ग़मों का जायज़ा लेना हो तो देख
मेरा दामन अश्कों से तर है के नहीं
ज़ख्मों को मेरे यूँ गिन तो रहे हो
तेरी नज़र में तेरी शरर है के नहीं
अपना दीन-ओ-ईमान हम लुटा बैठें हैं
देखें तुझ पर भी कोई असर है के नहीं
जंगल की आग ने सबकुछ जला डाला
उसे भी मेरे घर की खबर है के नहीं
अंधेरों से बावस्ता हो गयी ज़िन्दगी
'अदा' इन अंधेरों की सहर है के नहीं
शरर-रौशनी
शमा जी बहुत खूब लिखा है ....
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteक्या कहूं? गजब ठीक है!, नहीं शनदार!, नहीं कमाल!
चलिये जो आप को अच्छा लगे.
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ReplyDeleteमहेंद्र जी,
ReplyDeleteमैं शमा नहीं 'अदा' हूँ....
सादर
'अदा'
अपना दीन-ओ-ईमान हम लुटा बैठें हैं
ReplyDeleteदेखें तुझ पर भी कोई असर है के नहीं
अंधेरों से बावस्ता हो गयी ज़िन्दगी
ReplyDelete'अदा' इन अंधेरों की सहर है के नहीं
मै भी आपको शमा ही कहूँगा. अन्धेरो का सहर तो तभी होगा.
हर अन्धेरे का एक सहर जरूर होता है. अन्धेरा आता ही इसीलिये है कि सहर के वज़ूद की चमक बढ जाये.
बहुत खूब -- बेहतरीन
बहुत सुन्दर रचना आभार ।
ReplyDeleteअदा जी !!!
ReplyDeleteसादर प्रणाम !
हर शे'र लाज़वाब है !
इतनी सारी अनुभूतियाँ कहाँ से ले आती हैं आप
अंधेरों से बावस्ता हो गयी ज़िन्दगी
'अदा' इन अंधेरों की सहर है के नहीं
वाकई ग़ज़ब की शायरी है ।
बहुत ही उम्दा व दिल से लिखी गयी लाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteग़मों का जायज़ा लेना हो तो देख
ReplyDeleteमेरा दामन अश्कों से तर है के नहीं
kya baat hai.. daaman bheega diya aapne to..
अंधेरों से बावस्ता हो गयी ज़िन्दगी
'अदा' इन अंधेरों की सहर है के नहीं
han han jaroor hai.. no doubt..
very nice and touching, as always...
जंगल की आग ने सबकुछ जला डाला
ReplyDeleteउसे भी मेरे घर की खबर है के नहीं
"badloon ke beech bhi na jaane kya sajish hu...
mera ghar ta mitti ka , wahi barish hui..."
Aur haan aDaDi, ye link aiwein hi hain (Any Mouse 007 wala)....
Mujhe ye gaana bahut pasad tha
kai dino baad share kar raha hoon...
isliye aapke saath share kar raha hoon...
pasanad aaiye to batana.
sHaMaDi.....
ReplyDelete?????
Naaaaaaaaaaa.................
Never !!
aDaDi .
:)
"tim tim chamke taaron ki tarah teri pyari ankhiyan!!"
Bus aapke liye itna hi Baaki gaana Prachi Ke liye.
hmmmmmmmm......
Nain katari ankhiyaan.......
"बड़ी देर से तुझपे आँखें टिकी है,
ReplyDeleteकभी अपनी गर्दन घुमा कर तो देखो"
Now i Realize ....
That's the way you Hypnotize....
वाह क्या बात है
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteकमाल करती हैं आप
ये सारे शेर कैसे लिख लिया आपने !!
ग़मों का जायज़ा लेना हो तो देख
मेरा दामन अश्कों से तर है के नहीं
ये शेर तो बस नश्तर की तरह लगा हैं
ज़ख्मों को मेरे यूँ गिन तो रहे हो
तेरी नज़र में तेरी शरर है के नहीं
वाह, वाह इतने सारे ज़ख्म ??
अपना दीन-ओ-ईमान हम लुटा बैठें हैं
देखें तुझ पर भी कोई असर है के नहीं
ये तो बस कमाल ही है !!
आपकी लेखनी को तो बस सुबह शाम नमन करने को दिल करता है
अदा जी,
ReplyDeleteकमाल करती हैं आप
ये सारे शेर कैसे लिख लिया आपने !!
ग़मों का जायज़ा लेना हो तो देख
मेरा दामन अश्कों से तर है के नहीं
ये शेर तो बस नश्तर की तरह लगा हैं
ज़ख्मों को मेरे यूँ गिन तो रहे हो
तेरी नज़र में तेरी शरर है के नहीं
वाह, वाह इतने सारे ज़ख्म ??
अपना दीन-ओ-ईमान हम लुटा बैठें हैं
देखें तुझ पर भी कोई असर है के नहीं
ये तो बस कमाल ही है !!
आपकी लेखनी को तो बस सुबह शाम नमन करने को दिल करता है
ज़ख्मों को मेरे यूँ गिन तो रहे हो
ReplyDeleteतेरी नज़र में तेरी शरर है के नहीं
अपना दीन-ओ-ईमान हम लुटा बैठें हैं
देखें तुझ पर भी कोई असर है के नहीं
जंगल की आग ने सबकुछ जला डाला
उसे भी मेरे घर की खबर है के नहीं
bahut hi khoobsurat
har ahsaas dil ke kareeb lagti hain.
वाह! तबियत खुश हो गयी
ReplyDeleteग़मों का जायज़ा लेना हो तो देख
ReplyDeleteमेरा दामन अश्कों से तर है के नहीं
Saare sher bahut hi acche hain. mujhe ye bahut pasand aaya.
dhanyawaad.
अपना दीन-ओ-ईमान हम लुटा बैठें हैं
ReplyDeleteदेखें तुझ पर भी कोई असर है के नहीं ।
बहुत ही मारक है ।
आभार !
अपना दीन-ओ-ईमान हम लुटा बैठें हैं
ReplyDeleteदेखें तुझ पर भी कोई असर है के नहीं
bahut sundar .....ye vaala khaas taur se
ग़मों का जायज़ा लेना हो तो देख..मेरा दामन अश्कों से तर है के नहीं..
ReplyDeleteअंधेरों की सहर जल्दी हो ...दामन कभी आंसुओं से तर ना हो ..
बहुत शुभकामनायें ..!!
जंगल की आग ने सबकुछ जला डाला
ReplyDeleteउसे भी मेरे घर की खबर है के नहीं
बहुत खूब!
बी एस पाबला
ग़मों का जायज़ा लेना हो तो देख
ReplyDeleteमेरा दामन अश्कों से तर है के नहीं
ज़ख्मों को मेरे यूँ गिन तो रहे हो
तेरी नज़र में तेरी शरर है के नहीं
हर शेर की अदा लाजवाब है बहुत खूब बधाई
अदा जी नमस्कार , कहा से खोजती है आप इतनी सब रचनाये . अत्यंत सुन्दर
ReplyDeleteज़ख्मों को मेरे यूँ गिन तो रहे हो
ReplyDeleteतेरी नज़र में तेरी शरर है के नहीं
बहुत खूब ..बहुत अच्छी लगी यह गजल अदा जी शुक्रिया
लाज़वाब..पढ़कर बहुत अच्छा लगा..बधाई!!
ReplyDeleteबहुत ही खूब लिखा आपने...
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