तुम्हारी नज़र में नज़र हम न आयें
के खुद को नज़र से बचा कर चले
चले जायेंगे जहाँ से तो इक दिन
दिलों में इक घर बसा कर चले
मिटा दे हमारी वो यादें तेरे दिल से
खुदा से बस इतनी दुआ कर चले
सजाना न तुम मेरी तस्वीर कोई
हम अक्स अपने सारे जला कर चले
भला सा इक वक्त संग तेरे गुज़ारा
इन बातों से दिल बहला कर चले
ऐसे थे वैसे थे जैसे भी थे 'अदा'
मानोगे हम दुनिया हिला कर चले
मानोगे दुनिया हिला कर चले ...इतना वजन काहे बढा लीं हैं ...कम कीजिये थोडा ..
ReplyDeleteसजाना न मेरी तुम तस्वीर कोई
हम अक्स अपने सारे जला कर चले...
इतनी खुबसूरत तस्वीर तो लगा रखी है ...इतना बड़ा झूठ नहीं चलेगा ...(हाहा हेहे )
सुन्दर रचना ...शुभकामनायें ..!!
Bahut khoob.
ReplyDeleteतुम्हारी नज़र में नज़र हम न आयें
के खुद को नज़र से बचा कर चले
--Kavya Manjusha 'aDaDi'
banana tha mushkil tujhe aadmi,
nazar main sabhi ki 'Ada' kar chale.
--Darpan Sah 'Any mouse 7'
क्या खूब । आभार ।
ReplyDelete"ऐसे थे वैसे थे जैसे भी थे 'अदा'
ReplyDeleteमानोगे हम दुनिया हिला कर चले"
दुनिया हिलाने की यह अदा पसन्द आयी.
और फिर वाह वाह क्या कहा है --
"चले ही जायेंगे जहाँ से तो इक दिन
दिलों में इक घर बसा कर चले"
वाकई इन शेरो ने तो दिल मे घर कर ही लिया है.
लेखनी प्रभावित करती है.
ReplyDelete"सजाना न मेरी तुम तस्वीर कोई
ReplyDeleteहम अक्स अपने सारे जला कर चले"
सुन्दर अभिव्यक्ति!
बधाई!
अच्छा सा इक वक्त संग तेरे गुज़ारा
ReplyDeleteइन बातों से दिल बहला कर चले
बहुत नायाब रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
सुन्दर रचना शुभकामनायें ................
ReplyDeleteada ji,
ReplyDeletejab is post ko badelin to ue tasveer aur ye rachnaa mujhe de dijiyrgaa...
dono laajawaab hain....
mujhe aur bhi sanwaarnaa hai inhe...
waqt milte hi..
रहे-इश्क में संग चले वो मगर ,
ReplyDeleteमुझे सौ दफा आजमाकर चले...
तेरे ही रहम पर, है शम्म-ए-उम्मीद
जलाकर चले या बुझाकर चले..
शायद ऐसी धुन लेना चाह रही थी आप...
हम वक्त मिलते ही इसे दोबारा देखेंगे....कोई खटका नहीं है...फिर भी ज़रा सा ..
:)
आपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेहतरीन ... कभी कुछ बुरा भी लिखो, ताकि बुराई करने वालों के दिल में चैन आ जाए कि आज अदा को पटखनी दी ।
ReplyDeleteशुभकामनाओं सहित
खुबसूरत रचना ...शुभकामनायें !!
ReplyDeleteतुम्हारी नज़र में नज़र हम न आयें
ReplyDeleteके खुद को नज़र से बचा कर चले
चले ही जायेंगे जहाँ से तो इक दिन--( चले जायेंगे इस जहां से मगर )
दिलों में इक घर बसा कर चले ---(दिलों में जगह हम बना कर चले)
मिटा दे हमारी वो यादें तेरे दिल से (मिटा दे हमारी तेरे दिल से याद )
खुदा से बस इतनी दुआ कर चले--- ( ओके.)
सजाना न मेरी तुम तस्वीर कोई--( न तस्वीर कोई सजाना मेरी )
हम अक्स अपने सारे जला कर चले--( ओके..)
अच्छा सा इक वक्त संग तेरे गुज़ारा--( भला सा जो गुजरा तेरे संग वक्त )
इन बातों से दिल बहला कर चले ---( ये बातें दिलों से लगाकर चले )
ऐसे थे वैसे थे जैसे भी थे 'अदा'---( 'अदा' ऐसे वैसे थे , जैसे भी हम )
मानोगे हम दुनिया हिला कर चले--( मगर हम ये दुनिया हिला कर चले )
सजाना न मेरी तुम तस्वीर कोई
ReplyDeleteहम अक्स अपने सारे जला कर चले...
Bahut khoobsoorat pantiyan ban padi hain ye.
Navnit Nirav
खुबसूरत रचना ...शुभकामनायें !!
ReplyDeleteada ji,
ReplyDeleteye 'chale chale' kya hai ??
sher saare ke saare bahut bahut acche hain.
aap spni rachna kisi ko bhi mat didjiyega uski maulikta khatm ho jaati hai.
aisi hai viasi hai jaisi bhi hai ye ada ki hai aur usi ki rahe. hamesha ki tarah behad khoobsurat dil ko chho gayi.
tasveer bhi sundar hai lekin rachna se kam
orissa..
.
picture of village girl is beautiful like your poem...
ReplyDeleteregards
अदा जी,
ReplyDeleteनमस्कार,
मैं बहुत दिनों से आपके ब्लॉग पर आ रहा हूँ लेकिन आपने मुझे नहीं पहचाना है, मैं आपकी तस्वीर से आपको पहचान गया हूँ... रांची का ही हूँ आपके मोहल्ले में रहता था ...अब मैं मुंबई में रहता हूँ....
आपको याद नहीं होगा
मुझे राजेश खन्ना कहते थे सब
निखिल देवघरिया नाम है मेरा
सोच नहीं पा रहा हूँ ही कैसे आपको बताऊँ इसीलिए कमेन्ट में लिख रहा हूँ. क्षमा चाहता हूँ
आपकी सारी कवितायें पढ़ी हैं, मुझे इतना मालूम था की आप गाती हैं लेकिन लिखती हैं ये आपके ब्लॉग से ही मालूम हुआ. जिसदिन मैंने आपके ब्लॉग में आपको देखा उस दिन मैं बता नहीं सकता मुझे कितनी ख़ुशी हुई, आपका पूरा बचपन घूम गया. आपका स्कूल जाना , फिर कॉलेज जाना , आपकी शादी में भी आपके घर में काम किया था, मुझे उस फोटोग्राफर की पिटाई भी याद हैं (स्टूडियो अवेनु) वाले की, मैंने भी पीटा था उसे सर (आपके पिता जी) मुझे बहुत अच्छी तरह जानते हैं पूछियेगा. और अगर दीमाग पर जोर डालियेगा तो आप भी याद कर लेंगी.
आप बहुत ही अच्छा लिखती हैं , दिल से लिखती हैं, लिखती रहे हमेशा.और मैं आता रहूँगा पढने. mere paas aapka email id nahi hai isliye yahan likh diya hai bura mat maniyega.
bahut umda rachna !!
ReplyDeletebahut khauuuuuuuuuuuuuub....
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeleteचले जायेंगे जहाँ से तो इक दिन
ReplyDeleteदिलों में इक घर बसा कर चले
-बेहतरीन..हर शेर पूरा..क्या बात है.
भला सा इक वक्त संग तेरे गुज़ारा
ReplyDeleteइन बातों से दिल बहला कर चले ....dil ko bahlane ka yeh khyal achha laga...
मिटा दे हमारी वो यादें तेरे दिल से
ReplyDeleteखुदा से बस इतनी दुआ कर चले
man ko chu gya yh sher .
lajvab.
सजाना न तुम मेरी तस्वीर कोई
ReplyDeleteहम अक्स अपने सारे जला कर चले
भला सा इक वक्त संग तेरे गुज़ारा
इन बातों से दिल बहला कर चले
BE-HADD KHOOBSURAT ASHAAR.
BADHAI...