दिल न होता न गम न वस्ले-यार होता
न सितम होते न ही उनका प्यार होता
वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
बस कोई जतन उनका दीदार होता
नींद की मुझे वो क़रारी कोई दे जाते
मेरी पलकों पे उनका इख्तियार होता
जान जाती मेरी औ रूह फना हो जाती
जुस्तजू उनकी, उनका इंतज़ार होता
कोई कुछ भी कहे नहीं है यकीं तुझको 'अदा'
तेरे जहनों को उनका एतबार होता
सारी तसवीरें गूगल का सौजन्य से ....
जान जाती मेरी औ रूह फना हो जाती
ReplyDeleteजुस्तजू उनकी, उनका इंतज़ार होता
Wah adajee bahut badhiya.
वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
ReplyDeleteबस कोई जतन उनका दीदार होता
~~~~~~
दिल के होने पर ही तो दिलदार होता है, दिल तो खूबसूरत नेमत है.
बहुत खूब लिखा है
दिल न होता न गम न वस्ले-यार होता
ReplyDeleteन सितम होते न ही उनका प्यार होता...
aapki pahli line ne hi kaafi kuch kah diya... mere room mein chal raha pankha competition feel kar raha hai.. :P
दिल न होता न गम न वस्ले-यार होता
ReplyDeleteन सितम होते न ही उनका प्यार होता...
aapki pahli line ne hi kaafi kuch kah diya... pankha ban gaya main to...
नींद की मुझे वो क़रारी कोई दे जाते
ReplyDeleteमेरी पलकों पे उनका इख्तियार होता
क्या बात है ...
कोई कुछ भी कहे नहीं है यकीं तुझको 'अदा'
तेरे जहनों में उनका एतबार होता..
हमारा भी यकीं नहीं..ऐतबार नहीं..
सख्त ऐतराज है ..!!
"वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
ReplyDeleteबस कोई जतन उनका दीदार होता "
सुन्दर पंक्तियों के साथ पूरी गजल बेहतर है । आभार ।
इस उम्दा रचना के लिए बधाई.
ReplyDeleteनींद की मुझे वो क़रारी कोई दे जाते
ReplyDeleteमेरी पलकों पे उनका इख्तियार होता ।
बहुत खूब । आभार ।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।
सुन्दरम्। आनन्दम्।
ReplyDeleteहैं भगवान् एक ग़ज़ल लिखने वास्ते ................हमारी दीदी कहती हैं दिल ना होता वगेरह-वगेरह ..............nahi-nahi ve kahti hain ....वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
ReplyDeleteबस कोई जतन उनका दीदार होता ,गीत-ग़ज़ल तो एक बहाना हैं ..............इधर बिलकुल बीच में फस दी असली बात ..............नींद की मुझे वो क़रारी कोई दे जाते
मेरी पलकों पे उनका इख्तियार होता..........और बताता हूँ लिखा ऐसे हैं की दिल ना होता तो .................पर ये सारी बातें दिल के अन्दर की हैं ............जान जाती मेरी औ रूह फना हो जाती
जुस्तजू उनकी, उनका इंतज़ार होता और यकीं ............................अब मैं क्या बोलू रहने दो ? ......................अगर आपको इनके अन्दर की बात समझना हैं तो बनिए सिकंदर मेरे जैसा ...................
नींद की मुझे वो क़रारी कोई दे जाते
ReplyDeleteमेरी पलकों पे उनका इख्तियार होता ...........
bahut khub, lajvab.
लाजवाब । बहुत सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteHi aDaDi
ReplyDeleteSabhi chitra google uncle se sabhaar?
nahi?
to phir kiska photu hai batao na?
ye wali line best :
"वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
बस कोई जतन उनका दीदार होता
"
e photuwa ke saath is line ka bada sahi mail behta hai....
u shahrukh khan ne kaha tha....
"Aap nahi samjoge Di Kuch Kuch Hota Hai..."
बहुत खूब अदा जी !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDelete"वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
ReplyDeleteबस कोई जतन उनका दीदार होता "
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
हार्दिक बधाई
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
नींद की मुझे वो क़रारी कोई दे जाते
ReplyDeleteमेरी पलकों पे उनका इख्तियार होता
बहुत सुन्दर...बहुत ही सुन्दर.
वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
ReplyDeleteबस कोई जतन उनका दीदार होता
behtareen sher.
आपकी ग़ज़ले अदा अच्छी लगी.
ReplyDeleteजब भी पढ़ी मुझको सदा अच्छी लगी.
यूं ही लिखती जाए है शुभकामना
प्यार में डूबी हवा अच्छी लगी.
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteवो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
ReplyDeleteबस कोई जतन उनका दीदार होता
bhut khoob
वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
ReplyDeleteबस कोई जतन उनका दीदार होता
नींद की मुझे वो क़रारी कोई दे जाते
मेरी पलकों पे उनका इख्तियार होता
Bahut khoobsurat ashaar..
वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
ReplyDeleteबस कोई जतन उनका दीदार होता
नींद की मुझे वो क़रारी कोई दे जाते
मेरी पलकों पे उनका इख्तियार होता
aapki ghazalen man ko choo jaati hain.
वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
ReplyDeleteबस कोई जतन उनका दीदार होता
नींद की मुझे वो क़रारी कोई दे जाते
मेरी पलकों पे उनका इख्तियार होता
kal aa nahi paaya tha. navratri ki taiyari karni thi.
sabhi acche hai lekin mujhe ye do bahut pasand aaye hain.
ada ji, aap to bas likhti rahein ham der-saber aate hi rahenge.
वो दबे पाँव घूमते हैं अब ख्यालों में
ReplyDeleteबस कोई जतन उनका दीदार होता
नींद की मुझे वो क़रारी कोई दे जाते
मेरी पलकों पे उनका इख्तियार होता
kal aa nahi paaya tha. navratri ki taiyari karni thi.
sabhi acche hai lekin mujhe ye do bahut pasand aaye hain.
ada ji, aap to bas likhti rahein ham der-saber aate hi rahenge.