Sunday, September 20, 2009
बड़ी देर से तुझपे आँखें टिकी है
तुम्हें रस्म-ऐ-उल्फत निभानी पड़ेगी,
मुझे अपने दिल से मिटा कर तो देखो
तुम्हें लौट कर फिर से आना ही होगा
मेरे दर से इक बार जाकर तो देखो ।
ज़माने की बातें तो सुनते रहे हो,
ज़माने को अपनी सुना कर तो देखो,
चलो आईने से ज़रा मुँह को मोड़े ,
नज़र में मेरी तुम समा कर तो देखो
तेरे गीत पल-पल मैं गाती रही हूँ,
मेरा गीत अब गुनगुना कर तो देखो
मैं गुज़रा हुआ इक फ़साना नहीं हूँ
मुझे तुम हकीक़त बना कर तो देखो
तू तक़दीर की जब जगह ले चुका है
मुझे अपनी क़िस्मत बना कर तो देखो
तेरे-मेरे दिल में जो मसला हुआ है,
ये मसला कभी तुम मिटा कर तो देखो
बड़ी देर से तुझपे आँखें टिकी है,
कभी अपनी गर्दन घुमा कर तो देखो
भरोसा दिलाया है जी भर के तुमको
खड़ी है 'अदा' आज़मा कर तो देखो
Labels:
कभी अपनी गर्दन घुमा कर तो देखो
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चलो आईने से ज़रा मुँह मोड़े ,
ReplyDeleteनज़र में मेरी तुम समा कर तो देखो
वाह क्या कहने - यह विश्वास --
बेहतरीन रचना
बड़ी देर से तुझपे आँखें टिकी है,
ReplyDeleteकभी अपनी गर्दन घुमा कर तो देखो
तुम्हें जी भर के भरोसा दिलाया,
खड़ी है 'अदा' आजमा कर तो देखो
वहा! जी वाह!...................?
S U N D E R * * * * *
बीती हुई कोई कहानी नहीं मैं,
ReplyDeleteमुझे तुम हकीक़त बना कर तो देखो
वाह-वाह क्या बात है। आपकी ये लाईंन तो दिल को छु गयी। बहुत-बहुत बधाई इस उम्दा रचना के लिए। नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें।
बधाई !
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई इस बेहतरीन रचना के लिए।
ReplyDeleteशारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें !!
हमारे नए ब्लॉग "उत्सव के रंग" पर आपका स्वागत है. अपनी प्रतिक्रियाओं से हमारा हौसला बढायें तो ख़ुशी होगी.
यूँ तो सारे शेर ही कमाल है ...मगर यह बहुत ख़ास है ..
ReplyDeleteतेरे-मेरे दिल में जो मसला हुआ है,
ये मसला कभी सुलझा कर तो देखो
कितना कुछ छिपा रखा है ख्यालों में..रोज एक नया जज्बाती बयां ..बहुत खूब अदा ..
तेरे गीत पल-पल मैं गाती रही हूँ,
ReplyDeleteमेरा गीत अब गुनगुना कर तो देखो ।
सही दांव । झुकना ही होगा उसे प्रेम में ।
आभार ।
चलो आईने से ज़रा मुँह मोड़े ,
ReplyDeleteनज़र में मेरी तुम समा कर तो देखो
kyaa baat hai..ek daring se chunauti..
aabhaar
bahut hi sunder... esp. ye line...
ReplyDeleteतुम्हें लौट कर आना ही होगा,
मेरे दर से इक बार जाकर तो देखो
ye bhi to ho sakta hai ki wo sochta ho... "jab se milne lagi tumse raahein meri, chand sooraj bani do nigahein meri, tum kahin bhi raho, tum nazar aaogi...."
चलो आईने से ज़रा मुँह मोड़े ,
ReplyDeleteनज़र में मेरी तुम समा कर तो देखो
वाह वाह भी कम पडती है आप की इस रचना के सामने, बहुत सुंदर.
धन्यवाद
तुम्हें लौट कर आना ही होगा,
ReplyDeleteमेरे दर से इक बार जाकर तो देखो
वाह! क्या कहने!!
बी एस पाबला
बहुत सुन्दर !!!!!!
ReplyDeleteAda ji,
ReplyDeletesaare sher bahut hi khoobsurat hain. ek se badh kar ek.
बड़ी देर से तुझपे आँखें टिकी है,
कभी अपनी गर्दन घुमा कर तो देखो
तुम्हें जी भर के भरोसा दिलाया,
खड़ी है 'अदा' आजमा कर तो देखो
waah !!
बीती हुई कोई कहानी नहीं मैं,
ReplyDeleteमुझे तुम हकीक़त बना कर तो देखो
तक़दीर की तू जगह ले चुका है,
मुझे अपनी क़िस्मत बना कर तो देखो
kya baat hai !!
bhai waah !!
ada ji,
ReplyDeletesabhi sher sahaj aur saral hain lekin apni baat kah rahe rahe hain.mujhe sabhi bahut acche lage. fir bhi
बड़ी देर से तुझपे आँखें टिकी है,
कभी अपनी गर्दन घुमा कर तो देखो
iska jawaab nahi hai.
aur tasveer to bas kamal ki hai. wo aakhen uffff !!
ada ji,
ReplyDeletesabhi sher sahaj aur saral hain lekin apni baat kah rahe rahe hain.mujhe sabhi bahut acche lage. fir bhi
बड़ी देर से तुझपे आँखें टिकी है,
कभी अपनी गर्दन घुमा कर तो देखो
iska jawaab nahi hai.
aur tasveer to bas kamal ki hai. wo aakhen uffff !!
चलो आईने से ज़रा मुँह मोड़े ,
ReplyDeleteनज़र में मेरी तुम समा कर तो देखो
बीती हुई कोई कहानी नहीं मैं,
मुझे तुम हकीक़त बना कर तो देखो
BEHATREEN SHER HAIN SAB KE SAB ...... KAMAAL KA LIKHA HAI ....
अदा जी आपका क्या कहना
ReplyDeleteहम बेश्क आपके दर पर न आएँ
पर आप रोज हमारे दर पर द्वार खटखटा ही देती हैं
हर रोज एक बेहतरीन रचना हमें देना आप नहीं भूलती, पर हम रोज आपके ब्लॉग पर आने का समय भी तो नहीं निकाल पाते .... हाय !! कमबख्त ये नौकरी... आदमी से कितना कुछ छीन लेती है ।
तुम्हें रस्म-ऐ-उल्फत निभानी पड़ेगी,
ReplyDeleteमुझे अपने दिल से मिटा कर तो देखो
तुम्हें लौट कर आना ही होगा,
मेरे दर से इक बार जाकर तो देखो
acchi zabardasti hai !!! hahahaha
bahut dino baad aaj aayi hun.
itna saara to likh diya hai kya-kya padhungi.
rukti nahi hai tu.
ab ek ek padhungi aram se comment karungi.
Navratri shuru ho gayi hai dher saari shubhkamna..
dekh rahi hun doosre log lagataar aa rahe hain ?
haan bhai fursat mein hain.
ee kaa ada ji......!!!!!
ReplyDeleteham 2--3 din ke waaste shahar se kyaa gaye....
aapne hamaari meenkumaari hi churaa daali.....!!!!!
abhi abhi ludhiyaane pahunch kar aapka blog dekhaa to hairaan rah gaye ham to.....
ab tasweerin bhi chori huaa kareimgi.....?????
:(
ham manu hain ji...
बेहतरीन कृति
ReplyDelete" Delhi arrived from darpansah.blogspot.com on "काव्य मंजूषा""
ReplyDelete.....
badi der se tujhpe aankhein tiki hain ,
huzur aate aate bahut der kar di.....
...ab to shabd bhi kam padne lage nahi aapki lekhni pe nyochawaar karne ke liye....
तुम्हें रस्म-ऐ-उल्फत निभानी पड़ेगी,
मुझे अपने दिल से मिटा कर तो देखो
heart attack
तुम्हें लौट कर आना ही होगा,
मेरे दर से इक बार जाकर तो देखो
'door drishti dosh!'
ज़माने की बातें सुनते रहे हो,
ज़माने को अपनी सुना कर तो देखो,
behrapaan
तेरे गीत पल-पल मैं गाती रही हूँ,
मेरा गीत अब गुनगुना कर तो देखो
goongapan
चलो आईने से ज़रा मुँह मोड़े ,
नज़र में मेरी तुम समा कर तो देखो
colour blindness
बीती हुई कोई कहानी नहीं मैं,
मुझे तुम हकीक़त बना कर तो देखो
'yaddashat ka khona'
तक़दीर की तू जगह ले चुका है,
मुझे अपनी क़िस्मत बना कर तो देखो
'ego centric'
बड़ी देर से तुझपे आँखें टिकी है,
कभी अपनी गर्दन घुमा कर तो देखो
spondiliaties
तेरे-मेरे दिल में जो मसला हुआ है,
ये मसला कभी सुलझा कर तो देखो
ye to gulzaar wali bimari hai...
तुम्हें जी भर के भरोसा दिलाया,
खड़ी है 'अदा' आजमा कर तो देखो
"limposarcoma of the thought....."
सच्ची सी रचना. जारी रहें.
ReplyDelete---
Till 25-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
खड़ी है 'अदा' आजमा कर तो देखो, दी ,मतलब मैंने ऐसा नहीं बोला ..........उसको ऐसा बोला ...........खडा हैं "इश्क़" आज़मा कर तो देखों ................ठीक किया ना बिलकुल बराबर ..........................इम्प्रेस कर दिया टकाटक ...........बिंदास .....................सोचती हैं शायर की माशुका हैं ................पता चलेगा जब कल को उसे की चौर हूँ मैं ...........................संभाल लेना दीदी .......................वैसे दीदी लोग इसी काम में आती हैं ......................आप अईसा बोलना उसको .............की ये लिखा आदित्य ने हैं ,और मुजको भी ज़रा इम्पेस करना था न किसी सो मैंने "इश्क़" को "अदा" बना दिया .....................सॉलिड हैं न दीदी ................झकास .............
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लाग पर टिप्पणी कर रहा हूं। आशा है आप इसे तवज्जो देंगे। वैसे तो पहले से ही काफी सारी टिप्पणियां है। हो सकता है आप को पढ़ने का मौका न मिले। अगर आपने पढ़ा तो यह मेरा सौभाग्य रहेगा।
ReplyDeleteआपकी यह गजल काफी उम्दा है। आनकी काव्य ह्रदय को मेरा सलाम। शुक्रया।
अदा जी
ReplyDeleteआज अचानक आपकी ग़ज़लों पर नज़र डाली शे’र बह्त अच्छे है किन्तु बहुत सी जगहों पर बहर गड्बडा रही है जैसे :
तुम्हें लौट कर आना ही होगा,
मेरे दर से इक बार जाकर तो देखो
की जगह
तुम्हें लौट कर फिर से आना ही होगा
मेरे दर से इक बार जाकर तो देखो ।
तथा
ज़माने की बातें सुनते रहे हो,
ज़माने को अपनी सुना कर तो देखो,
की जगह
ज़माने की बातें तो सुनते रहे हो,
ज़माने को अपनी सुना कर तो देखो,
तथा
चलो आईने से ज़रा मुँह मोड़े ,
नज़र में मेरी तुम समा कर तो देखो
की जगह
चलो आईने से ज़रा मुँह को मोड़े ,
नज़र में मेरी तुम समा कर तो देखो
तथा
बीती हुई कोई कहानी नहीं मैं,
मुझे तुम हकीक़त बना कर तो देखो
की जगह
मैं गुज़रा हुआ इक फ़साना नहीं हूँ
मुझे तुम हकीक़त बना कर तो देखो
और
तक़दीर की तू जगह ले चुका है,
मुझे अपनी क़िस्मत बना कर तो देखो
की जगह
तू तक़दीर की जब जगह ले चुका है
मुझे अपनी क़िस्मत बना कर तो देखो
तथा
तेरे-मेरे दिल में जो मसला हुआ है,
ये मसला कभी सुलझा कर तो देखो
करने से कुछ ठीक रहेगा । यह मात्र मेरा सुझाव है
हालांकि अभी ग़ज़ल की बहरों के अनुसार सौधार की और भी गुन्जाइश है वो फिर कभी ।
की जगह
तेरे-मेरे दिल में जो मसला हुआ है,
ये मसला कभी तुम मिटा कर तो देखो
और
तुम्हें जी भर के भरोसा दिलाया,
खड़ी है 'अदा' आजमा कर तो देखो
की जगह
भरोसा दिलाया है जी भर के तुमको
खड़ी है 'अदा' आजमा कर तो देखो
An excellent poem and it was indeed even more wonderful to listen to it in your own voice in yesterday's kavi sammelan.
ReplyDeleteA very talented artist you are and I admire your works.
First time I heard you reciting your poems about our religious icons of Urmilla's rendition etc;
A devoted fan, I wish I could get your works in printed format!
Om