी कि,कितने क़तरे होते हैं
दरिया के बगैर क़तरे की,न कोई हकीक़त न वजूद
फिर भी तेवर लिए हुए,क़तरे होते हैं
मिटने का गुरुर या किस्मत कहें
ज़ज्ब-दरिया में फना,क़तरे होते हैं
क़तरे से दरिया का,रिश्ता है अजीब
नाचीज़ क़तरे होते हैं
जब दरिया से जुदा होते हैं
बेताबी दरिया की क्या बताये 'अदा'
दरिया का अंजाम भी तो क़तरे होते हैं !!
अच्छी रचना बधाई स्वीकार करिए जी
ReplyDeleteसही है , बूँदे समंदर बनाती हैं ..लेकिन इंसानों , जानवरों , पेड़ पौधोका जीवन इन बून्दोंसे ! धरती पर बिन बूंदन नही जीवन...
ReplyDeleteलखन में गज़ब की तरतीब है, यह कहनेकी ज़रूरत तो हैही नही...!
दरिया का अंजाम भी तो क़तरे होते हैं....
ReplyDeletebahut khoob.. bahut khoob..
नाचीज़ क़तरे होते हैं
ReplyDeleteजब दरिया से जुदा होते हैं
बेताबी दरिया की क्या बताये 'अदा'
दरिया का अंजाम भी तो क़तरे होते हैं !!
दीदी जी
नमस्कार, आपकी रचना के लिए अब तो शब्द ही नही मिलते। हर बार की तरह एक बार फिर आपने लाजवाब रचना प्रस्तुत की। बहुत-बहुत बधाई।
दरिया का अंजाम भी तो क़तरे होते हैं !!
ReplyDeleteवाह क्या बात है
waah kya khoob likha hai
ReplyDeleteबहुत हि खुब दरिया का अंजाम भी तो कतरे होते है ...........क्या बात है .....दरिया सी रवानी है आपके सोच मे..
ReplyDeleteदरिया के बगैर क़तरे की,न कोई हकीक़त न वजूद
ReplyDeleteफिर भी तेवर लिए हुए,क़तरे होते हैं
मिटने का गुरुर या किस्मत कहें
ज़ज्ब-दरिया में फना,क़तरे होते हैं
bahut hi sahi baat kahi aapne . dariya aur qatare ke rishte ho sahi aakalan kiya hai.
badhai !!
दरिया और कतरे की कहानी 'अदा जी' की जुबानी,
ReplyDeleteआपकी संगत में मैं भी कविता कहने लगा हूँ,
बहुत सही बात कही है, लाजवाब है
हमेशा की तरह !!
बेताबी दरिया की क्या बताये 'अदा'
ReplyDeleteदरिया का अंजाम भी तो क़तरे होते हैं !!
ada ji,
bahut hi badhiyan baat kahi hai aapne.
yah rachna mujhe bahut pasand aayi.
aapne sir se poocha mere baare main ???
बहुत सुन्दर लाजवाब रचना ……………
ReplyDeleteवाह .....बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteवाह बहुत ही खूबसूरत रचना. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता, लेकिन समुंदर (दरिया) भी तो इन कतरो के बिना कुछ नही
ReplyDeleteअद्भुत है ....आपकी कल्पना भी अहसास भी...
ReplyDeleteWah aDaDi "adweet vaad" aur "dweet vaad" wali philosophy dariya aur katroon se bahut acchi tarah samjhai samjhi ja sakti hai...
ReplyDelete"Main ek katra hoon , mera koi vazood to hai,
Hua kare jo dariya meri taalash main hai..."
oho aDaDi mere dar se Moderation?
ReplyDeletehuhahahaha....
(aur dara raha hoon)
:P
अंजाम भी तो क़तरे होते हैं !!
ReplyDeleteवाकई दरिया ही नही हरेक का अंजाम क़तरे होते है.
बहुत खूब
दरिया के बगैर क़तरे की,न कोई हकीक़त न वजूद
ReplyDeleteफिर भी तेवर लिए हुए,क़तरे होते हैं
रचना की प्रशंशा तो रचना या कविता से होनी चाहिए | पर का करें ... इ छोटका ठहरा निरा मुर्ख ... तो बस हम वाह वाह ... कह कर ही काम चला लेते हैं |
ye kyaa bolaa darpan ne..
ReplyDeletemodiration....!!!!!!!!!!!!!!!!
kiske liye...?
दरिया का अंजाम भी तो क़तरे होते हैं !!apki kalpana lajwab hai...sochne pe majboor karde....
ReplyDeleteकतरे के बगैर दरिया का वज़ूद क्या है । वाह ।
ReplyDeleteसुन्दर रचना....
ReplyDeleteहँसते रहो
एक कतरा कम हो तो क्या फर्क पड़ता है समंदर को जबकि कतरा कतरा कर ही भरता है समन्दर..! बहुत बढ़िया अदाजी ...और ये बसंती का रोल भी में भी अदा की एक और अदा देख आये अभी अभी बखूबी निभाया है बसंती के चरित्र को बहुत शुभकामनायें ..!!
ReplyDeleteअच्छा लिखा !!
ReplyDeleteबहुत जबरदस्त रचना!! आनन्द आ गया.
ReplyDeletetruly speaking- is baar majaa nahin aayaa...yaa fir ummeeden itni badh gain hain ki ...well, keep it up.
ReplyDelete---
Till 25-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
बेताबी दरिया की क्या बताये 'अदा'
ReplyDeleteदरिया का अंजाम भी तो क़तरे होते हैं !!
bahut khoob..
बेताबी दरिया की क्या बताये 'अदा'
ReplyDeleteदरिया का अंजाम भी तो क़तरे होते हैं !!
BAHUT KHOOBSURAT AASHAAR...
BADHAI..