Sunday, September 27, 2009

टपोरी ने लिखी प्रेम कविता ...पढ़ेंगा क्या


बोले तो बाप, खुदा न करे
कोइय्यीच ऐसा दिन भी आने का
अपुन इधरिच बैठा रहे और
तू पतली गल्ली से निकल जाने का
देख, तेरा अदा-वदा सब सॉलिड है
तेरे को अपुन दिल भी दियेला है
एक दम बिंदास 'लो' कियेला है
पण एक बात आज किलिअर करने का
बस अपुन का
'लो' हफ्ता का टाइम से मिलने का
क्या !!!

कल ओटावा में कवि सम्मलेन में मैंने मेरी ये ग़ज़ल पढ़ी थी, सुने आपको पसंद आएगी ..पक्की बात है..
श्री शरद तैलंग जी, आपने जो सुधार किया था वो सारा डाल दिया है इसमें, आपका बहुत बहुत धन्यवाद, पूरी ग़ज़ल नहीं डाल रही हूँ हाल में ही सबने पढ़ी है...